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शक्तिपीठों की यात्रा से राहु-केतु के दोषों का समाधान

राहु और केतु को ज्योतिष में छाया ग्रह कहा जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में विशेष प्रभाव डालते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार ये ग्रह व्यक्ति की कुंडली में उनकी स्थिति के आधार पर विभिन्न बाधाएं और कठिनाइयाँ उत्पन्न कर सकते हैं। राहु और केतु का संबंध अज्ञात भय, मानसिक अस्थिरता, आकस्मिक घटनाओं, और अप्रत्याशित समस्याओं से होता है। इन दोषों के समाधान के लिए ज्योतिष में अनेक उपाय बताए गए हैं, जिनमें सबसे महत्वपूर्ण है शक्तिपीठों की यात्रा।

शक्तिपीठ, देवी की पूजा के विशेष स्थान माने जाते हैं, जहाँ देवी सती के अंगों के गिरने से ये स्थलों का निर्माण हुआ था। साहू जी के अनुसार यह पवित्र स्थल अपनी दिव्यता और शक्तियों के लिए प्रसिद्ध हैं। शक्तिपीठों की यात्रा न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि कुंडली में उपस्थित राहु-केतु के दोषों को भी शांत करने में सहायक होती है। इस लेख में हम शक्तिपीठों की यात्रा के महत्व, उनके लाभ और विशेष उपायों के बारे में चर्चा करेंगे, जिससे राहु-केतु के दोषों का समाधान किया जा सके।

राहु-केतु दोष और इसके प्रभाव

कुंडली में राहु और केतु की अशुभ स्थिति का सीधा प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर पड़ता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार राहु को भौतिक इच्छाओं, धूर्तता, और मानसिक तनाव का ग्रह माना जाता है। वहीं, केतु आध्यात्मिकता, संतोष और पुराने कर्मों का प्रतीक है। जब राहु और केतु अशुभ स्थिति में होते हैं, तो व्यक्ति के जीवन में नकारात्मक घटनाएँ घटित हो सकती हैं। इन ग्रहों का अशुभ प्रभाव निम्नलिखित हो सकता है:

अचानक दुर्घटनाएँ: राहु-केतु की अशुभ दशा दुर्घटनाओं, अप्रत्याशित घटनाओं और जीवन में अचानक उतार-चढ़ाव का कारण बन सकती है।

मानसिक समस्याएँ: राहु की नकारात्मक स्थिति व्यक्ति को मानसिक रूप से अस्थिर कर सकती है, जिससे व्यक्ति को चिंता, भय और अवसाद का सामना करना पड़ सकता है।

वैवाहिक समस्याएँ: राहु-केतु का प्रभाव वैवाहिक जीवन में समस्याएँ उत्पन्न कर सकता है, जैसे विवाद, अलगाव या समझ में कमी।

धन-संपत्ति का नुकसान: इन ग्रहों की अशुभ दशा व्यक्ति को आर्थिक समस्याओं में डाल सकती है, जिससे धन हानि, कर्ज और व्यापार में असफलता हो सकती है।

शत्रु बाधा: राहु केतु के प्रभाव से व्यक्ति को शत्रुओं से परेशानियाँ हो सकती हैं, ज्योतिष के अनुसार व्यक्ति कानूनी विवाद, मानहानि, और शारीरिक हानि का सामना कर सकता है।

शक्तिपीठों की यात्रा का महत्व

शक्तिपीठों की यात्रा और वहां देवी की पूजा से राहु और केतु के दोषों का निवारण किया जा सकता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब सती माता का शरीर खंडित हुआ, तो उनके अंग विभिन्न स्थानों पर गिरे, जो बाद में शक्तिपीठ कहलाए। ज्योतिष के अनुसार ये स्थान अत्यंत दिव्य और शक्तिशाली माने जाते हैं। देवी के इन स्थलों की यात्रा व्यक्ति के जीवन में शांति और समृद्धि लाती है। इसके साथ ही, कुंडली में उपस्थित ग्रह दोषों, विशेषकर राहुकेतु के दोषों का शमन करने में मदद करती है।

राहु-केतु के दोष निवारण के लिए शक्तिपीठों की यात्रा के लाभ

आध्यात्मिक शांति: साहू जी के अनुसार शक्तिपीठों की यात्रा और देवी की आराधना से मानसिक शांति प्राप्त होती है, जो राहु के अशुभ प्रभाव को कम करने में सहायक होती है।

अज्ञात भय का निवारण: राहु और केतु का संबंध अज्ञात भय से होता है। शक्तिपीठों में देवी की उपासना से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता आती है और अज्ञात भय दूर होता है।

