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कुंडली में नवग्रह दोष निवारण के लिए शक्तिपीठों की आराधना

भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों का विशेष महत्व होता है, क्योंकि ये ग्रह हमारे जीवन की दिशा, स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति और संपूर्ण व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह दोष होते हैं, तो उसे जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं ग्रह दोषों को निवारण करने के लिए ज्योतिषीय उपायों में शक्तिपीठों की आराधना का विशेष महत्व बताया गया है। शक्तिपीठ, देवी शक्ति के उपासना स्थल होते हैं, जहाँ पूजा-अर्चना से ग्रहों के दोषों का निवारण और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।

नवग्रह दोष

नवग्रहों में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु शामिल हैं। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यदि किसी ग्रह की स्थिति कुंडली में अशुभ होती है या ग्रहों की दशा प्रतिकूल चल रही होती है, तो इसे ग्रह दोष कहा जाता है। ये दोष व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं को जन्म दे सकते हैं, जैसे:

सूर्य दोष: स्वास्थ्य, आत्मविश्वास, और नेतृत्व क्षमता में कमी।

चंद्र दोष: मानसिक अस्थिरता, भावनात्मक तनाव, और परिवार में कलह।

मंगल दोष: दुर्घटनाएं, विवाद, क्रोध की अधिकता, और शारीरिक समस्याएं।

बुध दोष: संवाद में कठिनाई, व्यापार में हानि, और बुद्धिमानी की कमी।

गुरु दोष: शिक्षा में बाधाएं, आध्यात्मिक उन्नति की कमी, और आर्थिक समस्याएं।

शुक्र दोष: प्रेम संबंधों में असफलता, विलासिता की अधिकता, और स्वास्थ्य समस्याएं।

शनि दोष: विलंब, असफलता, कठिनाइयों का सामना करना।

राहु दोष: भ्रम, छल, मानसिक तनाव, और अचानक से समस्याएं।

केतु दोष: आध्यात्मिक भ्रम, अनिश्चितता, और मानसिक अशांति।

नवग्रह दोष निवारण के लिए शक्तिपीठों की आराधना का महत्व

शक्तिपीठ देवी शक्ति के उपासना स्थल हैं, जो पूरे भारत में फैले हुए हैं। ऐसी मान्यता है कि इन स्थलों पर देवी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आ रहे सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। साहू जी के अनुसार विशेष रूप से नवग्रह दोषों के निवारण में शक्तिपीठों की आराधना अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है।

सूर्य दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

सूर्य दोष के निवारण के लिए कामाख्या शक्तिपीठ (असम) की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य आत्मा का प्रतीक होता है, और कामाख्या देवी की आराधना से सूर्य ग्रह के दोषों को शांत किया जा सकता है। यहाँ हर रविवार को विशेष पूजा की जाती है, जिससे व्यक्ति को आत्मविश्वास और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।

चंद्र दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

चंद्र दोष के निवारण के लिए विंध्यवासिनी शक्तिपीठ (उत्तर प्रदेश) की आराधना लाभकारी होती है। यह शक्तिपीठ मन की शांति और मानसिक संतुलन प्राप्त करने के लिए प्रसिद्ध है। चंद्रमा मानसिक शांति और भावनाओं का प्रतीक है, और विंध्यवासिनी देवी की पूजा से मानसिक तनाव, अवसाद, और भावनात्मक समस्याओं का निवारण किया जा सकता है।

मंगल दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

मंगल ग्रह का संबंध ऊर्जा, साहस और संघर्ष से होता है। मंगल दोष के निवारण के लिए उज्जैन स्थित महाकाली शक्तिपीठ की पूजा करना अत्यंत प्रभावी होता है। यहाँ देवी की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले संघर्षों का समाधान होता है और दुर्घटनाओं से मुक्ति मिलती है।

बुध दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

बुध ग्रह का संबंध बुद्धिमत्ता, संवाद और व्यापार से होता है। बुध दोष के निवारण के लिए कालीघाट (पश्चिम बंगाल) की देवी काली की आराधना लाभकारी होती है। काली देवी बुद्धि और तर्कशीलता का प्रतीक हैं, और इनकी पूजा से बुध ग्रह के दोष शांत होते हैं, जिससे व्यक्ति का संवाद बेहतर होता है और व्यापार में उन्नति प्राप्त होती है।

गुरु दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

गुरु ग्रह का संबंध शिक्षा, ज्ञान और धर्म से होता है। ज्योतिष के अनुसार गुरु दोष के निवारण के लिए तारा तारिणी शक्तिपीठ (उड़ीसा) की पूजा करना लाभकारी होता है। यहाँ देवी की आराधना से शिक्षा में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

शुक्र दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

शुक्र ग्रह का संबंध प्रेम, सौंदर्य, और विलासिता से होता है। शुक्र दोष के निवारण के लिए त्रिपुरा सुंदरी (त्रिपुरा) की आराधना अत्यधिक प्रभावी होती है। ज्योतिष के अनुसार यहाँ की देवी की पूजा से प्रेम संबंधों में सुधार होता है और जीवन में सुख-सौंदर्य का प्रवेश होता है।

शनि दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

शनि दोष के निवारण के लिए कालिका शक्तिपीठ (कोलकाता) की पूजा करना अत्यधिक प्रभावी होता है। शनि ग्रह जीवन में विलंब और कठिनाइयों का प्रतीक होता है, लेकिन कालिका देवी की आराधना से शनि ग्रह के दोषों को शांत किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में प्रगति और सफलता प्राप्त होती है।

राहु दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

राहु ग्रह का संबंध भ्रम, छल और अज्ञात खतरों से होता है। राहु दोष के निवारण के लिए श्री शैल शक्तिपीठ (आंध्र प्रदेश) की पूजा लाभकारी होती है। देवी की आराधना से राहु ग्रह के कारण उत्पन्न समस्याओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में स्पष्टता और संतुलन आता है।

