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ज्योतिष के अनुसार परीक्षा में सफलता के लिए समय मूहूर्त

ज्योतिष में मूहूर्त का विशेष महत्व है। मूहूर्त, किसी शुभ कार्य को आरंभ करने के लिए सही समय का निर्धारण करने की विद्या है, जिससे कार्य सफलता की ओर अग्रसर हो। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार जब बात परीक्षा में सफलता की हो, तो मूहूर्त का सही चयन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह केवल कर्म और मेहनत के साथ नहीं जुड़ा होता, बल्कि ग्रहों की स्थिति और समय का सही तालमेल बनाने से भी जुड़ा होता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि ज्योतिष के अनुसार परीक्षा में सफलता के लिए मूहूर्त निर्धारण कैसे किया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब कोई कार्य शुभ मूहूर्त में किया जाता है, तो उसमें सफलता की संभावनाएँ अधिक होती हैं। मूहूर्त के लिए पंचांग और ग्रहों की स्थिति का विशेष ध्यान रखा जाता है। यह प्रक्रिया केवल साधारण शुभ-अशुभ समय निर्धारण से आगे जाती है। जब छात्र अपनी परीक्षा की तैयारी शुरू करते हैं या परीक्षा के दिन की योजना बनाते हैं, तो मूहूर्त का चयन उनकी मेहनत के साथ मिलकर सफलता के रास्ते खोल सकता है।शुभ मूहूर्त का मतलब है वह समय जब ग्रहों की स्थिति अनुकूल हो, विशेष रूप से बुद्धि, विद्या और निर्णय क्षमता के कारक ग्रह, जैसे बुध और बृहस्पति की। इस समय किए गए प्रयास अधिक फलीभूत होते हैं।

  पंचांग और ग्रहों की स्थिति

पंचांग में दिन के शुभ-अशुभ समय का विवरण होता है। मूहूर्त का निर्धारण पंचांग में दिए गए पांच अंगों (तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण) के आधार पर किया जाता है। इन पाँचों अंगों का सही तालमेल परीक्षा के लिए शुभ मूहूर्त तय करता है।

  • तिथि: तिथि का महत्व परीक्षा में मानसिक और शारीरिक ऊर्जा के लिए होता है। द्वितीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, और त्रयोदशी तिथियाँ विशेष रूप से शुभ मानी जाती हैं।
  • वार: वार भी मूहूर्त में अहम भूमिका निभाता है। बुधवार और गुरुवार बुद्धि और विद्या के लिए शुभ माने जाते हैं। शुक्रवार भी सामान्यतः छात्रों के लिए अनुकूल माना जाता है।
  • नक्षत्र: परीक्षा की तैयारी शुरू करने या परीक्षा देने से पहले अश्विनी, पुष्य, हस्त, और मृगशिरा जैसे नक्षत्र शुभ होते हैं। ये नक्षत्र आपकी एकाग्रता और ज्ञान में वृद्धि करते हैं।
  • योग और करण: स्थिर और सिद्ध योग मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करते हैं, जो परीक्षा के समय अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं।

  ग्रहों की स्थिति

ग्रहों की स्थिति का निर्धारण आपकी कुंडली में ग्रहों के स्थान पर आधारित होता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार बुध ग्रह को शिक्षा और बुद्धि का कारक माना जाता है, इसलिए बुध की स्थिति का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए। बुध यदि मजबूत स्थिति में हो, तो यह अध्ययन में सफलता और त्वरित निर्णय क्षमता प्रदान करता है।

  • बुध और बृहस्पति: बुध ग्रह शिक्षा का कारक है, जबकि बृहस्पति ज्ञान और बुद्धिमत्ता का। इन ग्रहों की अनुकूल स्थिति मूहूर्त में सफलता की संभावना को बढ़ाती है।
  • चंद्रमा: परीक्षा के दिन चंद्रमा का शुभ स्थिति में होना आवश्यक है। चंद्रमा की मानसिक स्थिति पर सीधा प्रभाव होता है। अगर चंद्रमा शुभ भाव में है, तो छात्र अधिक एकाग्रता और आत्मविश्वास के साथ परीक्षा दे सकते हैं।

  लग्न और लग्नेश

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से लग्न और लग्नेश का समय भी परीक्षा के मूहूर्त निर्धारण में अहम भूमिका निभाता है। जब परीक्षा के समय का निर्धारण किया जाता है, तो यह सुनिश्चित किया जाता है कि लग्न का स्वामी शुभ ग्रहों के प्रभाव में हो। यह मूहूर्त परीक्षा के दौरान आत्मविश्वास, मानसिक शांति और सफलता प्रदान करता है।

  परीक्षा में सफलता के लिए ज्योतिषीय उपाय

केवल मूहूर्त निर्धारण ही नहीं, बल्कि परीक्षा में सफलता के लिए कुछ ज्योतिषीय उपाय भी महत्वपूर्ण होते हैं। यह उपाय आपके ग्रहों को अनुकूल बनाने और परीक्षा के दौरान मानसिक शांति और एकाग्रता बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।

   बुध ग्रह को मजबूत करना

चूंकि बुध ग्रह शिक्षा और बुद्धि का कारक है, बुध को मजबूत करना परीक्षा में सफलता के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। बुध को मजबूत करने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:

  • बुधवार के दिन हरे रंग के वस्त्र पहनें और बुध ग्रह का मंत्र “ॐ बुं बुधाय नमः” का जाप करें।
  • गणेश जी की पूजा करें, क्योंकि गणेश जी बुध ग्रह के स्वामी माने जाते हैं।
  • हरी मूंग की दाल का दान करें और हरे रंग की चीजें बुधवार को गरीबों में बांटें।

 बृहस्पति ग्रह को मजबूत करना

बृहस्पति ज्ञान का ग्रह है, इसलिए इसे अनुकूल करने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं:

  • गुरुवार के दिन पीले वस्त्र पहनें और बृहस्पति के मंत्र “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” का जाप करें।
  • पीले रंग का भोजन जैसे बेसन के लड्डू, केले आदि गुरुवार को दान करें।
  • बृहस्पति की प्रसन्नता के लिए गुरुवार को व्रत रखें और पीपल के पेड़ की पूजा करें।

  चंद्रमा को मजबूत करना

चंद्रमा की स्थिति परीक्षा के समय अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह मानसिक स्थिति को नियंत्रित करता है। चंद्रमा को अनुकूल बनाने के लिए निम्न उपाय किए जा सकते हैं:

  • सोमवार को सफेद वस्त्र पहनें और चंद्रमा के मंत्र “ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः” का जाप करें।
  • चावल, दूध, और चीनी का दान करें।
  • मानसिक शांति के लिए ओम का उच्चारण करें और नियमित ध्यान करें।

  परीक्षा के दिन का मूहूर्त निर्धारण

परीक्षा के दिन का मूहूर्त भी अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। परीक्षा के समय को देखते हुए शुभ मूहूर्त का निर्धारण करना सफलता की संभावना को बढ़ाता है।

  • सुबह का समय:
  • प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त (4:00 AM से 6:00 AM) का समय शास्त्रों में सर्वोत्तम माना गया है। साहू जी के अनुसार इस समय अध्ययन करना और महत्वपूर्ण कार्य करना विशेष लाभकारी होता है। यदि परीक्षा प्रातःकाल हो, तो ब्रह्म मुहूर्त का उपयोग अवश्य करें।
  • दोपहर का समय: सूर्य के उदय से लेकर मध्याह्न तक का समय भी परीक्षा के लिए शुभ माना जाता है। इस समय में बुध और बृहस्पति के प्रभाव अधिक मजबूत होते हैं, जो आपकी बुद्धि और ज्ञान को तीव्र करते हैं।

  परीक्षा में आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए ज्योतिषीय उपाय

  • मंत्र जाप: परीक्षा से पहले ‘सारस्वत्य मंत्र’ या ‘गणेश मंत्र’ का जाप करें। यह आपकी मानसिक स्थिति को सकारात्मक और शांत बनाए रखेगा।
  • व्रत और उपवास: यदि संभव हो तो बुध और गुरुवार को व्रत रखें, यह बुध और बृहस्पति की अनुकूलता को बढ़ाएगा।
  • रुद्राक्ष धारण: विद्यार्थी 4 मुखी या 5 मुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं, जो मानसिक शांति और ज्ञान में वृद्धि करता है।

 कुंडली का विश्लेषण और उपाय

हर छात्र की कुंडली में ग्रहों की स्थिति अलग होती है, इसलिए कुंडली का विश्लेषण कर व्यक्तिगत उपायों का निर्धारण किया जा सकता है। कुंडली में चतुर्थ भाव और पंचम भाव विशेष रूप से शिक्षा और परीक्षा के कारक होते हैं। इन भावों में स्थित ग्रहों की स्थिति के आधार पर उपाय किए जा सकते हैं।

  • चतुर्थ भाव: यह भाव शिक्षा और अध्ययन से संबंधित होता है। यदि चतुर्थ भाव में अशुभ ग्रह स्थित हैं, तो उसका उपाय करना चाहिए।
  • पंचम भाव: यह भाव बुद्धि और निर्णय क्षमता से जुड़ा होता है। पंचम भाव के ग्रहों की अनुकूलता परीक्षा में सफलता की संभावना को बढ़ाती है।

ज्योतिष के अनुसार, परीक्षा में सफलता के लिए मूहूर्त का सही निर्धारण अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार पंचांग, ग्रहों की स्थिति, और कुंडली के आधार पर सही मूहूर्त का चयन किया जाए तो सफलता की संभावनाएँ कई गुना बढ़ जाती हैं। इसके साथ ही ग्रहों की अनुकूलता के लिए उपायों का पालन भी जरूरी है। ये उपाय और मूहूर्त निर्धारण आपकी मेहनत और लगन के साथ मिलकर आपको परीक्षा में सफलता दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

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TESTIMONIALS

  ज्योति मिश्रा, इंदौर (Google reviews)
“मेरे करियर से संबंधित अनिश्चितताएँ थीं, लेकिन साहू जी ने हस्तरेखा देखकर मुझे सही मार्ग दिखाया। उनकी भविष्यवाणी ने मुझे जीवन में नई दिशा दी।”

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  राहुल तिवारी, भोपाल (Google reviews)
“शादी की योजना बनाते समय कुंडली मिलान के लिए साहू जी से सलाह ली। उनके द्वारा किया गया कुंडली मिलान और दिए गए उपाय बेहद लाभकारी रहे।”

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“मैंने साहू जी से रत्न धारण करने की सलाह ली और उनके द्वारा सुझाए गए रत्न पहनने से मेरे जीवन में आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है। उनका ज्ञान अद्वितीय है।”

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“मेरे करियर में समस्याओं को लेकर मैंने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से कुंडली परामर्श लिया। उनके सटीक भविष्यवाणी और उपायों से मेरा करियर नई ऊँचाइयों पर पहुँच रहा है।”

  आनंद गुप्ता, उज्जैन (Google reviews)
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 गीतांजलि वर्मा, भोपाल (Google reviews)
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अचल संपत्ति खरीदने के लिए शुभ मूहूर्त ज्योतिषीय उपाय

अचल संपत्ति खरीदना जीवन के सबसे महत्वपूर्ण निवेशों में से एक है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह न केवल आर्थिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आपके भविष्य को भी प्रभावित कर सकता है। सही समय पर संपत्ति खरीदने का निर्णय आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। इस ब्लॉग में हम अचल संपत्ति खरीदने के लिए शुभ मूहूर्त और इसके ज्योतिषीय गणना पर विस्तार से चर्चा करेंगे।अचल संपत्ति का अर्थ है स्थायी संपत्ति जैसे कि जमीन, घर, फ्लैट, वाणिज्यिक संपत्ति आदि।

