भारत की पवित्र भूमि में शक्तिपीठों का विशेष स्थान है। ये वे स्थान हैं जहाँ सती के शरीर के अंग गिरे थे और जहां देवी शक्ति की आराधना की जाती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार प्राचीन धार्मिक ग्रंथों और पुराणों में शक्तिपीठों का उल्लेख मिलता है और इन स्थलों को तीर्थयात्रा का अत्यंत महत्वपूर्ण केंद्र माना गया है। शक्तिपीठ केवल धार्मिक स्थान नहीं हैं, बल्कि ये ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं। यहां देवी आराधना के द्वारा व्यक्ति अपने जीवन की कई समस्याओं से मुक्ति पा सकता है।
इस लेख में हम शक्तिपीठों के ज्योतिषीय महत्त्व और देवी आराधना के लाभों को समझेंगे।
शक्तिपीठों का परिचय
शक्तिपीठ हिन्दू धर्म में देवी की पूजा का स्थान है, जो मुख्य रूप से सती के शरीर के अंगों के गिरने से जुड़े हैं। देवी सती के शरीर के 51 स्थानों पर गिरने के कारण इन जगहों को शक्तिपीठ कहा जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार हर शक्तिपीठ का अपना एक अलग महत्व और इतिहास है। यह कहा जाता है कि इन शक्तिपीठों में देवी की शक्ति अत्यंत प्रबल होती है और यहां की जाने वाली पूजा-अर्चना विशेष फलदायक होती है।
शक्तिपीठों का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष के अनुसार, शक्तिपीठ न केवल धार्मिक स्थल हैं, बल्कि यहां की जाने वाली आराधना कुंडली में स्थित ग्रह दोषों का निवारण करने में भी मददगार होती है। ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों की दशा और उनकी स्थिति का व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव होता है। कई बार कुंडली में ग्रहों की अशुभ स्थिति के कारण व्यक्ति को जीवन में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में शक्तिपीठों की यात्रा और वहां देवी की आराधना करने से इन समस्याओं का समाधान हो सकता है।
कुंडली के ग्रह दोष और शक्तिपीठों का महत्व
शनि दोष: शनि ग्रह की अशुभ स्थिति व्यक्ति को जीवन में कठिनाइयों और समस्याओं का सामना करवा सकती है। ज्योतिष के अनुसार शनि दोष से प्रभावित व्यक्ति को अक्सर शारीरिक और मानसिक कष्ट होते हैं। ज्योतिषीय उपाय के रूप में, कालिका शक्तिपीठ या महाकाली शक्तिपीठ की यात्रा और वहां शनि दोष निवारण के लिए विशेष पूजा करने से शनि के बुरे प्रभाव को कम किया जा सकता है।
मंगल दोष: मंगल ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के स्वभाव और ऊर्जा पर पड़ता है। अगर मंगल की स्थिति अशुभ हो, तो व्यक्ति के जीवन में क्रोध, दुर्घटनाएं, और रिश्तों में तनाव बढ़ सकता है। ऐसे में त्रिपुरा सुंदरी या कामाख्या शक्तिपीठ में देवी की आराधना से मंगल दोष को कम किया जा सकता है।
राहु और केतु दोष: राहु और केतु ग्रह कुंडली में कालसर्प योग और पित्र दोष का निर्माण करते हैं। इन ग्रहों की अशुभ स्थिति से मानसिक परेशानियां, रोग, और धन हानि जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं। राहु–केतु दोष निवारण के लिए तारा तारिणी और हिंगलाज शक्तिपीठ की यात्रा और वहां की पूजा विशेष लाभकारी होती है।
चंद्र दोष: चंद्र ग्रह का संबंध व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य और भावनात्मक स्थिति से है। साहू जी के अनुसार अगर चंद्रमा अशुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति मानसिक तनाव और अवसाद का शिकार हो सकता है। चंद्र दोष निवारण के लिए नैना देवी या ज्वालामुखी शक्तिपीठ की यात्रा लाभकारी मानी जाती है।
सूर्य दोष: सूर्य ग्रह का संबंध व्यक्ति की आत्मशक्ति, स्वास्थ्य, और प्रतिष्ठा से है। अगर सूर्य अशुभ हो, तो व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं और समाज में मान-सम्मान की कमी का सामना करना पड़ सकता है। सूर्य दोष निवारण के लिए सूर्यकुंड शक्तिपीठ की यात्रा और पूजा का विशेष महत्व है।
देवी आराधना के लाभ
धन और समृद्धि: देवी लक्ष्मी की आराधना से व्यक्ति को धन की प्राप्ति और समृद्धि का वरदान मिलता है। विशेष रूप से कोल्हापुर स्थित महालक्ष्मी शक्तिपीठ में देवी लक्ष्मी की पूजा करने से आर्थिक संकटों से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति की धन प्राप्ति के योग बनते हैं।