केतु दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

केतु ग्रह का संबंध आध्यात्मिकता और अनिश्चितता से होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार केतु दोष के निवारण के लिए ज्वालामुखी शक्तिपीठ (हिमाचल प्रदेश) की पूजा करना लाभकारी होता है। यहाँ देवी की आराधना से केतु ग्रह के दोष शांत होते हैं, जिससे आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

शक्तिपीठों की आराधना के ज्योतिषीय उपाय

मंत्र जाप: प्रत्येक शक्तिपीठ में देवी के विशेष मंत्र का जाप करना अत्यंत प्रभावी होता है। नवग्रहों के दोषों को शांत करने के लिए यह एक प्रमुख उपाय है।

रुद्राक्ष धारण: नवग्रह दोष निवारण के लिए रुद्राक्ष धारण करने का विशेष महत्व है। हर ग्रह के लिए विशेष प्रकार का रुद्राक्ष होता है, जिसे धारण करने से ग्रह दोषों का निवारण होता है।

दान: ग्रह दोषों को शांत करने के लिए शक्तिपीठों में अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इससे नवग्रहों के दोष शांत होते हैं और व्यक्ति को जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है।

विशेष पूजा: शक्तिपीठों में विशेष पूजा-अर्चना द्वारा भी नवग्रह दोषों को शांत किया जा सकता है। साहू जी के अनुसार इसमें ग्रहों की शांति के लिए हवन और अनुष्ठान कराए जाते हैं, जो अत्यधिक प्रभावी होते हैं।

शक्तिपीठों की आराधना ज्योतिषीय उपायों में से एक अत्यंत प्रभावी और महत्वपूर्ण उपाय है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह न केवल नवग्रहों के दोषों को शांत करता है, बल्कि जीवन में शांति, समृद्धि, और उन्नति भी लाता है। यदि आपकी कुंडली में नवग्रह दोष हैं, तो शक्तिपीठों की यात्रा और देवी की आराधना आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है। ग्रहों की दशा चाहे कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हो, देवी की कृपा से सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान संभव है।

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TESTIMONIALS

अंजलि वर्मा, इंदौर (Google reviews)
“मेरे करियर में कई बार रुकावट आई थी। साहू जी की सलाह से मुझे सही दिशा मिली और अब मैं तरक्की कर रही हूँ।”

कृष्णा चतुर्वेदी, भोपाल (Google reviews)
“मेरी सेहत में गिरावट आ रही थी। साहू जी के उपायों ने मुझे जल्दी ठीक करने में मदद की।”

दीपक गुप्ता, उज्जैन (Google reviews)
“मेरे विवाह में समस्याएँ आ रही थीं। साहू जी के उपायों ने सब कुछ सुलझा दिया। उनका धन्यवाद।”

सुषमा तिवारी, रतलाम (Google reviews)
“बच्चों की पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने के लिए मैंने साहू जी से सलाह ली। उनके उपायों ने मेरी मदद की।”

राजेश कौल, ग्वालियर (Google reviews)
“मुझे व्यापार में निवेश करने के लिए मार्गदर्शन की आवश्यकता थी। साहू जी की सलाह ने मुझे सही दिशा दी।”

राधिका जैन, भोपाल (Google reviews)
“मेरे घर में हमेशा झगड़े होते थे। साहू जी के उपायों ने हमें सामंजस्य बनाने में मदद की।”

संगीत शarma, इंदौर (Google reviews)
“मैंने अपनी मां के स्वास्थ्य के लिए साहू जी से सलाह ली। उनके उपायों ने उन्हें राहत दी।”

शिवा वर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“मुझे संतान सुख नहीं मिल रहा था। साहू जी की सलाह ने हमें खुशी दी।”

नवीन तिवारी, देवास (Google reviews)
“मुझे अपने जीवन में दिशा नहीं मिल रही थी। साहू जी ने मुझे सही रास्ता दिखाया। अब मैं खुश हूँ।”

कविता गुप्ता, ग्वालियर (Google reviews)
“पारिवारिक तनाव को लेकर बहुत परेशान थी। साहू जी के उपायों ने हमारे घर में शांति बहाल की।”

शक्ति पीठ और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से प्रेम विवाह के सफल उपाय

भारत में प्रेम विवाह एक महत्वपूर्ण विषय है, जहाँ युवा पीढ़ी अपने साथी के चुनाव में स्वतंत्रता को प्राथमिकता देती है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार प्रेम विवाह में कई चुनौतियाँ भी होती हैं, जैसे परिवार की स्वीकृति, सामाजिक मान्यताएँ, और ग्रहों का प्रभाव। इस लेख में हम शक्ति पीठों और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से प्रेम विवाह के सफल उपायों पर चर्चा करेंगे।

प्रेम विवाह का महत्व

प्रेम विवाह का अर्थ है वह विवाह जो दो लोगों के बीच आपसी प्रेम और सहमति पर आधारित होता है। यह पारंपरिक विवाह से अलग होता है, जहाँ परिवार की पसंद महत्वपूर्ण होती है। प्रेम विवाह में:

भावनात्मक जुड़ाव: प्रेम विवाह में भावनात्मक जुड़ाव मजबूत होता है, जो जीवन के विभिन्न उतार-चढ़ाव में साथी को एकजुट रखता है।

स्वतंत्रता: प्रेम विवाह में दोनों पार्टनर्स को एक-दूसरे को समझने और अपने विचार व्यक्त करने की स्वतंत्रता होती है।

सामाजिक बदलाव: प्रेम विवाह समाज में बदलाव लाने में सहायक होता है, जिससे परंपरागत सोच में बदलाव आ सकता है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से प्रेम विवाह की सफलता का सीधा संबंध कुंडली, ग्रहों की स्थिति और दोषों से होता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार एक अच्छी कुंडली और अनुकूल ग्रह स्थिति प्रेम विवाह को सफल बनाने में मदद कर सकती है।