आर्थिक सुरक्षा: अचल संपत्ति खरीदने से आपको एक स्थिर आय का स्रोत मिल सकता है। यह आपके भविष्य के लिए आर्थिक सुरक्षा प्रदान करता है।

आधिकारिक संपत्ति: अचल संपत्ति एक ऐसा निवेश है जो आपकी वित्तीय स्थिति को सुदृढ़ बनाता है और आपको आधिकारिक संपत्ति का मालिक बनाता है।

मूल्य वृद्धि: समय के साथ संपत्ति के मूल्य में वृद्धि होती है, जिससे आपको बेहतर रिटर्न प्राप्त हो सकता है।

सामाजिक स्थिति: एक अच्छी संपत्ति आपके सामाजिक मान-सम्मान को बढ़ा सकती है और आपको समाज में उच्च स्थान दिला सकती है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से शुभ मूहूर्त का महत्व

ज्योतिष में मूहूर्त का विशेष महत्व होता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार मूहूर्त का अर्थ है “सही समय”। किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को शुभ समय में करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। अचल संपत्ति खरीदने के लिए शुभ मूहूर्त का चयन करने से आपको निम्नलिखित लाभ मिल सकते हैं:

सकारात्मक ऊर्जा: शुभ मूहूर्त में संपत्ति खरीदने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जो आपके निवेश को सफल बना सकता है।

विपत्ति से बचाव: सही समय पर किया गया निवेश आपको भविष्य में आने वाली विपत्तियों से बचा सकता है।

आर्थिक लाभ: शुभ मूहूर्त में किया गया निवेश आपके लिए बेहतर आर्थिक लाभ लेकर आ सकता है।

सुख-शांति: शुभ समय पर संपत्ति खरीदने से आपको मानसिक शांति और संतोष मिलता है, जिससे आपके जीवन में सुख और समृद्धि आती है।

शुभ मूहूर्त का चयन

शुभ मूहूर्त का चयन करने के लिए निम्नलिखित बिंदुओं का ध्यान रखें:

  पंचांग का अध्ययन

पंचांग एक हिंदू ज्योतिषीय कैलेंडर है, जो तिथियों, नक्षत्रों और योगों का विवरण देता है। पंचांग में निम्नलिखित का ध्यान रखें:

  • तिथि: शुभ तिथियाँ जैसे प्रतिपदा, द्वादशी, त्रयोदशी आदि को चुनें।
  • वार: रविवार, बुधवार और शुक्रवार को संपत्ति खरीदना अधिक शुभ माना जाता है।
  • नक्षत्र: अंशु, रेवती, और उत्तरा फाल्गुनी जैसे शुभ नक्षत्रों का चुनाव करें।

 ग्रह स्थिति

ग्रहों की स्थिति और उनके प्रभाव का भी मूहूर्त चयन में महत्वपूर्ण स्थान होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब ग्रह सकारात्मक स्थिति में होते हैं, तो संपत्ति खरीदना लाभकारी हो सकता है। निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

  • शुक्र ग्रह: यह ग्रह धन और भौतिक सुख का प्रतिनिधित्व करता है। जब शुक्र शुभ स्थिति में हो, तो संपत्ति खरीदना लाभकारी होता है।
  • बुध ग्रह: बुध व्यापार और वाणिज्य का ग्रह है। जब यह ग्रह सकारात्मक स्थिति में हो, तो संपत्ति खरीदना बेहतर होता है।
  • गुरु ग्रह: गुरु शुभता और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करता है। गुरु की शुभ स्थिति भी संपत्ति खरीदने के लिए अच्छा संकेत है।

    व्यक्ति की कुंडली

व्यक्ति की जन्मकुंडली भी शुभ मूहूर्त के चयन में महत्वपूर्ण होती है। कुंडली में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

  • लैग्न: व्यक्ति की लग्न और उसके अनुकूल ग्रहों की स्थिति का अध्ययन करें।
  • दशा और अंतरदशा: व्यक्ति की दशा और अंतरदशा भी निवेश के लिए महत्वपूर्ण होती है। यदि दशा शुभ है, तो संपत्ति खरीदने का निर्णय लेना सही होता है।

 भद्र, अमृत, और विषबंद

भद्र, अमृत और विषबंद जैसी विशेष तिथियाँ भी शुभ मूहूर्त का निर्धारण करने में मदद करती हैं:

  • भद्र: जब भद्र मूहूर्त हो, तो संपत्ति खरीदना उचित होता है।
  • अमृत: अमृत मूहूर्त में संपत्ति खरीदने से जीवन में सुख और समृद्धि मिलती है।
  • विषबंद: विषबंद के समय संपत्ति खरीदना नकारात्मक होता है। इस समय में किसी भी प्रकार के निवेश से बचें।

शुभ मूहूर्त की गणना के लिए उपयुक्त समय

संपत्ति खरीदने के लिए कुछ विशेष मूहूर्त इस प्रकार

रविवार:

सवेरे 7:00 से 9:00 बजे (सूर्य का मूहूर्त)

दोपहर 11:00 से 1:00 बजे (मध्यान्ह मूहूर्त)

बुधवार:

सुबह 10:00 से 12:00 बजे

दोपहर 1:00 से 3:00 बजे

शुक्रवार:

सुबह 9:00 से 11:00 बजे

शाम 5:00 से 7:00 बजे

विशेष ध्यान

  • चंद्रमा की स्थिति: जब चंद्रमा वृष, कर्क, तुला, या मीन राशि में हो, तब संपत्ति खरीदना शुभ होता है।
  • ग्रहों का सहयोग: जब सूर्य, चंद्रमा, और शुक्र एक साथ शुभ स्थिति में हों, तब संपत्ति खरीदने का निर्णय लेना सर्वोत्तम होता है।

अचल संपत्ति खरीदने का विधि-विधान

पूर्व तैयारी: संपत्ति खरीदने से पहले सभी दस्तावेजों की जांच करें और सुनिश्चित करें कि वह संपत्ति कानूनी रूप से स्वामित्व में है।

विशेष पूजा:

शुभ मूहूर्त में संपत्ति खरीदने से पहले एक विशेष पूजा या हवन का आयोजन करें। इससे आपके निवेश में सकारात्मकता आएगी।

संबंधियों का आशीर्वाद: परिवार के सदस्यों और संबंधियों का आशीर्वाद लें। यह आशीर्वाद आपके निवेश को और भी मजबूत बनाएगा।

संविदा का समापन: जब सभी दस्तावेज तैयार हों, तब संविदा का समापन करें। सुनिश्चित करें कि सभी औपचारिकताएँ पूरी की गई हों।

समर्पण समारोह: संपत्ति की खरीदारी के बाद एक समर्पण समारोह का आयोजन करें। यह समारोह आपकी संपत्ति के लिए एक शुभ शुरुआत का प्रतीक होगा।

निवेश के बाद की देखभाल

संपत्ति की देखभाल: संपत्ति की देखभाल करें और उसमें सुधार करें। यह आपके निवेश की मूल्य वृद्धि में मदद करेगा।

ज्योतिषीय उपाय: यदि भविष्य में ग्रहों की स्थिति परिवर्तनशील हो, तो कुछ ज्योतिषीय उपाय अपनाएँ। जैसे कि रत्न पहनना या किसी विशेष पूजा का आयोजन करना।

सकारात्मकता बनाए रखें: अपने घर में सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखें। नियमित पूजा-पाठ और ध्यान से आपको मानसिक शांति मिलेगी।

अचल संपत्ति खरीदने का निर्णय केवल आर्थिक दृष्टिकोण से नहीं बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार सही समय पर किया गया निवेश आपके जीवन में सुख, समृद्धि और स्थिरता ला सकता है। शुभ मूहूर्त का चयन करना न केवल आपके निवेश को सफल बनाता है, बल्कि यह आपके जीवन में सकारात्मकता भी लाता है।इसलिए, जब भी आप अचल संपत्ति खरीदने का निर्णय लें, तो ज्योतिषीय गणना का ध्यान रखें और शुभ मूहूर्त का पालन करें। इस तरह आप अपने जीवन में सफलता और समृद्धि की ओर एक कदम और बढ़ा सकेंगे।

आपके तारे में आपका स्वागत है. जान‍िए ज्योतिष के अनुसार आज रखना है क‍िन बातों का ध्यान. कौन-सा रंग,अंक रहेगा आपके ल‍िए शुभ और द‍िन को बेहतर बनाने के ल‍िए करना होगा कौन सा उपाय. …

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TESTIMONIALS

शिखा शर्मा, इंदौर (Google reviews)
“हमारे घर में लगातार हो रही परेशानियों के लिए एस्ट्रोलॉजर साहू जी से वास्तु सलाह ली। उनके उपाय और सुझावों ने हमारे घर की ऊर्जा में अद्भुत सुधार किया है। अब घर में शांति और सकारात्मकता है।”

राकेश वर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“मेरे व्यवसाय में समस्याएं आ रही थीं, तब एस्ट्रोलॉजर साहू जी से अंक ज्योतिष की सलाह ली। उनकी भविष्यवाणी और उपायों से मेरे व्यापार में तेजी से वृद्धि हुई। उनकी संख्या विद्या ने मेरे लिए सही निर्णय लेना आसान बना दिया।”

पूजा मिश्रा, भोपाल (Google reviews)
“मेरे जीवन में करियर से जुड़ी कई अनिश्चितताएँ थीं। एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने हस्तरेखा पढ़कर मुझे जीवन के सही मार्ग की दिशा दिखाई। उनकी सटीक भविष्यवाणी से मेरे करियर को नई दिशा मिली है।”

संदीप चौहान, इंदौर (Google reviews)
“शादी से पहले कुंडली मिलान के लिए हमने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से संपर्क किया। उनकी विस्तृत सलाह और मिलान ने हमें एक सफल वैवाहिक जीवन की शुरुआत करने में मदद की। उनका ज्ञान अद्भुत है।”

  सविता गुप्ता, रतलाम (Google reviews)
“हमारे घर में निरंतर चल रही समस्याओं के लिए एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह ने चमत्कारी परिणाम दिए। अब घर में सकारात्मक ऊर्जा है, और हमारी सभी परेशानियाँ दूर हो गई हैं।”

रोहित चौहान, देवास (Google reviews)
“ऑफिस में लगातार हो रहे नुकसान से परेशान था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह ने हमारे ऑफिस के माहौल को बदल दिया और व्यवसाय में तरक्की हो रही है।”

  अर्चना पटेल, ग्वालियर (Google reviews)
“मेरे नाम के आधार पर एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने जो उपाय बताए, उन्होंने मेरे जीवन में चमत्कारी बदलाव किए। अब मुझे हर काम में सफलता मिल रही है।”

  नितिन ठाकुर, मंदसौर (Google reviews)
“अपने जन्म अंक के अनुसार भविष्यवाणी और उपाय करने के बाद, मेरे करियर में तेजी से उन्नति हो रही है। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है।”

सुनील शर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“एस्ट्रोलॉजर साहू जी की हस्तरेखा पढ़ने की कला अद्भुत है। उन्होंने मेरे जीवन के बारे में सटीक भविष्यवाणी की और उनके उपायों से मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं।”

सही मूहूर्त में निवेश करने के लिए ज्योतिषीय सलाह

निवेश का अर्थ है भविष्य के लिए धन और संपत्ति का संचय करना। सही समय पर निवेश करना आपके वित्तीय जीवन में सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। भारतीय ज्योतिष में, मूहूर्त का विशेष महत्व होता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार मूहूर्त का मतलब है शुभ समय, और इसे किसी भी कार्य की सफलता के लिए आवश्यक माना जाता है। इस ब्लॉग में, हम जानेंगे कि क्यों सही मूहूर्त में निवेश करना लाभदायक होता है और इस प्रक्रिया में ज्योतिष की भूमिका क्या है।

