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ज्योतिषीय दृष्टिकोण से काशी विश्वनाथ की पूजा का महत्व

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग भारतीय संस्कृति और धार्मिकता का अनमोल रत्न है। ज्योतिष के अनुसार काशी, जिसे वाराणसी भी कहा जाता है, केवल धार्मिक स्थल नहीं है, बल्कि यह ज्ञान, संस्कृतियों, और आस्थाओं का संगम भी है। यहाँ भगवान शिव के विश्वनाथ स्वरूप की पूजा की जाती है। इस लेख में, हम काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के ऐतिहासिक, धार्मिक, और ज्योतिषीय महत्व पर ध्यान केंद्रित करेंगे। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार काशी विश्वनाथ मंदिर का इतिहास अत्यंत प्राचीन है। ज्योतिष के अनुसार यहाँ के संदर्भ में अनेक पुरानी पौराणिक कथाएँ हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:काशी को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है। यह कहा जाता है कि जब भगवान शिव ने तांडव किया, तब सती ने अपनी जान दी। इस दुख के बाद भगवान शिव ने काशी को अपने निवास के रूप में चुना।

शिव-पार्वती की कथा:
पार्वती जी ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यहाँ कठोर तप किया था। ज्योतिषीय महत्व इस तप से प्रभावित होकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और काशी को एक विशेष स्थान दिया।

अनंत महिमा:
यह माना जाता है कि जो व्यक्ति काशी में मृत्यु को प्राप्त करता है, वह सीधा स्वर्ग जाता है। यह काशी की अनंत महिमा को दर्शाता है।

काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण

काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कई बार हुआ है। वर्तमान मंदिर का निर्माण 1780 में रानी अहिल्याबाई होल्कर द्वारा किया गया था। इससे पहले कई मंदिरों को आक्रमणकारियों ने ध्वस्त किया था।

मंदिर की वास्तुकला:
काशी विश्वनाथ मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है। इसकी शिखर पर स्थित सोने की छत और भव्य गर्भगृह इसे एक विशेष आकर्षण देती है।

अवशेषों का महत्व:
यहाँ पर अनेक प्राचीन अवशेष हैं, जो काशी के ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं।

पूजा विधियाँ

काशी विश्वनाथ में पूजा की विधियाँ अत्यंत महत्व रखती हैं। यहाँ भक्त विभिन्न तरीकों से भगवान शिव की आराधना करते हैं:

जलाभिषेक:
भक्त भगवान शिव पर गंगाजल अर्पित करते हैं। ज्योतिष के अनुसार यह जलाभिषेक शुद्धि और पवित्रता का प्रतीक है।

अभिषेक सामग्री:
भक्त दूध, दही, और शहद से शिवलिंग का अभिषेक करते हैं। यह विधि शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए की जाती है।

मंदिर में जयंती:
मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार महाशिवरात्रि पर विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं। इस दिन भक्तों की संख्या अत्यधिक बढ़ जाती है।

प्रमुख त्योहार और उत्सव

काशी विश्वनाथ में कई त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें प्रमुख हैं:

महाशिवरात्रि:
यह दिन भगवान शिव की आराधना का सर्वोत्तम दिन माना जाता है। भक्त यहाँ पूजा-अर्चना करने आते हैं और रातभर जागरण करते हैं।

श्रावण मास:
श्रावण मास में विशेष पूजा-अर्चना होती है। भक्त शिवलिंग पर जल चढ़ाकर विशेष भोग अर्पित करते हैं।

कायोत्सर्ग:
काशी में आत्मा की मुक्ति के लिए कई अनुष्ठान किए जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार इसे कायोत्सर्ग कहा जाता है, और यह एक महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजन है।

काशी विश्वनाथ और ग्रहों का प्रभाव

ज्योतिष के अनुसार, काशी विश्वनाथ की पूजा से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आ सकते हैं:

चंद्रमा का प्रभाव:
चंद्रमा को मन और भावनाओं का कारक माना जाता है। काशी में शिव की पूजा करने से मानसिक शांति और संतुलन प्राप्त होता है।

राहु और केतु का निवारण:
ये ग्रह व्यक्ति के जीवन में अशांति और समस्याएँ उत्पन्न करते हैं। काशी में ध्यान और साधना करने से इन ग्रहों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

गुरु ग्रह की कृपा:
गुरु ग्रह ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक है। काशी में उनकी आराधना करने से जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं।

राशि अनुसार विशेष महत्व

हर राशि के लिए काशी विश्वनाथ की पूजा का अलग महत्व है। ज्योतिष के अनुसार यहाँ कुछ प्रमुख राशियों के लिए इसका महत्व बताया गया है:

मेष राशि:
यहाँ आकर आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है और नए कार्यों में सफलता मिलती है।

वृष राशि:
आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए यहाँ आना चाहिए।

मिथुन राशि:
मानसिक शांति और तनाव में कमी के लिए यहाँ की पूजा फलदायी होती है।

कर्क राशि:
परिवार में सामंजस्य बनाए रखने के लिए यहाँ आना चाहिए।

सिंह राशि:
यहाँ से आत्म-विश्वास और सफलता की प्राप्ति होती है।

कन्या राशि:
यहाँ आकर जीवन के सभी क्षेत्रों में सुधार की संभावना होती है।

तुला राशि:
प्रेम संबंधों में सुधार और जीवन में खुशियों की प्राप्ति के लिए यहाँ आना चाहिए।

वृश्चिक राशि:
यहाँ ध्यान करने से आत्मबल में वृद्धि होती है।

धनु राशि:
ज्ञान और आस्था में वृद्धि के लिए काशी विश्वनाथ की पूजा करें।

मकर राशि:
करियर में सफलता और आगे बढ़ने के लिए यहाँ आना चाहिए।

कुम्भ राशि:
सामाजिक स्थिति में सुधार और मान-सम्मान की प्राप्ति के लिए यहाँ की आराधना करें।

मीन राशि:
आत्मिक विकास और मानसिक शांति के लिए यहाँ आना चाहिए।

स्वास्थ्य और आयुर्वेद

काशी में स्नान करने से अनेक स्वास्थ्य लाभ होते हैं। यहाँ का जल और वातावरण औषधीय गुणों से भरपूर है।

पाचन तंत्र का सुधार:
यहाँ के जल का सेवन करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है।

त्वचा स्वास्थ्य:
यहाँ के जल से त्वचा संबंधी समस्याओं में कमी आती है।

मानसिक स्वास्थ्य में सुधार:
यहाँ की शांति मानसिक स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है।

प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि:
यहाँ का जल और वातावरण प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हैं।

आयुर्वेदिक उपचार

ज्योतिष के अनुसार काशी में आयुर्वेदिक उपचार की परंपरा बहुत पुरानी है। यहाँ के वैद्य लोग प्राकृतिक उपचार के माध्यम से रोगों का इलाज करते हैं।

प्राकृतिक जड़ी-बूटियाँ:
काशी में अनेक जड़ी-बूटियाँ पाई जाती हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती हैं।

ध्यान और योग:
यहाँ ध्यान और योग का महत्व भी है। यह मानसिक शांति और शरीर के लिए अत्यंत लाभकारी होते हैं।

स्थान का चयन:
काशी में ध्यान के लिए एक शांत स्थान का चयन करें, जहाँ आप बिना किसी विघ्न के ध्यान कर सकें।

शिवलिंग के सामने बैठना:
शिवलिंग के सामने ध्यान करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। ध्यान के दौरान मन को शांत और स्थिर रखें।

मंत्र जप:
“ॐ नमः शिवाय” का जप करें। यह मंत्र शिव की कृपा को आकर्षित करता है और मानसिक शांति प्रदान करता है।

ध्यान के लाभ:


ध्यान करने से मानसिक तनाव में कमी आती है, और व्यक्ति को आंतरिक शांति मिलती है। इससे ध्यान लगाने वाले की एकाग्रता में वृद्धि होती है।

साधना:
“काशी की यात्रा ने मुझे अपनी आस्था को और मजबूत किया। मैं हर साल यहाँ आना चाहती हूँ।”

ज्योतिष के अनुसार काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह एक अद्भुत अनुभव और आस्था का प्रतीक है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यहाँ आकर व्यक्ति न केवल भगवान शिव की कृपा प्राप्त करता है, बल्कि जीवन में सुख और शांति भी प्राप्त करता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी काशी विश्वनाथ की पूजा का विशेष महत्व है। इसे ध्यान में रखते हुए, सभी भक्तों को काशी यात्रा अवश्य करनी चाहिए।काशी विश्वनाथ की कृपा से सभी की समस्याएँ दूर हों और जीवन में सुख-समृद्धि का संचार हो।

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सोमनाथ ज्योतिर्लिंग: शिव की महिमा और भक्तों का विश्वास

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्था का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। यह भारत के गुजरात राज्य में स्थित है और शिव के पहले ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार सोमनाथ का अर्थ है ज्योतिष के अनुसार ‘चंद्रमा का भगवान’ और यह हिन्दू धर्म में अत्यधिक पूजनीय स्थान है। इस लेख में हम सोमनाथ ज्योतिर्लिंग के इतिहास, महिमा, ज्योतिषीय महत्व, और यहाँ की विशेषताओं का विस्तृत विश्लेषण करेंगे।सोमनाथ का मंदिर भारतीय पुरातनता का एक अनमोल रत्न है। इसकी धार्मिक महत्ता प्राचीन ग्रंथों और पुराणों में वर्णित है। कहा जाता है कि यहाँ का शिवलिंग स्वयं भगवान शिव द्वारा स्थापित किया गया था।

पौराणिक कथा:
सोमनाथ का संबंध चंद्रमा देवता से है। कहा जाता है कि चंद्रमा की पत्नी रोहिणी के प्रति आकर्षण ने उन्हें इस स्थान पर स्थापित होने के लिए प्रेरित किया। चंद्रमा की वंशज के रूप में, शिव ने यहाँ प्रकट होकर उन्हें आशीर्वाद दिया।

ऐतिहासिक घटनाएँ:
सोमनाथ मंदिर को कई बार विध्वंस और पुनर्निर्माण का सामना करना पड़ा। यह स्थान 1024 में महमूद ग़ज़नवी द्वारा ध्वस्त किया गया था। फिर भी, भारतीय सम्राटों ने इसे बार-बार पुनर्स्थापित किया।

शासकों की भूमिका

सोमनाथ मंदिर का पुनर्निर्माण विभिन्न राजाओं द्वारा किया गया, जिसमें:

  • मौर्य साम्राज्य:
    सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के समय में सोमनाथ का मंदिर एक प्रमुख तीर्थ स्थल था।
  • गुर्जर प्रतिहार:
    गुर्जर प्रतिहार साम्राज्य के शासकों ने भी इस मंदिर का पुनर्निर्माण किया था।
  • मोरवी नरेश:
    19वीं शताब्दी में, मोरवी नरेश ने इस मंदिर को फिर से भव्यता प्रदान की।

पूजा और अनुष्ठान

सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा विधि सरल और प्रभावी है। भक्त यहाँ सुबह-सुबह या रात्रि में शिवलिंग का अभिषेक करते हैं।

सामग्री:
पूजा के लिए शुद्ध जल, दूध, दही, घी, चंदन, फूल, और बेलपत्र का उपयोग किया जाता है।