कुंडली और प्रेम विवाह

कुंडली में प्रेम विवाह के लिए निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान देना आवश्यक है:

गृह स्थिति: शुक्र, मंगल और चंद्रमा की स्थिति महत्वपूर्ण होती है। ये ग्रह प्रेम, संबंधों और आकर्षण के प्रतीक होते हैं।

नवम भाव: नवम भाव विवाह और संतान के बारे में जानकारी देता है। इसे देखना आवश्यक है।

चंद्र राशि: चंद्र राशि का प्रभाव भी प्रेम विवाह पर पड़ता है। इसे समझना और ध्यान में रखना चाहिए।

शक्ति पीठों का महत्व

शक्ति पीठों की उपासना प्रेम विवाह की सफलताएँ सुनिश्चित करने में मदद कर सकती है। ज्योतिष के अनुसारशक्ति पीठ वे स्थान हैं जहाँ देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे। इनकी पूजा से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

प्रमुख शक्ति पीठ

भारत में कई शक्ति पीठ हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

ज्वाला जी (हिमाचल प्रदेश)

वैष्णो देवी (जम्मू कश्मीर)

कामाख्या देवी (असम)

सिद्धिदात्री (उज्जैन)

      कालिका माता (कोलकाता)

इन शक्ति पीठों की यात्रा और पूजा से व्यक्ति को मानसिक शांति और प्रेम विवाह के लिए सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।

प्रेम विवाह के सफल उपाय

 कुंडली मिलान

प्रेम विवाह की सफलता के लिए सबसे पहले कुंडली मिलान करना आवश्यक है। इसमें निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दें:

  • गुण मिलान: कुंडली में गुणों का मिलान करना आवश्यक है। यह विवाह की सफलता की पहली सीढ़ी है।
  • दोष निवारण: यदि कुंडली में कोई दोष है, तो उसे दूर करने के उपाय करें।

शक्ति पीठों की पूजा

शक्ति पीठों की पूजा करना प्रेम विवाह की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। आप निम्नलिखित विधियों का पालन कर सकते हैं:

  • शक्ति पीठ की यात्रा: अपने प्रेमी या प्रेमिका के साथ शक्ति पीठ की यात्रा करें। वहाँ जाकर देवी माँ की उपासना करें और अपने प्रेम विवाह की सफलता की कामना करें।
  • मंत्र जाप: शक्ति पीठों के मंत्रों का जाप करें। यह मानसिक शक्ति बढ़ाने में सहायक होता है।

 विशेष अनुष्ठान

प्रेम विवाह के लिए विशेष अनुष्ठान भी किए जा सकते हैं, जैसे:

  • शादी के लिए विशेष यज्ञ: प्रेम विवाह की सफलता के लिए विवाह योग का विशेष यज्ञ कराएँ।
  • दुआ का आयोजन: परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर देवी माँ से प्रेम विवाह की सफलता के लिए दुआ करें।

रत्न और दान

प्रेम विवाह में सफलता के लिए रत्न और दान का भी महत्व है:

  • रत्न पहनना: शुक्र रत्न हीरा या पहनने से प्रेम और संबंधों में मजबूती आती है।
  • दान करना: प्रेम विवाह में बाधा डालने वाले ग्रहों के लिए उचित दान करें। जैसे काले तिल या सफेद वस्त्र का दान।

सकारात्मक सोच

प्रेम विवाह की सफलता के लिए सकारात्मक सोच भी जरूरी है। ज्योतिष के अनुसार अपने विचारों को सकारात्मक बनाए रखें और अपने साथी के साथ अच्छे संबंध बनाने के लिए प्रयास करें।

  • संवाद: अपने साथी के साथ खुलकर बात करें और अपनी भावनाएँ व्यक्त करें।
  • समर्थन: एक-दूसरे का समर्थन करें और कठिनाइयों का सामना मिलकर करें।

प्रेम विवाह एक सुंदर और महत्वपूर्ण यात्रा है, जिसमें ग्रहों की स्थिति और शक्ति पीठों की उपासना का महत्वपूर्ण स्थान है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यदि आप प्रेम विवाह की सफलता की कामना रखते हैं, तो कुंडली मिलान, शक्ति पीठों की पूजा, विशेष अनुष्ठान, रत्न पहनना और सकारात्मक सोच अपनाना महत्वपूर्ण है। ज्योतिष के अनुसार माँ की कृपा से आपके प्रेम विवाह में सफलता प्राप्त होगी और आपका जीवन सुखमय होगा।प्रेम विवाह का यह सफर न केवल प्रेम को मजबूत बनाता है, बल्कि सामाजिक मान्यताओं को भी बदलने में सहायक होता है। इसलिए, इस दिशा में उठाए गए हर कदम को महत्व दें और अपनी प्रेम कहानी को सफल बनाएं।

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TESTIMONIALS

ज्योति मिश्रा, इंदौर (Google reviews)
“मेरे करियर से संबंधित अनिश्चितताएँ थीं, लेकिन साहू जी ने हस्तरेखा देखकर मुझे सही मार्ग दिखाया। उनकी भविष्यवाणी ने मुझे जीवन में नई दिशा दी।”

नेहा गुप्ता, उज्जैन (Google reviews)
“साहू जी की कुंडली मिलान सेवा का अनुभव शानदार रहा। उनकी सलाह ने हमारे वैवाहिक जीवन को मजबूती दी है और हम दोनों के बीच समझ और प्यार बढ़ा है।”

  सौरभ तिवारी, भोपाल (Google reviews)
“मेरे जीवन में अनचाहे उतार-चढ़ाव हो रहे थे। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सटीक ज्योतिषीय सलाह और उपायों से अब मेरे जीवन में स्थिरता और संतुलन आ गया है।”

  पूजा वर्मा, इंदौर (Google reviews)
“साहू जी की वास्तु सलाह ने हमारे घर की ऊर्जा को पूरी तरह से बदल दिया है। अब घर में शांति और समृद्धि का वातावरण बना हुआ है।”