शत्रुओं से रक्षा: शक्तिपीठों में देवी की पूजा से राहु-केतु के कारण उत्पन्न शत्रु बाधाओं का निवारण होता है।

आकस्मिक समस्याओं से मुक्ति: राहु-केतु की दशा में अचानक उत्पन्न होने वाली समस्याओं से बचने के लिए शक्तिपीठों की यात्रा अत्यधिक प्रभावशाली मानी जाती है।

आर्थिक स्थिति में सुधार: देवी की कृपा से व्यक्ति की आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं, जिससे राहु-केतु के कारण उत्पन्न धन-संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है।

शक्तिपीठों में राहु-केतु दोष निवारण के उपाय

शक्तिपीठों की यात्रा के दौरान कुछ विशेष उपाय करने से राहुकेतु के दोषों का निवारण और प्रभावशाली हो जाता है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण उपाय दिए गए हैं:

हनुमान जी की पूजा: शक्तिपीठों में यात्रा के समय हनुमान जी की पूजा करने से राहु के दोष शांत होते हैं। हनुमान जी राहु ग्रह के कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं।

काली माता की पूजा: काली माता का विशेष महत्व राहु और केतु के दोषों के निवारण के लिए है। शक्तिपीठों में काली माता की पूजा और आराधना करने से ग्रह दोष शांत होते हैं।

शनि की शांति: राहु-केतु के दोषों का संबंध शनि ग्रह से भी होता है। अतः शक्तिपीठों की यात्रा के दौरान शनिदेव की पूजा और शनि मंत्रों का जाप करने से दोषों का प्रभाव कम होता है।

मंत्र जाप:शक्तिपीठों की यात्रा के दौरान राहु और केतु के मंत्रों का जाप करने से दोषों का शमन होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार राहु के लिए “ॐ राहवे नमः” और केतु के लिए “ॐ केतवे नमः” मंत्र का जाप अत्यधिक प्रभावी माना जाता है।

दान:ज्योतिष के अनुसार शक्तिपीठों में राहु और केतु से संबंधित वस्तुओं का दान करना जैसे चावल, दाल, सरसों का तेल, काले तिल, लोहे की वस्तु, राहुकेतु के दोषों को कम करने में सहायक होता है।

प्रमुख शक्तिपीठ और उनकी विशेषता

राहु-केतु दोष निवारण के लिए शक्तिपीठों की यात्रा महत्वपूर्ण मानी जाती है। यहां कुछ प्रमुख शक्तिपीठ दिए गए हैं, जहाँ इन ग्रह दोषों का निवारण किया जा सकता है:

कामाख्या शक्तिपीठ (असम): कामाख्या देवी का मंदिर तंत्र साधना और राहु-केतु दोष निवारण के लिए विशेष महत्व रखता है। यहाँ देवी की पूजा और बलि के माध्यम से ग्रह दोषों का शमन किया जाता है।

त्रिपुरा सुंदरी (त्रिपुरा): त्रिपुरा सुंदरी शक्तिपीठ में देवी की उपासना राहुकेतु के दोषों को शांत करने के लिए अत्यधिक लाभकारी मानी जाती है।

कालिका मंदिर (कोलकाता): काली माता के इस प्रसिद्ध मंदिर में राहु और केतु के दोष निवारण के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। यहाँ काली माता की आराधना से ग्रह दोष समाप्त होते हैं।

ज्वालामुखी शक्तिपीठ (हिमाचल प्रदेश): ज्वालामुखी शक्तिपीठ की यात्रा से ग्रहों के दोषों से मुक्ति प्राप्त होती है। राहु-केतु के दोषों से पीड़ित लोगों को यहाँ आकर देवी की पूजा करनी चाहिए।

महाकाली शक्तिपीठ (उज्जैन): महाकाली मंदिर में राहु और केतु के दोषों का निवारण किया जाता है। यहाँ की देवी की आराधना राहु-केतु के दोषों से मुक्ति दिलाती है।

शक्तिपीठों की यात्रा एक अत्यंत शक्तिशाली ज्योतिषीय उपाय है, जो राहु-केतु के दोषों का शमन करने में अत्यधिक प्रभावी सिद्ध होती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार शक्तिपीठों की दिव्यता और देवी की कृपा से राहु-केतु के अशुभ प्रभाव शांत होते हैं, जिससे व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आगमन होता है। कुंडली में उपस्थित इन दोषों से परेशान लोग शक्तिपीठों की यात्रा कर देवी की पूजा-अर्चना और उपासना द्वारा अपने जीवन को सकारात्मक दिशा दे सकते हैं।

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