गोमती देवी शक्तिपीठ का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व
“गोमती देवी शक्तिपीठ,” जो अपने धार्मिक और ज्योतिषीय मशक्तिपीठों का हिंदू धर्म में विशेष स्थान है। यह स्थान देवी सती के अंगों के गिरने से उत्पन्न हुए हैं और हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए अत्यंत पवित्र माने जाते हैं। देवी सती के इस अवतार को विभिन्न रूपों में पूजा जाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इन शक्तिपीठों में से एक प्रमुख शक्तिपीठ हैहत्व के कारण विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
गोमती देवी शक्तिपीठ, गोमती नदी के तट पर स्थित है। यह स्थान न केवल पवित्र माना जाता है, बल्कि यहां की महत्ता ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस शक्तिपीठ की विशेषता यह है कि यहां देवी की पूजा करने से विशेष ज्योतिषीय दोष दूर होते हैं और जीवन में शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
धार्मिक महत्त्व
गोमती देवी का शक्तिपीठ भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। यह मंदिर गोमती नदी के किनारे बसा हुआ है, और यह मान्यता है कि यहाँ माता सती का नेत्र गिरा था, जिसके कारण इसे नेत्र शक्तिपीठ भी कहा जाता है। इस मंदिर की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यहाँ आने वाले भक्तों को विशेष रूप से माँ गोमती का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो उनकी मनोकामनाओं की पूर्ति करती हैं।
ज्योतिष के अनुसार गोमती देवी की पूजा विशेष रूप से शत्रु निवारण, रोग मुक्ति, और मानसिक शांति के लिए की जाती है। यहाँ पर हर साल हजारों भक्त माता का दर्शन करने आते हैं और अपने जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और आशा की प्राप्ति करते हैं। यह शक्तिपीठ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहां की ऊर्जा भी विशेष है, जिससे हर व्यक्ति को शांति का अनुभव होता है।
माता गोमती को समर्पित इस मंदिर में अनेक धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं। इनमें सबसे प्रमुख अनुष्ठान हैं गोमती स्नान और माँ की आरती। कहा जाता है कि गोमती नदी में स्नान करने से भक्तों के सभी पाप धुल जाते हैं और वे पुण्य प्राप्त करते हैं। साथ ही, माँ की आरती में शामिल होकर व्यक्ति को शांति और मानसिक शुद्धि प्राप्त होती है।
ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र में गोमती देवी का शक्तिपीठ एक विशेष स्थान रखता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यहां पर पूजा करने से ग्रह दोष, विशेष रूप से चंद्र और राहु के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है। जिन लोगों की कुंडली में चंद्र दोष होता है, उन्हें विशेष रूप से इस शक्तिपीठ में आकर पूजा करनी चाहिए। यहाँ चंद्र ग्रह से जुड़ी समस्याओं का समाधान होता है और मनोवैज्ञानिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है।
गोमती देवी शक्तिपीठ की पूजा से राहु–केतु की दशा में सुधार आता है। ज्योतिष के अनुसार राहु और केतु का प्रभाव जब किसी व्यक्ति की कुंडली में अशुभ होता है, तब यह जीवन में बाधाएं, मानसिक तनाव, और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। ज्योतिषियों का मानना है कि गोमती देवी की पूजा से राहु और केतु के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में शांति और सफलता की प्राप्ति होती है।
इस शक्तिपीठ में पूजा-अर्चना करने से ग्रहों की दशा और दृष्टि को सुधारने के साथ-साथ व्यक्ति को धन-संपत्ति की प्राप्ति भी हो सकती है। विशेष रूप से, शुक्र ग्रह और बुध ग्रह की समस्याओं का समाधान यहाँ पर किया जाता है। कुंडली में अगर शुक्र और बुध अशुभ स्थिति में हों, तो इस शक्तिपीठ की यात्रा और माँ की आराधना व्यक्ति को इन ग्रहों से जुड़े दोषों से मुक्त करती है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, गोमती देवी की पूजा विशेष रूप से नवग्रहों के दोष निवारण के लिए की जाती है। जिन व्यक्तियों की कुंडली में नवग्रहों की स्थिति अशुभ होती है, उन्हें गोमती देवी की उपासना करने से लाभ होता है। इस शक्तिपीठ की ऊर्जा नवग्रहों की शांति और अनुकूलता के लिए अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।