  रजनी चौधरी, उज्जैन (Google reviews)
“बेटे की पढ़ाई में ध्यान न लगने की समस्या थी। साहू जी की ज्योतिषीय उपायों से उसके एकाग्रता और पढ़ाई में काफी सुधार हुआ है।”

 अंकित शर्मा, भोपाल (Google reviews)
“कुंडली के दोष के कारण जीवन में लगातार संघर्ष कर रहा था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी के उपायों से अब जीवन में शांति और प्रगति हो रही है।”

 रश्मि पांडे, इंदौर (Google reviews)
“मेरे रिश्ते में लगातार तनाव था। साहू जी के कुंडली अनुसार बताए गए उपायों से अब हमारे रिश्ते में समझ और प्रेम बढ़ा है।”

  मनोज वर्मा, ग्वालियर (Google reviews)
“कार्यक्षेत्र में पदोन्नति नहीं मिल रही थी। साहू जी के बताए उपायों से अब मुझे प्रमोशन मिला और मैं अपने करियर में उन्नति कर रहा हूँ।”

  सोनल गुप्ता, उज्जैन (Google reviews)
“मेरे वैवाहिक जीवन में समस्याएँ थीं। साहू जी की कुंडली सलाह ने हमें एक नई दिशा दी और अब हम अपने रिश्ते को बेहतर तरीके से समझ पा रहे हैं।”

  राजेश चौहान, भोपाल (Google reviews)
“व्यवसाय में लगातार नुकसान हो रहा था। साहू जी के द्वारा बताए गए उपायों से अब मेरे व्यवसाय में तेजी से मुनाफा बढ़ रहा है। उनकी सलाह अत्यंत कारगर रही।”

शक्ति पीठ और राहु-केतु दोष का ज्योतिषीय निवारण

भारतीय ज्योतिष में ग्रहों का एक महत्वपूर्ण स्थान होता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार प्रत्येक ग्रह का व्यक्ति के जीवन पर एक अलग प्रभाव होता है, जिसमें राहु और केतु का प्रभाव विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है, जो अपनी विशेषताओं के कारण व्यक्ति के जीवन में कई समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं। इन समस्याओं का समाधान शक्ति पीठों की पूजा और अन्य ज्योतिषीय उपायों से किया जा सकता है। इस लेख में हम शक्ति पीठों और राहु-केतु दोष का ज्योतिष निवारण करेंगे।

राहु और केतु का ज्योतिषीय महत्व

राहु

राहु एक छाया ग्रह है, जो व्यक्ति के जीवन में मानसिक तनाव, भ्रम, और गलतफहमियों का कारण बन सकता है। यह ग्रह व्यक्ति को अत्यधिक महत्वाकांक्षी बना सकता है, जिससे उसे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में कठिनाई हो सकती है। राहु का प्रभाव व्यक्ति की मानसिक स्थिति, करियर और रिश्तों पर पड़ता है।

केतु

केतु भी एक छाया ग्रह है, जो व्यक्ति की आध्यात्मिकता, ध्यान, और मोक्ष की ओर ले जाता है। हालांकि, मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इसके प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में अचानक परिवर्तन, असफलता और विफलताओं का सामना करना पड़ सकता है। केतु के प्रभाव से व्यक्ति के रिश्तों में भी खटास आ सकती है।

शक्ति पीठों का महत्व

शक्ति पीठ वे स्थान हैं, जहाँ देवी सती के शरीर के विभिन्न अंग गिरे थे। इन पीठों की पूजा से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं। ज्योतिष जी के अनुसार शक्ति पीठों की उपासना से न केवल देवी माँ की कृपा प्राप्त होती है, बल्कि राहु और केतु के दोषों का निवारण भी होता है।

प्रमुख शक्ति पीठ

भारत में कुल 52 शक्ति पीठ हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं:

ज्वाला जी (हिमाचल प्रदेश)

वैष्णो देवी (जम्मू कश्मीर)

कामाख्या देवी (असम)

सिद्धिदात्री (उज्जैन)

कालिका माता (कोलकाता)

इन शक्ति पीठों में देवी माँ की उपासना करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

राहु-केतु दोष का निवारण

 शक्ति पीठों में पूजा

राहुकेतु के दोषों का निवारण करने के लिए शक्ति पीठों में देवी माँ की उपासना करना अत्यंत लाभकारी है। साहू जी के अनुसार जब व्यक्ति शक्ति पीठ में पूजा करता है, तो वह सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करता है, जिससे उसके ग्रहों का प्रभाव संतुलित होता है।

पूजा विधि:

  • समर्पण और श्रद्धा: शक्ति पीठ में जाकर देवी माँ को श्रद्धा पूर्वक अर्चना करें।
  • ध्यान और साधना: देवी की उपासना के दौरान ध्यान और साधना करें, जिससे मानसिक शांति मिले।
  • प्रसाद चढ़ाना: देवी को हलवा, फल, और फूल चढ़ाकर उनकी कृपा प्राप्त करें।

 विशेष अनुष्ठान

राहुकेतु के दोषों को दूर करने के लिए विशेष अनुष्ठान करना भी महत्वपूर्ण है। इनमें निम्नलिखित अनुष्ठान शामिल हैं:

  • नवग्रह शांति अनुष्ठान: इस अनुष्ठान में नवग्रहों की पूजा की जाती है, जिसमें राहु और केतु का विशेष ध्यान रखा जाता है।
  • कालसर्प दोष निवारण यज्ञ: यदि कुंडली में कालसर्प दोष है, तो इस यज्ञ का आयोजन कराना चाहिए।

 राहु और केतु के लिए मंत्र

राहु और केतु के दोषों को दूर करने के लिए निम्नलिखित मंत्रों का जाप करें:

  • राहु का मंत्र:
    “ॐ भ्रां भूर्भुवः स्वः। राहवे नमः।”
  • केतु का मंत्र:
    ॐ श्रां श्रीं श्रौं सा केतवे नमः।”

