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कुंडली में नवग्रह दोष निवारण के लिए शक्तिपीठों की आराधना

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों का विशेष महत्व होता है, क्योंकि ये ग्रह हमारे जीवन की दिशा, स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति और संपूर्ण व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह दोष होते हैं, तो उसे जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं ग्रह दोषों को निवारण करने के लिए ज्योतिषीय उपायों में शक्तिपीठों की आराधना का विशेष महत्व बताया गया है। शक्तिपीठ, देवी शक्ति के उपासना स्थल होते हैं, जहाँ पूजा-अर्चना से ग्रहों के दोषों का निवारण और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।

नवग्रह दोष

नवग्रहों में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु शामिल हैं। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यदि किसी ग्रह की स्थिति कुंडली में अशुभ होती है या ग्रहों की दशा प्रतिकूल चल रही होती है, तो इसे ग्रह दोष कहा जाता है। ये दोष व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं को जन्म दे सकते हैं, जैसे:

सूर्य दोष: स्वास्थ्य, आत्मविश्वास, और नेतृत्व क्षमता में कमी।

चंद्र दोष: मानसिक अस्थिरता, भावनात्मक तनाव, और परिवार में कलह।

मंगल दोष: दुर्घटनाएं, विवाद, क्रोध की अधिकता, और शारीरिक समस्याएं।

बुध दोष: संवाद में कठिनाई, व्यापार में हानि, और बुद्धिमानी की कमी।

गुरु दोष: शिक्षा में बाधाएं, आध्यात्मिक उन्नति की कमी, और आर्थिक समस्याएं।

शुक्र दोष: प्रेम संबंधों में असफलता, विलासिता की अधिकता, और स्वास्थ्य समस्याएं।

शनि दोष: विलंब, असफलता, कठिनाइयों का सामना करना।

राहु दोष: भ्रम, छल, मानसिक तनाव, और अचानक से समस्याएं।

केतु दोष: आध्यात्मिक भ्रम, अनिश्चितता, और मानसिक अशांति।

नवग्रह दोष निवारण के लिए शक्तिपीठों की आराधना का महत्व

शक्तिपीठ देवी शक्ति के उपासना स्थल हैं, जो पूरे भारत में फैले हुए हैं। ऐसी मान्यता है कि इन स्थलों पर देवी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आ रहे सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। साहू जी के अनुसार विशेष रूप से नवग्रह दोषों के निवारण में शक्तिपीठों की आराधना अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है।

सूर्य दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

सूर्य दोष के निवारण के लिए कामाख्या शक्तिपीठ (असम) की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य आत्मा का प्रतीक होता है, और कामाख्या देवी की आराधना से सूर्य ग्रह के दोषों को शांत किया जा सकता है। यहाँ हर रविवार को विशेष पूजा की जाती है, जिससे व्यक्ति को आत्मविश्वास और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।

चंद्र दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

चंद्र दोष के निवारण के लिए विंध्यवासिनी शक्तिपीठ (उत्तर प्रदेश) की आराधना लाभकारी होती है। यह शक्तिपीठ मन की शांति और मानसिक संतुलन प्राप्त करने के लिए प्रसिद्ध है। चंद्रमा मानसिक शांति और भावनाओं का प्रतीक है, और विंध्यवासिनी देवी की पूजा से मानसिक तनाव, अवसाद, और भावनात्मक समस्याओं का निवारण किया जा सकता है।

मंगल दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

मंगल ग्रह का संबंध ऊर्जा, साहस और संघर्ष से होता है। मंगल दोष के निवारण के लिए उज्जैन स्थित महाकाली शक्तिपीठ की पूजा करना अत्यंत प्रभावी होता है। यहाँ देवी की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले संघर्षों का समाधान होता है और दुर्घटनाओं से मुक्ति मिलती है।