मंत्रों का जाप:
भक्त “ॐ नमः शिवाय” और “सोमनाथाय नमः” का जाप करते हैं, जो मन और आत्मा को शांति प्रदान करते हैं।

विशेष अवसर

सोमनाथ में विभिन्न त्योहारों का आयोजन किया जाता है, जिसमें:

  • महाशिवरात्रि:
    इस दिन भक्त बड़ी संख्या में मंदिर में एकत्र होते हैं। रात्रि जागरण, भजन-कीर्तन और विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन किया जाता है।
  • श्रावण मास:
    इस महीने में शिव भक्त विशेष रूप से यहाँ आते हैं और जलाभिषेक करते हैं।

ग्रहों का प्रभाव

मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की पूजा से ग्रहों के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। ज्योतिष के अनुसार, विशेष रूप से चंद्रमा से जुड़े ग्रहों का प्रभाव:

चंद्रमा:
चंद्रमा की शांति के लिए सोमनाथ की पूजा अत्यधिक लाभकारी होती है। यह मानसिक स्थिरता और शांति का संचार करता है।

राहु और केतु:
वैदिक ज्योतिष के अनुसार इन ग्रहों के दुष्प्रभावों को समाप्त करने के लिए सोमनाथ में ध्यान और साधना करना सहायक होता है।

गुरु ग्रह:
गुरु ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए सोमनाथ की आराधना से जीवन में समृद्धि और ज्ञान की वृद्धि होती है।

सोमनाथ और राशियों का संबंध

ज्योतिष के अनुसार, प्रत्येक राशि के लिए सोमनाथ की पूजा का विशेष महत्व है। यहाँ कुछ राशियों का विवरण है:

मेष:
मेष राशि के लोगों को सोमनाथ में नियमित रूप से दर्शन करना चाहिए। इससे उनके जीवन में सकारात्मकता आएगी।

वृष:
वृष राशि के जातकों के लिए यह स्थल धन और समृद्धि का स्रोत है।

मिथुन:
मिथुन राशि के जातक यहाँ आकर अपने मानसिक तनाव को दूर कर सकते हैं।

कर्क:
कर्क राशि के जातकों को सोमनाथ में पूजा करने से पारिवारिक संबंधों में सुधार होगा।

सिंह:
सिंह राशि के लोगों को यहाँ आकर आत्मविश्वास प्राप्त होगा।

कन्या:
कन्या राशि के जातक यहाँ आकर मानसिक शांति और संतुलन पा सकते हैं।

तुला:
तुला राशि के लोगों के लिए सोमनाथ की पूजा प्रेम और सामंजस्य लाने में सहायक होती है।

वृश्चिक:
वृश्चिक राशि के जातकों को यहाँ आकर आत्मबल प्राप्त होता है।

धनु:
धनु राशि के लोगों को यहाँ आकर ज्ञान और आस्था में वृद्धि होती है।

मकर:
मकर राशि के जातकों के लिए यहाँ की पूजा करियर में सफलता लाने में सहायक होती है।

कुम्भ:
कुम्भ राशि के लोगों को यहाँ आकर सामाजिक स्थिति में सुधार देखने को मिलता है।

मीन:
मीन राशि के जातक यहाँ आकर आत्मिक विकास और समर्पण का अनुभव कर सकते हैं।

यात्रा का उचित समय

सोमनाथ की यात्रा का सबसे अच्छा समय महाशिवरात्रि और श्रावण मास है। इन समयों में विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं।

सोमनाथ और आयुर्वेद

वैदिक ज्योतिष के अनुसार सोमनाथ का जल और यहाँ का वातावरण औषधीय गुणों से भरपूर है। यहाँ के जल का सेवन और स्नान करने से अनेक स्वास्थ्य लाभ होते हैं:

पाचन में सुधार:
सोमनाथ के जल का सेवन पाचन तंत्र को मजबूत करता है। यह आंतों को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

त्वचा संबंधी लाभ:
यहाँ का जल त्वचा के लिए लाभकारी होता है और विभिन्न त्वचा संबंधी समस्याओं को दूर करता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार त्वचा की चमक और स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए यहाँ स्नान अत्यधिक लाभकारी होता है।

मानसिक स्वास्थ्य:
यहाँ की शांति और वातावरण मानसिक स्वास्थ्य के लिए आदर्श है। ध्यान और साधना से तनाव में कमी आती है।

प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि:
यहाँ के जल में प्राकृतिक तत्व होते हैं, जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं।

ज्योतिष के अनुसार सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की यात्रा करने वाले भक्तों का कहना है कि यहाँ आने से उन्हें अद्भुत अनुभव मिले हैं। कई भक्तों ने यहाँ आकर अपने जीवन में बदलाव महसूस किया है। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का भी प्रतीक है। यहाँ की ऐतिहासिकता, ज्योतिषीय महत्व, और औषधीय गुण इसे एक अद्वितीय स्थान बनाते हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार सोमनाथ की यात्रा करना न केवल भक्ति का अनुभव है, बल्कि यह आत्मिक शांति और ज्ञान का भी स्रोत है।यदि आप जीवन में शांति, समृद्धि, और आस्था की तलाश कर रहे हैं, तो सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की यात्रा अवश्य करें। यहाँ की दिव्यता और आस्था आपके जीवन को नई दिशा दे सकती है।

आपके तारे में आपका स्वागत है. जान‍िए ज्योतिष के अनुसार आज रखना है क‍िन बातों का ध्यान. कौन-सा रंग,अंक रहेगा आपके ल‍िए शुभ और द‍िन को बेहतर बनाने के ल‍िए करना होगा कौन सा उपाय. …

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TESTIMONIALS

रवि चौधरी, जबलपुर (Google reviews)
“बिज़नेस में लगातार घाटा हो रहा था और समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। साहू जी ने मेरी कुंडली देख कर जो उपाय बताए, उसके बाद से धीरे-धीरे मेरे बिज़नेस में सुधार होने लगा। अब मुनाफा हो रहा है और नए प्रोजेक्ट्स भी मिल रहे हैं। साहू जी का मार्गदर्शन अविश्वसनीय है।”

सोनिया सिंह, भोपाल (Google reviews)
“मेरे बेटे की शिक्षा में लगातार गिरावट हो रही थी। साहू जी ने उसकी कुंडली देखकर कुछ उपाय बताए। उनके उपायों का पालन करने से मेरे बेटे की पढ़ाई में सुधार हुआ और अब वह अच्छे अंक ला रहा है। उनकी सलाह ने हमारे परिवार में ख़ुशी और आत्मविश्वास लौटाया है।”

मनोज शर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“साहू जी ने मेरी कुंडली के आधार पर मेरी शादी में आ रही अड़चनों को दूर किया। उनकी भविष्यवाणियाँ सटीक थीं और उनके उपायों से सही समय पर मेरा विवाह हुआ। अब मैं अपने वैवाहिक जीवन से बेहद संतुष्ट हूँ। उनकी ज्योतिषीय जानकारी अत्यंत गहन और प्रभावी है।”

आराधना त्रिवेदी, इंदौर (Google reviews)
“पारिवारिक झगड़ों और अशांति से हम परेशान थे। साहू जी की वास्तु सलाह ने हमारे घर की उर्जा बदल दी। उनके बताए गए उपायों से घर में अब शांति और सुख समृद्धि है। उनकी सलाह ने हमारे जीवन को सकारात्मक दिशा दी। हम उनकी आभारी हैं।”

धीरज वर्मा, भोपाल (Google reviews)
“मेरे करियर में उन्नति नहीं हो रही थी और प्रमोशन रुक गया था। साहू जी ने मेरी कुंडली देखकर कुछ उपाय बताए। उनके बताए उपायों का पालन किया और कुछ ही समय में मेरा प्रमोशन हो गया। उनका मार्गदर्शन करियर में बड़ी मदद करता है।”

रेखा मेहता, इंदौर (Google reviews)
“हमारे परिवार में बार-बार बीमारी हो रही थी और घर में नकारात्मकता महसूस हो रही थी। साहू जी ने वास्तु दोषों का विश्लेषण कर कुछ सरल उपाय बताए। उनके उपायों से अब हमारा स्वास्थ्य बेहतर हो रहा है और घर में सकारात्मकता बढ़ गई है।”

शिवम यादव, उज्जैन (Google reviews)
“पढ़ाई में ध्यान नहीं लग रहा था और परिणाम अच्छे नहीं आ रहे थे। साहू जी की ज्योतिषीय सलाह और उपायों से अब मेरी एकाग्रता बढ़ी है और मैं अपनी पढ़ाई में सुधार कर रहा हूँ। उनका मार्गदर्शन बहुत ही प्रभावी रहा।”

स्नेहा कुमारी, इंदौर (Google reviews)
“कुंडली मिलान के लिए हमने साहू जी से संपर्क किया। उनकी कुंडली मिलान सेवा ने हमें सही जीवनसाथी चुनने में मदद की। उनकी सलाह के बाद हम दोनों का वैवाहिक जीवन सुखद और संतोषजनक रहा है। उनकी जानकारी और अनुभव अतुलनीय हैं।”

 विक्रम सेन, भोपाल (Google reviews)
“व्यापार में लगातार नुकसान हो रहा था और भविष्य अनिश्चित दिख रहा था। साहू जी ने मेरी कुंडली का विश्लेषण कर जो उपाय बताए, उसके बाद से बिज़नेस में स्थिरता आई है और मुनाफा भी हो रहा है। उनके उपाय सरल और प्रभावी हैं।”

माया चौहान, उज्जैन (Google reviews)
“साहू जी की सलाह ने मेरी शादीशुदा जिंदगी में चल रही समस्याओं को सुलझाया है। उनके द्वारा सुझाए गए ज्योतिषीय उपायों से हमारे रिश्ते में मिठास और समझ बढ़ी है। अब हम दोनों ज्यादा खुश हैं और हमारे बीच कोई तनाव नहीं है।”

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग: शिव की अद्भुत महिमा

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग भारतीय संस्कृति और धार्मिक आस्था का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है। ज्योतिष के अनुसार यह स्थान मध्य प्रदेश के खंडवा जिले में नर्मदा नदी के किनारे स्थित है और इसे शिव के “ओम” के रूप में पूजा जाता है। यहां का शिवलिंग ओम के आकार का है, जो इसे अन्य ज्योतिर्लिंगों से अलग बनाता है।ओंकारेश्वर का नाम “ओम” से लिया गया है, जो कि सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण मंत्रों में से एक है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इसे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक के रूप में माना जाता है। ज्योतिषी दृष्टि से यहाँ की महिमा केवल धार्मिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि आत्मिक और मानसिक शांति के लिए भी महत्वपूर्ण है।ओंकारेश्वर की कथा विभिन्न पुराणों में वर्णित है।

शिवपुराण के अनुसार:

एक बार देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया। ज्योतिषी दृष्टि से जब भगवान शिव ने मंथन से निकले जहर को अपने कंठ में धारण किया, तब उन्होंने ओंकारेश्वर में प्रकट होकर भक्तों को दर्शन दिए।

महाकवि कालिदास की काव्य रचना:

कालिदास ने भी ओंकारेश्वर के महत्व को अपनी रचनाओं में उजागर किया है, जहाँ उन्होंने इसे शांति और समृद्धि का स्थान बताया है।

ग्रहों का प्रभाव और ओंकारेश्वर की पूजा

ज्योतिष के अनुसार, ग्रहों का व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ओंकारेश्वर की पूजा से निम्नलिखित ग्रहों के प्रभावों को संतुलित किया जा सकता है:

सूर्य:
ओंकारेश्वर की आराधना से सूर्य के दुष्प्रभाव को दूर किया जा सकता है। इससे आत्मविश्वास और स्वास्थ्य में सुधार होता है।

चंद्रमा:
ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा की शांति के लिए ओंकारेश्वर की पूजा अत्यधिक लाभकारी होती है। यह मानसिक स्थिरता और सुख-शांति प्रदान करता है।

गुरु:
ज्योतिषी दृष्टि से गुरु ग्रह की कृपा प्राप्त करने के लिए ओंकारेश्वर की आराधना से जीवन में समृद्धि और ज्ञान की वृद्धि होती है।

राहु और केतु:
इन ग्रहों के दुष्प्रभावों को समाप्त करने के लिए ओंकारेश्वर में ध्यान और साधना करना सहायक होता है।

पूजा की विधि

ओंकारेश्वर की पूजा करने की विधि सरल और प्रभावी है।

पूजा की सामग्री:

  • शुद्ध जल और दूध
  • बेलपत्र और चंदन
  • फूल, फल, और मिठाई
  • धूप और दीपक

पूजा की प्रक्रिया:

शुद्धता:
सबसे पहले स्नान करके पवित्र वस्त्र धारण करें।

शिवलिंग का पूजन:
ओंकारेश्वर के शिवलिंग का जल, दूध, और दही से अभिषेक करें।

मंत्रों का जाप:
“ॐ नमः शिवाय” और “ॐ ओंकारेश्वराय नमः” का जाप करें। ये मंत्र ध्यान और साधना में मदद करते हैं।

आरती और प्रसाद:
पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद वितरित करें।

ओंकारेश्वर की यात्रा

ओंकारेश्वर की यात्रा करना एक अद्भुत अनुभव है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और शांति आपके मन को मोह लेगी। यात्रा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें:

  • सही समय चुनें:
    विशेष अवसरों जैसे महाशिवरात्रि और सावन में यात्रा करना विशेष लाभकारी होता है।
  • स्थानीय संस्कृति का सम्मान करें:
    यहाँ की संस्कृति और रीति-रिवाजों का पालन करें।

ओंकारेश्वर के अद्भुत लाभ

आध्यात्मिक समृद्धि:
ओंकारेश्वर की आराधना से भक्तों को आध्यात्मिक समृद्धि मिलती है।

शारीरिक स्वास्थ्य:
यहाँ के जल का सेवन और स्नान शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार करता है।

संबंधों में मजबूती:
ओंकारेश्वर की कृपा से परिवारिक संबंध मजबूत होते हैं।

आर्थिक समृद्धि:
यह पूजा आर्थिक समृद्धि की प्राप्ति में सहायक होती है।

भक्तों के अनुभव

ज्योतिष के अनुसार भक्तों का कहना है कि ओंकारेश्वर की पूजा से उन्हें अद्भुत अनुभव मिले हैं। कई भक्तों ने यहाँ आकर अपनी समस्याओं का समाधान पाया है।

ओंकारेश्वर और आयुर्वेद

नर्मदा का जल औषधीय गुणों से भरपूर होता है। इसका सेवन कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है:

पाचन सुधार:
नर्मदा के जल का सेवन पाचन तंत्र को मजबूत करता है।

त्वचा की समस्याएँ:
नियमित रूप से नर्मदा के जल का उपयोग करने से त्वचा संबंधी समस्याएँ दूर होती हैं।

मानसिक शांति:
नर्मदा के जल से स्नान करने से मानसिक शांति और ऊर्जा मिलती है।

ओंकारेश्वर की साधना

ओंकारेश्वर का वातावरण ध्यान और साधना के लिए अनुकूल है। साधक को यहाँ आकर शांति और एकाग्रता प्राप्त होती है। ध्यान करने से मानसिक तनाव में कमी आती है और आंतरिक शांति का अनुभव होता है।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग एक दिव्य स्थल है जहाँ भक्ति, आस्था और प्रेम का संगम होता है। इस स्थान पर जाने से न केवल आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त होता है, बल्कि यह जीवन में सकारात्मकता और शक्ति लाने का भी कार्य करता है।इस प्रकार, ओंकारेश्वर का महत्व केवल धार्मिक दृष्टि से नहीं, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अत्यधिक महत्वपूर्ण है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार भक्तों की आस्था और भगवान शिव की कृपा से यह स्थान जीवन में खुशियों और सफलताओं का संचार करता है। ज्योतिष के अनुसार ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग एक अनमोल धरोहर है, जो भक्तों को भक्ति, ज्ञान, और आंतरिक शांति की ओर प्रेरित करती है। यह स्थान शिव भक्तों के लिए एक श्रद्धा का केंद्र है, जहाँ जीवन के हर क्षेत्र में सफलता और संतोष की प्राप्ति संभव है।इस प्रकार, ओंकारेश्वर का अनुभव जीवन को समृद्ध और सुखद बनाने में मदद करता है। ज्योतिष के अनुसार यहाँ की यात्रा से न केवल धार्मिक लाभ होता है, बल्कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य भी बेहतर होता है।

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TESTIMONIALS

 राहुल तिवारी, भोपाल (Google reviews)
“शादी की योजना बनाते समय कुंडली मिलान के लिए साहू जी से सलाह ली। उनके द्वारा किया गया कुंडली मिलान और दिए गए उपाय बेहद लाभकारी रहे।

शिखा शर्मा, इंदौर (Google reviews)
“हमारे घर में लगातार हो रही परेशानियों के लिए एस्ट्रोलॉजर साहू जी से वास्तु सलाह ली। उनके उपाय और सुझावों ने हमारे घर की ऊर्जा में अद्भुत सुधार किया है। अब घर में शांति और सकारात्मकता है।”

राकेश वर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“मेरे व्यवसाय में समस्याएं आ रही थीं, तब एस्ट्रोलॉजर साहू जी से अंक ज्योतिष की सलाह ली। उनकी भविष्यवाणी और उपायों से मेरे व्यापार में तेजी से वृद्धि हुई। उनकी संख्या विद्या ने मेरे लिए सही निर्णय लेना आसान बना दिया।”

पूजा मिश्रा, भोपाल (Google reviews)
“मेरे जीवन में करियर से जुड़ी कई अनिश्चितताएँ थीं। एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने हस्तरेखा पढ़कर मुझे जीवन के सही मार्ग की दिशा दिखाई। उनकी सटीक भविष्यवाणी से मेरे करियर को नई दिशा मिली है।”

संदीप चौहान, इंदौर (Google reviews)
“शादी से पहले कुंडली मिलान के लिए हमने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से संपर्क किया। उनकी विस्तृत सलाह और मिलान ने हमें एक सफल वैवाहिक जीवन की शुरुआत करने में मदद की। उनका ज्ञान अद्भुत है।”

 सविता गुप्ता, रतलाम (Google reviews)
“हमारे घर में निरंतर चल रही समस्याओं के लिए एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह ने चमत्कारी परिणाम दिए। अब घर में सकारात्मक ऊर्जा है, और हमारी सभी परेशानियाँ दूर हो गई हैं।”

 रोहित चौहान, देवास (Google reviews)
“ऑफिस में लगातार हो रहे नुकसान से परेशान था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह ने हमारे ऑफिस के माहौल को बदल दिया और व्यवसाय में तरक्की हो रही है।”

 अर्चना पटेल, ग्वालियर (Google reviews)
“मेरे नाम के आधार पर एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने जो उपाय बताए, उन्होंने मेरे जीवन में चमत्कारी बदलाव किए। अब मुझे हर काम में सफलता मिल रही है।”

नितिन ठाकुर, मंदसौर (Google reviews)
“अपने जन्म अंक के अनुसार भविष्यवाणी और उपाय करने के बाद, मेरे करियर में तेजी से उन्नति हो रही है। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है।”

 सुनील शर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“एस्ट्रोलॉजर साहू जी की हस्तरेखा पढ़ने की कला अद्भुत है। उन्होंने मेरे जीवन के बारे में सटीक भविष्यवाणी की और उनके उपायों से मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं।”

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग: ज्योतिषीय दृष्टिकोण और भक्तिपूर्ण अनुभूति

भारत में बिखरे हुए बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग एक अद्भुत स्थल है, जो न केवल धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अति महत्वपूर्ण है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह ज्योतिर्लिंग गुजरात के द्वारका में स्थित है और इसे नागेश्वर या नागनाथ के नाम से भी जाना जाता है। इस ब्लॉग में हम नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की धार्मिकता, ज्योतिषीय महत्व और भक्तों के अनुभवों पर चर्चा करेंगे।नागेश्वर ज्योतिर्लिंग केवल एक तीर्थ स्थल नहीं है, बल्कि यह विश्वास और भक्ति का प्रतीक है। इसकी आराधना से भक्तों को न केवल धार्मिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक लाभ भी मिलते हैं।नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का उल्लेख विभिन्न पुराणों और धार्मिक ग्रंथों में मिलता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार मान्यता है कि भगवान शिव ने यहाँ नागराज कालिया का वध किया था, जिससे यह स्थान नागेश्वर के नाम से प्रसिद्ध हो गया। यह माना जाता है कि इस ज्योतिर्लिंग की आराधना से भक्तों के सभी संकट दूर होते हैं और जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है।

ज्योतिषीय महत्व

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का ज्योतिषीय महत्व विशेष रूप से राहु और केतु ग्रहों के संदर्भ में समझा जा सकता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार राहु और केतु छाया ग्रह होते हैं, जिनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में उतार-चढ़ाव लाने में महत्वपूर्ण होता है। यदि किसी की कुंडली में राहु और केतु की स्थिति कमजोर है, तो उसे कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा से इन ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों को कम किया जा सकता है।

राहु और केतु

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु या केतु की स्थिति अशुभ है, तो नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की आराधना से उनकी कृपा प्राप्त करने की संभावना बढ़ जाती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यहाँ पर विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है, जो राहु और केतु के नकारात्मक प्रभावों को कम करने में सहायक होते हैं।

तंत्र साधना और ध्यान

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग पर ध्यान और साधना का विशेष महत्व है। भक्त यहाँ आकर ध्यान लगाते हैं और अपनी आंतरिक समस्याओं का समाधान प्राप्त करते हैं। यह स्थान ध्यान करने के लिए अत्यंत उपयुक्त है, जहाँ की शांतिपूर्ण ऊर्जा भक्तों को मानसिक शांति प्रदान करती है।

भक्तिपूर्ण अनुभव

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की यात्रा और पूजा का अनुभव अनूठा होता है। यहाँ आने वाले भक्तों को आस्था और भक्ति के अनगिनत अनुभव होते हैं। जब भक्त इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करते हैं, तो उन्हें अपने जीवन की सभी समस्याओं का हल मिलता है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा विधि

