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महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग: ज्योतिषीय दृष्टकोण से महिमा और महत्व

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग भारत के प्राचीन और पवित्र मंदिरों में से एक है। यह ज्योतिर्लिंग उज्जैन, मध्य प्रदेश में स्थित है, इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार जिसे भगवान शिव का सबसे प्रमुख और शक्तिशाली रूप माना जाता है। महाकालेश्वर की महिमा इतनी अधिक है कि यह न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है। महाकाल का आशीर्वाद जीवन में सफलता, शांति और समृद्धि लाता है।इस ब्लॉग में, हम महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की महत्ता, उसकी धार्मिक पृष्ठभूमि और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से इसे कैसे देखा जाता है, इस पर गहराई से चर्चा करेंगे।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का पौराणिक महत्व

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का उल्लेख अनेक पुराणों और वेदों में मिलता है। इसे भगवान शिव के तीन प्रमुख रूपों में से एक माना गया है। पुराणों के अनुसार, एक बार उज्जैन में एक ब्राह्मण परिवार भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। एक राक्षस, दूषण, उस परिवार को परेशान करने लगा और उनकी तपस्या भंग करने का प्रयास किया। इस पर भगवान शिव ने स्वयं प्रकट होकर उस राक्षस का वध किया और वहीं ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रतिष्ठित हो गए। इसलिए, महाकालेश्वर को काल (समय) का भी अधिपति माना जाता है, जो हर प्रकार के काल पर विजय प्राप्त करने की शक्ति रखते हैं।

ज्योतिष के अनुसार, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में विशेष तौर पर काल और समय की महत्ता को प्रभावित करता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यदि किसी की कुंडली में कालसर्प दोष, पितृ दोष, शनि दोष या मंगल दोष हो, तो महाकालेश्वर की पूजा करने से इन दोषों का निवारण होता है। महाकाल की आराधना से जातक को ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है और शांति व सुख की प्राप्ति होती है।

कालसर्प दोष का निवारण:

कालसर्प दोष उन लोगों की कुंडली में होता है जिनकी जन्मकुंडली में सभी ग्रह राहु और केतु के बीच में आ जाते हैं। इस दोष से जातक को जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से इस दोष के निवारण के लिए अत्यंत प्रभावी मानी जाती है। उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में कालसर्प दोष की शांति के लिए विशेष पूजा और अनुष्ठान होते हैं, जिससे जातक को इस दोष से मुक्ति मिलती है।

शनि दोष और महाकालेश्वर:

शनि का अशुभ प्रभाव जीवन में अनेक बाधाएँ उत्पन्न करता है, जैसे कि नौकरी में समस्याएँ, व्यापार में हानि, पारिवारिक तनाव, और स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ। महाकालेश्वर की आराधना और अभिषेक से शनि के अशुभ प्रभावों से मुक्ति पाई जा सकती है। उज्जैन, जिसे शिव की नगरी भी कहा जाता है, में शनि और महाकाल की संयुक्त आराधना से विशेष लाभ मिलता है। महाकालेश्वर मंदिर में शनि दोष निवारण के लिए विशेष अनुष्ठान आयोजित होते हैं, जिससे जातक को शनि की शांति प्राप्त होती है।

मंगल दोष का शमन:

ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह का अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। यदि किसी की कुंडली में मंगल दोष हो, तो उसे वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। महाकालेश्वर की पूजा से इस दोष का निवारण होता है। महाकाल की कृपा से व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में सुख और शांति की प्राप्ति होती है, और मंगल के दुष्प्रभाव कम हो जाते हैं। उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में विशेष रूप से मंगल दोष की शांति के लिए पूजा की जाती है, जिससे जातक को लाभ मिलता है।

पितृ दोष का निवारण:

पितृ दोष उन लोगों की कुंडली में होता है जिनके पूर्वजों की आत्माएँ संतुष्ट नहीं होतीं। इसका कारण पूर्वजों की आत्माओं को उचित तर्पण न मिलना होता है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा से पितृ दोष का शमन होता है। उज्जैन, जिसे मोक्ष नगरी कहा जाता है, में पितृ दोष निवारण के लिए विशेष पूजा की जाती है। महाकालेश्वर की पूजा से पितरों की आत्माओं को शांति मिलती है और जातक को इस दोष से मुक्ति प्राप्त होती है।

महाकाल की पूजा से मिलने वाले लाभ

महाकालेश्वर की पूजा और अभिषेक करने से जातक को कई प्रकार के लाभ होते हैं। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से ये लाभ विशेष रूप से ग्रहों के दोषों को शांति प्रदान करते हैं। महाकाल की कृपा से व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन, वैवाहिक सुख और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। आइए, महाकालेश्वर की पूजा से मिलने वाले प्रमुख लाभों पर नजर डालें:

स्वास्थ्य में सुधार:

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव से स्वास्थ्य समस्याएँ हो रही हों, तो महाकालेश्वर की पूजा से इन समस्याओं का समाधान होता है। महाकाल के आशीर्वाद से व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार प्राप्त होता है। विशेष रूप से शनि और मंगल ग्रह के कारण उत्पन्न रोगों का निवारण होता है।

धन और समृद्धि:

महाकालेश्वर की कृपा से धन और समृद्धि की प्राप्ति होती है। यदि किसी की कुंडली में राहु या केतु के प्रभाव से आर्थिक समस्याएँ हो रही हों, तो महाकाल की पूजा से इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव समाप्त होते हैं और आर्थिक स्थिति में सुधार आता है।