मूहूर्त का महत्व

ज्योतिष में मूहूर्त का महत्व इस बात से जुड़ा है कि ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति किसी भी कार्य की सफलता को प्रभावित कर सकती है। सही मूहूर्त में किए गए कार्य में समृद्धि, सफलता और सकारात्मकता की संभावनाएँ बढ़ जाती हैं।

ग्रहों का प्रभाव: जब ग्रह सकारात्मक स्थिति में होते हैं, तो उस समय किए गए कार्यों में सफलता की संभावना अधिक होती है। इसके विपरीत, जब ग्रहों की स्थिति नकारात्मक होती है, तो उस समय निवेश करने से हानि का सामना करना पड़ सकता है।

उपयुक्त तिथि और समय: ज्योतिष में कुछ खास तिथियाँ और समय होते हैं, जिन्हें शुभ माना जाता है। ये तिथियाँ और समय ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करते हैं। सही मूहूर्त में निवेश करना आपके लिए लाभकारी साबित हो सकता है।

पंचांग का अध्ययन: पंचांग में तिथि, वार, नक्षत्र और योग का अध्ययन किया जाता है। इन सभी का ध्यान रखते हुए सही मूहूर्त का चुनाव करना आवश्यक है।

सही मूहूर्त का चयन करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

जन्म कुंडली का अध्ययन: आपकी जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति यह निर्धारित करती है कि कौन सा मूहूर्त आपके लिए शुभ है। इसलिए, अपने कुंडली के अनुसार मूहूर्त का चयन करें।

पंचांग का विश्लेषण: पंचांग का अध्ययन करके यह जानें कि कौन सी तिथियाँ और समय आपके लिए अनुकूल हैं। जैसे, रविवार, बुधवार, और शुक्रवार को निवेश करना अधिक लाभकारी माना जाता है।

नक्षत्र का ध्यान: नक्षत्रों की स्थिति भी निवेश के लिए महत्वपूर्ण होती है। साहू जी के अनुसार यदि कोई नक्षत्र शुभ है, तो उस समय निवेश करने से अधिक लाभ की संभावना होती है।

ग्रहों की स्थिति: ग्रहों की स्थिति का अध्ययन करें। जब सभी ग्रह सकारात्मक स्थिति में हों, तो उस समय निवेश करना उत्तम होता है।

सही मूहूर्त में निवेश के लाभ

सही मूहूर्त में निवेश करने के कई लाभ होते हैं:

वित्तीय सुरक्षा: जब आप सही मूहूर्त में निवेश करते हैं, तो आपके निवेश में अधिक सुरक्षा होती है। यह आपकी वित्तीय स्थिति को मजबूत करता है।

समृद्धि का आकर्षण: ज्योतिष के अनुसार, सही समय पर किए गए निवेश में समृद्धि और धन का आकर्षण होता है। यह आपके लिए वित्तीय विकास का द्वार खोलता है।

कम जोखिम: सही मूहूर्त में निवेश करने से आपके निवेश का जोखिम कम होता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार जब ग्रहों की स्थिति अनुकूल होती है, तो हानि की संभावना भी घट जाती है।

सकारात्मकता: शुभ मूहूर्त में किए गए निवेश से आपके जीवन में सकारात्मकता आती है। यह आपको मानसिक शांति और आत्मविश्वास प्रदान करता है।

प्रगति और विकास: जब आप सही समय पर निवेश करते हैं, तो आपके व्यवसाय या करियर में प्रगति होती है। यह आपके विकास के मार्ग को प्रशस्त करता है।

निवेश के लिए कुछ शुभ तिथियाँ और मूहूर्त

पंचांग का अध्ययन: हर महीने के अंत में आने वाले पंचांग का अध्ययन करें और उसमें दिए गए शुभ मूहूर्त का ध्यान रखें।

विशेष पर्व: कुछ विशेष पर्वों जैसे दीवाली, मकर संक्रांति, या नवरात्रि के समय निवेश करना लाभकारी माना जाता है।

कुंडली के अनुसार: हर व्यक्ति की कुंडली अलग होती है, इसलिए निवेश के लिए सही मूहूर्त का चयन व्यक्तिगत रूप से करना अधिक प्रभावी होता है।

मूहूर्त में निवेश का जटिलता

कई लोग सोचते हैं कि ज्योतिष में मूहूर्त का महत्व केवल धार्मिक मान्यता तक ही सीमित है, लेकिन वास्तविकता में यह बहुत गहरी होती है। मूहूर्त का चुनाव एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें विभिन्न कारकों का ध्यान रखा जाता है।

संकट और अवसर: कभी-कभी आर्थिक संकट के दौरान भी निवेश करने की सोच हो सकती है, लेकिन सही मूहूर्त में निवेश करना आपकी निवेश को संकट से बचा सकता है।

ग्रहों का परिवर्तन:

ग्रहों की स्थिति समय-समय पर बदलती रहती है। इसलिए, नियमित रूप से अपने मूहूर्त का ध्यान रखना आवश्यक है।

व्यक्तिगत कारक: हर व्यक्ति की स्थिति अलग होती है। इसलिए, व्यक्तिगत कुंडली के अनुसार मूहूर्त का चयन करना सबसे उचित होता है।

ज्योतिष की मदद से निवेश करना

ज्योतिष की मदद से निवेश करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं का ध्यान रखें:

ज्योतिषी से परामर्श: अगर आप निवेश के लिए सही मूहूर्त की तलाश में हैं, तो किसी अनुभवी ज्योतिषी से परामर्श करें। वे आपके जन्म कुंडली के अनुसार सही मूहूर्त का चयन करने में मदद कर सकते हैं।

निवेश के प्रकार: आपको यह भी ध्यान रखना होगा कि आप किस प्रकार का निवेश करना चाहते हैं। जैसे कि शेयर बाजार, रियल एस्टेट, या अन्य निवेश विकल्प। हर प्रकार के निवेश के लिए अलग मूहूर्त हो सकता है।

बाजार की स्थिति: ज्योतिष के अलावा, बाजार की वर्तमान स्थिति का भी ध्यान रखें। कभी-कभी बाजार की स्थिति भी निवेश के निर्णय को प्रभावित कर सकती है।

भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार सही मूहूर्त में निवेश करना एक महत्वपूर्ण निर्णय होता है, जो आपके वित्तीय जीवन को प्रभावित कर सकता है। ज्योतिष के अनुसार, सही समय पर किए गए निवेश से समृद्धि, सुरक्षा और सफलता की संभावना बढ़ जाती है।इसलिए, जब भी आप निवेश करने का सोचें, तो सही मूहूर्त का ध्यान रखें। यह न केवल आपके लिए वित्तीय सुरक्षा का माध्यम बनेगा, बल्कि आपके जीवन में सकारात्मकता और समृद्धि भी लाएगा।अंत में, ध्यान रखें कि ज्योतिष केवल एक मार्गदर्शक होता है। आपकी मेहनत और निर्णय क्षमता भी आपके निवेश की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सही मूहूर्त के साथ-साथ समझदारी से किए गए निर्णय आपके वित्तीय भविष्य को उज्ज्वल बनाने में सहायक होंगे।

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TESTIMONIALS

संदीप चौहान, इंदौर (Google reviews)
“शादी से पहले कुंडली मिलान के लिए हमने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से संपर्क किया। उनकी विस्तृत सलाह और मिलान ने हमें एक सफल वैवाहिक जीवन की शुरुआत करने में मदद की। उनका ज्ञान अद्भुत है।”

  सविता गुप्ता, रतलाम (Google reviews)
“हमारे घर में निरंतर चल रही समस्याओं के लिए एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह ने चमत्कारी परिणाम दिए। अब घर में सकारात्मक ऊर्जा है, और हमारी सभी परेशानियाँ दूर हो गई हैं।”

  रोहित चौहान, देवास (Google reviews)
“ऑफिस में लगातार हो रहे नुकसान से परेशान था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह ने हमारे ऑफिस के माहौल को बदल दिया और व्यवसाय में तरक्की हो रही है।”

 अर्चना पटेल, ग्वालियर (Google reviews)
“मेरे नाम के आधार पर एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने जो उपाय बताए, उन्होंने मेरे जीवन में चमत्कारी बदलाव किए। अब मुझे हर काम में सफलता मिल रही है।”

 नितिन ठाकुर, मंदसौर (Google reviews)
“अपने जन्म अंक के अनुसार भविष्यवाणी और उपाय करने के बाद, मेरे करियर में तेजी से उन्नति हो रही है। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है।”

  सुनील शर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“एस्ट्रोलॉजर साहू जी की हस्तरेखा पढ़ने की कला अद्भुत है। उन्होंने मेरे जीवन के बारे में सटीक भविष्यवाणी की और उनके उपायों से मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं।”

 ज्योति मिश्रा, इंदौर (Google reviews)
“मेरे करियर से संबंधित अनिश्चितताएँ थीं, लेकिन साहू जी ने हस्तरेखा देखकर मुझे सही मार्ग दिखाया। उनकी भविष्यवाणी ने मुझे जीवन में नई दिशा दी।”

नेहा वर्मा, जबलपुर (Google reviews)
“शादी से पहले कुंडली मिलान के लिए हमने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से संपर्क किया। उनकी सटीक सलाह और मिलान ने हमें एक स्थिर और सुखी वैवाहिक जीवन की नींव रखने में मदद की।”

राहुल तिवारी, भोपाल (Google reviews)
“शादी की योजना बनाते समय कुंडली मिलान के लिए साहू जी से सलाह ली। उनके द्वारा किया गया कुंडली मिलान और दिए गए उपाय बेहद लाभकारी रहे।”

 मीनाक्षी जैन, उज्जैन (Google reviews)
“मैंने साहू जी से रत्न धारण करने की सलाह ली और उनके द्वारा सुझाए गए रत्न पहनने से मेरे जीवन में आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है। उनका ज्ञान अद्वितीय है।”

गृह निर्माण के लिए मूहूर्त का महत्व: ज्योतिषीय परामर्श

हिंदू संस्कृति में गृह निर्माण का कार्य न केवल एक भौतिक प्रक्रिया है, बल्कि इसे एक धार्मिक और आध्यात्मिक कार्य भी माना जाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार जब हम अपने सपनों का घर बनाते हैं, तो यह केवल दीवारों और छत का निर्माण नहीं होता, बल्कि यह एक ऐसा स्थान होता है जहां हम अपने परिवार के साथ सुख, शांति और समृद्धि का अनुभव करते हैं। इस प्रक्रिया में शुभ मूहूर्त का महत्व विशेष होता है। इस ब्लॉग में, हम गृह निर्माण के लिए मूहूर्त के महत्व और इसे निर्धारित करने के ज्योतिषीय पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

गृह निर्माण महत्व

सुख-शांति का प्रतीक: घर केवल एक भौतिक संरचना नहीं है; यह हमारे जीवन का आधार है। हमारा घर हमें सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करता है।

परिवार की एकता: घर हमारे परिवार का केंद्र होता है। यह हमारे रिश्तों को मजबूत करने का स्थान है।

आध्यात्मिकता: गृह निर्माण के साथ-साथ पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठानों का आयोजन भी किया जाता है, जो परिवार में आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है।

समृद्धि: एक शुभ और सुखद घर जीवन में समृद्धि और खुशियों को आकर्षित करता है।

मूहूर्त का महत्व

ज्योतिष में मूहूर्त का अर्थ है ‘शुभ समय’। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार जब भी कोई महत्वपूर्ण कार्य किया जाता है, जैसे कि विवाह, गृह प्रवेश या गृह निर्माण, उस समय का चयन करना अत्यंत आवश्यक होता है। शुभ मूहूर्त का चयन करने से कार्य में सफल होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