गोमती देवी की पूजा से ग्रह दोष निवारण

चंद्र दोष निवारण:
जिनकी कुंडली में चंद्र ग्रह कमजोर होता है, उन्हें विशेष रूप से इस शक्तिपीठ में जाकर माँ की पूजा करनी चाहिए। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यह पूजा चंद्र ग्रह की शांति के लिए बहुत प्रभावी मानी जाती है। चंद्र से संबंधित मानसिक तनाव, चिंता, और अस्थिरता से मुक्ति पाने के लिए यहाँ आकर गोमती देवी की आराधना करनी चाहिए।
राहु-केतु दोष निवारण:
राहु और केतु के अशुभ प्रभाव जीवन में कई बाधाएं खड़ी कर सकते हैं। ज्योतिषियों के अनुसार, गोमती देवी की आराधना करने से राहु और केतु से जुड़े दोषों का निवारण होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है। राहु–केतु दोष से पीड़ित व्यक्ति यहाँ आकर विशेष रूप से लाभ उठा सकते हैं।
शुक्र और बुध ग्रह के दोष निवारण:
गोमती देवी की पूजा से शुक्र और बुध ग्रह के दोषों का निवारण होता है। जिनकी कुंडली में इन ग्रहों की स्थिति अशुभ होती है, उन्हें यहाँ आकर देवी की पूजा करनी चाहिए। शुक्र ग्रह का संबंध धन, वैवाहिक जीवन, और सुख-सुविधाओं से होता है, जबकि बुध ग्रह का संबंध बुद्धि और व्यापार से होता है। इस शक्तिपीठ की पूजा से इन ग्रहों से जुड़ी समस्याएं हल होती हैं।
नवग्रह शांति:
नवग्रहों की स्थिति जब कुंडली में अशुभ होती है, तो व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। गोमती देवी की पूजा नवग्रह शांति के लिए अत्यंत प्रभावी मानी जाती है। यहाँ पर नवग्रहों की शांति के लिए विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनसे व्यक्ति के जीवन में शांति, सुख और समृद्धि का प्रवेश होता है।
साधना और मंत्र जाप:
गोमती देवी शक्तिपीठ में साधना और मंत्र जाप करना अत्यंत शुभ माना जाता है। विशेषकर उन लोगों के लिए जो ग्रहों की दशा से पीड़ित होते हैं, वे यहाँ आकर साधना और मंत्र जाप के द्वारा उन ग्रहों की शांति प्राप्त कर सकते हैं। यह स्थान साधकों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल के रूप में प्रसिद्ध है, जहाँ वे अपनी साधना को एक नई दिशा दे सकते हैं।
गोमती देवी शक्तिपीठ की यात्रा से लाभ
गोमती देवी शक्तिपीठ की यात्रा विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपने जीवन में ग्रहों के दोषों से परेशान हैं। साहू जी के अनुसार इस शक्तिपीठ की यात्रा करने से व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है और उसका जीवन सुखमय हो जाता है। जिन लोगों के जीवन में बार-बार असफलताएं आती हैं, उन्हें गोमती देवी की यात्रा अवश्य करनी चाहिए।
यह शक्तिपीठ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। ज्योतिष के अनुसार इस शक्तिपीठ की यात्रा करने वाले भक्तों का कहना है कि यहाँ आने के बाद उनके जीवन में विशेष बदलाव आया है और वे अब पहले से अधिक शांति और सुख का अनुभव कर रहे हैं।
गोमती देवी शक्तिपीठ का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह स्थल न केवल देवी सती की उपासना के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहाँ की ज्योतिषीय ऊर्जा भी विशेष रूप से शक्तिशाली मानी जाती है। जो लोग अपने जीवन में ग्रहों के अशुभ प्रभावों से परेशान हैं, उन्हें गोमती देवी की पूजा और यात्रा अवश्य करनी चाहिए। इस शक्तिपीठ की पूजा से ग्रहों के दोषों का निवारण होता है और व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, और शांति का आगमन होता है।
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