वैवाहिक जीवन में सुख:

महाकालेश्वर की पूजा मंगल दोष और शनि दोष का निवारण करने में सहायक होती है। इसके साथ ही वैवाहिक जीवन में आने वाली समस्याओं का समाधान भी होता है। जो लोग विवाह में देरी या वैवाहिक जीवन में समस्याओं का सामना कर रहे होते हैं, उन्हें महाकाल की आराधना से विशेष लाभ होता है।

ग्रह दोषों का शमन:

महाकालेश्वर की पूजा के माध्यम से जातक के जीवन से विभिन्न ग्रह दोषों का शमन होता है। राहु, केतु, शनि, मंगल आदि ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है, जिससे जातक के जीवन में शांति और स्थिरता आती है। उज्जैन में महाकाल मंदिर में ग्रह दोष शांति के लिए अनेक प्रकार की पूजा और अनुष्ठान आयोजित होते हैं, जिनसे जातक को विशेष लाभ मिलता है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा विधि

महाकालेश्वर की पूजा विशेष रूप से सोमवार को की जाती है, क्योंकि सोमवार भगवान शिव का प्रिय दिन माना जाता है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा विधि में जल, दूध, शहद, चंदन, और बेलपत्र चढ़ाए जाते हैं। इसके साथ ही महामृत्युंजय मंत्र और रुद्राष्टक का पाठ किया जाता है। उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर में विशेष रूप से महाकाल की भस्म आरती की जाती है, जो सुबह ब्रह्म मुहूर्त में होती है और इसे देखने के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं।

महाकाल की आराधना के ज्योतिषीय मंत्र

महाकाल की पूजा के समय कुछ विशेष ज्योतिषीय मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जिससे व्यक्ति को ग्रह दोषों से मुक्ति मिलती है और महाकाल की कृपा प्राप्त होती है। यहाँ कुछ प्रमुख मंत्र दिए गए हैं:

महामृत्युंजय मंत्र: “ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥”

यह मंत्र जीवन में सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए विशेष रूप से प्रभावी माना जाता है।

शिव पंचाक्षर मंत्र: “ॐ नमः शिवाय”

यह मंत्र शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यधिक प्रभावी होता है।

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अतुलनीय है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार महाकाल की आराधना से जातक को जीवन की सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है और ग्रहों के दोष समाप्त होते हैं। महाकाल का आशीर्वाद हर प्रकार के समय और काल पर विजय प्राप्त करने की शक्ति प्रदान करता है।महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की पूजा ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है, और जो भी भक्त सच्चे मन से महाकाल की आराधना करता है, उसे जीवन में समृद्धि, शांति, और सफलता अवश्य प्राप्त होती है।

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ज्योतिषीय दृष्टिकोण से मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन का महत्व

भारत के प्राचीन तीर्थ स्थलों में मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। इसे द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक माना जाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा और दर्शन से न केवल धार्मिक और आध्यात्मिक लाभ मिलते हैं, बल्कि इसका ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी विशेष महत्व है। ज्योतिष में ग्रहों और उनके प्रभावों का मानव जीवन पर गहरा असर माना जाता है। इस लेख में हम मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन के ज्योतिषीय महत्व, ग्रह दोषों के निवारण और जीवन के विभिन्न पहलुओं पर इसके प्रभाव पर विस्तृत चर्चा करेंगे।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग का पौराणिक महत्व

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की स्थापना से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं। एक प्रमुख कथा के अनुसार, भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने विवाह न करने का निर्णय लिया था और वे क्रोधित होकर कैलाश पर्वत छोड़कर दक्षिण भारत के श्रीशैल पर्वत पर चले गए। उनके पीछे माता-पिता शिव और पार्वती भी वहां पहुंचे। वहां भगवान शिव ने ज्योतिर्लिंग के रूप में स्वयं को स्थापित किया, जिसे मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के नाम से जाना गया। इसे शिव और शक्ति के संयुक्त रूप की पूजा के रूप में भी देखा जाता है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की ज्योतिषीय महत्ता

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, भगवान शिव को समस्त ग्रहों के अधिपति माना जाता है। उनका आशीर्वाद ग्रहों के प्रतिकूल प्रभावों को समाप्त करने की शक्ति रखता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा और दर्शन से व्यक्ति के जीवन में ग्रह दोषों का निवारण होता है। खासकर, राहुकेतु, शनि और चंद्रमा से जुड़े दोषों के निवारण में इस ज्योतिर्लिंग की विशेष महत्ता मानी जाती है।

 राहु और केतु दोष का निवारण

राहु और केतु को छाया ग्रह माना जाता है, और इनका प्रभाव ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में राहु और केतु के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति के जीवन में अचानक उत्पन्न होने वाली कठिनाइयाँ, मानसिक तनाव, और स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा और दर्शन से राहुकेतु, दोष का निवारण होता है। इसके अलावा, राहु-केतु से उत्पन्न होने वाले कलह, मानसिक समस्याओं और अप्रत्याशित घटनाओं से भी छुटकारा मिलता है।

शनि दोष का निवारण

शनि ग्रह को कर्म का ग्रह माना जाता है, और इसका प्रभाव व्यक्ति के जीवन पर गहरा होता है। शनि के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति को आर्थिक समस्याएँ, करियर में अवरोध, और स्वास्थ्य संबंधित कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन और पूजा से शनि के प्रतिकूल प्रभावों का निवारण होता है। यहाँ की पूजा शनि साढ़ेसाती, शनि की ढैय्या और शनि महादशा के दौरान विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है।