ग्रहों की स्थिति: ग्रहों की स्थिति का मूहूर्त पर गहरा प्रभाव होता है। जब ग्रह सकारात्मक स्थिति में होते हैं, तब उस समय किए गए कार्य का फल शुभ होता है।

पंचांग का उपयोग: मूहूर्त के निर्धारण के लिए पंचांग का उपयोग किया जाता है, जिसमें तिथि, वार, नक्षत्र और योग का विवरण होता है।

अनुकूल ऊर्जा का संचार: शुभ मूहूर्त में किए गए कार्य में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे कार्य सफल होने की संभावना बढ़ जाती है।

गृह निर्माण के लिए शुभ मूहूर्त का चयन

गृह निर्माण के लिए शुभ मूहूर्त का चयन करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:

पंचांग का अध्ययन: पंचांग में तिथि, वार, नक्षत्र और योग का अध्ययन करें। कुछ विशेष नक्षत्र और तिथियाँ गृह निर्माण के लिए शुभ मानी जाती हैं।

ज्योतिषीय सलाह: किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह लें। वे आपकी जन्म कुंडली और ग्रहों की स्थिति के अनुसार सबसे उपयुक्त मूहूर्त का सुझाव देंगे।

शुभ तिथियों का चयन: कुछ विशेष तिथियाँ जैसे शुक्ल पक्ष की तिथियाँ और विशेष पर्वों पर गृह निर्माण करना अधिक शुभ होता है।

मूहूर्त निर्धारित करने की विधि

ग्रहों की स्थिति: ग्रहों की स्थिति का अध्ययन करें। जब लाभकारी ग्रह जैसे शुक्र, बृहस्पति और चंद्रमा शुभ स्थान में हों, तो वह समय गृह निर्माण के लिए उपयुक्त होता है।

सप्तमी तिथि: सप्तमी तिथि को गृह निर्माण का कार्य शुभ माना जाता है। इस तिथि पर गृह निर्माण करने से समृद्धि और सुख-शांति मिलती है।

विशेष नक्षत्र: कुछ नक्षत्र जैसे पुष्य, चित्रा, और उत्तरा फाल्गुनी भी गृह निर्माण के लिए शुभ माने जाते हैं। साहू जी के अनुसार इन नक्षत्रों में किए गए कार्यों में सफलता और सुख-समृद्धि की संभावना अधिक होती है।

चंद्रमा की स्थिति: चंद्रमा की स्थिति भी महत्वपूर्ण होती है। जब चंद्रमा शुभ नक्षत्र में होता है, तो गृह निर्माण का कार्य करना लाभदायक होता है।

गृह निर्माण के समय ध्यान देने योग्य बातें

सकारात्मक वातावरण: गृह निर्माण के समय सकारात्मक वातावरण बनाना आवश्यक है। सभी सदस्यों का सहयोग और प्रोत्साहन आवश्यक होता है।

सुरक्षा उपाय: निर्माण स्थल पर सुरक्षा उपायों का ध्यान रखें। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यह न केवल निर्माण को सुरक्षित बनाता है बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करता है।

साधना और पूजा: गृह निर्माण के प्रारंभ में विशेष पूजा और साधना का आयोजन करना चाहिए। इससे नकारात्मकता का प्रभाव कम होता है।

आर्थिक योजना: निर्माण कार्य की आर्थिक योजना बनाना आवश्यक है। इससे आप कार्य को सही समय पर पूरा कर सकेंगे।

गृह निर्माण के लाभ

आध्यात्मिक संतोष: एक शुभ मूहूर्त में निर्माण करने से आध्यात्मिक संतोष प्राप्त होता है।

सुखद जीवन: एक शुभ घर में रहने से परिवार के सभी सदस्य सुखद जीवन का अनुभव करते हैं।

सकारात्मक ऊर्जा: घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह रहता है, जो समृद्धि और खुशियों को बढ़ावा देता है।

सामाजिक मान्यता: एक सफल गृह निर्माण कार्य परिवार को सामाजिक मान्यता दिलाता है।

गृह निर्माण एक महत्वपूर्ण और धार्मिक कार्य है, जिसका सही समय पर होना अत्यंत आवश्यक है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार शुभ मूहूर्त का चयन करना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो आपके नए घर में सुख, शांति और समृद्धि लाने में सहायक होता है। इसलिए, जब भी आप अपने सपनों का घर बनाने की सोचें, तो मूहूर्त का ध्यान रखें और ज्योतिषीय सलाह को अपनाएं। इससे न केवल आपका घर बल्कि आपका पूरा जीवन सकारात्मकता और खुशियों से भरा रहेगा। हमने गृह निर्माण के लिए मूहूर्त का महत्व और ज्योतिषीय परामर्श पर चर्चा की। आशा है कि यह जानकारी आपके लिए उपयोगी सिद्ध होगी और आप अपने नए घर का निर्माण सफलतापूर्वक कर सकेंगे।

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TESTIMONIALS

नेहा गुप्ता, उज्जैन (Google reviews)
“साहू जी की कुंडली मिलान सेवा का अनुभव शानदार रहा। उनकी सलाह ने हमारे वैवाहिक जीवन को मजबूती दी है और हम दोनों के बीच समझ और प्यार बढ़ा है।”

  सौरभ तिवारी, भोपाल (Google reviews)
“मेरे जीवन में अनचाहे उतार-चढ़ाव हो रहे थे। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सटीक ज्योतिषीय सलाह और उपायों से अब मेरे जीवन में स्थिरता और संतुलन आ गया है।”

  पूजा वर्मा, इंदौर (Google reviews)
“साहू जी की वास्तु सलाह ने हमारे घर की ऊर्जा को पूरी तरह से बदल दिया है। अब घर में शांति और समृद्धि का वातावरण बना हुआ है।”

  रजनी चौधरी, उज्जैन (Google reviews)
“बेटे की पढ़ाई में ध्यान न लगने की समस्या थी। साहू जी की ज्योतिषीय उपायों से उसके एकाग्रता और पढ़ाई में काफी सुधार हुआ है।”

 अंकित शर्मा, भोपाल (Google reviews)
“कुंडली के दोष के कारण जीवन में लगातार संघर्ष कर रहा था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी के उपायों से अब जीवन में शांति और प्रगति हो रही है।”

 रश्मि पांडे, इंदौर (Google reviews)
“मेरे रिश्ते में लगातार तनाव था। साहू जी के कुंडली अनुसार बताए गए उपायों से अब हमारे रिश्ते में समझ और प्रेम बढ़ा है।”

  मनोज वर्मा, ग्वालियर (Google reviews)
“कार्यक्षेत्र में पदोन्नति नहीं मिल रही थी। साहू जी के बताए उपायों से अब मुझे प्रमोशन मिला और मैं अपने करियर में उन्नति कर रहा हूँ।”

  सोनल गुप्ता, उज्जैन (Google reviews)
“मेरे वैवाहिक जीवन में समस्याएँ थीं। साहू जी की कुंडली सलाह ने हमें एक नई दिशा दी और अब हम अपने रिश्ते को बेहतर तरीके से समझ पा रहे हैं।”

  राजेश चौहान, भोपाल (Google reviews)
“व्यवसाय में लगातार नुकसान हो रहा था। साहू जी के द्वारा बताए गए उपायों से अब मेरे व्यवसाय में तेजी से मुनाफा बढ़ रहा है। उनकी सलाह अत्यंत कारगर रही।

दीपिका तिवारी, इंदौर (Google reviews)
“मेरी शादी के बाद जीवन में बहुत सारी समस्याएँ आ रही थीं। साहू जी के ज्योतिषीय उपायों से अब हमारे वैवाहिक जीवन में शांति और संतुलन आ गया है।

संतान प्राप्ति के लिए शुभ मूहूर्त का चयन: ज्योतिष का दृष्टिकोण

संतान प्राप्ति एक ऐसा विषय है जो परिवारों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार भारतीय संस्कृति में संतान का महत्व न केवल परिवार के लिए, बल्कि समाज और संस्कृति के लिए भी बहुत बड़ा होता है। कई दंपतियों के लिए संतान प्राप्ति एक संघर्ष की तरह होती है। इस संघर्ष में ज्योतिष एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस ब्लॉग में, हम संतान प्राप्ति के लिए शुभ मूहूर्त का चयन करने के ज्योतिषीय दृष्टिकोण पर चर्चा करेंगे।

संतान प्राप्ति

संतान का जन्म एक परिवार की खुशियों और परंपराओं को आगे बढ़ाने का प्रतीक होता है। संतान प्राप्ति न केवल दंपति के लिए, बल्कि पूरे परिवार के लिए एक खुशी का अवसर होता है। भारतीय संस्कृति में संतान को माता-पिता के लिए एक आशीर्वाद माना जाता है। इसके अलावा, यह भी माना जाता है कि संतान जीवन के विभिन्न अनुभवों का हिस्सा होती है और उनके माध्यम से माता-पिता अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हैं।

संतान के लाभ

खुशी का स्रोत: संतान का जन्म परिवार में खुशी और उल्लास लाता है।

परंपरा का निर्वाह: संतान परिवार की परंपराओं और मूल्यों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

धार्मिक महत्व: कई धार्मिक ग्रंथों में संतान का जन्म माता-पिता के लिए पुण्य का कार्य माना जाता है।

जीवन में उद्देश्य: संतान के माध्यम से माता-पिता को एक उद्देश्य प्राप्त होता है, जिससे उनका जीवन और भी सार्थक बनता है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण

ज्योतिष में संतान प्राप्ति का संबंध ग्रहों की स्थिति और मूहूर्त से होता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार कई बार दंपति संतान प्राप्ति में असमर्थ होते हैं, जिसका मुख्य कारण ग्रहों की अनुकूलता की कमी हो सकती है। ज्योतिषी इस स्थिति को समझने में मदद कर सकते हैं और उपयुक्त मूहूर्त का चयन करने में सहायता कर सकते हैं।

संतान प्राप्ति के लिए महत्वपूर्ण ग्रह

जुपिटर (गुरु): गुरु को संतान का कारक ग्रह माना जाता है। यह शिक्षा, ज्ञान और समृद्धि का प्रतीक है। यदि गुरु की स्थिति कुंडली में मजबूत है, तो संतान प्राप्ति के योग बढ़ जाते हैं।

चंद्रमा: चंद्रमा मन और भावनाओं का प्रतिनिधित्व करता है। यह मातृत्व और संतान के लिए भी महत्वपूर्ण है। चंद्रमा की अच्छी स्थिति से माता-पिता के भावनात्मक स्वास्थ्य में सुधार होता है, जिससे संतान प्राप्ति में सहायता मिलती है।

** शुक्र**: शुक्र प्रेम और संबंधों का ग्रह है। साहू जी के अनुसार यह दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने में सहायक होता है। यदि शुक्र की स्थिति कुंडली में मजबूत है, तो संतान प्राप्ति के योग भी मजबूत होते हैं।

सूर्य: सूर्य पिता का प्रतीक है और यह संतान के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि सूर्य की स्थिति ठीक है, तो संतान का स्वास्थ्य और विकास भी अच्छा होता है।

कुंडली का अध्ययन

संतान प्राप्ति के लिए कुंडली का अध्ययन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। कुंडली में विभिन्न ग्रहों की स्थिति, राशि और नक्षत्र का ध्यान रखा जाता है। कुंडली के विभिन्न भावों का अध्ययन करके यह पता लगाया जा सकता है कि संतान प्राप्ति के लिए कौन से ग्रह शुभ हैं और कौन से अशुभ।