इन मंत्रों का जाप नियमित रूप से करने से राहु और केतु का प्रभाव कम होता है।

रत्न पहनना

राहु और केतु के दोषों को दूर करने के लिए रत्न पहनना भी एक प्रभावी उपाय है:

  • राहु के लिए लहसुनिया रत्न: इसे पहनने से राहु का नकारात्मक प्रभाव कम होता है।
  • केतु के लिए क्रोकोट: यह रत्न पहनने से केतु का प्रभाव संतुलित होता है।

 दान करना

दान करना भी राहु और केतु के दोषों को कम करने का एक प्रभावी उपाय है। निम्नलिखित दान करने से लाभ होता है:

  • काले तिल: राहु के लिए काले तिल का दान करें।
  • सफेद वस्त्र: केतु के लिए सफेद वस्त्रों का दान करें।

शक्ति पीठों की यात्रा

शक्ति पीठों की यात्रा करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:

शुद्धता और पवित्रता: यात्रा के दौरान अपनी शुद्धता का ध्यान रखें। मन और विचारों को शुद्ध रखना आवश्यक है।

सच्चे मन से पूजा: शक्ति पीठ पर पहुँचकर सच्चे मन से पूजा करें। देवी माँ से अपनी समस्याओं का समाधान माँगे।

ध्यान और साधना: यात्रा के दौरान ध्यान और साधना का पालन करें। इससे मानसिक शांति प्राप्त होगी।

राहु और केतु के दोषों का निवारण शक्ति पीठों की उपासना और अन्य ज्योतिषीय उपायों से संभव है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार शक्ति पीठों में देवी माँ की पूजा करने से व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा मिलती है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति का संचार होता है। अगर आप अपने जीवन में राहु और केतु के नकारात्मक प्रभाव को कम करना चाहते हैं, तो शक्ति पीठों की यात्रा करें और उचित ज्योतिषीय उपाय अपनाएँ। देवी माँ की कृपा से आपके जीवन में खुशहाली आएगी और आप अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल होंगे।इस प्रकार, शक्ति पीठ और राहुकेतु दोष का निवारण एक महत्वपूर्ण विषय है, जिसे सही ज्ञान और साधना के माध्यम से समझा और अपनाया जा सकता है।

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TESTIMONIALS

 सविता गुप्ता, रतलाम (Google reviews)
“हमारे घर में निरंतर चल रही समस्याओं के लिए एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह ने चमत्कारी परिणाम दिए। अब घर में सकारात्मक ऊर्जा है, और हमारी सभी परेशानियाँ दूर हो गई हैं।”

  रोहित चौहान, देवास (Google reviews)
“ऑफिस में लगातार हो रहे नुकसान से परेशान था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह ने हमारे ऑफिस के माहौल को बदल दिया और व्यवसाय में तरक्की हो रही है।”

  अर्चना पटेल, ग्वालियर (Google reviews)
“मेरे नाम के आधार पर एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने जो उपाय बताए, उन्होंने मेरे जीवन में चमत्कारी बदलाव किए। अब मुझे हर काम में सफलता मिल रही है।”

 नितिन ठाकुर, मंदसौर (Google reviews)
“अपने जन्म अंक के अनुसार भविष्यवाणी और उपाय करने के बाद, मेरे करियर में तेजी से उन्नति हो रही है। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है।”

  सुनील शर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“एस्ट्रोलॉजर साहू जी की हस्तरेखा पढ़ने की कला अद्भुत है। उन्होंने मेरे जीवन के बारे में सटीक भविष्यवाणी की और उनके उपायों से मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं।”

  ज्योति मिश्रा, इंदौर (Google reviews)
“मेरे करियर से संबंधित अनिश्चितताएँ थीं, लेकिन साहू जी ने हस्तरेखा देखकर मुझे सही मार्ग दिखाया। उनकी भविष्यवाणी ने मुझे जीवन में नई दिशा दी।”

  नेहा वर्मा, जबलपुर (Google reviews)
“शादी से पहले कुंडली मिलान के लिए हमने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से संपर्क किया। उनकी सटीक सलाह और मिलान ने हमें एक स्थिर और सुखी वैवाहिक जीवन की नींव रखने में मदद की।”

  राहुल तिवारी, भोपाल (Google reviews)
“शादी की योजना बनाते समय कुंडली मिलान के लिए साहू जी से सलाह ली। उनके द्वारा किया गया कुंडली मिलान और दिए गए उपाय बेहद लाभकारी रहे।”

  मीनाक्षी जैन, उज्जैन (Google reviews)
“मैंने साहू जी से रत्न धारण करने की सलाह ली और उनके द्वारा सुझाए गए रत्न पहनने से मेरे जीवन में आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है। उनका ज्ञान अद्वितीय है।

अशोक अग्रवाल, इंदौर (Google reviews)
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नवरात्रि के दौरान नैना देवी शक्तिपीठ की विशेष पूजा और अनुष्ठान।

नवरात्रि का पर्व भारत में बहुत ही श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा के लिए समर्पित है, जो शक्ति, संकल्प और विजय का प्रतीक हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इस दौरान देश के विभिन्न शक्तिपीठों में विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं, जिनमें से नैना देवी शक्तिपीठ का विशेष महत्व है। नैना देवी शक्तिपीठ, जो हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में स्थित है, मां नैना देवी को समर्पित है। यह शक्तिपीठ देवी के दृष्टि के रूप में पूजा जाता है।

नैना देवी शक्तिपीठ का इतिहास

जब माता सती ने अपने पति भगवान शिव के अपमान से दुखी होकर आत्मदाह कर लिया, तो भगवान शिव उनके शव को लेकर भ्रमित हो गए। इस स्थिति में भगवान शिव के दुख से ब्रह्मांड में हलचल मच गई। इस समय मां सती के शरीर को 51 टुकड़ों में काट दिया गया, और ये टुकड़े विभिन्न स्थानों पर गिरे। नैना देवी का स्थान भी उनमें से एक है, जहां मां की आंखें गिरी थीं। यही कारण है कि इस स्थान को नैना देवी शक्तिपीठ के नाम से जाना जाता है।