 चंद्र दोष का निवारण

चंद्रमा को मन और भावनाओं का अधिपति माना जाता है। चंद्रमा के अशुभ प्रभाव से व्यक्ति मानसिक तनाव, उदासी, और भावनात्मक अस्थिरता का अनुभव करता है। ज्योतिष के अनुसार  मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा से चंद्रमा के दोषों का निवारण होता है। इसके साथ ही व्यक्ति की मानसिक स्थिति में सुधार आता है और उसे शांति और स्थिरता प्राप्त होती है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग और आर्थिक उन्नति

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, व्यक्ति के आर्थिक जीवन में ग्रहों का विशेष महत्व होता है। ग्रहों की अनुकूल स्थिति से व्यक्ति को आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है, जबकि ग्रहों की प्रतिकूल स्थिति से आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा से ग्रहों के अशुभ प्रभावों का निवारण होता है और व्यक्ति के आर्थिक जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं। विशेषकर, मंगलीक दोष या शनि से संबंधित आर्थिक समस्याओं से मुक्ति प्राप्त करने के लिए मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग और विवाह संबंधी समस्याएँ

विवाह जीवन में सुख और शांति का एक महत्वपूर्ण आधार है, और ग्रहों की स्थिति का इस पर गहरा प्रभाव होता है। कुंडली में मंगल दोष, राहु-केतु या शनि के दोषों के कारण व्यक्ति को विवाह में बाधाएँ, दांपत्य जीवन में कलह, या विवाह में देरी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा इन दोषों को समाप्त करने में सहायक होती है। मल्लिकार्जुन की उपासना से व्यक्ति के विवाह संबंधी सभी समस्याओं का निवारण होता है और दांपत्य जीवन में शांति और सामंजस्य आता है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग और आध्यात्मिक उन्नति

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग केवल ग्रह दोषों का निवारण ही नहीं करता, बल्कि यह व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। साहू जी के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग की उपासना से व्यक्ति की आत्मा शुद्ध होती है और उसे जीवन के उच्चतम उद्देश्य की प्राप्ति होती है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की ऊर्जा से व्यक्ति का ध्यान और साधना में गहनता आती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति की ओर अग्रसर होने का मार्ग प्राप्त होता है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन का महत्व

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की यात्रा और दर्शन का विशेष महत्व है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, इस ज्योतिर्लिंग की यात्रा करने से व्यक्ति के जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में संतुलन आता है। इसे नवग्रहों के दोषों के निवारण के लिए विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। यहाँ की पूजा से न केवल भौतिक सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी होती है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा विधि

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की पूजा विधि में कुछ विशेष बातें ध्यान में रखनी चाहिए। साहू जी के अनुसार इस ज्योतिर्लिंग की पूजा में विशेष रूप से बेलपत्र, जल, दूध, और चंदन का उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, राहु-केतु और शनि दोषों के निवारण के लिए शिव पंचाक्षर मंत्र का जाप भी अत्यंत लाभकारी होता है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग और मानसिक शांति

मानसिक शांति प्राप्त करना आज के समय में सबसे बड़ी आवश्यकता है। व्यक्ति के जीवन में तनाव, चिंता, और अनिश्चितता का मुख्य कारण ग्रह दोष होते हैं। ज्योतिष के अनुसार मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन से व्यक्ति के जीवन में मानसिक शांति और संतुलन आता है। विशेष रूप से चंद्रमा, राहु और केतु के अशुभ प्रभावों से उत्पन्न मानसिक समस्याओं का समाधान यहाँ की पूजा द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।

मंत्र: “ॐ नमः शिवाय”

इस मंत्र का जाप मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के समक्ष करने से व्यक्ति के जीवन में शांति, संतुलन, और समृद्धि आती है। इसके साथ ही सभी ग्रह दोषों का निवारण होता है और व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इसके दर्शन से राहु, केतु, शनि, और चंद्रमा से संबंधित ग्रह दोषों का निवारण होता है। इस ज्योतिर्लिंग की पूजा से व्यक्ति के जीवन में मानसिक शांति, आर्थिक उन्नति, और दांपत्य जीवन में शांति आती है। मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग की उपासना से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है और उसे मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्राप्त होता है। इसीलिए, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग के दर्शन को ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।

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TESTIMONIALS

मनीषा जैन, ग्वालियर (Google reviews)
“शादी में आ रही रुकावटों को दूर करने में साहू जी की ज्योतिषीय सलाह बहुत कारगर साबित हुई। उन्होंने मेरी कुंडली देखकर कुछ उपाय बताए, जिनसे जल्द ही मेरा रिश्ता तय हो गया। उनके उपाय सरल और प्रभावी थे, और अब मैं बहुत खुश हूँ। साहू जी का आभार।”

संदीप गुप्ता, इंदौर (Google reviews)
“परिवार में चल रहे झगड़ों से परेशान था। साहू जी ने कुंडली देखकर कुछ उपाय सुझाए, जिनसे हमारे घर में शांति लौट आई। उनके उपायों ने हमारे रिश्तों में सुधार किया है और अब हमारे घर का माहौल बहुत सुखद हो गया है। मैं साहू जी का बहुत आभारी हूँ।”

कविता वर्मा, भोपाल (Google reviews)
“मेरे पति के करियर में काफी मुश्किलें आ रही थीं। साहू जी ने हमें उनकी कुंडली के अनुसार उपाय सुझाए, जिनसे उनके करियर में स्थिरता और उन्नति होने लगी। उनकी सटीक सलाह और उपाय बहुत असरदार साबित हुए हैं। धन्यवाद साहू जी!”