सामग्री और तैयारी

नागेश्वर की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • शुद्ध जल
  • दूध
  • दही
  • शहद
  • बेलपत्र
  • चंदन
  • विभिन्न फूल
  • फल और मिठाई

पूजा विधि

स्नान और पवित्रता:
पूजा करने से पहले स्नान करना आवश्यक है। स्वच्छ वस्त्र पहनें और मानसिक रूप से पूजा के लिए तैयार रहें।

मंत्रों का उच्चारण:
“ॐ नमः शिवाय” और “ॐ नागेश्वराय नमः” का जाप करें। ये मंत्र ध्यान लगाने में सहायक होते हैं।

अभिषेक विधि:


शिवलिंग पर दूध, दही और जल का अभिषेक करें। यह अभिषेक भगवान शिव की कृपा को आकर्षित करता है।

नैवेद्य अर्पित करना:
नैवेद्य के रूप में फल, मिठाई, और अन्य खाद्य सामग्री अर्पित करें।

आरती का महत्व:
पूजा के अंत में आरती करें और भगवान शिव से आशीर्वाद मांगें।

मनोकामनाएँ और आस्था

भक्त यहाँ आकर अपनी मनोकामनाएँ भगवान शिव के चरणों में अर्पित करते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार बहुत से भक्त मानते हैं कि नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा से उनकी मनोकामनाएँ अवश्य पूरी होती हैं। यहाँ की आस्था और विश्वास के कारण, भक्तों के दिलों में एक अद्भुत शक्ति का संचार होता है।

सामाजिक संगठनों की भूमिका

ज्योतिष के अनुसार नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के प्रति श्रद्धा और भक्ति केवल व्यक्तिगत लाभ तक सीमित नहीं है। यहाँ आने वाले भक्त समाज के कल्याण के लिए भी प्रार्थना करते हैं। विभिन्न सामाजिक संगठनों के माध्यम से यहाँ पर भक्ति कार्यक्रम और चिकित्सा शिविर आयोजित किए जाते हैं, जिससे समाज के कमजोर वर्ग को सहायता मिलती है।

प्राकृतिक सौंदर्य और भक्ति

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का स्थान प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। यहाँ की शांति और सुरम्य वातावरण भक्तों को आत्मिक शांति प्रदान करता है। ज्योतिष के अनुसार भक्त जब यहाँ आते हैं, तो उन्हें न केवल भक्ति की अनुभूति होती है, बल्कि वे प्रकृति के नजारे का आनंद भी लेते हैं।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का महत्व धार्मिक, ज्योतिषीय और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इसकी पूजा से न केवल व्यक्तिगत जीवन में सुख-शांति का आगमन होता है, बल्कि समाज के लिए भी यह एक प्रेरणास्रोत है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की यात्रा एक भक्तिपूर्ण अनुभव है, जो हर व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की क्षमता रखती है।भगवान शिव की कृपा से सभी भक्तों के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का संचार होता रहे। ज्योतिष के अनुसार नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कृपा से हर भक्त अपने जीवन की कठिनाइयों को पार कर सके, यही हमारी प्रार्थना है।

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TESTIMONIALS

मधु शर्मा, भोपाल (Google reviews)
“साहू जी ने मेरे स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया। उनकी ज्योतिषीय उपायों से अब मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूँ और जीवन में फिर से ऊर्जा महसूस कर रही हूँ। उनके ज्योतिषीय ज्ञान और उपचार ने मुझे नई जिंदगी दी है।”

 राघव तिवारी, उज्जैन (Google reviews)
“कुंडली में ग्रह दोष के कारण नौकरी में उन्नति नहीं हो रही थी। साहू जी ने सही उपाय बताए और अब मेरे करियर में तेजी से उन्नति हो रही है। उनके उपायों ने मुझे सही दिशा दिखाई और अब मैं अपने काम में सफलता पा रहा हूँ।”

अनुज गुप्ता, इंदौर (Google reviews)
“घर में लगातार नकारात्मक ऊर्जा महसूस हो रही थी। साहू जी ने वास्तु दोष का विश्लेषण कर कुछ उपाय बताए। अब हमारे घर में सकारात्मकता और शांति का अनुभव हो रहा है। उनके उपायों का असर देखते ही बना। साहू जी को धन्यवाद!”

पायल वर्मा, भोपाल (Google reviews)
“साहू जी की कुंडली मिलान सेवा से हमें सही जीवनसाथी चुनने में मदद मिली। उनकी भविष्यवाणी और उपायों ने हमारे वैवाहिक जीवन को सफल बनाया है। अब हम दोनों खुशहाल जीवन बिता रहे हैं। उनकी सलाह सचमुच अद्भुत रही।”

गौरव मिश्रा, उज्जैन (Google reviews)
“साहू जी ने व्यापार में आ रही समस्याओं का सटीक समाधान बताया। उनके उपायों का पालन करने से अब मेरे व्यापार में वृद्धि हो रही है और मुझे नए अवसर मिल रहे हैं। उनकी ज्योतिषीय सलाह और मार्गदर्शन से मुझे बहुत फायदा हुआ।”

 रितु शर्मा, इंदौर (Google reviews)
“साहू जी की कुंडली देख कर किए गए उपायों ने मेरे स्वास्थ्य को फिर से सही कर दिया है। पहले कई डॉक्टर्स से सलाह ली, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। साहू जी के उपायों ने मेरी सेहत में सुधार किया। उनका ज्योतिषीय ज्ञान गहरा और अद्भुत है।”

शुभम सिंह, भोपाल (Google reviews)

मेरे करियर में रुकावटें आ रही थीं, लेकिन साहू जी की सलाह से मुझे सही मार्गदर्शन मिला। उनके बताए उपायों से अब मैं अपने करियर में तरक्की कर रहा हूँ और सफलता प्राप्त कर रहा हूँ। साहू जी का आभार।”

  नेहा चौहान, उज्जैन (Google reviews)
“मेरे बेटे की पढ़ाई में लगातार गिरावट हो रही थी। साहू जी ने कुंडली देखकर उपाय सुझाए और कुछ ही समय में मेरे बेटे के प्रदर्शन में काफी सुधार हुआ। अब वह पढ़ाई में अव्वल आ रहा है। उनके उपायों ने हमारी जिंदगी बदल दी।”

  कुमार पांडे, इंदौर (Google reviews)
“साहू जी की ज्योतिषीय सलाह से मेरे विवाह में आ रही समस्याएँ दूर हो गईं। उनकी कुंडली मिलान सेवा ने हमारे रिश्ते में नई ऊर्जा लाई और अब हमारा वैवाहिक जीवन खुशहाल है। उनका आभार।”

संध्या गुप्ता, भोपाल (Google reviews)
“वास्तु दोष के कारण हमारे घर में समस्याएँ आ रही थीं। साहू जी ने घर की कुंडली देखकर सही उपाय बताए। उनके उपायों से अब हमारे घर में सुख-शांति है और सभी समस्याएँ दूर हो गई हैं। साहू जी की सलाह ने हमें बहुत लाभ पहुँचाया।”

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: ज्योतिषीय दृष्टकोण से महिमा और महत्व

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के प्राचीन और पवित्र मंदिरों में से एक है। यह ज्योतिर्लिंग उज्जैन, मध्य प्रदेश में स्थित है, इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार जिसे भगवान शिव का सबसे प्रमुख और शक्तिशाली रूप माना जाता है। महाकालेश्वर की महिमा इतनी अधिक है कि यह न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है। महाकाल का आशीर्वाद जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि लाता है।इस ब्लॉग में, हम महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की महत्ता, उसकी धार्मिक पृष्ठभूमि और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इसे कैसे देखा जाता है, इस पर गहराई से चर्चा करेंगे।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का पौराणिक महत्व

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का उल्लेख अनेक पुराणों और वेदों में मिलता है। इसे भगवान शिव के तीन प्रमुख रूपों में से एक माना गया है। पुराणों के अनुसार, एक बार उज्जैन में एक ब्राह्मण परिवार भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। एक राक्षस, दूषण, उस परिवार को परेशान करने लगा और उनकी तपस्या भंग करने का प्रयास किया। इस पर भगवान शिव ने स्वयं प्रकट होकर उस राक्षस का वध किया और वहीं ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। इसलिए, महाकालेश्वर को काल (समय) का भी अधिपति माना जाता है, जो हर प्रकार के काल पर विजय प्राप्त करने की शक्ति रखते हैं।

ज्योतिष के अनुसार, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में विशेष तौर पर काल और समय की महत्ता को प्रभावित करता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यदि किसी की कुंडली में कालसर्प दोष, पितृ दोष, शनि दोष या मंगल दोष हो, तो महाकालेश्वर की पूजा करने से इन दोषों का निवारण होता है। महाकाल की आराधना से जातक को ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है और शांति व सुख की प्राप्ति होती है।

कालसर्प दोष का निवारण:

कालसर्प दोष उन लोगों की कुंडली में होता है जिनकी जन्मकुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं। इस दोष से जातक को जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से इस दोष के निवारण के लिए अत्यंत प्रभावी मानी जाती है। उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष की शांति के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं, जिससे जातक को इस दोष से मुक्ति मिलती है।

शनि दोष और महाकालेश्वर:

शनि का अशुभ प्रभाव जीवन में अनेक बाधाएँ उत्पन्न करता है, जैसे कि नौकरी में समस्याएँ, व्यापार में हानि, पारिवारिक तनाव, और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ। महाकालेश्वर की आराधना और अभिषेक से शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाई जा सकती है। उज्जैन, जिसे शिव की नगरी भी कहा जाता है, में शनि और महाकाल की संयुक्त आराधना से विशेष लाभ मिलता है। महाकालेश्वर मंदिर में शनि दोष निवारण के लिए विशेष अनुष्ठान आयोजित होते हैं, जिससे जातक को शनि की शांति प्राप्त होती है।

मंगल दोष का शमन:

ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह का अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। यदि किसी की कुंडली में मंगल दोष हो, तो उसे वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। महाकालेश्वर की पूजा से इस दोष का निवारण होता है। महाकाल की कृपा से व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है, और मंगल के दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं। उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में विशेष रूप से मंगल दोष की शांति के लिए पूजा की जाती है, जिससे जातक को लाभ मिलता है।

पितृ दोष का निवारण:

पितृ दोष उन लोगों की कुंडली में होता है जिनके पूर्वजों की आत्माएँ संतुष्ट नहीं होतीं। इसका कारण पूर्वजों की आत्माओं को उचित तर्पण न मिलना होता है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा से पितृ दोष का शमन होता है। उज्जैन, जिसे मोक्ष नगरी कहा जाता है, में पितृ दोष निवारण के लिए विशेष पूजा की जाती है। महाकालेश्वर की पूजा से पितरों की आत्माओं को शांति मिलती है और जातक को इस दोष से मुक्ति प्राप्त होती है।

महाकाल की पूजा से मिलने वाले लाभ

महाकालेश्वर की पूजा और अभिषेक करने से जातक को कई प्रकार के लाभ होते हैं। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से ये लाभ विशेष रूप से ग्रहों के दोषों को शांति प्रदान करते हैं। महाकाल की कृपा से व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन, वैवाहिक सुख और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। आइए, महाकालेश्वर की पूजा से मिलने वाले प्रमुख लाभों पर नजर डालें:

स्वास्थ्य में सुधार:

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव से स्वास्थ्य समस्याएँ हो रही हों, तो महाकालेश्वर की पूजा से इन समस्याओं का समाधान होता है। महाकाल के आशीर्वाद से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार प्राप्त होता है। विशेष रूप से शनि और मंगल ग्रह के कारण उत्पन्न रोगों का निवारण होता है।

धन और समृद्धि:

महाकालेश्वर की कृपा से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यदि किसी की कुंडली में राहु या केतु के प्रभाव से आर्थिक समस्याएँ हो रही हों, तो महाकाल की पूजा से इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव समाप्त होते हैं और आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।

वैवाहिक जीवन में सुख:

महाकालेश्वर की पूजा मंगल दोष और शनि दोष का निवारण करने में सहायक होती है। इसके साथ ही वैवाहिक जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान भी होता है। जो लोग विवाह में देरी या वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना कर रहे होते हैं, उन्हें महाकाल की आराधना से विशेष लाभ होता है।

ग्रह दोषों का शमन:

महाकालेश्वर की पूजा के माध्यम से जातक के जीवन से विभिन्न ग्रह दोषों का शमन होता है। राहु, केतु, शनि, मंगल आदि ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है, जिससे जातक के जीवन में शांति और स्थिरता आती है। उज्जैन में महाकाल मंदिर में ग्रह दोष शांति के लिए अनेक प्रकार की पूजा और अनुष्ठान आयोजित होते हैं, जिनसे जातक को विशेष लाभ मिलता है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा विधि

महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से सोमवार को की जाती है, क्योंकि सोमवार भगवान शिव का प्रिय दिन माना जाता है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा विधि में जल, दूध, शहद, चंदन, और बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। इसके साथ ही महामृत्युंजय मंत्र और रुद्राष्टक का पाठ किया जाता है। उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर में विशेष रूप से महाकाल की भस्म आरती की जाती है, जो सुबह ब्रह्म मुहूर्त में होती है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं।

महाकाल की आराधना के ज्योतिषीय मंत्र

महाकाल की पूजा के समय कुछ विशेष ज्योतिषीय मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जिससे व्यक्ति को ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है और महाकाल की कृपा प्राप्त होती है। यहाँ कुछ प्रमुख मंत्र दिए गए हैं:

महामृत्युंजय मंत्र: “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”

यह मंत्र जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है।

शिव पंचाक्षर मंत्र: “ॐ नमः शिवाय”

यह मंत्र शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यधिक प्रभावी होता है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अतुलनीय है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार महाकाल की आराधना से जातक को जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है और ग्रहों के दोष समाप्त होते हैं। महाकाल का आशीर्वाद हर प्रकार के समय और काल पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करता है।महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और जो भी भक्त सच्चे मन से महाकाल की आराधना करता है, उसे जीवन में समृद्धि, शांति, और सफलता अवश्य प्राप्त होती है।

आपके तारे में आपका स्वागत है. जान‍िए ज्योतिष के अनुसार आज रखना है क‍िन बातों का ध्यान. कौन-सा रंग,अंक रहेगा आपके ल‍िए शुभ और द‍िन को बेहतर बनाने के ल‍िए करना होगा कौन सा उपाय. …

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TESTIMONIALS

अर्चना पटेल, ग्वालियर (Google reviews)
“मेरे नाम के आधार पर एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने जो उपाय बताए, उन्होंने मेरे जीवन में चमत्कारी बदलाव किए। अब मुझे हर काम में सफलता मिल रही है।”

 नितिन ठाकुर, मंदसौर (Google reviews)
“अपने जन्म अंक के अनुसार भविष्यवाणी और उपाय करने के बाद, मेरे करियर में तेजी से उन्नति हो रही है। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है।”

  सुनील शर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“एस्ट्रोलॉजर साहू जी की हस्तरेखा पढ़ने की कला अद्भुत है। उन्होंने मेरे जीवन के बारे में सटीक भविष्यवाणी की और उनके उपायों से मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं।”

 ज्योति मिश्रा, इंदौर (Google reviews)
“मेरे करियर से संबंधित अनिश्चितताएँ थीं, लेकिन साहू जी ने हस्तरेखा देखकर मुझे सही मार्ग दिखाया। उनकी भविष्यवाणी ने मुझे जीवन में नई दिशा दी।”

नेहा वर्मा, जबलपुर (Google reviews)
“शादी से पहले कुंडली मिलान के लिए हमने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से संपर्क किया। उनकी सटीक सलाह और मिलान ने हमें एक स्थिर और सुखी वैवाहिक जीवन की नींव रखने में मदद की।”

राहुल तिवारी, भोपाल (Google reviews)
“शादी की योजना बनाते समय कुंडली मिलान के लिए साहू जी से सलाह ली। उनके द्वारा किया गया कुंडली मिलान और दिए गए उपाय बेहद लाभकारी रहे।”

 मीनाक्षी जैन, उज्जैन (Google reviews)
“मैंने साहू जी से रत्न धारण करने की सलाह ली और उनके द्वारा सुझाए गए रत्न पहनने से मेरे जीवन में आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है। उनका ज्ञान अद्वितीय है।”

शिखा शर्मा, इंदौर (Google reviews)
“हमारे घर में लगातार हो रही परेशानियों के लिए एस्ट्रोलॉजर साहू जी से वास्तु सलाह ली। उनके उपाय और सुझावों ने हमारे घर की ऊर्जा में अद्भुत सुधार किया है। अब घर में शांति और सकारात्मकता है।”

राकेश वर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“मेरे व्यवसाय में समस्याएं आ रही थीं, तब एस्ट्रोलॉजर साहू जी से अंक ज्योतिष की सलाह ली। उनकी भविष्यवाणी और उपायों से मेरे व्यापार में तेजी से वृद्धि हुई। उनकी संख्या विद्या ने मेरे लिए सही निर्णय लेना आसान बना दिया।”

पूजा मिश्रा, भोपाल (Google reviews)
“मेरे जीवन में करियर से जुड़ी कई अनिश्चितताएँ थीं। एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने हस्तरेखा पढ़कर मुझे जीवन के सही मार्ग की दिशा दिखाई। उनकी सटीक भविष्यवाणी से मेरे करियर को नई दिशा मिली है।”

सप्तश्रुंगी देवी का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व 52 शक्ति पीठों में स्थान

भारत में स्थित सप्तश्रुंगी देवी मंदिर देवी सती के 52 शक्तिपीठों में से एक प्रमुख स्थल है। यह महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित है और धार्मिक, सांस्कृतिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। सप्तश्रुंगी देवी को सात पहाड़ियों की देवी कहा जाता है, जहाँ उनका वास है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इस पवित्र स्थल का वर्णन पुराणों और शास्त्रों में विस्तार से किया गया है, और यह न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि कुंडली और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

सप्तश्रुंगी देवी का धार्मिक महत्व

सप्तश्रुंगी देवी का मंदिर सात पहाड़ियों के बीच स्थित है, जो उनकी शक्ति का प्रतीक है। ‘सप्त’ का अर्थ होता है सात, और ‘श्रृंग’ का अर्थ होता है पहाड़ या पर्वत। इस मंदिर में देवी की मूर्ति को शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है। देवी को 18 भुजाओं वाली मूर्ति के रूप में पूजा जाता है, जिसमें हर हाथ में विभिन्न अस्त्र-शस्त्र धारण किए हुए हैं। मान्यता है कि इसी स्थल पर देवी ने महिषासुर का वध किया था, और इसी कारण उन्हें महिषासुर मर्दिनी के रूप में भी पूजा जाता है।

धार्मिक दृष्टिकोण से, सप्तश्रुंगी देवी की आराधना करने से सभी प्रकार की बाधाओं का नाश होता है। ज्योतिष के अनुसार यह स्थल विशेष रूप से नवरात्रि के दौरान लाखों श्रद्धालुओं का केंद्र होता है, जो यहां देवी की कृपा प्राप्त करने आते हैं। देवी के इस रूप की पूजा करने से जीवन में उन्नति, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

सप्तश्रुंगी देवी का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सप्तश्रुंगी देवी की पूजा जीवन में आने वाली विभिन्न ग्रह बाधाओं और दोषों का निवारण करने में सहायक होती है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार विशेष रूप से, जिन जातकों की कुंडली में शत्रु ग्रहों का अशुभ प्रभाव होता है, उनके लिए सप्तश्रुंगी देवी की आराधना अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।

राहु और केतु के अशुभ प्रभाव से मुक्ति:
जिन व्यक्तियों की कुंडली में राहु और केतु का नकारात्मक प्रभाव होता है, वे अक्सर मानसिक तनाव, भ्रम और अस्थिरता का सामना करते हैं। सप्तश्रुंगी देवी की पूजा से राहु और केतु के अशुभ प्रभाव शांत होते हैं और व्यक्ति को मानसिक शांति मिलती है। यह भी माना जाता है कि राहु की महादशा में सप्तश्रुंगी देवी की आराधना करने से जीवन की कठिनाइयों में कमी आती है।

शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का निवारण:
शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या के समय जातक को जीवन में विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है, जैसे स्वास्थ्य समस्याएं, धन की हानि, और परिवारिक कष्ट। सप्तश्रुंगी देवी की आराधना से शनि के अशुभ प्रभावों में कमी आती है। नवरात्रि के दौरान सप्तश्रुंगी देवी की विशेष पूजा करने से शनि की दशा में शांति प्राप्त होती है और जीवन में स्थिरता आती है।

मंगल दोष और शत्रु बाधा निवारण:
जिन जातकों की कुंडली में मंगल दोष होता है, उन्हें जीवन में अकारण क्रोध, विवाद और संघर्ष का सामना करना पड़ता है। सप्तश्रुंगी देवी की पूजा करने से मंगल के अशुभ प्रभाव शांत होते हैं और जीवन में शांति और संतुलन प्राप्त होता है। इसके अलावा, सप्तश्रुंगी देवी की आराधना शत्रु बाधाओं का निवारण करती है और व्यक्ति को आत्मरक्षा की शक्ति प्रदान करती है।

चंद्रमा के कमजोर होने पर:
चंद्रमा का कुंडली में कमजोर होना व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डालता है। इसके कारण व्यक्ति को मानसिक तनाव, अवसाद, और भावनात्मक असंतुलन का सामना करना पड़ सकता है। सप्तश्रुंगी देवी की पूजा से चंद्र दोष का निवारण होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है।

सप्तश्रुंगी देवी की महिमा और शक्तिपीठों में स्थान

सप्तश्रुंगी देवी 52 शक्तिपीठों में एक महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। शक्तिपीठ वह स्थल हैं, जहाँ देवी सती के अंग गिरे थे, और यह स्थल देवी की विशेष ऊर्जा और शक्ति का केंद्र माने जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार सप्तश्रुंगी देवी का यह शक्तिपीठ देवी सती के दाहिने हाथ के गिरने से जुड़ा हुआ है, और इसी कारण इसे अत्यंत पवित्र स्थल माना जाता है।