नवरात्रि का महत्व

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार नवरात्रि का पर्व हर साल शारदीय नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है, जो आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तिथि तक होता है। इस दौरान भक्त मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना करते हैं। भक्त इस समय उपवासी रहते हैं, विशेष अनुष्ठान करते हैं और मां से शक्ति, सुख, समृद्धि और आरोग्य की कामना करते हैं।

नैना देवी शक्तिपीठ की विशेष पूजा

वैदिक ज्योतिष के अनुसार नवरात्रि के दौरान नैना देवी शक्तिपीठ की पूजा का विशेष महत्व है। यहां पर श्रद्धालु विशेष अनुष्ठान करते हैं, जैसे कि:

गणेश पूजन: सभी कार्यों की शुरुआत गणेश पूजन से होती है। नवरात्रि में भक्त गणेश जी की पूजा कर विघ्नों से मुक्त होने की प्रार्थना करते हैं।

माता की आरती: नवरात्रि के समय सुबह और शाम माता नैना देवी की आरती का आयोजन किया जाता है। आरती में भक्त अपने परिवार और समाज के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।

सप्तशती का पाठ: भक्त नवरात्रि के दौरान देवी सप्तशती का पाठ करते हैं, जो देवी की महिमा का वर्णन करता है। यह पाठ न केवल भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करता है, बल्कि उन पर मां की कृपा भी बरसाता है।

विशेष हवन: ज्योतिष के अनुसार नैना देवी शक्तिपीठ में नवरात्रि के दौरान विशेष हवन का आयोजन किया जाता है। हवन से वातावरण की शुद्धि होती है और भक्तों की बीमारियों और समस्याओं का निवारण होता है।

भोग अर्पित करना: भक्त मां नैना देवी को विशेष भोग अर्पित करते हैं, जैसे कि फल, मिठाइयां, और खीर। यह न केवल देवी को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है, बल्कि भक्तों के लिए भी यह आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम होता है।

कन्या पूजन: नवरात्रि के नवमी तिथि पर कन्या पूजन का विशेष महत्व है। भक्त नाबालिग कन्याओं को आमंत्रित कर उन्हें श्रद्धा पूर्वक भोजन कराते हैं और उनके चरणों को धोकर उन्हें अपने जीवन के लिए आशीर्वाद लेते हैं।

ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष के अनुसार, नवरात्रि का पर्व कई राशियों पर सकारात्मक प्रभाव डालता है। इस दौरान मां दुर्गा की आराधना से ग्रहों की अशुभ स्थितियों को सुधारा जा सकता है।

मंगल का प्रभाव: नवरात्रि में की गई पूजा से मंगल ग्रह की स्थिति में सुधार होता है। यह ग्रह युद्ध, विजय और उत्साह का प्रतीक है। जब मंगल ग्रह सकारात्मक स्थिति में होता है, तो यह व्यक्ति के जीवन में ऊर्जा, साहस और कार्यक्षमता को बढ़ाता है।

शुक्र का आशीर्वाद: इस दौरान मां की आराधना से शुक्र ग्रह का भी आशीर्वाद प्राप्त होता है। शुक्र ग्रह सुख, समृद्धि और प्रेम का प्रतीक है। यदि किसी की कुंडली में शुक्र ग्रह कमजोर है, तो नवरात्रि के दौरान विशेष पूजा से इसे मजबूत किया जा सकता है।

चंद्रमा का प्रभाव: साहू जी के अनुसार चंद्रमा मानसिक स्वास्थ्य और भावनाओं का प्रतीक है। नवरात्रि के दौरान देवी की पूजा से चंद्रमा की स्थिति में सुधार होता है, जिससे मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।

ग्रह दोष निवारण: नवरात्रि में नैना देवी शक्तिपीठ की पूजा से व्यक्ति के ग्रह दोषों का निवारण होता है। यदि किसी की कुंडली में शनि, राहु या केतु की अशुभ स्थिति है, तो इस समय की गई विशेष पूजा से उनके प्रभाव को कम किया जा सकता है।

शक्तिशाली अनुष्ठान: नवरात्रि के दौरान विशेष अनुष्ठान करने से देवी मां का आशीर्वाद प्राप्त होता है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

नैना देवी शक्तिपीठ की यात्रा के लाभ

नैना देवी शक्तिपीठ की यात्रा के दौरान श्रद्धालु कई लाभ प्राप्त करते हैं:

आध्यात्मिक उन्नति: नैना देवी की आराधना से भक्तों का आध्यात्मिक विकास होता है, जिससे वे अपने जीवन में सकारात्मकता और ऊर्जा का अनुभव करते हैं।

स्वास्थ्य लाभ: नैना देवी शक्तिपीठ की यात्रा से स्वास्थ्य में सुधार होता है। भक्त अपनी बीमारियों से मुक्ति पाते हैं और नई ऊर्जा के साथ जीवन जीने का साहस प्राप्त करते हैं।

समृद्धि और धन: मां नैना देवी की कृपा से भक्तों के व्यवसाय में वृद्धि होती है और धन का आगमन होता है।

मनोकामनाओं का पूर्ण होना: श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती हैं, और उन्हें मानसिक शांति मिलती है।

परिवार में सुख: नवरात्रि के समय मां की पूजा करने से परिवार में खुशहाली और सद्भावना बनी रहती है।

नवरात्रि के दौरान नैना देवी शक्तिपीठ की विशेष पूजा और अनुष्ठान का ज्योतिषीय महत्त्व अत्यधिक है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह समय मां दुर्गा के विभिन्न रूपों की आराधना का है, जिससे व्यक्ति अपने जीवन में स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति प्राप्त कर सकता है। नैना देवी की कृपा से ग्रहों की स्थिति में सुधार होता है, जो जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में सहायक होता है।