सौरभ शर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“आर्थिक संकट से जूझ रहा था और कोई समाधान नहीं मिल रहा था। साहू जी ने मेरी कुंडली देखकर सही मार्गदर्शन दिया और कुछ सरल उपाय बताए। उनके सुझावों से मेरी आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ और अब मैं आत्मविश्वास से जीवन जी रहा हूँ।”

अनामिका चौहान, इंदौर (Google reviews)
“मेरे बच्चे की पढ़ाई में ध्यान नहीं लग रहा था। साहू जी ने कुंडली देखकर कुछ उपाय बताए, जिनसे उसका ध्यान पढ़ाई में लगने लगा और अब वह बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। साहू जी की सलाह ने हमारे परिवार को बहुत मदद की है।”

रवि तिवारी, ग्वालियर (Google reviews)
“व्यापार में बार-बार असफलता मिल रही थी। साहू जी ने कुंडली देखकर व्यापार में सफलता पाने के लिए कुछ उपाय बताए। उनके उपायों को अपनाने के बाद मेरे व्यापार में वृद्धि होने लगी है। साहू जी की ज्योतिषीय सलाह ने मेरी जिंदगी बदल दी।”

पूजा मिश्रा, भोपाल (Google reviews)
“मेरी शादी में लगातार रुकावटें आ रही थीं। साहू जी ने कुंडली देखकर कुछ विशेष उपाय बताए, जिनसे जल्द ही अच्छा रिश्ता तय हो गया। उनकी सलाह और उपाय बहुत ही प्रभावी हैं। अब मैं शादीशुदा जीवन का आनंद ले रही हूँ। साहू जी का आभार!”

अजय वर्मा, उज्जैन (Google reviews)
“मेरे स्वास्थ्य में गिरावट आ रही थी और कई इलाजों के बाद भी कोई सुधार नहीं हो रहा था। साहू जी ने मेरी कुंडली देखकर स्वास्थ्य संबंधित उपाय सुझाए और अब मेरी तबीयत में काफी सुधार है। साहू जी की सलाह सचमुच प्रभावी रही।”

सुधा सिंह, इंदौर (Google reviews)
“घर में वास्तु दोष के कारण नकारात्मकता बढ़ रही थी। साहू जी ने घर की कुंडली और वास्तु का विश्लेषण किया और कुछ उपाय सुझाए। उनके उपायों का पालन करने से हमारे घर में शांति और सकारात्मक ऊर्जा लौट आई है। उनका आभार।”

रोहित जैन, ग्वालियर (Google reviews)
“करियर में लगातार संघर्ष कर रहा था और मुझे सफलता नहीं मिल रही थी। साहू जी ने मेरी कुंडली देखकर कुछ उपाय बताए, जिनसे करियर में स्थिरता और प्रगति होने लगी है। अब मैं अपने भविष्य को लेकर आश्वस्त हूँ। साहू जी का धन्यवाद!”

शक्तिपीठों की यात्रा और कुंडली से चंद्र ग्रह दोष निवारण

चंद्र ग्रह ज्योतिषीय दृष्टि में बेहद महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। यह मन, मानसिक स्थिति, भावनाओं और जीवन के कई पहलुओं पर सीधा प्रभाव डालता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार कुंडली में चंद्र की अशुभ स्थिति या चंद्र दोष का परिणाम व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य और जीवन के अन्य क्षेत्रों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। चंद्र दोष के प्रभाव को कम करने और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए शक्तिपीठों की यात्रा और देवी आराधना को ज्योतिष में एक प्रभावी उपाय माना गया है।

इस ब्लॉग में हम चंद्र ग्रह दोष, उसके लक्षण, प्रभाव और शक्तिपीठों की यात्रा के माध्यम से चंद्र दोष निवारण के ज्योतिषीय उपायों पर चर्चा करेंगे।

चंद्र ग्रह दोष

चंद्र ग्रह हमारी कुंडली में सबसे अधिक संवेदनशील ग्रहों में से एक है, जो मानसिक स्थिरता, भावनात्मक संतुलन, और शांति को नियंत्रित करता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब कुंडली में चंद्र कमजोर स्थिति में होता है, जैसे नीच राशि में हो, अशुभ ग्रहों से दृष्ट हो, या राहुकेतु के साथ योग बना रहा हो, तो इसे चंद्र दोष कहा जाता है।

चंद्र दोष के कारण:

चंद्रमा की नीच स्थिति (विशेष रूप से वृश्चिक राशि में)

राहु या केतु के साथ युति

शनि या मंगल के प्रभाव में चंद्र

चतुर्थ या पंचम भाव में अशुभ ग्रहों की दृष्टि

चंद्रमा का दुर्बल होना (अमावस्या के निकट)

चंद्र दोष के लक्षण:

मानसिक अशांति और चिंता

डिप्रेशन और नकारात्मक विचार

नींद में समस्या

निर्णय लेने में कठिनाई

भावनात्मक अस्थिरता

बार-बार असफलता का सामना करना

शक्तिपीठों का ज्योतिषीय महत्व

शक्तिपीठ भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार ये वो पवित्र स्थल हैं जहाँ देवी सती के अंग गिरे थे। शक्तिपीठ न केवल आध्यात्मिक उन्नति का स्थान हैं बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी इनका अत्यधिक महत्व है। कहा जाता है कि इन पवित्र स्थलों की यात्रा करने से मन को शांति मिलती है और मानसिक समस्याओं का समाधान होता है, जो विशेष रूप से चंद्र ग्रह से संबंधित होते हैं।