स्वास्थ्य और दीर्घायु: देवी की आराधना व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करती है। देवी कालिका या महाकाली की पूजा करने से व्यक्ति को शत्रुओं और बुरी शक्तियों से सुरक्षा मिलती है और उसका स्वास्थ्य उत्तम बना रहता है।
रिश्तों में सुधार: यदि किसी व्यक्ति के जीवन में रिश्तों में तनाव हो, तो देवी की आराधना द्वारा उस तनाव को कम किया जा सकता है। विशेष रूप से त्रिपुरा सुंदरी या कामाख्या देवी की पूजा से वैवाहिक जीवन में सुख और शांति आती है।
संकट निवारण: देवी की आराधना से जीवन में आने वाले संकटों का निवारण होता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार व्यक्ति को देवी से शक्ति मिलती है जिससे वह अपने जीवन की कठिनाइयों का सामना कर सकता है। विशेष रूप से कालिका शक्तिपीठ और महाकाली शक्तिपीठ में पूजा करने से जीवन के बड़े से बड़े संकटों का निवारण संभव होता है।
आध्यात्मिक उन्नति: देवी की आराधना व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाती है। इससे आत्मा की शांति और स्थिरता प्राप्त होती है और व्यक्ति अपने जीवन के लक्ष्यों की प्राप्ति की ओर अग्रसर होता है।
शक्तिपीठों की यात्रा के ज्योतिषीय फायदे
साहू जी के अनुसार शक्तिपीठों की यात्रा करना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी महत्व है। जो व्यक्ति शक्तिपीठों की यात्रा करता है, उसकी कुंडली में स्थित ग्रह दोषों का निवारण होता है। इसके साथ ही व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है और उसकी किस्मत में सुधार होता है।
मनोकामना की पूर्ति: कहा जाता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से शक्तिपीठों की यात्रा करता है और वहां देवी की आराधना करता है, उसकी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कुंडली के दोषों का निवारण: शक्तिपीठों में पूजा करने से कुंडली में स्थित ग्रह दोष, जैसे शनि दोष, राहु–केतु दोष, मंगल दोष, आदि का निवारण होता है। यह ज्योतिषीय उपाय व्यक्ति के जीवन में आने वाली समस्याओं को दूर करता है।
शांति और स्थिरता: शक्तिपीठों की यात्रा करने से मानसिक शांति और स्थिरता प्राप्त होती है। व्यक्ति के जीवन में संतुलन आता है और वह अपने जीवन के लक्ष्यों की ओर ध्यान केंद्रित कर पाता है।
पारिवारिक सुख: देवी की आराधना से परिवार में सुख और शांति का माहौल बनता है। विशेष रूप से वैवाहिक जीवन में सुख की प्राप्ति के लिए देवी की आराधना अत्यंत फलदायी मानी जाती है।
शक्तिपीठों में जाने के ज्योतिषीय नियम
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, शक्तिपीठों की यात्रा करते समय कुछ विशेष नियमों का पालन करना आवश्यक होता है। इन नियमों के अनुसार, व्यक्ति को यात्रा के शुभ समय और दिशा का ध्यान रखना चाहिए। ग्रहों की स्थिति के अनुसार, यात्रा का समय निर्धारित करना चाहिए जिससे यात्रा का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।
नक्षत्र का चयन: शक्तिपीठों की यात्रा के लिए शुभ नक्षत्र का चयन किया जाता है। शुभ नक्षत्र में यात्रा करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
शुभ दिन: यात्रा करने के लिए सप्ताह के कुछ विशेष दिन ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यंत शुभ माने जाते हैं, जैसे सोमवार और शुक्रवार। इन दिनों में देवी की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है।
तांत्रिक उपाय: शक्तिपीठों में देवी की आराधना के साथ कुछ विशेष तांत्रिक उपाय भी किए जाते हैं, जैसे मंत्र जाप, हवन, आदि। इन उपायों से ग्रह दोषों का निवारण होता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है।
शक्तिपीठों का ज्योतिषीय महत्त्व अत्यंत व्यापक है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यहां की जाने वाली देवी आराधना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से लाभकारी होती है, बल्कि यह व्यक्ति की कुंडली में स्थित ग्रह दोषों का निवारण करने में भी मददगार होती है। शनि, मंगल, राहु, केतु, और चंद्र जैसे ग्रहों के दोषों का निवारण शक्तिपीठों की यात्रा और वहां की जाने वाली पूजा द्वारा संभव होता है। देवी की कृपा से व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि, स्वास्थ्य, और शांति का वास होता है।
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