52 शक्तिपीठों की यात्रा धार्मिक दृष्टिकोण से जीवन में उन्नति और मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। यह माना जाता है कि इन स्थलों की यात्रा करने से ग्रहों के दोष शांत होते हैं और व्यक्ति को देवी की कृपा प्राप्त होती है। सप्तश्रुंगी देवी की यात्रा करने से व्यक्ति को विशेष रूप से मंगल और शनि के दोषों से मुक्ति मिलती है।

सप्तश्रुंगी देवी के मंत्र और साधना

सप्तश्रुंगी देवी की आराधना के दौरान विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जो व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। ज्योतिष के अनुसार नीचे कुछ प्रमुख मंत्र दिए जा रहे हैं, जो सप्तश्रुंगी देवी की कृपा प्राप्त करने में सहायक होते हैं:

सप्तश्रुंगी देवी मूल मंत्र:
ऐं ह्रीं क्लीं सप्तश्रृंगेयि नमः”
इस मंत्र का नियमित जाप करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है और जीवन की कठिनाइयों का नाश होता है।

शत्रु बाधा निवारण मंत्र:
दुर्गायै नमः”
इस मंत्र का 108 बार जाप करने से शत्रु बाधाओं से मुक्ति मिलती है और व्यक्ति की रक्षा होती है।

राहु और केतु दोष निवारण मंत्र
“ॐ ह्रीं क्लीं राहवे केतवे नमः”
यह मंत्र राहु और केतु के दोषों से मुक्ति दिलाने में सहायक है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्रदान करता है।

सप्तश्रुंगी देवी की पूजा विधि

सप्तश्रुंगी देवी की पूजा विधि अत्यंत सरल है, लेकिन इसे पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ किया जाना चाहिए। सप्तश्रुंगी देवी की पूजा में निम्नलिखित सामग्री का प्रयोग किया जाता है:

  • लाल वस्त्र
  • चंदन, कुमकुम और अक्षत
  • लाल फूल, विशेषकर गुड़हल के फूल
  • धूप और दीप
  • नैवेद्य (फलों और मिठाइयों का भोग)

पूजा के दौरान सप्तश्रुंगी देवी के मंत्रों का जाप और दुर्गा सप्तशती का पाठ अत्यंत लाभकारी माना जाता है। इसके अलावा, नवरात्रि के दौरान देवी की विशेष पूजा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।

सप्तश्रुंगी देवी का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार देवी की आराधना जीवन में आने वाली कठिनाइयों का नाश करती है और व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आर्थिक शांति प्रदान करती है। सप्तश्रुंगी देवी के इस शक्तिपीठ की यात्रा और पूजा से विशेष रूप से मंगल, शनि, राहु और केतु के दोषों का निवारण होता है। ज्योतिष के अनुसार देवी की कृपा से व्यक्ति को जीवन में उन्नति, शांति और समृद्धि प्राप्त होती है।

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TESTIMONIALS

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  दीपिका शर्मा, उज्जैन (Google reviews)
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  रजनी पांडे, ग्वालियर (Google reviews)
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ललिता देवी शक्ति पीठ का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व

भारत में स्थित 52 शक्तिपीठों का धार्मिक, पौराणिक, और ज्योतिषीय महत्व अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इन शक्तिपीठों का संबंध देवी सती और भगवान शिव की पौराणिक कथाओं से है, जिनमें देवी के अंगों के विभिन्न हिस्से पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर गिरे और वहां पर शक्तिपीठों की स्थापना हुई। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित ललिता देवी शक्तिपीठ इन 52 पवित्र स्थलों में से एक प्रमुख शक्तिपीठ है। यहाँ देवी सती की उँगली गिरी थी, और इस स्थान को अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा से युक्त माना जाता है। धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से यह शक्तिपीठ अनोखा है।

ललिता देवी शक्तिपीठ का धार्मिक महत्व

ललिता देवी मंदिर प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के पास स्थित है, जो गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम पर बसा हुआ है। यह स्थान धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे तीर्थराज भी कहा जाता है। संगम की महत्ता का वर्णन न केवल धार्मिक ग्रंथों में किया गया है, बल्कि यहाँ श्रद्धालु स्नान कर अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भी आते हैं।

ललिता देवी को शक्ति की देवी माना जाता है, और यह मंदिर स्त्री शक्ति का प्रतीक है। साहू जी के अनुसार पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब सती ने दक्ष यज्ञ में अपमानित होकर आत्मदाह किया, तब भगवान शिव ने सती के शरीर को उठाकर तांडव किया। भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े किए, जो विभिन्न स्थानों पर गिरे और उन्हीं स्थानों पर शक्तिपीठों की स्थापना हुई। प्रयागराज के इस पवित्र स्थल पर देवी सती की उँगली गिरी थी, जिसके कारण इस स्थान को ललिता देवी शक्तिपीठ कहा जाता है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से ललिता देवी का महत्व

ललिता देवी शक्तिपीठ का ज्योतिषीय महत्व भी अत्यधिक माना जाता है। यह शक्तिपीठ उन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है जिनकी कुंडली में अशुभ ग्रह स्थितियाँ हों। ललिता देवी की पूजा विशेष रूप से ग्रह दोष निवारण के लिए की जाती है। जिन लोगों की कुंडली में राहु, केतु, और शनि की अशुभ दशा होती है, उन्हें यहाँ आकर पूजा-अर्चना करने से अत्यधिक लाभ होता है।

देवी ललिता की पूजा से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो या मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा हो, उन्हें ललिता देवी की आराधना से राहत मिलती है। इसके साथ ही, यह शक्तिपीठ उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह की अशुभ स्थिति हो। मंगल ग्रह के दोषों से मुक्त होने के लिए मंगलवार के दिन विशेष पूजा की जाती है।

ललिता देवी शक्तिपीठ के ज्योतिषीय उपाय

राहु-केतु दोष निवारण: अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु का दोष हो, तो उन्हें ललिता देवी की विशेष पूजा करनी चाहिए। अमावस्या या पूर्णिमा के दिन संगम में स्नान कर देवी की आराधना करने से राहुकेतु के दोषों का निवारण होता है और व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं। इससे मानसिक तनाव भी समाप्त होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है।

शनि दोष निवारण: जिन लोगों के जीवन में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव हो, उन्हें ललिता देवी की पूजा से अत्यधिक लाभ होता है। शनि के प्रभाव से जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ और बाधाएँ देवी की कृपा से दूर हो जाती हैं। शनिवार के दिन विशेष रूप से ललिता देवी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इससे शनि के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

मंगल दोष शांति: अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह की अशुभ स्थिति हो, तो उन्हें ललिता देवी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। मंगल ग्रह को साहस, ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। देवी ललिता की पूजा करने से मंगल ग्रह की अशुभता कम होती है और व्यक्ति को साहस और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। साहू जी के अनुसार विशेष रूप से मंगलवार के दिन लाल वस्त्र धारण कर देवी की पूजा करनी चाहिए।

धन और समृद्धि की प्राप्ति: ललिता देवी को शक्ति, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है। जिनकी कुंडली में धन योग नहीं बन रहा हो या आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हो, उन्हें ललिता देवी की आराधना करनी चाहिए। शुक्रवार के दिन देवी को सफेद वस्त्र अर्पित कर पूजा करने से आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं और धन की प्राप्ति होती है।

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपाय: अगर किसी व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हों, तो उन्हें देवी ललिता की पूजा से लाभ मिलता है। चंद्रमा की अशुभ स्थिति के कारण मानसिक तनाव और अवसाद जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। ललिता देवी की आराधना से चंद्रमा के दोषों का निवारण होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

ललिता देवी की पूजा विधि

ललिता देवी की पूजा में विशेष रूप से ‘श्री यंत्र’ की पूजा की जाती है। श्री यंत्र देवी ललिता का प्रतीक है और इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। श्री यंत्र की स्थापना घर में करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। देवी की पूजा में दुर्गा सप्तशती का पाठ, चावल, फल और लाल वस्त्र का अर्पण किया जाता है। देवी को लाल रंग का अत्यधिक प्रिय माना जाता है, इसलिए पूजा में लाल पुष्प और सिंदूर का उपयोग करना चाहिए।

साथ ही, ललिता सहस्रनाम का पाठ करने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। जिन जातकों की कुंडली में ग्रह दोष होते हैं, वे इस पाठ को प्रतिदिन करने से देवी की अनुकंपा प्राप्त कर सकते हैं। संगम में स्नान कर देवी की आराधना करने से विशेष लाभ होता है और ग्रहों की अशुभ दशाएँ दूर हो जाती हैं।

ललिता देवी शक्तिपीठ का वास्तु और ऊर्जा

वास्तु शास्त्र के अनुसार, ललिता देवी मंदिर की स्थापना अत्यधिक शक्तिशाली स्थान पर हुई है। यहाँ की ऊर्जा अत्यंत शक्तिशाली और सकारात्मक मानी जाती है। कहा जाता है कि इस स्थान पर पूजा करने से घर के वास्तु दोष भी समाप्त हो जाते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस शक्तिपीठ की ऊर्जा व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से सशक्त करती है और उसे जीवन की चुनौतियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है।

ललिता देवी शक्तिपीठ का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अपार है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यहाँ देवी की पूजा करने से ग्रह दोषों का निवारण होता है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। राहुकेतु, शनि, और मंगल जैसे ग्रहों की अशुभ दशाओं में देवी की आराधना विशेष रूप से लाभकारी होती है। ललिता देवी की कृपा से भक्तों को मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। यह शक्तिपीठ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय उपायों के लिए भी अत्यधिक प्रभावशाली है।

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TESTIMONIALS

शिखा शर्मा, इंदौर (Google reviews)
“हमारे घर में लगातार हो रही परेशानियों के लिए एस्ट्रोलॉजर साहू जी से वास्तु सलाह ली। उनके उपाय और सुझावों ने हमारे घर की ऊर्जा में अद्भुत सुधार किया है। अब घर में शांति और सकारात्मकता है।”

राकेश वर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“मेरे व्यवसाय में समस्याएं आ रही थीं, तब एस्ट्रोलॉजर साहू जी से अंक ज्योतिष की सलाह ली। उनकी भविष्यवाणी और उपायों से मेरे व्यापार में तेजी से वृद्धि हुई। उनकी संख्या विद्या ने मेरे लिए सही निर्णय लेना आसान बना दिया।”

पूजा मिश्रा, भोपाल (Google reviews)
“मेरे जीवन में करियर से जुड़ी कई अनिश्चितताएँ थीं। एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने हस्तरेखा पढ़कर मुझे जीवन के सही मार्ग की दिशा दिखाई। उनकी सटीक भविष्यवाणी से मेरे करियर को नई दिशा मिली है।”

संदीप चौहान, इंदौर (Google reviews)
“शादी से पहले कुंडली मिलान के लिए हमने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से संपर्क किया। उनकी विस्तृत सलाह और मिलान ने हमें एक सफल वैवाहिक जीवन की शुरुआत करने में मदद की। उनका ज्ञान अद्भुत है।”

  सविता गुप्ता, रतलाम (Google reviews)
“हमारे घर में निरंतर चल रही समस्याओं के लिए एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह ने चमत्कारी परिणाम दिए। अब घर में सकारात्मक ऊर्जा है, और हमारी सभी परेशानियाँ दूर हो गई हैं।”