शक्तिपीठों की यात्रा और चंद्र ग्रह दोष:

चंद्र दोष से पीड़ित व्यक्ति को शक्तिपीठों की यात्रा करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ये स्थल दिव्य शक्ति से जुड़े होते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शक्तिपीठों पर देवी की आराधना और पूजा से न केवल मानसिक शांति मिलती है बल्कि चंद्र ग्रह के दोषों का भी निवारण होता है। हर शक्तिपीठ में देवी का विशेष रूप से अभिषेक और पूजा करने से ग्रहों के दोष कम हो सकते हैं।

प्रमुख शक्तिपीठ और उनका चंद्र ग्रह दोष पर प्रभाव

भारत में कुल 52 शक्तिपीठ हैं, जो विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं। इन शक्तिपीठों में देवी के विभिन्न रूपों की पूजा होती है। आइए कुछ प्रमुख शक्तिपीठों पर नजर डालें जो चंद्र दोष निवारण में सहायक माने जाते हैं:

कामाख्या देवी शक्तिपीठ (असम):

कामाख्या देवी को आद्य शक्ति माना जाता है। उनकी आराधना से मानसिक संतुलन प्राप्त होता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्र दोष से पीड़ित व्यक्ति को कामाख्या देवी की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि यह मानसिक शांति और सकारात्मकता प्रदान करती है।

त्रिपुरा सुंदरी शक्तिपीठ (त्रिपुरा):

त्रिपुरा सुंदरी देवी का मंदिर मानसिक और भावनात्मक समस्याओं के समाधान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ देवी की पूजा करने से चंद्र ग्रह के दोषों से छुटकारा पाया जा सकता है।

महालक्ष्मी शक्तिपीठ (कोल्हापुर, महाराष्ट्र):

महालक्ष्मी देवी का यह स्थल भी चंद्र दोष से निवारण के लिए जाना जाता है। देवी की आराधना करने से मानसिक शांति और आर्थिक उन्नति दोनों प्राप्त होते हैं।

ज्वालामुखी देवी (हिमाचल प्रदेश):

ज्वालामुखी देवी की पूजा चंद्र ग्रह के दोषों को दूर करने में सहायक मानी जाती है। यहाँ की पवित्र अग्नि मानसिक और शारीरिक समस्याओं को दूर करने में सक्षम मानी जाती है।

शक्तिपीठों की यात्रा के लाभ और ज्योतिषीय उपाय

शक्तिपीठों की यात्रा को कुंडली के ग्रह दोषों के निवारण में महत्वपूर्ण माना जाता है। विशेष रूप से चंद्र दोष से पीड़ित व्यक्ति के लिए, शक्तिपीठों की यात्रा निम्नलिखित लाभ प्रदान कर सकती है:

मानसिक शांति:

चंद्र दोष के कारण उत्पन्न मानसिक समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए शक्तिपीठों की यात्रा और देवी की आराधना अत्यंत लाभकारी होती है। इससे मन की अशांति दूर होती है और भावनात्मक स्थिरता मिलती है।

ग्रहों की शांति:

शक्तिपीठों पर देवी की पूजा और हवन करने से चंद्र ग्रह के दोष शांत होते हैं। ज्योतिष के अनुसार इससे व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों का प्रभाव सकारात्मक होता है और अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।

आध्यात्मिक उन्नति:

शक्तिपीठों की यात्रा और देवी के दर्शन से व्यक्ति की आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है। यह ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचाव के लिए एक मजबूत ढाल का कार्य करता है।

देवी की कृपा

शक्तिपीठों पर देवी की पूजा से देवी की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति और समृद्धि प्रदान करती है।

शक्तिपीठों की यात्रा के अलावा, चंद्र ग्रह दोष को शांत करने के लिए कुछ अन्य ज्योतिषीय उपाय भी किए जा सकते हैं:

चंद्र दोष निवारण के अन्य ज्योतिषीय उपाय

चंद्रमा से संबंधित मंत्र:जाप

“ॐ सों सोमाय नमः” का नियमित जाप करने से चंद्र दोष का निवारण होता है। यह मंत्र मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।

मोती (पर्ल) धारण करना:

चंद्र दोष को शांत करने के लिए ज्योतिष में मोती धारण करने की सलाह दी जाती है। मोती चंद्रमा का रत्न है और इसे धारण करने से चंद्र ग्रह के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।

सोमवार का व्रत:

सोमवार का व्रत रखना और भगवान शिव की पूजा करना चंद्र ग्रह दोष को शांत करने में अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। शिवलिंग पर जल और दूध अर्पित करना भी लाभकारी होता है।

सफेद चीजों का दान:

चंद्रमा को संतुलित करने के लिए सफेद चीजें जैसे दूध, चावल, चीनी आदि का दान करना अत्यधिक लाभकारी होता है। यह उपाय चंद्र दोष को कम करने में सहायक होता है।

पानी में चावल डालकर स्नान:

स्नान के पानी में चावल डालकर स्नान करने से चंद्रमा का प्रभाव मजबूत होता है और मानसिक शांति मिलती है। यह चंद्र दोष को कम करने का सरल उपाय है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, चंद्र ग्रह दोष का व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव हो सकता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार शक्तिपीठों की यात्रा और देवी की आराधना इस दोष को कम करने और मानसिक शांति प्राप्त करने का एक प्रभावी उपाय है। इसके अलावा, विभिन्न ज्योतिषीय उपाय जैसे मंत्र जाप, रत्न धारण, व्रत आदि भी चंद्र दोष निवारण में सहायक होते हैं। शक्तिपीठों की यात्रा न केवल आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है, बल्कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में भी सफलता दिलाती है।

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TESTIMONIALS

शिवानी सिंग, इंदौर (Google reviews)
“पारिवारिक विवादों का समाधान चाहती थी। साहू जी ने मुझे कुछ सरल उपाय बताए, जिनसे हमारे रिश्तों में सुधार हुआ है। अब सब कुछ बेहतर चल रहा है।”

दीपक अग्रवाल, उज्जैन (Google reviews)
“मेरे व्यापार में लगातार हानि हो रही थी। साहू जी ने सही समय पर सलाह दी और उनके उपायों से अब मेरा व्यवसाय तरक्की कर रहा है। उनका आभार।”

काजल वर्मा, भोपाल (Google reviews)
“स्वास्थ्य समस्याओं के लिए सलाह लेने गई थी। साहू जी ने मुझे कुछ महत्वपूर्ण उपाय बताए, जिनसे मेरा स्वास्थ्य अब बेहतर हो गया है।”

नीरज चौहान, देवास (Google reviews)
“शादी में बार-बार अड़चनें आ रही थीं। साहू जी के उपायों से सब कुछ सही हो गया और हमारी शादी तय हो गई। उनके लिए धन्यवाद।”

प्रियंका जैन, ग्वालियर (Google reviews)
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अनिल शर्मा, इंदौर (Google reviews)
“कुंडली दोष के कारण आर्थिक समस्याएँ थीं। साहू जी के उपायों ने हमारी स्थिति में सुधार किया और अब हम आत्मविश्वास से जी रहे हैं।”

विभा गुप्ता, उज्जैन (Google reviews)
“मेरे बेटे की पढ़ाई को लेकर बहुत चिंता थी। साहू जी ने बहुत ही सटीक उपाय बताए और अब उसके नतीजे बहुत अच्छे आ रहे हैं।”

राजेश जैन, भोपाल (Google reviews)
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आकांक्षा तिवारी, रतलाम (Google reviews)
“वास्तु दोष के कारण घर में नकारात्मकता थी। साहू जी ने बहुत अच्छे उपाय बताए और अब घर का माहौल खुशहाल है।”

अमित शर्मा, इंदौर (Google reviews)
“मेरे परिवार में बार-बार बीमारियाँ आ रही थीं। साहू जी ने उचित उपाय बताए, जिनसे परिवार की सेहत में सुधार हुआ है।”

गुह्यकाली देवी शक्ति पीठ का धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व

गुह्यकाली देवी, जिन्हें माता काली का एक अद्भुत रूप माना जाता है, भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार देवी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है, लेकिन गुह्यकाली देवी का स्थान विशेष है। यह शक्तिपीठ उन 52 शक्तिपीठों में से एक है जहां देवी सती के अंग गिरे थे। गुह्यकाली देवी की पूजा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इसके कई लाभ हैं। इस लेख में हम गुह्यकाली देवी के धार्मिक महत्व, ज्योतिषीय पहलुओं, उनकी आराधना विधियों और जीवन में उनके प्रभावों पर चर्चा करेंगे।

गुह्यकाली देवी का धार्मिक महत्व

 देवी का स्वरूप

गुह्यकाली देवी का स्वरूप अत्यंत भव्य और भयावह है। ज्योतिष के अनुसार उनकी काली त्वचा, लाल आँखें और चार भुजाएँ होती हैं। देवी की भुजाओं में खड्ग, त्रिशूल, माला और कटारी होती है। देवी के इस रूप को देखकर भक्तों में भय और श्रद्धा दोनों का अनुभव होता है। गुह्यकाली देवी को शक्तियों की देवी माना जाता है, जो अपने भक्तों को संहारक शक्तियों से सुरक्षित रखती हैं।

गुह्यकाली की पूजा के विशेष अवसर

गुह्यकाली देवी की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि, दुर्गा पूजा और अमावस्या के दिन की जाती है। नवरात्रि के दौरान भक्त 9 दिनों तक उपवास रखकर देवी की आराधना करते हैं। इस अवसर पर विशेष हवन, पूजा और भोग अर्पित किया जाता है। भक्तों का मानना है कि इन दिनों देवी की कृपा विशेष रूप से उनके ऊपर होती है।

गुह्यकाली शक्तिपीठ की धार्मिक यात्रा

गुह्यकाली शक्तिपीठ की यात्रा एक अद्वितीय आध्यात्मिक अनुभव है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यहाँ आने वाले भक्त न केवल देवी की कृपा प्राप्त करते हैं, बल्कि उनकी आत्मा को शांति भी मिलती है। गुह्यकाली के भक्त यहाँ अपने संकटों से मुक्ति पाने और इच्छाओं की पूर्ति के लिए आते हैं। इस शक्तिपीठ का स्थल विशेष रूप से पवित्र माना जाता है, जहां हर भक्त को देवी की शक्ति का अनुभव होता है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण

गुह्यकाली देवी की पूजा का ज्योतिषीय महत्व भी अत्यधिक है। विभिन्न ग्रहों की स्थिति और उनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहाँ हम गुह्यकाली देवी की पूजा के माध्यम से ग्रहों के दोषों के निवारण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

