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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: ज्योतिषीय दृष्टकोण से महिमा और महत्व

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के प्राचीन और पवित्र मंदिरों में से एक है। यह ज्योतिर्लिंग उज्जैन, मध्य प्रदेश में स्थित है, इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार जिसे भगवान शिव का सबसे प्रमुख और शक्तिशाली रूप माना जाता है। महाकालेश्वर की महिमा इतनी अधिक है कि यह न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है। महाकाल का आशीर्वाद जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि लाता है।इस ब्लॉग में, हम महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की महत्ता, उसकी धार्मिक पृष्ठभूमि और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इसे कैसे देखा जाता है, इस पर गहराई से चर्चा करेंगे।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का पौराणिक महत्व

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का उल्लेख अनेक पुराणों और वेदों में मिलता है। इसे भगवान शिव के तीन प्रमुख रूपों में से एक माना गया है। पुराणों के अनुसार, एक बार उज्जैन में एक ब्राह्मण परिवार भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। एक राक्षस, दूषण, उस परिवार को परेशान करने लगा और उनकी तपस्या भंग करने का प्रयास किया। इस पर भगवान शिव ने स्वयं प्रकट होकर उस राक्षस का वध किया और वहीं ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। इसलिए, महाकालेश्वर को काल (समय) का भी अधिपति माना जाता है, जो हर प्रकार के काल पर विजय प्राप्त करने की शक्ति रखते हैं।

ज्योतिष के अनुसार, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में विशेष तौर पर काल और समय की महत्ता को प्रभावित करता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यदि किसी की कुंडली में कालसर्प दोष, पितृ दोष, शनि दोष या मंगल दोष हो, तो महाकालेश्वर की पूजा करने से इन दोषों का निवारण होता है। महाकाल की आराधना से जातक को ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है और शांति व सुख की प्राप्ति होती है।

कालसर्प दोष का निवारण:

कालसर्प दोष उन लोगों की कुंडली में होता है जिनकी जन्मकुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं। इस दोष से जातक को जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से इस दोष के निवारण के लिए अत्यंत प्रभावी मानी जाती है। उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष की शांति के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं, जिससे जातक को इस दोष से मुक्ति मिलती है।

शनि दोष और महाकालेश्वर:

शनि का अशुभ प्रभाव जीवन में अनेक बाधाएँ उत्पन्न करता है, जैसे कि नौकरी में समस्याएँ, व्यापार में हानि, पारिवारिक तनाव, और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ। महाकालेश्वर की आराधना और अभिषेक से शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाई जा सकती है। उज्जैन, जिसे शिव की नगरी भी कहा जाता है, में शनि और महाकाल की संयुक्त आराधना से विशेष लाभ मिलता है। महाकालेश्वर मंदिर में शनि दोष निवारण के लिए विशेष अनुष्ठान आयोजित होते हैं, जिससे जातक को शनि की शांति प्राप्त होती है।

मंगल दोष का शमन:

ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह का अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। यदि किसी की कुंडली में मंगल दोष हो, तो उसे वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। महाकालेश्वर की पूजा से इस दोष का निवारण होता है। महाकाल की कृपा से व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है, और मंगल के दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं। उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में विशेष रूप से मंगल दोष की शांति के लिए पूजा की जाती है, जिससे जातक को लाभ मिलता है।

पितृ दोष का निवारण:

पितृ दोष उन लोगों की कुंडली में होता है जिनके पूर्वजों की आत्माएँ संतुष्ट नहीं होतीं। इसका कारण पूर्वजों की आत्माओं को उचित तर्पण न मिलना होता है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा से पितृ दोष का शमन होता है। उज्जैन, जिसे मोक्ष नगरी कहा जाता है, में पितृ दोष निवारण के लिए विशेष पूजा की जाती है। महाकालेश्वर की पूजा से पितरों की आत्माओं को शांति मिलती है और जातक को इस दोष से मुक्ति प्राप्त होती है।

महाकाल की पूजा से मिलने वाले लाभ

महाकालेश्वर की पूजा और अभिषेक करने से जातक को कई प्रकार के लाभ होते हैं। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से ये लाभ विशेष रूप से ग्रहों के दोषों को शांति प्रदान करते हैं। महाकाल की कृपा से व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन, वैवाहिक सुख और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। आइए, महाकालेश्वर की पूजा से मिलने वाले प्रमुख लाभों पर नजर डालें:

स्वास्थ्य में सुधार:

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव से स्वास्थ्य समस्याएँ हो रही हों, तो महाकालेश्वर की पूजा से इन समस्याओं का समाधान होता है। महाकाल के आशीर्वाद से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार प्राप्त होता है। विशेष रूप से शनि और मंगल ग्रह के कारण उत्पन्न रोगों का निवारण होता है।

धन और समृद्धि:

महाकालेश्वर की कृपा से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यदि किसी की कुंडली में राहु या केतु के प्रभाव से आर्थिक समस्याएँ हो रही हों, तो महाकाल की पूजा से इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव समाप्त होते हैं और आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।

वैवाहिक जीवन में सुख:

महाकालेश्वर की पूजा मंगल दोष और शनि दोष का निवारण करने में सहायक होती है। इसके साथ ही वैवाहिक जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान भी होता है। जो लोग विवाह में देरी या वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना कर रहे होते हैं, उन्हें महाकाल की आराधना से विशेष लाभ होता है।

ग्रह दोषों का शमन:

महाकालेश्वर की पूजा के माध्यम से जातक के जीवन से विभिन्न ग्रह दोषों का शमन होता है। राहु, केतु, शनि, मंगल आदि ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है, जिससे जातक के जीवन में शांति और स्थिरता आती है। उज्जैन में महाकाल मंदिर में ग्रह दोष शांति के लिए अनेक प्रकार की पूजा और अनुष्ठान आयोजित होते हैं, जिनसे जातक को विशेष लाभ मिलता है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा विधि

महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से सोमवार को की जाती है, क्योंकि सोमवार भगवान शिव का प्रिय दिन माना जाता है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा विधि में जल, दूध, शहद, चंदन, और बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। इसके साथ ही महामृत्युंजय मंत्र और रुद्राष्टक का पाठ किया जाता है। उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर में विशेष रूप से महाकाल की भस्म आरती की जाती है, जो सुबह ब्रह्म मुहूर्त में होती है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं।

महाकाल की आराधना के ज्योतिषीय मंत्र

महाकाल की पूजा के समय कुछ विशेष ज्योतिषीय मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जिससे व्यक्ति को ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है और महाकाल की कृपा प्राप्त होती है। यहाँ कुछ प्रमुख मंत्र दिए गए हैं:

महामृत्युंजय मंत्र: “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”

यह मंत्र जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है।

शिव पंचाक्षर मंत्र: “ॐ नमः शिवाय”

यह मंत्र शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यधिक प्रभावी होता है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अतुलनीय है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार महाकाल की आराधना से जातक को जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है और ग्रहों के दोष समाप्त होते हैं। महाकाल का आशीर्वाद हर प्रकार के समय और काल पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करता है।महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और जो भी भक्त सच्चे मन से महाकाल की आराधना करता है, उसे जीवन में समृद्धि, शांति, और सफलता अवश्य प्राप्त होती है।

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मंगला गौरी देवी शक्तिपीठ का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

भारत के पवित्र 52 शक्तिपीठों में से एक मंगला गौरी देवी का मंदिर अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति का स्थान है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इस शक्तिपीठ का संबंध देवी सती के अंगों के गिरने से है, जो देवी शक्ति की अद्वितीयता और उनकी असीम कृपा को दर्शाता है। देवी मंगला गौरी को सौभाग्य, समृद्धि और सुख-शांति की देवी माना जाता है, और इस शक्तिपीठ का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान है।

मंगला गौरी देवी का धार्मिक महत्व

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह किया, तब भगवान शिव ने उनके मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड में भ्रमण किया। इस दौरान, भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर के टुकड़े किए, जो पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर गिरे। इन्हीं स्थानों को 52 शक्तिपीठों के रूप में पूजा जाता है। मंगला गौरी देवी शक्तिपीठ वह स्थान है जहां देवी सती के स्तन गिरे थे।

इस शक्तिपीठ में देवी मंगला गौरी की पूजा विशेष रूप से महिलाएं करती हैं, जो सौभाग्य, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में शांति की कामना करती हैं। माना जाता है कि मंगला गौरी की कृपा से महिलाओं को वैवाहिक सुख प्राप्त होता है, और उनकी संतान व पति के जीवन में भी सुख-शांति बनी रहती है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए, जिनके वैवाहिक जीवन में समस्याएं आ रही हों, मंगला गौरी देवी की पूजा अत्यधिक फलदायी मानी जाती है।