  रोहित चौहान, देवास (Google reviews)
“ऑफिस में लगातार हो रहे नुकसान से परेशान था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह ने हमारे ऑफिस के माहौल को बदल दिया और व्यवसाय में तरक्की हो रही है।”

  अर्चना पटेल, ग्वालियर (Google reviews)
“मेरे नाम के आधार पर एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने जो उपाय बताए, उन्होंने मेरे जीवन में चमत्कारी बदलाव किए। अब मुझे हर काम में सफलता मिल रही है।”

  नितिन ठाकुर, मंदसौर (Google reviews)
“अपने जन्म अंक के अनुसार भविष्यवाणी और उपाय करने के बाद, मेरे करियर में तेजी से उन्नति हो रही है। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है।”

  सुनील शर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“एस्ट्रोलॉजर साहू जी की हस्तरेखा पढ़ने की कला अद्भुत है। उन्होंने मेरे जीवन के बारे में सटीक भविष्यवाणी की और उनके उपायों से मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं।”

ज्योति मिश्रा, इंदौर (Google reviews)
“मेरे करियर से संबंधित अनिश्चितताएँ थीं, लेकिन साहू जी ने हस्तरेखा देखकर मुझे सही मार्ग दिखाया। उनकी भविष्यवाणी ने मुझे जीवन में नई दिशा दी।”

अम्बा जी शक्ति पीठ का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व

भारत एक धार्मिक और आध्यात्मिक धरोहर वाला देश है, जहाँ अनेकों देवी-देवताओं के मंदिर और शक्तिपीठ स्थित हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इन शक्तिपीठों का पौराणिक, धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व बहुत गहरा है। इन्हीं में से एक प्रमुख शक्तिपीठ है अम्बाजी शक्तिपीठ, जो गुजरात राज्य में स्थित है। यह शक्तिपीठ माँ दुर्गा के 52 शक्तिपीठों में से एक मानी जाती है, जहां सती माता का हृदय गिरा था। इस स्थान को ‘अम्बाजी’ या ‘अरासुरी माता’ के नाम से जाना जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से यह स्थल न केवल भक्ति का केंद्र है बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी इसका अत्यधिक महत्व है।

अम्बाजी शक्तिपीठ का धार्मिक महत्व

अम्बाजी मंदिर माता सती के 52 शक्तिपीठों में से एक है, जो भक्तों के लिए अत्यधिक पूजनीय स्थल है। पौराणिक कथा ज्योतिष के अनुसार, जब सती माता ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में अपमान सहन न कर आत्मदाह किया, तो भगवान शिव ने सती के शव को अपने कंधे पर लेकर तांडव किया। यह देख कर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के 52 हिस्सों को काट दिया, जो विभिन्न स्थानों पर गिरे। जहाँ-जहाँ सती के अंग गिरे, वहाँ-वहाँ शक्तिपीठ स्थापित हुए। अम्बाजी मंदिर वह स्थान है जहाँ सती का हृदय गिरा था।

यहाँ पर माँ को एक पवित्र ‘श्री यंत्र’ के रूप में पूजा जाता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इस यंत्र को दिव्य शक्तियों का प्रतीक माना जाता है और कहा जाता है कि यंत्र के माध्यम से माँ अम्बा की पूजा की जाती है। यह मंदिर हर साल लाखों भक्तों को आकर्षित करता है, जो यहाँ आकर माँ की कृपा प्राप्त करने का प्रयास करते हैं।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अम्बाजी का महत्व

अम्बाजी शक्तिपीठ केवल धार्मिक दृष्टिकोण से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इसका विशेष महत्व है। माँ अम्बा को समृद्धि, शक्ति और विजय की देवी माना जाता है। भक्तों का मानना है कि यहाँ माँ की पूजा करने से व्यक्ति को शक्ति, धन और मनोबल की प्राप्ति होती है। यह मंदिर उन लोगों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह, शनि ग्रह या राहुकेतु की अशुभ स्थिति हो।

ज्योतिषीय दृष्टि से, अम्बाजी मंदिर में दर्शन करने से विशेष ग्रह दोषों का निवारण हो सकता है। माँ अम्बा की कृपा से मंगल ग्रह की शांति होती है, जो साहस, ऊर्जा और शारीरिक बल का प्रतीक होता है। इसके साथ ही, यह मंदिर उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिनके जीवन में शनि की साढ़े साती या ढैय्या चल रही हो। शनि ग्रह की स्थिति जब कुंडली में अशुभ होती है, तब व्यक्ति को कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। ऐसे समय में अम्बाजी की पूजा करना बहुत लाभकारी माना जाता है।

अम्बाजी की पूजा के ज्योतिषीय उपाय

मंगल दोष शांति: अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर है या मंगल दोष है, तो उसे अम्बाजी की पूजा करनी चाहिए। यहाँ पर मंगलवार के दिन विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन लाल वस्त्र धारण करके माँ अम्बा की आराधना करने से मंगल ग्रह की शांति होती है और जीवन में शक्ति, साहस और आत्मविश्वास की वृद्धि होती है।

शनि दोष निवारण: शनि ग्रह की दशा व्यक्ति के जीवन में परेशानियाँ और कठिनाइयाँ लाती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की अशुभ दृष्टि हो, तो उसे अम्बाजी शक्तिपीठ की यात्रा अवश्य करनी चाहिए। यहाँ पर शनिवार के दिन शनि ग्रह की शांति के लिए विशेष पूजा की जाती है। इससे शनि ग्रह की अनुकूल स्थिति प्राप्त होती है और जीवन की बाधाएँ दूर होती हैं।

राहु-केतु दोष: राहुकेतु की अशुभ स्थिति व्यक्ति के जीवन में अनिश्चितता और मानसिक तनाव लाती है। ज्योतिष के अनुसार अम्बाजी मंदिर में माँ की पूजा करने से राहुकेतु के दोषों का निवारण होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है। विशेष रूप से अमावस्या या पूर्णिमा के दिन अम्बाजी की पूजा करना अत्यधिक लाभकारी होता है।

धन और समृद्धि की प्राप्ति: जिन लोगों की कुंडली में आर्थिक समस्याएँ हों, उन्हें अम्बाजी की पूजा करनी चाहिए। माँ अम्बा को धन और समृद्धि की देवी माना जाता है। विशेष रूप से शुक्रवार के दिन देवी की पूजा करने से धन की प्राप्ति होती है और आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। देवी को सफेद वस्त्र अर्पण करने से माँ की कृपा प्राप्त होती है।

परिवार और संतान सुख: अम्बाजी की कृपा से परिवार में सुख और शांति बनी रहती है। जिन लोगों को संतान सुख की प्राप्ति नहीं हो रही हो, उन्हें अम्बाजी की पूजा करनी चाहिए। माता अम्बा की आराधना से संतान संबंधी समस्याएँ दूर होती हैं और परिवार में खुशहाली आती है।

अम्बाजी शक्तिपीठ का वास्तु और ज्योतिष संबंध

अम्बाजी शक्तिपीठ का वास्तु शास्त्र में भी विशेष महत्व है। ज्योतिष के अनुसार इस मंदिर की दिशा और संरचना वास्तु शास्त्र के अनुसार बनाई गई है। यहाँ पर पूजा करने से वास्तु दोषों का निवारण होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है। जिनके घर में वास्तु दोष हो, उन्हें अम्बाजी की पूजा करनी चाहिए। इससे घर का वातावरण पवित्र और सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर होता है।

अम्बाजी मंदिर का गर्भगृह दक्षिण दिशा की ओर है, जो शास्त्रों में बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। दक्षिण दिशा को यम की दिशा माना जाता है, और यहाँ पूजा करने से व्यक्ति के जीवन से अशुभता और नकारात्मकता समाप्त होती है। इस दिशा की पूजा से विशेष ग्रहों की शांति होती है और व्यक्ति को आरोग्यता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।अम्बाजी शक्तिपीठ न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इसका महत्व अपार है। माँ अम्बा की कृपा से भक्तों को विभिन्न ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार मंगल, शनि, राहुकेतु जैसे ग्रहों की अशुभ स्थिति में यहाँ की गई पूजा अत्यधिक लाभकारी होती है। ज्योतिष के अनुसार भक्तों का विश्वास है कि अम्बाजी शक्तिपीठ की यात्रा और यहाँ की गई पूजा से जीवन की हर समस्या का समाधान होता है और माँ की कृपा से व्यक्ति को जीवन में सफलता और सुख की प्राप्ति होती है।

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TESTIMONIALS

अर्चना पटेल, ग्वालियर (Google reviews)
“मेरे नाम के आधार पर एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने जो उपाय बताए, उन्होंने मेरे जीवन में चमत्कारी बदलाव किए। अब मुझे हर काम में सफलता मिल रही है।”

 नितिन ठाकुर, मंदसौर (Google reviews)
“अपने जन्म अंक के अनुसार भविष्यवाणी और उपाय करने के बाद, मेरे करियर में तेजी से उन्नति हो रही है। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है।”

  सुनील शर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“एस्ट्रोलॉजर साहू जी की हस्तरेखा पढ़ने की कला अद्भुत है। उन्होंने मेरे जीवन के बारे में सटीक भविष्यवाणी की और उनके उपायों से मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं।”

 ज्योति मिश्रा, इंदौर (Google reviews)
“मेरे करियर से संबंधित अनिश्चितताएँ थीं, लेकिन साहू जी ने हस्तरेखा देखकर मुझे सही मार्ग दिखाया। उनकी भविष्यवाणी ने मुझे जीवन में नई दिशा दी।”

नेहा वर्मा, जबलपुर (Google reviews)
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राहुल तिवारी, भोपाल (Google reviews)
“शादी की योजना बनाते समय कुंडली मिलान के लिए साहू जी से सलाह ली। उनके द्वारा किया गया कुंडली मिलान और दिए गए उपाय बेहद लाभकारी रहे।”

 मीनाक्षी जैन, उज्जैन (Google reviews)
“मैंने साहू जी से रत्न धारण करने की सलाह ली और उनके द्वारा सुझाए गए रत्न पहनने से मेरे जीवन में आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है। उनका ज्ञान अद्वितीय है।”

शिखा शर्मा, इंदौर (Google reviews)
“हमारे घर में लगातार हो रही परेशानियों के लिए एस्ट्रोलॉजर साहू जी से वास्तु सलाह ली। उनके उपाय और सुझावों ने हमारे घर की ऊर्जा में अद्भुत सुधार किया है। अब घर में शांति और सकारात्मकता है।”

राकेश वर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“मेरे व्यवसाय में समस्याएं आ रही थीं, तब एस्ट्रोलॉजर साहू जी से अंक ज्योतिष की सलाह ली। उनकी भविष्यवाणी और उपायों से मेरे व्यापार में तेजी से वृद्धि हुई। उनकी संख्या विद्या ने मेरे लिए सही निर्णय लेना आसान बना दिया।”

पूजा मिश्रा, भोपाल (Google reviews)
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शक्ति पीठ और आर्थिक उन्नति के ज्योतिषीय उपाय