कुंडली के महत्वपूर्ण भाव

5वां भाव: यह भाव संतान का है। यदि इस भाव में शुभ ग्रह हैं, तो संतान प्राप्ति के योग मजबूत होते हैं।

9वां भाव: यह भाग्य और धर्म का भाव है। यदि 9वें भाव में शुभ ग्रह हैं, तो यह संतान प्राप्ति में सहायक हो सकता है।

11वां भाव: यह इच्छाओं और आकांक्षाओं का भाव है। यदि इस भाव में शुभ ग्रह हैं, तो संतान प्राप्ति के योग और बढ़ जाते हैं।

शुभ मूहूर्त का चयन

ज्योतिष में शुभ मूहूर्त का चयन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। संतान प्राप्ति के लिए सही समय का चुनाव करना न केवल ग्रहों की स्थिति को ध्यान में रखता है, बल्कि विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं का भी समावेश करता है।

शुभ मूहूर्त का निर्धारण

पंचांग का अध्ययन: शुभ मूहूर्त का निर्धारण पंचांग के माध्यम से किया जाता है। पंचांग में तिथि, वार, नक्षत्र, योग और करण का ध्यान रखा जाता है।

नक्षत्र का चयन: संतान प्राप्ति के लिए कुछ विशेष नक्षत्र होते हैं, जैसे रोहिणी, पुष्य और श्रवण। इन नक्षत्रों में संतान प्राप्ति का मूहूर्त चयन करना अधिक शुभ माना जाता है।

तिथि और वार: विशेष तिथियों, जैसे पूर्णिमा और अमावस्या, में संतान प्राप्ति का मूहूर्त अधिक लाभदायक होता है। इन तिथियों में चंद्रमा की स्थिति विशेष होती है, जो संतान की ग्रहणशीलता को बढ़ाती है।

ग्रहों की स्थिति: ग्रहों की स्थिति का ध्यान रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि गुरु और चंद्रमा मजबूत स्थिति में हों, तो संतान प्राप्ति के योग बढ़ जाते हैं।

महत्त्वपूर्ण पर्व और त्यौहार: भारतीय संस्कृति में कुछ विशेष पर्व और त्यौहार होते हैं, जैसे जन्माष्टमी, नवरात्रि, और दीवाली, जिन्हें शुभ मूहूर्त के लिए चुना जा सकता है।

संतान प्राप्ति के लिए उपाय

ज्योतिष में संतान प्राप्ति के लिए कुछ उपाय भी किए जा सकते हैं, जो दंपतियों को सकारात्मक परिणाम दिलाने में सहायक होते हैं।

  ग्रहों की पूजा:

  • संतान प्राप्ति के लिए गुरु की पूजा करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। हर गुरुवार को पीले वस्त्र पहनें और पीले चावल का भोग अर्पित करें।

  चंद्रमा की पूजा:

  • संतान के लिए चंद्रमा की पूजा भी की जानी चाहिए। हर सोमवार को चंद्रमा को दूध अर्पित करें और उसके सामने दीपक जलाएं।

 रत्न धारण:

  • यदि कुंडली में गुरु कमजोर है, तो पुखराज रत्न धारण करना लाभकारी हो सकता है। इसी तरह, यदि चंद्रमा कमजोर है, तो मोती धारण करना उचित होता है।

  संतान प्राप्ति के मंत्र:

  • संतान प्राप्ति के लिए विशेष मंत्रों का जाप करें। जैसे:
    • “ॐ श्री गृहे नारायणाय नमः”
    • “ॐ हरि ॐ” का जाप करें।

 ध्यान और साधना:

  • नियमित ध्यान और साधना करने से मानसिक शांति और सकारात्मकता प्राप्त होती है, जो संतान प्राप्ति में सहायक हो सकती है।

संतान प्राप्ति एक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा है, और इसका संबंध ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी गहरा होता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार सही मूहूर्त का चयन करना, ग्रहों की स्थिति का ध्यान रखना और कुंडली का अध्ययन करना संतान प्राप्ति के लिए आवश्यक हैं।यदि आप संतान प्राप्ति के लिए प्रयास कर रहे हैं, तो उपयुक्त ज्योतिषीय सलाह लेने से आपको सही दिशा में मदद मिल सकती है। संतान का जन्म एक आशीर्वाद है और इसे ध्यानपूर्वक संभालना चाहिए। सही समय और उचित उपायों से आप अपने जीवन में संतान का सुख प्राप्त कर सकते हैं।इसलिए, अपने जीवन के इस महत्वपूर्ण चरण में ज्योतिष का उपयोग करें और अपनी संतानों को एक उज्ज्वल भविष्य प्रदान करें।

आपके तारे में आपका स्वागत है. जान‍िए ज्योतिष के अनुसार आज रखना है क‍िन बातों का ध्यान. कौन-सा रंग,अंक रहेगा आपके ल‍िए शुभ और द‍िन को बेहतर बनाने के ल‍िए करना होगा कौन सा उपाय. …

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शिखा शर्मा, इंदौर (Google reviews)
“हमारे घर में लगातार हो रही परेशानियों के लिए एस्ट्रोलॉजर साहू जी से वास्तु सलाह ली। उनके उपाय और सुझावों ने हमारे घर की ऊर्जा में अद्भुत सुधार किया है। अब घर में शांति और सकारात्मकता है।”

राकेश वर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“मेरे व्यवसाय में समस्याएं आ रही थीं, तब एस्ट्रोलॉजर साहू जी से अंक ज्योतिष की सलाह ली। उनकी भविष्यवाणी और उपायों से मेरे व्यापार में तेजी से वृद्धि हुई। उनकी संख्या विद्या ने मेरे लिए सही निर्णय लेना आसान बना दिया।”

पूजा मिश्रा, भोपाल (Google reviews)
“मेरे जीवन में करियर से जुड़ी कई अनिश्चितताएँ थीं। एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने हस्तरेखा पढ़कर मुझे जीवन के सही मार्ग की दिशा दिखाई। उनकी सटीक भविष्यवाणी से मेरे करियर को नई दिशा मिली है।”

संदीप चौहान, इंदौर (Google reviews)
“शादी से पहले कुंडली मिलान के लिए हमने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से संपर्क किया। उनकी विस्तृत सलाह और मिलान ने हमें एक सफल वैवाहिक जीवन की शुरुआत करने में मदद की। उनका ज्ञान अद्भुत है।”

 सविता गुप्ता, रतलाम (Google reviews)
“हमारे घर में निरंतर चल रही समस्याओं के लिए एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह ने चमत्कारी परिणाम दिए। अब घर में सकारात्मक ऊर्जा है, और हमारी सभी परेशानियाँ दूर हो गई हैं।”

 रोहित चौहान, देवास (Google reviews)
“ऑफिस में लगातार हो रहे नुकसान से परेशान था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह ने हमारे ऑफिस के माहौल को बदल दिया और व्यवसाय में तरक्की हो रही है।”

 अर्चना पटेल, ग्वालियर (Google reviews)
“मेरे नाम के आधार पर एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने जो उपाय बताए, उन्होंने मेरे जीवन में चमत्कारी बदलाव किए। अब मुझे हर काम में सफलता मिल रही है।”

नितिन ठाकुर, मंदसौर (Google reviews)
“अपने जन्म अंक के अनुसार भविष्यवाणी और उपाय करने के बाद, मेरे करियर में तेजी से उन्नति हो रही है। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है।”

 सुनील शर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“एस्ट्रोलॉजर साहू जी की हस्तरेखा पढ़ने की कला अद्भुत है। उन्होंने मेरे जीवन के बारे में सटीक भविष्यवाणी की और उनके उपायों से मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं।”

ज्योति मिश्रा, इंदौर (Google reviews)
“मेरे करियर से संबंधित अनिश्चितताएँ थीं, लेकिन साहू जी ने हस्तरेखा देखकर मुझे सही मार्ग दिखाया। उनकी भविष्यवाणी ने मुझे जीवन में नई दिशा दी।”

शादी के मुहूर्त और उनकी धार्मिक मान्यता ज्योतिष का महत्व

शादी का आयोजन जीवन के सबसे महत्वपूर्ण अवसरों में से एक होता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह एक ऐसा बंधन है जो न केवल दो व्यक्तियों को एक साथ लाता है, बल्कि दो परिवारों को भी जोड़ता है। इस विशेष अवसर को और भी शुभ और फलदायी बनाने के लिए, ज्योतिष में शादी के मुहूर्त का विशेष महत्व होता है। भारतीय संस्कृति में शादी के मुहूर्त को न केवल ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देखा जाता है, बल्कि इसका धार्मिक महत्व भी है। इस ब्लॉग में हम शादी के मुहूर्त, उनकी धार्मिक मान्यता और ज्योतिष का महत्व विस्तार से चर्चा करेंगे।

शादी का मुहूर्त का चुनाव करने के पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि यह ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति पर आधारित होता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार सही मुहूर्त का चयन करने से न केवल विवाह समारोह के दौरान सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, बल्कि यह दांपत्य जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने में भी मदद करता है।

ग्रहों की स्थिति: ज्योतिष के अनुसार, हर ग्रह और नक्षत्र का व्यक्ति के जीवन पर अलग-अलग प्रभाव होता है। शादी के समय ग्रहों की स्थिति को देखकर शुभ मुहूर्त का निर्धारण किया जाता है। यह मान्यता है कि जब ग्रह सही स्थिति में होते हैं, तो विवाह में सुख और समृद्धि आती है।

परंपरा और संस्कृति: भारतीय संस्कृति में शादी एक धार्मिक संस्कार है, जिसे विभिन्न रिवाजों और परंपराओं के साथ मनाया जाता है। शादी के मुहूर्त का पालन करने से पारंपरिक और धार्मिक मान्यता को सम्मानित किया जाता है।

सकारात्मकता का संचार: जब सही मुहूर्त में विवाह होता है, तो यह दांपत्य जीवन में सकारात्मकता और खुशियों का संचार करता है। इससे दोनों जीवनसाथियों के बीच प्रेम और समझ बढ़ती है।

शादी के मुहूर्त का चुनाव कैसे करें?