शनि ग्रह का प्रभाव

शनि ग्रह को न्याय और कर्म का प्रतीक माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति अशुभ है, तो उसे जीवन में अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। गुह्यकाली देवी की पूजा से शनि के दुष्प्रभावों को कम करने में मदद मिलती है। ज्योतिष के अनुसार शनि की महादशा या साढ़ेसाती के दौरान गुह्यकाली की आराधना करने से व्यक्ति को मानसिक शांति और सुरक्षा मिलती है।

उपाय:

  • शनि के दोषों को दूर करने के लिए काले तिल, काले कपड़े और सरसों के तेल का दीपक अर्पित करना चाहिए।
  • “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जप करना भी विशेष लाभकारी है।

राहु और केतु का प्रभाव

राहु और केतु व्यक्ति के जीवन में अनिश्चितता और मानसिक तनाव का कारण बनते हैं। ज्योतिष के अनुसार इन ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए गुह्यकाली देवी की पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह पूजा राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को कम करती है और व्यक्ति को स्थिरता प्रदान करती है।

उपाय:

  • राहु और केतु के दोषों को दूर करने के लिए भक्तों को नीले या काले रंग के फूलों का अर्पण करना चाहिए।
  • “ॐ राहवे नमः” और “ॐ केतवे नमः” का जप करना लाभकारी है।

गुह्यकाली की आराधना की विधि

पूजा का सामान

गुह्यकाली देवी की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

  • काले या लाल रंग का वस्त्र
  • काले तिल, गुड़ और फूल
  • घी का दीपक
  • दूध और शहद
  • धूप और अगरबत्ती

पूजा की विधि

स्नान और स्वच्छता: पूजा आरंभ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

दीप जलाना: देवी के सामने घी का दीपक जलाएँ।

मंत्र जाप: देवी के मंत्रों का जाप करें।

“ॐ गुह्यकाली नमः” का 108 बार जप करें।

    अर्पण: काले तिल और फूल अर्पित करें।

    प्रार्थना: अपनी मनोकामनाओं के लिए देवी से प्रार्थना करें और अंत में प्रसाद वितरण करें।

    गुह्यकाली देवी के विशेष अनुष्ठान

    गुह्यकाली देवी की आराधना में विशेष अनुष्ठान और अनुष्ठान विधियों का पालन करना भी महत्वपूर्ण है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

    हवन

    हवन एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार इसमें विशेष प्रकार की जड़ी-बूटियों और औषधियों का उपयोग किया जाता है, जिससे वातावरण शुद्ध होता है और देवी की कृपा प्राप्त होती है।

    नवरात्रि पर्व

    नवरात्रि के दौरान गुह्यकाली देवी की विशेष पूजा होती है। भक्त 9 दिनों तक उपवासी रहकर देवी की आराधना करते हैं। इस दौरान देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, जो भक्तों को शक्ति और साहस प्रदान करती है।

    गुह्यकाली देवी के चमत्कारी अनुभव

    गुह्यकाली देवी के प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा के कारण कई चमत्कारी अनुभव साझा किए जाते हैं। ज्योतिष के अनुसार भक्तों का कहना है कि देवी की कृपा से उन्हें कठिनाईयों से मुक्ति मिली और उनके जीवन में सुख-शांति का आगमन हुआ।

    संकटों से मुक्ति: कई भक्तों ने अनुभव किया है कि गुह्यकाली देवी की पूजा से उनके जीवन में आए संकट अचानक समाप्त हो गए हैं।

    स्वास्थ्य लाभ: गुह्यकाली की आराधना से कई लोग गंभीर बीमारियों से ठीक हुए हैं। उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ है और उन्होंने सकारात्मकता का अनुभव किया है।

    व्यापार में सफलता: व्यवसाय में बाधाओं का सामना कर रहे कई लोग गुह्यकाली देवी की कृपा से अपने व्यवसाय में उन्नति और सफलता की प्राप्ति की बात करते हैं।

    गुह्यकाली देवी शक्तिपीठ का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अद्वितीय है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यहाँ देवी की आराधना करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और जीवन में स्थिरता मिलती है। विभिन्न ग्रहों के प्रभावों को संतुलित करने के लिए गुह्यकाली देवी की पूजा एक प्रभावी उपाय है। गुह्यकाली देवी का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धा और विश्वास के साथ आराधना करना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार इस प्रकार, गुह्यकाली देवी की पूजा से न केवल धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी भक्तों को लाभ मिलता है।

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    TESTIMONIALS

    ज्योति मिश्रा, इंदौर (Google reviews)
    “मेरे करियर से संबंधित अनिश्चितताएँ थीं, लेकिन साहू जी ने हस्तरेखा देखकर मुझे सही मार्ग दिखाया। उनकी भविष्यवाणी ने मुझे जीवन में नई दिशा दी।”

    नेहा गुप्ता, उज्जैन (Google reviews)
    “साहू जी की कुंडली मिलान सेवा का अनुभव शानदार रहा। उनकी सलाह ने हमारे वैवाहिक जीवन को मजबूती दी है और हम दोनों के बीच समझ और प्यार बढ़ा है।”

      सौरभ तिवारी, भोपाल (Google reviews)
    “मेरे जीवन में अनचाहे उतार-चढ़ाव हो रहे थे। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सटीक ज्योतिषीय सलाह और उपायों से अब मेरे जीवन में स्थिरता और संतुलन आ गया है।”