मंगला गौरी व्रत का महत्व

मंगला गौरी व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत मुख्य रूप से श्रावण महीने में मंगलवार को किया जाता है, और इस व्रत को करने वाली महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत का पालन करने से महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन में प्रेम, सम्मान और स्थिरता बनाए रख सकती हैं। जिन महिलाओं की कुंडली में वैवाहिक जीवन से संबंधित ग्रहों की स्थिति कमजोर होती है, उन्हें मंगला गौरी व्रत का पालन करने से विशेष लाभ मिलता है।

मंगला गौरी देवी का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष शास्त्र में मंगला गौरी देवी की पूजा और उनके शक्तिपीठ का विशेष महत्व है। यह शक्तिपीठ मुख्य रूप से वैवाहिक जीवन, संतान सुख और धन-समृद्धि से संबंधित ग्रहों की समस्याओं को दूर करने में सहायक मानी जाती है। जिन जातकों की कुंडली में मंगल, शुक्र या चंद्रमा अशुभ स्थिति में होते हैं, उनके लिए मंगला गौरी देवी की आराधना अत्यधिक लाभकारी होती है।

मंगल ग्रह के दोषों का निवारण:

मंगल ग्रह को ज्योतिष में साहस, उर्जा, क्रोध और कार्यक्षमता का प्रतीक माना जाता है। जिन जातकों की कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें वैवाहिक जीवन में समस्याएं, संतान सुख में कमी और शारीरिक स्वास्थ्य में अवरोधों का सामना करना पड़ सकता है। मंगला गौरी देवी की पूजा विशेष रूप से मंगल दोष को शांत करने में सहायक होती है। मंगल की महादशा या अंतर्दशा के दौरान मंगला गौरी देवी की आराधना से व्यक्ति को मानसिक शांति, वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार मिलता है।

शुक्र ग्रह के दोषों का निवारण:

शुक्र ग्रह भोग, वैवाहिक जीवन, सौंदर्य और धन-समृद्धि का प्रतीक है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र कमजोर होता है, तो उसे जीवन में वैवाहिक समस्याओं, प्रेम संबंधों में दरार और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मंगला गौरी देवी की आराधना शुक्र ग्रह के दोषों को शांत करने में अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है। शुक्र की महादशा के दौरान देवी की पूजा से जीवन में प्रेम, सौंदर्य और धन की वृद्धि होती है।

चंद्र ग्रह का प्रभाव:

चंद्रमा मन, मस्तिष्क और मानसिक शांति का कारक होता है। अगर चंद्रमा अशुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति को मानसिक अशांति, तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मंगला गौरी देवी की पूजा चंद्र दोष को शांत करने और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए लाभकारी होती है।

वैवाहिक जीवन में शांति और सुख-समृद्धि

मंगला गौरी देवी की पूजा वैवाहिक जीवन में शांति और स्थिरता प्राप्त करने के लिए की जाती है। जिन जातकों के वैवाहिक जीवन में लगातार समस्याएं आ रही हों, उन्हें मंगला गौरी देवी की आराधना से अत्यधिक लाभ मिलता है। यह माना जाता है कि देवी की कृपा से दांपत्य जीवन में प्रेम, सामंजस्य और स्थिरता आती है। देवी मंगला गौरी को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, और उनकी आराधना से पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है।

संतान सुख की प्राप्ति

जिन महिलाओं को संतान प्राप्ति में बाधाएं आ रही हों, उनके लिए मंगला गौरी देवी की पूजा विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है। यह शक्तिपीठ उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है जो संतान सुख की कामना करती हैं। मंगला गौरी देवी की कृपा से संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और संतान के जीवन में सुख-शांति आती है।

मंगला गौरी पूजा विधि

मंगला गौरी की पूजा विशेष रूप से मंगलवार के दिन की जाती है। पूजा विधि में निम्नलिखित सामग्री का प्रयोग किया जाता है:

  • लाल वस्त्र और फूल
  • चावल, हल्दी और कुमकुम
  • धूप, दीप और नैवेद्य (फल और मिठाई)

मंगलवार के दिन मंगला गौरी देवी के मंत्रों का जाप करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। निम्नलिखित मंत्रों का जाप विशेष रूप से मंगल और शुक्र दोषों को शांत करने के लिए किया जाता है:

मंगला गौरी देवी मंत्र:
“ॐ मंगले मंगला गौरी नमः”
इस मंत्र का जाप 108 बार करने से वैवाहिक जीवन में शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

शुक्र ग्रह दोष निवारण मंत्र:
“ॐ शुक्राय नमः”
इस मंत्र का जाप शुक्र ग्रह के दोषों को शांत करने के लिए किया जाता है।

मंगल ग्रह दोष निवारण मंत्र:
“ॐ मंगलाय नमः”
इस मंत्र का जाप मंगल दोष के निवारण के लिए किया जाता है।

मंगला गौरी देवी शक्तिपीठ का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह शक्तिपीठ देवी की विशेष कृपा और आशीर्वाद का स्थल है, जहां भक्तगण अपने जीवन की समस्याओं का समाधान प्राप्त करते हैं। मंगला गौरी देवी की आराधना विशेष रूप से वैवाहिक जीवन, संतान सुख और ग्रहों के दोषों को शांत करने में सहायक मानी जाती है। देवी की कृपा से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और संतुलन आता है, और भक्तों को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

आपके तारे में आपका स्वागत है. जान‍िए ज्योतिष के अनुसार आज रखना है क‍िन बातों का ध्यान. कौन-सा रंग,अंक रहेगा आपके ल‍िए शुभ और द‍िन को बेहतर बनाने के ल‍िए करना होगा कौन सा उपाय. …

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TESTIMONIALS

  राजेश चौहान, देवास (Google reviews)
“मेरे रिश्तों में लगातार तनाव था। साहू जी ने मुझे कुछ आसान उपाय बताए, जिनसे मेरे रिश्ते फिर से मधुर हो गए हैं। उनका मार्गदर्शन अतुलनीय है।”

  कविता शुक्ला, इंदौर (Google reviews)
“आर्थिक रूप से लगातार संघर्ष कर रही थी। साहू जी की सलाह और उपायों ने मेरी आर्थिक स्थिति में सुधार किया। अब मेरी आय में स्थिरता आ गई है।”

  विकास वर्मा, ग्वालियर (Google reviews)
“मेरे जीवन में अनचाहे उतार-चढ़ाव हो रहे थे। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की कुंडली के अनुसार किए गए उपायों ने मुझे जीवन में स्थिरता और शांति दी है।”

  प्रणव जोशी, भोपाल (Google reviews)
“कार्यक्षेत्र में हो रही समस्याओं को लेकर साहू जी से संपर्क किया। उनकी सलाह से न केवल समस्याओं का समाधान हुआ, बल्कि प्रमोशन भी मिला।”

  निशा शर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“मेरे वैवाहिक जीवन में कुछ कठिनाइयाँ थीं, जिन्हें साहू जी की कुंडली मिलान की सलाह ने हल किया। उनके उपायों से मेरे रिश्ते में समझ और प्यार बढ़ा है।”

  अनुज तिवारी, मंदसौर (Google reviews)
“कुंडली दोष के कारण करियर में कई रुकावटें आ रही थीं। साहू जी के सटीक उपायों से अब करियर में तेजी से उन्नति हो रही है।”

  साक्षी सिंह, रतलाम (Google reviews)
“बेटी की शादी के लिए कुंडली मिलान के लिए साहू जी से संपर्क किया। उनकी सटीक भविष्यवाणियों और उपायों ने हमें बहुत राहत दी और शादी सुखद रही।”

  राकेश पांडे, इंदौर (Google reviews)
“मैं लंबे समय से किसी भी काम में सफलता नहीं पा रहा था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी के बताई हुई रत्न धारण करने की सलाह से जीवन में उन्नति हो रही है।”

  विनोद चौधरी, उज्जैन (Google reviews)
“साहू जी ने मेरे भविष्य के बारे में जो बताया, वो पूरी तरह से सही साबित हुआ। उनके दिए गए रत्न पहनने से मेरे जीवन में नई ऊर्जा आई है।”

  सुजाता वर्मा, भोपाल (Google reviews)
“संतान के जन्म में आ रही अड़चनों को लेकर हमने साहू जी से संपर्क किया। उनकी सटीक भविष्यवाणी और उपायों से हमें बहुत लाभ हुआ और हमारे परिवार में खुशी आई।”