शादी के मुहूर्त का चुनाव करने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए:

पंचांग का अध्ययन: शादी के मुहूर्त का निर्धारण पंचांग के अनुसार किया जाता है। पंचांग में तिथि, वार, नक्षत्र, योग आदि का अध्ययन करके शुभ समय का चयन किया जाता है।

अभिजीत मुहूर्त: अभिजीत मुहूर्त, जो दिन के मध्य का समय होता है, शादी के लिए एक विशेष समय होता है। इसे सबसे शुभ समय माना जाता है, क्योंकि इस समय सूर्य और चंद्रमा की स्थिति बहुत अच्छी होती है।

नक्षत्र का महत्व: नक्षत्र का चुनाव भी शादी के मुहूर्त में महत्वपूर्ण होता है। हर नक्षत्र का एक विशेष प्रभाव होता है और उस नक्षत्र में शादी करने से जीवन में शुभ फल की प्राप्ति होती है।

शादी के मुहूर्त का धार्मिक महत्व

भारतीय संस्कृति में शादी को केवल एक सामाजिक समारोह के रूप में नहीं देखा जाता, बल्कि इसे एक धार्मिक संस्कार के रूप में माना जाता है। शादी के मुहूर्त का धार्मिक महत्व निम्नलिखित है:

धार्मिक मान्यता: शादी को एक पवित्र बंधन माना जाता है। इस बंधन में प्रवेश करने से पहले सही मुहूर्त का चयन करना आवश्यक होता है, ताकि यह धार्मिक दृष्टिकोण से भी मान्य हो।

पवित्रता: शादी के समय चुने गए मुहूर्त को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है। इस समय के दौरान किए गए व्रत, पूजा और अनुष्ठान से दांपत्य जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

पूजा और हवन: शादी के मुहूर्त के दौरान विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाता है। इस दौरान देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है, ताकि वे दांपत्य जीवन में खुशियों का संचार करें।

शादी के मुहूर्त की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं:

सभी ग्रहों की स्थिति: शादी के समय सभी ग्रहों की स्थिति का ध्यान रखा जाता है। यदि किसी ग्रह की स्थिति कमजोर हो, तो उसका प्रभाव दांपत्य जीवन पर पड़ सकता है।

तिथि का चयन: शादी के लिए तिथि का चयन भी महत्वपूर्ण होता है। कुछ तिथियाँ शुभ मानी जाती हैं, जैसे:

रविवार: यह दिन बहुत शुभ होता है।

बुधवार: यह दिन भी शुभ माना जाता है।

शुक्रवार: इस दिन विवाह के लिए मूहूर्त की उपलब्धता अक्सर अधिक होती है।

    विशेष दिनों का ध्यान: जैसे दिवाली, मकर संक्रांति, और होली जैसे पर्वों पर भी विवाह करना शुभ माना जाता है। इन दिनों को धार्मिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण माना जाता है।

    शादी के मुहूर्त से संबंधित

    नहीं, सभी शादी के मुहूर्त एक जैसे नहीं होते हैं। हर विवाह का मुहूर्त व्यक्ति की कुंडली और ग्रहों की स्थिति के अनुसार अलग होता है।

      अगर मुहूर्त नहीं मिल रहा है तो क्या करना चाहिए?

      अगर शुभ मुहूर्त नहीं मिल रहा है, तो किसी ज्योतिषी से सलाह लेकर एक उचित समय का चयन करें।

        क्या शादी के लिए विशेष समय की जरूरत होती है

        हाँ, शादी के लिए विशेष समय का चयन करना आवश्यक होता है। यह दांपत्य जीवन को सुखी और समृद्ध बनाने में मदद करता है।

          विवाह का मुहूर्त और उसकी धार्मिक मान्यता न केवल दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि लाने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक पवित्र संस्कार का भी प्रतीक है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार ज्योतिषीय दृष्टिकोण से सही मूहर्त का चयन करके, व्यक्ति अपने जीवन को सफल और खुशहाल बना सकता है। विवाह के इस विशेष अवसर को धार्मिकता और परंपरा के साथ मनाना, जीवन के इस नए अध्याय को सकारात्मकता और प्रेम से भर देता है।शादी के मुहूर्त का महत्व समझकर, आप अपने दांपत्य जीवन की शुरुआत को एक शुभ और सकारात्मक दिशा में ले जा सकते हैं। इस प्रकार, शादी के मुहूर्त और उनकी धार्मिक मान्यता को समझना न केवल आपके व्यक्तिगत जीवन में, बल्कि आपके परिवार और समाज में भी सुख और समृद्धि लाने में सहायक होता है।

          आपके तारे में आपका स्वागत है. जान‍िए ज्योतिष के अनुसार आज रखना है क‍िन बातों का ध्यान. कौन-सा रंग,अंक रहेगा आपके ल‍िए शुभ और द‍िन को बेहतर बनाने के ल‍िए करना होगा कौन सा उपाय. …

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          TESTIMONIALS

          कंचन जैन, उज्जैन (Google reviews)
          “साहू जी की ज्योतिषीय सलाह से मेरे जीवन में नकारात्मकता दूर हो गई और अब मैं शांति से जीवन व्यतीत कर रही हूँ। उनका आभार।”

            प्रीति शर्मा, उज्जैन (Google reviews)
          “मेरे बेटे की नौकरी में बार-बार अड़चनें आ रही थीं। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की कुंडली विश्लेषण और उपायों से उसे जल्द ही अच्छी नौकरी मिल गई। उनके मार्गदर्शन ने सचमुच कमाल कर दिया।”

            अभिषेक तिवारी, भोपाल (Google reviews)
          “साहू जी की मदद से मैंने अपने करियर में सही समय पर सही निर्णय लिए। उनकी सटीक भविष्यवाणी ने मुझे महत्वपूर्ण बदलाव करने में मदद की। अब करियर में उन्नति हो रही है।”

            मधु गुप्ता, इंदौर (Google reviews)
          “पारिवारिक कलह के कारण बहुत मानसिक तनाव में थी। साहू जी ने कुछ सरल उपाय बताए, जिनसे घर का माहौल सकारात्मक हो गया और शांति लौटी।”

            संदीप मिश्रा, देवास (Google reviews)
          “मेरे स्वास्थ्य में लगातार गिरावट हो रही थी। एस्ट्रोलॉजर साहू जी के उपायों से अब मैं धीरे-धीरे सेहतमंद हो रहा हूँ। उनकी सलाह जीवनदायिनी साबित हुई।”

            रीमा जोशी, ग्वालियर (Google reviews)
          “शादी में देरी से बहुत परेशान थी। साहू जी ने कुंडली देखकर उपाय बताए और कुछ ही महीनों में सही रिश्ता तय हो गया। उनकी सलाह मेरे लिए वरदान साबित हुई।”

            अमन वर्मा, उज्जैन (Google reviews)
          “व्यवसाय में भारी नुकसान हो रहा था। साहू जी के ज्योतिषीय मार्गदर्शन से अब व्यवसाय में स्थिरता और मुनाफा बढ़ा है। उनकी सलाह बेहद उपयोगी रही।”

           कविता सिंह, भोपाल (Google reviews)
          “बेटी के भविष्य को लेकर चिंतित थी। साहू जी की भविष्यवाणी और उपायों ने उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए हैं। अब वह आत्मविश्वास से भरी हुई है।”

            रोहित पटेल, इंदौर (Google reviews)
          “कुंडली में ग्रह दोष के कारण करियर में लगातार संघर्ष कर रहा था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह से अब मैं सही दिशा में हूँ और सफलता की ओर बढ़ रहा हूँ।”

           अनुजा चौहान, देवास (Google reviews)
          “संतान प्राप्ति में अड़चनें आ रही थीं। साहू जी के पूजा और मंत्रों के उपायों से हमारे घर में खुशखबरी आई। उनके उपाय सटीक और प्रभावी हैं।”

          मुंडन संस्कार का शुभ मूहूर्त ज्योतिषीय महत्त्व और प्रक्रिया

          मुंडन संस्कार, जिसे संस्कृत में “चौंड” कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण हिन्दू संस्कार है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह संस्कार शिशु के पहले या दूसरे वर्ष में किया जाता है और इसके अंतर्गत बच्चे के सिर के बाल काटे जाते हैं। इस प्रक्रिया को न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान के रूप में देखा जाता है, बल्कि इसे बच्चे के जीवन में शुभता, स्वास्थ्य और सफलता लाने का एक महत्वपूर्ण उपाय माना जाता है। इस ब्लॉग में, हम मुंडन संस्कार के शुभ मूहूर्त, इसके ज्योतिषीय महत्व और प्रक्रिया पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

          मुंडन संस्कार

          मुंडन संस्कार का अर्थ होता है “बालों का कटना”। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह संस्कार विभिन्न धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं के तहत किया जाता है। भारत में यह संस्कार विशेष रूप से हिन्दू परिवारों में प्रचलित है। मुंडन संस्कार का मुख्य उद्देश्य शिशु के सिर से जन्म के समय के बालों को हटाना है, जो सामान्यतः नरम और नाजुक होते हैं।

          इस संस्कार के पीछे कई धार्मिक, सांस्कृतिक और ज्योतिषीय कारण होते हैं:

          स्वास्थ्य लाभ: यह माना जाता है कि मुंडन संस्कार करने से बच्चे के स्वास्थ्य में सुधार होता है और वह जीवन में स्वास्थ्य समस्याओं से दूर रहता है।

          शुभता: इस संस्कार को शुभ माना जाता है, जिससे बच्चे के जीवन में सकारात्मकता और खुशहाली बढ़ती है।

          सामाजिक पहलू:

          मुंडन संस्कार एक पारिवारिक समारोह होता है, जिसमें परिवार के सदस्य और रिश्तेदार शामिल होते हैं। यह समाज में एक महत्वपूर्ण बंधन को प्रकट करता है।

          मुंडन संस्कार का ज्योतिषीय महत्व

          ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, मुंडन संस्कार का विशेष महत्व होता है। इस संस्कार के दौरान कई ज्योतिषीय कारकों पर ध्यान दिया जाता है:

          जन्म राशि: मुंडन संस्कार का समय बच्चे की जन्म राशि के अनुसार निर्धारित किया जाता है। सही राशि के अनुसार मुंडन करने से बच्चे के जीवन में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

          नक्षत्र: बच्चे का मुंडन उस समय करना चाहिए जब उसका नक्षत्र शुभ स्थिति में हो। नक्षत्र का चुनाव भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह बच्चे के भविष्य को प्रभावित कर सकता है।

          ग्रह स्थिति: ग्रहों की स्थिति भी मुंडन संस्कार के समय पर प्रभाव डालती है। जब ग्रहों की स्थिति अनुकूल होती है, तो मुंडन संस्कार करने से अच्छे परिणाम मिलते हैं।

          मुंडन संस्कार का शुभ मूहूर्त

          मुंडन संस्कार के लिए शुभ मूहूर्त का चुनाव बहुत महत्वपूर्ण होता है। निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दें:

          पंचांग का अध्ययन: मुंडन संस्कार के लिए पंचांग का अध्ययन करना आवश्यक है। पंचांग में तिथि, वार, नक्षत्र, योग, और करण का ध्यान रखना चाहिए।

          शुभ तिथि और वार: शनिवार, मंगलवार, और शुक्रवार को मुंडन संस्कार करना अधिक शुभ माना जाता है।

          नक्षत्र का चुनाव: मुंडन संस्कार का समय नक्षत्र के अनुसार तय करना चाहिए। यदि बच्चे का नक्षत्र शुभ हो, तो उस दिन मुंडन करना लाभदायक होता है।

          ग्रहों की स्थिति: ग्रहों की स्थिति को समझना और अनुकूल समय का चयन करना जरूरी है। यदि ग्रह सकारात्मक स्थिति में हैं, तो मुंडन संस्कार करना उचित होता है।

          मुंडन संस्कार की प्रक्रिया

          मुंडन संस्कार की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में संपन्न होती है:

          पूजन विधि: मुंडन संस्कार का आयोजन पूजा-पाठ के साथ शुरू होता है। इस दौरान देवी-देवताओं का आह्वान किया जाता है और हवन किया जाता है।

          शिशु को स्नान कराना: मुंडन संस्कार के दिन बच्चे को स्नान कराना आवश्यक है। स्नान के बाद बच्चे को नए कपड़े पहनाए जाते हैं।

          बालों का काटना: मुंडन संस्कार के मुख्य उद्देश्य के तहत, बच्चे के बालों को काटा जाता है। इस प्रक्रिया को आमतौर पर एक पंडित या अनुभवी व्यक्ति द्वारा किया जाता है।

          मंत्रों का उच्चारण

          बाल काटने के दौरान मंत्रों का उच्चारण किया जाता है। यह मंत्र बच्चे के जीवन में शुभता और स्वास्थ्य लाने के लिए होते हैं।

          संबंधियों का आशीर्वाद: बाल कटने के बाद, परिवार के सदस्य और रिश्तेदार बच्चे को आशीर्वाद देते हैं। यह आशीर्वाद बच्चे के जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।