भारत में शक्ति पीठों का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व अत्यधिक माना जाता है। यह वो स्थान हैं, जहाँ देवी सती के अंग गिरे थे और यहाँ पर देवी की विभिन्न रूपों में उपासना की जाती है। ज्योतिष के दृष्टिकोण से देखा जाए, तो शक्ति पीठों की यात्रा और वहाँ देवी की पूजा करना न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है बल्कि आर्थिक उन्नति के लिए भी बेहद लाभकारी होता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार आर्थिक उन्नति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए ग्रहों का सही संतुलन आवश्यक होता है, और वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब कोई ग्रह अशुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति के जीवन में धन की कमी, आर्थिक समस्याएं और वित्तीय अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है। शक्ति पीठों के माध्यम से देवी की उपासना से इन ग्रहों के दोषों का निवारण हो सकता है और आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।

शक्ति पीठों का महत्व और देवी की उपासना

शक्ति पीठ देवी के शक्तिरूप का प्रतीक होते हैं और यह स्थान देवी शक्ति की अत्यधिक ऊर्जा से ओतप्रोत होते हैं। देवी की उपासना करने से न केवल व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है, बल्कि भौतिक और आर्थिक स्थिति में भी सुधार आता है। व्यक्ति की कुंडली में जब ग्रह प्रतिकूल होते हैं, तो उसे आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में शक्ति पीठ की यात्रा और वहाँ की पूजा से आर्थिक समस्याओं का समाधान हो सकता है।

शक्ति पीठ और मुख्य देवी

शक्ति पीठों में विभिन्न रूपों में देवी की उपासना की जाती है। इन देवी रूपों का संबंध विशेष ग्रहों और उनके प्रभाव से होता है। यहाँ कुछ मुख्य शक्ति पीठों और उनकी ज्योतिषीय महत्व की चर्चा की जा रही है:

कामाख्या शक्ति पीठ (असम) और आर्थिक उन्नति

कामाख्या देवी का शक्ति पीठ असम के गुवाहाटी में स्थित है और यह शक्ति पीठ माँ कामाख्या को समर्पित है, जो शक्ति और समृद्धि की देवी मानी जाती हैं। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, यह शक्ति पीठ आर्थिक समस्याओं का समाधान करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

  • शुक्रवार के दिन कामाख्या देवी की पूजा करें।
  • देवी को सफेद पुष्प अर्पित करें और गुड़ का भोग लगाएं।
  • “ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं कामाख्यायै नमः” मंत्र का जाप करें।
  • कामाख्या मंदिर की यात्रा कर माँ के दर्शन करें और वहाँ पूजा करने से आर्थिक संकट दूर होते हैं और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

वैष्णो देवी शक्ति पीठ (जम्मू-कश्मीर) और धन वृद्धि

माँ वैष्णो देवी का मंदिर जम्मू-कश्मीर में स्थित है और मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह शक्ति पीठ आस्था और विश्वास का प्रतीक है। माँ वैष्णो देवी की उपासना करने से जीवन में धन और वैभव का आगमन होता है।

  • नवरात्रि के समय वैष्णो देवी की यात्रा करें और वहाँ धन प्राप्ति के लिए विशेष पूजा करवाएं।
  • माँ को नारियल और चुनरी अर्पित करें।
  • “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं वैष्णवयै नमः” मंत्र का जाप करें।
  • वैष्णो देवी के दर्शन करने से ग्रहों के दोष शांत होते हैं और आर्थिक स्थिति में उन्नति होती है।

 कालीघाट शक्ति पीठ (पश्चिम बंगाल) और आर्थिक स्थिरता

कालीघाट का शक्ति पीठ कोलकाता में स्थित है और यह माँ काली को समर्पित है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, माँ काली की उपासना से जीवन में स्थिरता और आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है।

  • शनि दोष या राहु-केतु के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए माँ काली की उपासना करें।
  • मंगलवार या शनिवार को कालीघाट मंदिर की यात्रा करें।
  • माँ काली को लाल वस्त्र और गुड़हल के फूल अर्पित करें।
  • “ॐ क्रीं कालिकायै नमः” मंत्र का जाप करें।
  • माँ काली की उपासना से व्यक्ति को अचानक धन लाभ होता है और आर्थिक स्थिरता प्राप्त होती है।

शक्ति पीठ और सप्त ग्रहों के आर्थिक दोष निवारण के उपाय

सूर्य ग्रह और आर्थिक उन्नति:

सूर्य ग्रह को आत्मा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। जब कुंडली में सूर्य कमजोर हो, तो व्यक्ति को आर्थिक उन्नति में बाधाएं आती हैं। सूर्य से संबंधित दोषों के निवारण के लिए देवी कात्यायनी की उपासना की जाती है।

उपाय: रविवार के दिन देवी कात्यायनी को लाल वस्त्र अर्पित करें और सूर्य को अर्घ्य दें। इससे आर्थिक स्थिति में सुधार होता है और समाज में मान-सम्मान प्राप्त होता है।

चंद्र ग्रह और धन की प्राप्ति:

चंद्रमा मन और भावनाओं का प्रतीक है। जब चंद्रमा अशुभ होता है, तो व्यक्ति की मानसिक स्थिति खराब हो जाती है, जिससे वह सही निर्णय नहीं ले पाता। इसके लिए देवी महागौरी की उपासना करनी चाहिए।

उपाय: सोमवार के दिन सफेद वस्त्र पहनें और देवी महागौरी को सफेद पुष्प चढ़ाएं। इससे मन शांत होता है और आर्थिक निर्णयों में लाभ प्राप्त होता है।

मंगल ग्रह और वित्तीय सफलता:

मंगल साहस और ऊर्जा का प्रतीक है। जब मंगल दोष होता है, तो व्यक्ति को भूमि से जुड़े विवाद और धन हानि का सामना करना पड़ता है। देवी चामुंडा की उपासना से मंगल दोष समाप्त होता है।

उपाय: मंगलवार को देवी चामुंडा की पूजा करें और गुड़ और मसूर की दाल का दान करें। इससे भूमि से जुड़े कार्यों में सफलता मिलती है और धन की वृद्धि होती है।

बुध ग्रह और व्यापारिक उन्नति:

बुध ग्रह बुद्धि और व्यापार का कारक है। बुध ग्रह के दोषों के निवारण के लिए देवी ब्रह्मचारिणी की उपासना करनी चाहिए।

उपाय: बुधवार के दिन हरे वस्त्र पहनें और देवी ब्रह्मचारिणी को हरे मूंग का दान करें। इससे व्यापार में लाभ प्राप्त होता है और आर्थिक स्थिति मजबूत होती है।

गुरु ग्रह और धन लाभ:

गुरु ग्रह धन, संतान, और धार्मिकता का प्रतीक है। जब गुरु अशुभ होता है, तो व्यक्ति को धन की कमी होती है। देवी बगलामुखी की उपासना से गुरु दोष दूर होता है।

उपाय: बृहस्पतिवार के दिन पीले वस्त्र पहनें और देवी बगलामुखी को बेसन के लड्डू का भोग लगाएं। इससे धन लाभ होता है और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है।

शुक्र ग्रह और भौतिक सुख-सुविधाएं:

शुक्र ग्रह भौतिक सुख-सुविधाओं और वैभव का प्रतीक है। जब शुक्र कमजोर होता है, तो व्यक्ति को धन और वैभव की हानि होती है। देवी लक्ष्मी की उपासना से शुक्र के दोषों का निवारण होता है।

उपाय: शुक्रवार के दिन देवी लक्ष्मी को सफेद पुष्प अर्पित करें और “ॐ श्रीं लक्ष्म्यै नमः” मंत्र का जाप करें। इससे भौतिक सुख-सुविधाएं और धन की वृद्धि होती है।

शनि ग्रह और आर्थिक संकट निवारण

शनि ग्रह कर्म और संघर्ष का कारक है। जब शनि अशुभ होता है, तो व्यक्ति को आर्थिक समस्याएं और धन की कमी होती है। देवी काली की उपासना से शनि दोष दूर होता है।

उपाय: शनिवार के दिन देवी काली को काले वस्त्र अर्पित करें और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। इससे शनि ग्रह की कृपा प्राप्त होती है और आर्थिक संकट दूर होते हैं।

शक्ति पीठों की यात्रा और देवी की उपासना न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यधिक लाभकारी है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार शक्ति पीठों में देवी की पूजा और मंत्र जाप से आर्थिक समस्याओं का निवारण होता है और व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आती है। ग्रहों के दोषों के निवारण के लिए शक्ति पीठों का महत्व असीम है, और यहाँ की देवी उपासना व्यक्ति के जीवन में धन, वैभव, और समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करती है।

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TESTIMONIALS

दीपक तिवारी, इंदौर (Google reviews)
“बिजनेस में अस्थिरता के कारण परेशान था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी के मार्गदर्शन से अब व्यवसाय में स्थिरता और मुनाफा बढ़ रहा है। उनकी सलाह से बड़ा लाभ हुआ।”

 आराधना मिश्रा, उज्जैन (Google reviews)
“संतान प्राप्ति में दिक्कतों का सामना कर रही थी। साहू जी के उपाय और पूजा पद्धति से हमें सकारात्मक परिणाम मिले। उनका आभार व्यक्त करने के लिए शब्द कम हैं।”

  राजेश चौहान, देवास (Google reviews)
“मेरे रिश्तों में लगातार तनाव था। साहू जी ने मुझे कुछ आसान उपाय बताए, जिनसे मेरे रिश्ते फिर से मधुर हो गए हैं। उनका मार्गदर्शन अतुलनीय है।”

  कविता शुक्ला, इंदौर (Google reviews)
“आर्थिक रूप से लगातार संघर्ष कर रही थी। साहू जी की सलाह और उपायों ने मेरी आर्थिक स्थिति में सुधार किया। अब मेरी आय में स्थिरता आ गई है।”

  विकास वर्मा, ग्वालियर (Google reviews)
“मेरे जीवन में अनचाहे उतार-चढ़ाव हो रहे थे। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की कुंडली के अनुसार किए गए उपायों ने मुझे जीवन में स्थिरता और शांति दी है।”

  प्रणव जोशी, भोपाल (Google reviews)
“कार्यक्षेत्र में हो रही समस्याओं को लेकर साहू जी से संपर्क किया। उनकी सलाह से न केवल समस्याओं का समाधान हुआ, बल्कि प्रमोशन भी मिला।”

  निशा शर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“मेरे वैवाहिक जीवन में कुछ कठिनाइयाँ थीं, जिन्हें साहू जी की कुंडली मिलान की सलाह ने हल किया। उनके उपायों से मेरे रिश्ते में समझ और प्यार बढ़ा है।”

  अनुज तिवारी, मंदसौर (Google reviews)
“कुंडली दोष के कारण करियर में कई रुकावटें आ रही थीं। साहू जी के सटीक उपायों से अब करियर में तेजी से उन्नति हो रही है।”

  साक्षी सिंह, रतलाम (Google reviews)
“बेटी की शादी के लिए कुंडली मिलान के लिए साहू जी से संपर्क किया। उनकी सटीक भविष्यवाणियों और उपायों ने हमें बहुत राहत दी और शादी सुखद रही।”

  राकेश पांडे, इंदौर (Google reviews)
“मैं लंबे समय से किसी भी काम में सफलता नहीं पा रहा था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी के बताई हुई रत्न धारण करने की सलाह से जीवन में उन्नति हो रही है।”