साहू जी के अनुसार इस नवरात्रि, यदि आप नैना देवी शक्तिपीठ की यात्रा करें और वहां मां की विशेष पूजा-अर्चना करें, तो निश्चित ही आप अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव करेंगे। मां नैना देवी की कृपा से आपके सभी दुख दूर होंगे और आपके जीवन में नया प्रकाश और ऊर्जा का संचार होगा।

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शक्तिपीठों की यात्रा से व्यवसाय में सफलता पाने के ज्योतिषीय उपाय

भारत में शक्तिपीठों की यात्रा का एक महत्वपूर्ण धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है।ये शक्तिपीठ मातृशक्ति के प्रतीक हैं और यहाँ की देवी-देवताओं की पूजा से अनेक समस्याओं का समाधान हो सकता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार व्यवसाय में सफलता पाने के लिए भी शक्तिपीठों की यात्रा अत्यंत लाभदायक हो सकती है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इस विषय पर गहराई से चर्चा करना आवश्यक है।

शक्तिपीठों का महत्व

शक्तिपीठ वे स्थान हैं जहाँ देवी सती के शरीर के विभिन्न अंग गिरे थे। इन्हें धार्मिक, आध्यात्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष महत्व दिया जाता है। इन स्थानों पर जाकर श्रद्धालु अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए देवी की आराधना करते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख शक्तिपीठों के नाम दिए गए हैं:

कामाख्या (असम)

महालक्ष्मी (कोल्हापुर, महाराष्ट्र)

ज्वालामुखी (हिमाचल प्रदेश)

कालिका (कलकत्ता, पश्चिम बंगाल)

तारा तारिणी (उड़ीसा)

इन शक्तिपीठों की यात्रा से व्यक्ति को मानसिक शांति, सकारात्मक ऊर्जा, और व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिए ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं।

व्यवसाय में सफलता के लिए ज्योतिषीय उपाय

व्यवसाय में सफलता प्राप्त करने के लिए कई ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं। यहाँ कुछ प्रमुख उपायों का वर्णन किया जा रहा है, जिन्हें शक्तिपीठों की यात्रा के साथ जोड़कर किया जा सकता है।

देवी की पूजा और आराधना

शक्तिपीठों की यात्रा के दौरान देवी की पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। देवी को नमन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

प्रणाम: यात्रा के दौरान शक्तिपीठ पहुँचने पर देवी को प्रणाम करें और अपनी इच्छाओं की पूर्णता के लिए प्रार्थना करें।

धूप और दीप: साहू जी के अनुसार देवी के सामने धूप और दीप जलाना चाहिए। यह शुभता और समृद्धि को आकर्षित करने में मदद करता है।

सही समय का चयन

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, सही समय का चयन व्यवसाय में सफलता के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। शक्तिपीठ की यात्रा के लिए मुहूर्त का ध्यान रखें। यदि यात्रा का समय शुभ नक्षत्रों में हो, तो इससे व्यवसाय में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

 देवी की पूजा के बाद दान करना

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार शक्तिपीठों की यात्रा के दौरान देवी को समर्पित वस्तुएं जैसे फूल, फल, मिठाई, और वस्त्र चढ़ाने के बाद दान करना चाहिए। यह दान न केवल पुण्य अर्जित करता है, बल्कि व्यवसाय में धन की वृद्धि का मार्ग भी प्रशस्त करता है।

दीन-दुखियों की मदद: गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने से व्यवसाय में समृद्धि आती है।

 व्यवसाय का नाम और उसकी ज्योतिषीय गणना

व्यवसाय के नाम का ज्योतिषीय महत्व भी होता है। ज्योतिष के अनुसार शक्तिपीठों की यात्रा से पहले अपने व्यवसाय के नाम को भी गणना कराना चाहिए। यह सुनिश्चित करें कि व्यवसाय का नाम शुभ अंक या वर्ण से शुरू होता हो।

 रत्न धारण करें

पुखराज (पीला ज़िरकोन): यह रत्न व्यवसाय में समृद्धि और खुशहाली लाने में सहायक होता है।

व्यवसाय में सफलता के लिए उचित रत्न धारण करना आवश्यक होता है। शक्तिपीठों की यात्रा के बाद रत्न धारण करने से संबंधित किसी ज्योतिषी से सलाह लें।

मोती: यह रत्न मानसिक शांति और धैर्य प्रदान करता है।

 व्यापारिक स्थल की वास्तु

शक्तिपीठों की यात्रा के दौरान वास्तु शास्त्र के नियमों का ध्यान रखना चाहिए। व्यवसाय स्थल का सही दिशा में होना आवश्यक है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं:

दक्षिण-पूर्व दिशा: रसोई या भोजनालय के लिए दक्षिण-पूर्व दिशा शुभ मानी जाती है। यह व्यवसायिक स्थलों में धन और समृद्धि को आकर्षित करती है।

उत्तर दिशा: कार्यालय का मुख्य द्वार उत्तर दिशा में होना चाहिए, जिससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके।

ग्रहों की स्थिति का ध्यान रखें

व्यवसाय में ग्रहों की स्थिति का भी प्रभाव होता है। शक्तिपीठों की यात्रा से पहले अपनी कुंडली का विश्लेषण कराना चाहिए। यह ध्यान दें:

शुक्र और बुध की स्थिति: ये ग्रह व्यापार और वाणिज्य के लिए महत्वपूर्ण होते हैं। इनके शुभ प्रभाव से व्यवसाय में सफलता प्राप्त होती है।

शनि का प्रभाव: यदि शनि कमजोर है, तो इसे मजबूत करने के उपाय करें।

सकारात्मक ऊर्जा का संचार

शक्तिपीठों की यात्रा से लौटने के बाद सकारात्मक ऊर्जा का संचार करना आवश्यक है। इसके लिए निम्नलिखित उपाय कर सकते हैं:

मंत्र जाप: यात्रा के बाद देवी का मंत्र जाप करें। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है।

दीप जलाना: घर में दीप जलाना और सकारात्मकता का वातावरण बनाना चाहिए।

मनोकामना यज्ञ

व्यवसाय में सफलता के लिए मनोकामना यज्ञ करना एक प्रभावशाली उपाय है। शक्तिपीठों की यात्रा के बाद यज्ञ करवाने से देवी का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

मानसिक तैयारी

व्यवसाय में सफलता के लिए मानसिक रूप से तैयार रहना आवश्यक है। शक्तिपीठों की यात्रा से मिली सकारात्मक ऊर्जा का उपयोग करें और अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर हों।

शक्तिपीठों की यात्रा के समय का पालन

व्यवसाय की वृद्धि के लिए शक्तिपीठों की यात्रा के समय का ध्यान रखें। नवरात्रि, दशहरा और दुर्गा पूजा जैसे अवसरों पर यात्रा करना अधिक शुभ होता है।

वैदिक ज्योतिष के अनुसार शक्तिपीठों की यात्रा व्यवसाय में सफलता पाने के लिए एक प्रभावशाली उपाय है। देवी की आराधना, सही समय का चयन, दान, रत्न धारण, और वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करके व्यवसाय में सकारात्मकता और समृद्धि लाई जा सकती है। इन उपायों को अपनाने से व्यक्ति व्यवसाय में नई ऊँचाइयाँ छू सकता है।

महत्वपूर्ण है कि हर उपाय को श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए। जब हम देवी की कृपा से चलते हैं, तो हमारे रास्ते में आने वाली बाधाएं स्वतः समाप्त हो जाती हैं और हमें सफलता की ओर अग्रसर कर देती हैं।

यथार्थ सफलता का मार्ग

मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार आखिरकार, व्यवसाय में सफलता का मार्ग केवल ज्योतिषीय उपायों तक सीमित नहीं है। मेहनत, लगन, और सही रणनीति के साथ यह यात्रा पूरी होती है। शक्तिपीठों की यात्रा से प्राप्त आशीर्वाद और सकारात्मक ऊर्जा का उपयोग करें और अपने व्यवसाय को नई ऊँचाइयों पर ले जाएं।

इस तरह, शक्तिपीठों की यात्रा एक आध्यात्मिक अनुभव के साथ-साथ व्यवसायिक सफलता का भी मार्ग प्रशस्त करती है। अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए इन उपायों को आजमाएं और सफलता के नए आयाम छूएं।

 

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शुभम राठौर, जबलपुर (Google Review)
“मेरे जीवन में निर्णय लेना मुश्किल हो रहा था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने सही मार्गदर्शन दिया, जिससे मैंने जीवन के महत्वपूर्ण फैसले सही समय पर लिए और अब सफल हूँ।”

सुनील जोशी, रतलाम (Google Review)
“मेरे करियर में रुकावटें आ रही थीं और मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या करूँ। साहू जी ने मुझे सही दिशा दिखाई और उनके उपायों से मैं अपने करियर में आगे बढ़ा।”

आरती तिवारी, भोपाल (Google Review)
“मेरे बच्चे की शिक्षा को लेकर चिंता थी। एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने कुछ सरल उपाय सुझाए, जिनसे मेरे बच्चे के प्रदर्शन में सुधार हुआ है। उनकी सलाह हमेशा काम करती है।”

राजेश गुप्ता, उज्जैन (Google Review)
“मेरे व्यवसाय में कई समस्याएँ थीं। साहू जी की सलाह से न केवल समस्याओं का समाधान हुआ, बल्कि अब व्यापार में उन्नति भी हो रही है।”

अल्का शर्मा, इंदौर (Google Review)
“मेरे व्यक्तिगत जीवन में कई समस्याएँ थीं। एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने मुझे सही दिशा में मार्गदर्शन दिया और अब मेरा जीवन काफी संतुलित और खुशहाल हो गया है।”

मनीष जैन, ग्वालियर (Google Review)
“मैं अपने करियर को लेकर उलझन में था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने सटीक भविष्यवाणी की और उनकी सलाह से मैंने सही दिशा में कदम उठाए। अब मैं अपने करियर में सफलता पा रहा हूँ।”

विनोद सिंह, भोपाल (Google Review)
“मेरे जीवन में लगातार बाधाएँ आ रही थीं। साहू जी के द्वारा सुझाए गए उपायों ने मुझे इनसे बाहर निकलने में मदद की और अब सब कुछ सही है।”

साक्षी कश्यप, उज्जैन (Google Review)
“मेरे रिश्ते में तनाव था और कोई हल नहीं दिख रहा था। साहू जी की सलाह ने हमारे रिश्ते को बचाया और अब सब कुछ बेहतर है। उनकी सलाह बहुत सटीक थी।”

रवि सोनी, इंदौर (Google Review)
“मेरे घर में कुछ वास्तु दोष थे, जिनकी वजह से कई समस्याएँ हो रही थीं। साहू जी की मदद से मैंने घर में सुधार किया और अब सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव कर रहा हूँ।”

नीलम सिंह, ग्वालियर (Google Review)
“मेरे बच्चे की शिक्षा और करियर को लेकर मैं बहुत परेशान थी। साहू जी ने सही समय पर सही सलाह दी और उनके उपायों ने मेरे बच्चे के भविष्य को उज्ज्वल बना दिया।”

विकास तिवारी, जबलपुर (Google Review)
“मुझे अपने व्यवसाय में दिशा की जरूरत थी। साहू जी ने सटीक भविष्यवाणी की और उनके उपायों ने मेरे व्यापार को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।”

प्रिया शुक्ला, भोपाल (Google Review)
“मेरी शादी में कई रुकावटें आ रही थीं। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह और उपायों से सब कुछ सही हो गया और अब मेरा वैवाहिक जीवन सुखमय है।”