          भोजन का आयोजन: मुंडन संस्कार के बाद, परिजनों और मित्रों के लिए भोज का आयोजन किया जाता है। यह समारोह के समापन का प्रतीक होता है।

          मुंडन संस्कार के लाभ

          स्वास्थ्य लाभ: मुंडन संस्कार करने से बच्चे का स्वास्थ्य सुधरता है। यह बालों के संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं से बचाता है।

          सकारात्मकता: मुंडन संस्कार से बच्चे के जीवन में सकारात्मकता बढ़ती है। यह बच्चे के भविष्य को उज्ज्वल बनाने में सहायक होता है।

          सामाजिक बंधन: इस संस्कार के दौरान परिवार और रिश्तेदार एकत्र होते हैं, जिससे सामाजिक बंधन मजबूत होते हैं।

          ज्योतिषीय लाभ: सही समय पर मुंडन संस्कार करने से ग्रहों की अनुकूलता मिलती है, जो बच्चे के जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता लाने में सहायक होती है।

          मुंडन संस्कार का शुभ मूहूर्त और इसका ज्योतिषीय महत्व बेहद महत्वपूर्ण है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह संस्कार बच्चे के जीवन में सकारात्मकता लाने का कार्य करता है और पूरे परिवार के लिए एक खुशी का अवसर होता है।इसलिए, जब भी आप अपने बच्चे के मुंडन संस्कार का आयोजन करें, तो शुभ मूहूर्त का ध्यान रखें और ज्योतिषीय सलाह को अपनाएं। इस तरह आप अपने बच्चे के जीवन को सफल और खुशहाल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाएंगे।मुंडन संस्कार न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह बच्चे के स्वास्थ्य, भविष्य, और समाज में उसके स्थान को भी प्रभावित करता है। सही समय पर और सही तरीके से किया गया मुंडन संस्कार बच्चे के जीवन में एक नई शुरुआत का प्रतीक है।

          आपके तारे में आपका स्वागत है. जान‍िए ज्योतिष के अनुसार आज रखना है क‍िन बातों का ध्यान. कौन-सा रंग,अंक रहेगा आपके ल‍िए शुभ और द‍िन को बेहतर बनाने के ल‍िए करना होगा कौन सा उपाय. …

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          TESTIMONIALS

          सौरभ वर्मा, उज्जैन (Google reviews)
          “बिजनेस में हो रहे घाटे से परेशान था। साहू जी के उपायों से मेरे व्यवसाय में तेजी से मुनाफा होने लगा है। उनकी सलाह बेहद फायदेमंद रही।”

            पूजा मिश्रा, भोपाल (Google reviews)
          “मैं अपने बच्चे के भविष्य को लेकर चिंतित थी। साहू जी की ज्योतिषीय सलाह और उपायों से मेरे बच्चे का भविष्य उज्जवल हो रहा है।”

           विपिन अग्रवाल, रतलाम (Google reviews)
          “ऑफिस के वास्तु दोष के कारण समस्याएँ हो रही थीं। साहू जी ने सटीक उपाय बताए और अब ऑफिस का माहौल पूरी तरह से सकारात्मक हो गया है।”

            मंजू शर्मा, इंदौर (Google reviews)
          “मेरे परिवार में बहुत समय से स्वास्थ्य समस्याएँ चल रही थीं। साहू जी के ज्योतिषीय उपायों से हमारे परिवार की सेहत में सुधार हुआ है।”

            राजीव तिवारी, उज्जैन (Google reviews)
          “व्यक्तिगत समस्याओं के समाधान के लिए साहू जी से संपर्क किया। उनकी सटीक भविष्यवाणी और उपायों ने मेरे जीवन को बेहतर दिशा दी है।”

            शिल्पा पांडे, इंदौर (Google reviews)
          “हमारे परिवार में बार-बार हो रहे झगड़ों के कारण मानसिक शांति नहीं थी। एस्ट्रोलॉजर साहू जी के उपायों से अब परिवार में शांति और समझ बढ़ी है। उनका मार्गदर्शन बहुत कारगर रहा।”

            अंकित शर्मा, भोपाल (Google reviews)
          “मेरी ज़िंदगी में बार-बार असफलताएँ मिल रही थीं। एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने मेरे ग्रहों के अनुसार उपाय बताए, जिनसे मेरे जीवन में स्थिरता आई और अब मुझे सफलता मिल रही है।”

            स्नेहा जैन, उज्जैन (Google reviews)
          “बेटे की पढ़ाई को लेकर बहुत चिंतित थी। साहू जी के उपायों से उसके शिक्षा में ध्यान बढ़ा और अब वह अच्छे परिणाम प्राप्त कर रहा है।”

            रवि पटेल, इंदौर (Google reviews)
          “लगातार हो रही दुर्घटनाओं और स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान था। साहू जी ने मेरे ग्रहों की स्थिति देखकर उपाय बताए, जिनसे अब मेरे जीवन में सुरक्षा और सेहत दोनों बेहतर हो गई हैं।”

            राहुल तिवारी, भोपाल (Google reviews)
          “शादी की योजना बनाते समय कुंडली मिलान के लिए साहू जी से सलाह ली। उनके द्वारा किया गया कुंडली मिलान और दिए गए उपाय बेहद लाभकारी रहे।”

          शुभ मूहूर्त में रत्न धारण करने के लाभ: ज्योतिषीय ज्ञान

          ज्योतिष एक प्राचीन विज्ञान है जो ग्रहों और नक्षत्रों की स्थिति का अध्ययन करता है और उनके प्रभावों को समझने में मदद करता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार भारत में, रत्न धारण करना एक प्रचलित प्रथा है, जो व्यक्तियों के जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य लाने के लिए की जाती है। रत्नों का चयन और उनके धारण करने का सही समय, जिसे शुभ मूहूर्त कहा जाता है, विशेष महत्व रखता है। इस ब्लॉग में हम शुभ मूहूर्त में रत्न धारण करने के लाभों और ज्योतिषीय ज्ञान पर चर्चा करेंगे।

          रत्नों का महत्व

          रत्नों का भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान है। इन्हें केवल सुंदरता के लिए नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और ज्योतिषीय लाभ के लिए भी धारण किया जाता है। विभिन्न रत्नों का विभिन्न ग्रहों से संबंध होता है। जैसे:

          • माणिक्य (सूर्य के लिए
          • पुखराज (गुरु के लिए
          • मोती (चंद्रमा के लिए
          • निष्क (शुक्र के लिए
          • नीलम (शनि के लिए

          इन रत्नों का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होता है। सही समय पर रत्न धारण करने से इनकी ऊर्जा और प्रभाव को बढ़ाया जा सकता है।

          शुभ मूहूर्त का महत्व

          शुभ मूहूर्त का अर्थ है ऐसा समय जब कोई विशेष कार्य, जैसे कि रत्न धारण करना, किया जाए जिससे उसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हों। ज्योतिष में मूहूर्त का निर्धारण कई कारकों पर निर्भर करता है:

          चंद्रमा की स्थिति: चंद्रमा की स्थिति का व्यक्ति के मनोदशा और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव होता है। यदि चंद्रमा शुभ राशि में है, तो रत्न धारण करने से उसके प्रभाव में वृद्धि होती है।

          ग्रहों की स्थिति: ग्रहों की स्थिति और उनके संबंध भी मूहूर्त के महत्व को निर्धारित करते हैं। शुभ ग्रहों के प्रभाव में रत्न धारण करना लाभकारी होता है।

          नक्षत्र: नक्षत्रों का मूहूर्त में विशेष महत्व होता है। विभिन्न नक्षत्रों के विभिन्न अर्थ होते हैं और कुछ नक्षत्र रत्न धारण करने के लिए विशेष रूप से अच्छे होते हैं।

          रत्न धारण करने के लाभ

          मानसिक स्वास्थ्य में सुधार

          मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार रत्न धारण करने से व्यक्ति की मानसिक स्थिति में सुधार होता है। जैसे, मोती धारण करने से चंद्रमा की शुभता बढ़ती है, जिससे मन में शांति और संतुलन बना रहता है। मानसिक तनाव और चिंता कम होती है, जिससे व्यक्ति अपने कार्य में अधिक ध्यान केंद्रित कर सकता है।

          स्वास्थ्य लाभ

          ज्योतिष के अनुसार, रत्नों में अद्भुत चिकित्सा गुण होते हैं। जैसे, पुखराज स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को दूर करने में सहायक होता है। सही मूहूर्त में रत्न धारण करने से व्यक्ति की सेहत में सुधार होता है।

           आर्थिक समृद्धि

          रत्नों का धारण करना आर्थिक समृद्धि का मार्ग प्रशस्त करता है। जैसे, माणिक्य धारण करने से व्यक्ति के व्यवसाय में उन्नति होती है और वित्तीय समस्याओं का समाधान होता है। शुभ मूहूर्त में रत्न धारण करने से धन के मार्ग में बाधाएं दूर होती हैं।

           सकारात्मक ऊर्जा का संचार

          रत्नों में विशेष प्रकार की ऊर्जा होती है, जो व्यक्ति के चारों ओर सकारात्मकता का संचार करती है। जैसे, नीलम व्यक्ति को निर्णय लेने की क्षमता में सुधार करता है। शुभ मूहूर्त में धारण करने से रत्नों की ऊर्जा का प्रभाव और भी बढ़ जाता है।

           सामाजिक स्थिति में वृद्धि

          रत्न धारण करने से व्यक्ति की सामाजिक स्थिति में वृद्धि होती है। जैसे, निष्क धारण करने से व्यक्ति के व्यक्तित्व में निखार आता है और वह समाज में अधिक सम्मानित होता है। सही समय पर रत्न धारण करने से यह प्रभाव और भी सकारात्मक होता है।

          रत्न धारण करने की प्रक्रिया

          रत्न धारण करने की प्रक्रिया में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना आवश्यक है:

          रत्न का चयन: सबसे पहले, व्यक्ति की कुंडली के अनुसार सही रत्न का चयन करें। इससे रत्न का प्रभाव अधिकतम होगा।

          शुभ मूहूर्त का निर्धारण: रत्न धारण करने के लिए शुभ मूहूर्त का निर्धारण करें। ज्योतिषीय सलाह के अनुसार सही समय का चयन करें।

          पवित्रता का ध्यान रखें: रत्न को धारण करने से पहले उसे अच्छी तरह से धो लें और प्रार्थना करें। इससे रत्न की ऊर्जा में वृद्धि होती है।

          धारण का तरीका: रत्न को उपयुक्त अंगुली में धारण करें, जैसे कि सोने या चांदी की अंगूठी में। रत्न धारण करते समय ध्यान रखें कि वह आपकी त्वचा के संपर्क में हो।

          समर्पण की भावना: रत्न धारण करते समय मन में समर्पण और श्रद्धा का भाव रखें। इससे रत्न का प्रभाव बढ़ता है।

          विशेष मूहूर्त में रत्न धारण करना

          ज्योतिष में कुछ विशेष मूहूर्त होते हैं, जिन्हें रत्न धारण करने के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। जैसे:

          • चंद्रमा के पूर्णिमा के दिन: इस दिन रत्न धारण करना अत्यंत लाभकारी होता है।
          • वर्षा ऋतु में: वर्षा ऋतु में रत्न धारण करने से उनकी ऊर्जा अधिकतम होती है।
          • नवरात्रि के दौरान: नवरात्रि के दौरान रत्न धारण करने से विशेष लाभ होता है।

          रत्न धारण करना एक प्रभावी ज्योतिषीय उपाय है, जो जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने में सहायक होता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार शुभ मूहूर्त में रत्न धारण करने से इसके प्रभाव में वृद्धि होती है। इसलिए, यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने कुंडली के अनुसार सही रत्न का चयन करें और उसे शुभ मूहूर्त में धारण करें।इस ज्ञान के माध्यम से आप अपने जीवन में रत्नों के प्रभाव को समझ सकते हैं और इसका सही उपयोग कर सकते हैं। ज्योतिषीय सलाह के अनुसार रत्न धारण करें और अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जाएं।