बुध दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

बुध ग्रह का संबंध बुद्धिमत्ता, संवाद और व्यापार से होता है। बुध दोष के निवारण के लिए कालीघाट (पश्चिम बंगाल) की देवी काली की आराधना लाभकारी होती है। काली देवी बुद्धि और तर्कशीलता का प्रतीक हैं, और इनकी पूजा से बुध ग्रह के दोष शांत होते हैं, जिससे व्यक्ति का संवाद बेहतर होता है और व्यापार में उन्नति प्राप्त होती है।

गुरु दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

गुरु ग्रह का संबंध शिक्षा, ज्ञान और धर्म से होता है। ज्योतिष के अनुसार गुरु दोष के निवारण के लिए तारा तारिणी शक्तिपीठ (उड़ीसा) की पूजा करना लाभकारी होता है। यहाँ देवी की आराधना से शिक्षा में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

शुक्र दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

शुक्र ग्रह का संबंध प्रेम, सौंदर्य, और विलासिता से होता है। शुक्र दोष के निवारण के लिए त्रिपुरा सुंदरी (त्रिपुरा) की आराधना अत्यधिक प्रभावी होती है। ज्योतिष के अनुसार यहाँ की देवी की पूजा से प्रेम संबंधों में सुधार होता है और जीवन में सुख-सौंदर्य का प्रवेश होता है।

शनि दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

शनि दोष के निवारण के लिए कालिका शक्तिपीठ (कोलकाता) की पूजा करना अत्यधिक प्रभावी होता है। शनि ग्रह जीवन में विलंब और कठिनाइयों का प्रतीक होता है, लेकिन कालिका देवी की आराधना से शनि ग्रह के दोषों को शांत किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में प्रगति और सफलता प्राप्त होती है।

राहु दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

राहु ग्रह का संबंध भ्रम, छल और अज्ञात खतरों से होता है। राहु दोष के निवारण के लिए श्री शैल शक्तिपीठ (आंध्र प्रदेश) की पूजा लाभकारी होती है। देवी की आराधना से राहु ग्रह के कारण उत्पन्न समस्याओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में स्पष्टता और संतुलन आता है।

केतु दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

केतु ग्रह का संबंध आध्यात्मिकता और अनिश्चितता से होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार केतु दोष के निवारण के लिए ज्वालामुखी शक्तिपीठ (हिमाचल प्रदेश) की पूजा करना लाभकारी होता है। यहाँ देवी की आराधना से केतु ग्रह के दोष शांत होते हैं, जिससे आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

शक्तिपीठों की आराधना के ज्योतिषीय उपाय

मंत्र जाप: प्रत्येक शक्तिपीठ में देवी के विशेष मंत्र का जाप करना अत्यंत प्रभावी होता है। नवग्रहों के दोषों को शांत करने के लिए यह एक प्रमुख उपाय है।

रुद्राक्ष धारण: नवग्रह दोष निवारण के लिए रुद्राक्ष धारण करने का विशेष महत्व है। हर ग्रह के लिए विशेष प्रकार का रुद्राक्ष होता है, जिसे धारण करने से ग्रह दोषों का निवारण होता है।

दान: ग्रह दोषों को शांत करने के लिए शक्तिपीठों में अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इससे नवग्रहों के दोष शांत होते हैं और व्यक्ति को जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है।

विशेष पूजा: शक्तिपीठों में विशेष पूजा-अर्चना द्वारा भी नवग्रह दोषों को शांत किया जा सकता है। साहू जी के अनुसार इसमें ग्रहों की शांति के लिए हवन और अनुष्ठान कराए जाते हैं, जो अत्यधिक प्रभावी होते हैं।

शक्तिपीठों की आराधना ज्योतिषीय उपायों में से एक अत्यंत प्रभावी और महत्वपूर्ण उपाय है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह न केवल नवग्रहों के दोषों को शांत करता है, बल्कि जीवन में शांति, समृद्धि, और उन्नति भी लाता है। यदि आपकी कुंडली में नवग्रह दोष हैं, तो शक्तिपीठों की यात्रा और देवी की आराधना आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है। ग्रहों की दशा चाहे कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हो, देवी की कृपा से सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान संभव है।

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