          आपके तारे में आपका स्वागत है. जान‍िए ज्योतिष के अनुसार आज रखना है क‍िन बातों का ध्यान. कौन-सा रंग,अंक रहेगा आपके ल‍िए शुभ और द‍िन को बेहतर बनाने के ल‍िए करना होगा कौन सा उपाय. …

          आज का विशेष उपाय भी बताएंगे.. अभी संपर्क करेदेश के प्रसिद्ध ज्योतिष एस्ट्रोलॉजर साहू जी से

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          TESTIMONIALS

          रजनी तिवारी, रतलाम (Google reviews)
          “ऑफिस में वास्तु दोष के कारण बार-बार नुकसान हो रहा था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी के उपायों से अब व्यवसाय में स्थिरता आ गई है। उनकी सलाह कारगर रही।”

           शिवानी जोशी, भोपाल (Google reviews)
          “मेरे वैवाहिक जीवन में समस्याएँ आ रही थीं। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह और उपायों से हमारे रिश्ते में सुधार हुआ है। अब हम खुशी से जीवन बिता रहे हैं।”

            अर्जुन सिंह, इंदौर (Google reviews)
          “शादी के बाद रिश्तों में परेशानियाँ थीं। साहू जी की वैवाहिक परामर्श से हमारे जीवन में शांति और समर्पण वापस आ गया है।”

           मधु अग्रवाल, इंदौर (Google reviews)
          “घर में लगातार आ रही परेशानियों के लिए साहू जी से वास्तु शांति के उपाय किए। उनकी सलाह ने हमारे घर की ऊर्जा को सकारात्मक रूप से बदल दिया। अब घर में सुख और शांति है।”

           रवि मिश्रा, उज्जैन (Google reviews)
          “ऑफिस में वास्तु शांति के लिए साहू जी से संपर्क किया। उनके सुझाए गए उपायों से हमारे ऑफिस का माहौल बेहद अच्छा हो गया है, और व्यवसाय में भी वृद्धि हो रही है।”

            सुमन गुप्ता, भोपाल (Google reviews)
          “कई सालों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थी। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह के बाद, मेरे स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार होने लगा। उनके उपाय वाकई अद्भुत हैं।”

            दीपक तिवारी, इंदौर (Google reviews)
          “बिजनेस में अस्थिरता के कारण परेशान था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी के मार्गदर्शन से अब व्यवसाय में स्थिरता और मुनाफा बढ़ रहा है। उनकी सलाह से बड़ा लाभ हुआ।”

           आराधना मिश्रा, उज्जैन (Google reviews)
          “संतान प्राप्ति में दिक्कतों का सामना कर रही थी। साहू जी के उपाय और पूजा पद्धति से हमें सकारात्मक परिणाम मिले। उनका आभार व्यक्त करने के लिए शब्द कम हैं।”

            राजेश चौहान, देवास (Google reviews)
          “मेरे रिश्तों में लगातार तनाव था। साहू जी ने मुझे कुछ आसान उपाय बताए, जिनसे मेरे रिश्ते फिर से मधुर हो गए हैं। उनका मार्गदर्शन अतुलनीय है।”

            कविता शुक्ला, इंदौर (Google reviews)
          “आर्थिक रूप से लगातार संघर्ष कर रही थी। साहू जी की सलाह और उपायों ने मेरी आर्थिक स्थिति में सुधार किया। अब मेरी आय में स्थिरता आ गई है।”

          स्वास्थ्य और ज्योतिष: धर्मशास्त्र में स्वास्थ्य सुधार के उपाय

          भारतीय धर्मशास्त्र और ज्योतिष का गहरा संबंध स्वास्थ्य से है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार प्राचीन काल से ही वेदों, उपनिषदों, और धर्मशास्त्रों में स्वास्थ्य को जीवन का एक महत्वपूर्ण अंग माना गया है। ज्योतिष और धर्मशास्त्र दोनों ही स्वास्थ्य को सुधारने और रोगों को दूर करने के लिए विशेष उपाय सुझाते हैं। इन उपायों का उद्देश्य न केवल शरीर को स्वस्थ रखना होता है, बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक शांति भी प्राप्त करना होता है।

          ज्योतिष और स्वास्थ्य

          ज्योतिष के अनुसार, प्रत्येक ग्रह का हमारे जीवन और स्वास्थ्य पर विशिष्ट प्रभाव होता है। जन्म कुंडली में ग्रहों की स्थिति और उनकी चाल से व्यक्ति के स्वास्थ्य की भविष्यवाणी की जा सकती है। ग्रहों के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति को विभिन्न रोगों और मानसिक अस्थिरता का सामना करना पड़ सकता है। धर्मशास्त्रों में इन ग्रहों को शांत करने के उपायों का विस्तृत विवरण मिलता है।

          • सूर्य: सूर्य स्वास्थ्य का कारक ग्रह है और शरीर में आत्मविश्वास, ऊर्जा, और जीवन शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। सूर्य की अशुभ स्थिति से हृदय रोग, आँखों की समस्या, और कमजोरी हो सकती है।
          • चंद्रमा: मानसिक स्वास्थ्य का प्रतीक है। यदि चंद्रमा कमजोर हो, तो व्यक्ति को मानसिक तनाव, अनिद्रा, और चिंता जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।
          • मंगल: मंगल रक्त संचार, मांसपेशियों और ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी अशुभ स्थिति से रक्तचाप, चोट, और खून से संबंधित रोग हो सकते हैं।
          • शनि: शनि ग्रह दीर्घकालिक रोगों का प्रतिनिधित्व करता है। इसका अशुभ प्रभाव गठिया, हड्डियों की समस्या, और अवसाद जैसी बीमारियों का कारण बन सकता है।

          धर्मशास्त्र में स्वास्थ्य सुधार के ज्योतिषीय उपाय

          धर्मशास्त्रों में विभिन्न ग्रहों के अशुभ प्रभाव को शांत करने और स्वास्थ्य को सुधारने के लिए विभिन्न यज्ञ, अनुष्ठान, और मंत्रों का विशेष उल्लेख मिलता है। इन उपायों को करने से व्यक्ति अपने स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है और ग्रहों के अशुभ प्रभावों से बच सकता है।

           सूर्य उपासना

          धर्मशास्त्रों में सूर्य की उपासना को स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। प्रतिदिन सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य देने से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है और रोग दूर होते हैं। सूर्य मंत्रों का जाप करने से हृदय रोग और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।

           महामृत्युंजय मंत्र

          यह मंत्र शारीरिक और मानसिक रोगों को दूर करने के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। ज्योतिष में भी इसे ग्रहों के अशुभ प्रभाव से बचाने वाला माना गया है। महामृत्युंजय मंत्र के नियमित जाप से व्यक्ति दीर्घायु और स्वस्थ जीवन की प्राप्ति कर सकता है।

          रुद्राभिषेक

          मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार रुद्राभिषेक का आयोजन शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी होता है। यह पूजा भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने और ग्रह दोषों को शांत करने के लिए की जाती है। इस अनुष्ठान से व्यक्ति के जीवन से सभी रोग और अशांति दूर होती है।

          नवग्रह शांति यज्ञ

          धर्मशास्त्रों के अनुसार, नवग्रह शांति यज्ञ करने से सभी नौ ग्रहों के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं और व्यक्ति को समग्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। यह यज्ञ विशेष रूप से उन लोगों के लिए किया जाता है जिनकी कुंडली में ग्रह दोष होते हैं और जो दीर्घकालिक रोगों से पीड़ित होते हैं।

           गायत्री मंत्र जाप

          गायत्री मंत्र का जाप मानसिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है। यह मंत्र मानसिक तनाव, चिंता, और अनिद्रा जैसी समस्याओं को दूर करता है और व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को सुधारता है।

          ग्रह दोषों से बचाव के उपाय

          धर्मशास्त्रों में ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए विशेष उपायों का उल्लेख किया गया है। इन उपायों से व्यक्ति ग्रह दोषों से बचकर अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है। उदाहरण के लिए:

          • शनि दोष: शनि की शांति के लिए काले तिल, लोहे की वस्तुएं और शनि मंत्र का जाप लाभकारी माना जाता है।
          • राहु-केतु दोष: राहु और केतु की शांति के लिए विशेष पूजा और हवन का आयोजन किया जाता है। इसके अलावा राहुकेतु मंत्रों का जाप करने से भी उनके अशुभ प्रभाव से बचा जा सकता है।
          • मंगल दोष: मांगलिक दोष से बचने के लिए मंगल मंत्र का जाप और मंगल यज्ञ का आयोजन किया जाता है। यह उपाय रक्त संचार और मांसपेशियों की समस्याओं को दूर करने में सहायक होते हैं।

          आहार और जीवनशैली में सुधार

          धर्मशास्त्रों में आहार और जीवनशैली को स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है। एक स्वस्थ जीवनशैली ग्रहों के प्रभाव को भी सकारात्मक बना सकती है। इसके लिए कुछ प्रमुख उपाय इस प्रकार हैं:

          सात्विक आहार: धर्मशास्त्रों में सात्विक आहार का पालन करने की सलाह दी गई है। शुद्ध और पौष्टिक भोजन ग्रहों के सकारात्मक प्रभाव को बढ़ाता है और शरीर को स्वस्थ रखता है।

          योग और प्राणायाम: योग और प्राणायाम मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने के लिए अत्यंत लाभकारी माने जाते हैं। धर्मशास्त्रों में योग को आत्मा और शरीर के संतुलन के लिए महत्वपूर्ण बताया गया है।

          नियमित दिनचर्या: नियमित दिनचर्या का पालन करने से व्यक्ति अपने जीवन में संतुलन और शांति प्राप्त करता है। धर्मशास्त्रों के अनुसार, नियमित दिनचर्या का पालन ग्रह दोषों को भी शांत करता है।

          स्वास्थ्य सुधार के अन्य उपाय

          धर्मशास्त्रों में कुछ विशेष धार्मिक क्रियाओं का उल्लेख भी स्वास्थ्य सुधार के लिए किया गया है, जैसे कि:

          • पीपल और तुलसी का पूजन: पीपल और तुलसी के पौधों की नियमित पूजा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
          • भगवान धन्वंतरि की पूजा: भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद के देवता माना जाता है। उनकी पूजा करने से रोगों से मुक्ति मिलती है और आयु की वृद्धि होती है।
          • चंद्रमा की उपासना: चंद्रमा की शांति के लिए विशेष अनुष्ठान और मंत्र जाप किए जाते हैं, जो मानसिक स्वास्थ्य को सुधारते हैं और मानसिक तनाव को दूर करते हैं।

          धर्मशास्त्र और ज्योतिष दोनों ही स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए विशेष उपाय प्रदान करते हैं। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इन उपायों का पालन करने से व्यक्ति न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक और आध्यात्मिक रूप से भी स्वस्थ रहता है। ग्रहों के प्रभावों को शांत करने के लिए यज्ञ, अनुष्ठान, मंत्र जाप और धार्मिक क्रियाओं का पालन व्यक्ति के जीवन में संतुलन और शांति लाता है। इस प्रकार, धर्मशास्त्रों में बताए गए उपाय और ज्योतिषीय सिद्धांत आज भी हमारे स्वास्थ्य और जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं।

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          TESTIMONIALS

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          सुषमा रावत, जयपुर (Google Reviews)
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          अजय जैन, विदिशा (Google reviews)
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