      पूजा वर्मा, इंदौर (Google reviews)
    “साहू जी की वास्तु सलाह ने हमारे घर की ऊर्जा को पूरी तरह से बदल दिया है। अब घर में शांति और समृद्धि का वातावरण बना हुआ है।”

      रजनी चौधरी, उज्जैन (Google reviews)
    “बेटे की पढ़ाई में ध्यान न लगने की समस्या थी। साहू जी की ज्योतिषीय उपायों से उसके एकाग्रता और पढ़ाई में काफी सुधार हुआ है।”

     अंकित शर्मा, भोपाल (Google reviews)
    “कुंडली के दोष के कारण जीवन में लगातार संघर्ष कर रहा था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी के उपायों से अब जीवन में शांति और प्रगति हो रही है।”

     रश्मि पांडे, इंदौर (Google reviews)
    “मेरे रिश्ते में लगातार तनाव था। साहू जी के कुंडली अनुसार बताए गए उपायों से अब हमारे रिश्ते में समझ और प्रेम बढ़ा है।”

      मनोज वर्मा, ग्वालियर (Google reviews)
    “कार्यक्षेत्र में पदोन्नति नहीं मिल रही थी। साहू जी के बताए उपायों से अब मुझे प्रमोशन मिला और मैं अपने करियर में उन्नति कर रहा हूँ।”

      सोनल गुप्ता, उज्जैन (Google reviews)
    “मेरे वैवाहिक जीवन में समस्याएँ थीं। साहू जी की कुंडली सलाह ने हमें एक नई दिशा दी और अब हम अपने रिश्ते को बेहतर तरीके से समझ पा रहे हैं।”

      राजेश चौहान, भोपाल (Google reviews)
    “व्यवसाय में लगातार नुकसान हो रहा था। साहू जी के द्वारा बताए गए उपायों से अब मेरे व्यवसाय में तेजी से मुनाफा बढ़ रहा है। उनकी सलाह अत्यंत कारगर रही।”

    कुंडलिका देवी शक्तिपीठ के दर्शन और पूजा से मंगल दोष निवारण

    भारत के प्रमुख 52 शक्तिपीठों में से एक है कुंडलिका देवी शक्तिपीठ, जो अपने अद्वितीय धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इस शक्तिपीठ में मां शक्ति का वास है और यहां की गई पूजा-अर्चना से कई प्रकार के ग्रह दोषों का निवारण होता है। विशेष रूप से मंगल दोष से प्रभावित लोगों के लिए कुंडलिका देवी की पूजा अत्यंत फलदायी मानी जाती है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से मंगल ग्रह से जुड़े दोष जीवन में कई प्रकार की कठिनाइयां ला सकते हैं, जैसे वैवाहिक जीवन में असंतुलन, दुर्घटनाएं, विवाद, रक्त संबंधी बीमारियां आदि। कुंडलिका देवी शक्तिपीठ का दर्शन और यहां की पूजा इन सभी समस्याओं को समाप्त करने में सहायक हो सकता है।

    कुंडलिका देवी शक्तिपीठ का पौराणिक महत्व

    कुंडलिका देवी शक्तिपीठ का नाम मां पार्वती की शक्ति कुंडलिका से जुड़ा हुआ है। इस स्थल की धार्मिक महत्ता प्राचीन काल से है, और यह माना जाता है कि यहां मां सती का कुंडल (कर्णफूल) गिरा था। इसी कारण इसे शक्तिपीठों में शामिल किया गया है। यह पवित्र स्थल उन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है जो मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों से पीड़ित हैं। यहां की गई पूजा से मंगल ग्रह के दोषों को शांत किया जा सकता है और जीवन में शांति और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।

    मंगल दोष और उसके ज्योतिषीय प्रभाव

    मंगल ग्रह को वैदिक ज्योतिष में महत्वपूर्ण ग्रहों में से एक माना गया है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इसे साहस, शक्ति, ऊर्जा, रक्त, अग्नि और उग्रता का प्रतीक माना जाता है। लेकिन जब कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ स्थान पर स्थित हो या मंगल दोष उत्पन्न हो, तो यह व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याएं पैदा कर सकता है। मंगल दोष निम्नलिखित समस्याएं उत्पन्न कर सकता है:

    वैवाहिक जीवन में तनाव: मंगल दोष से प्रभावित व्यक्ति के वैवाहिक जीवन में लगातार तनाव और विवाद हो सकते हैं। मंगल दोष को कुंडली के सातवें भाव में देखने पर वैवाहिक जीवन पर बुरा असर पड़ता है।

    स्वास्थ्य समस्याएं: मंगल दोष से रक्त, हड्डी, त्वचा, और मांसपेशियों से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके अलावा, चोट, दुर्घटनाएं, और सर्जरी की संभावना भी बढ़ जाती है।

    धन संबंधी समस्याएं: मंगल दोष से धन की हानि, अचानक खर्चे और संपत्ति विवाद भी हो सकते हैं। मंगल को भौतिक संपत्ति का स्वामी माना जाता है, इसलिए यह दोष आर्थिक जीवन को भी प्रभावित करता है।

    अति आक्रामकता: मंगल दोष से प्रभावित व्यक्ति अति उग्र और आक्रामक हो सकता है। यह उनकी व्यक्तिगत और सामाजिक जिंदगी को प्रभावित करता है।

    कुंडलिका देवी के दर्शन और पूजा से मंगल दोष निवारण

    कुंडलिका देवी शक्तिपीठ की पूजा मंगल दोष के निवारण के लिए अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यहां की गई पूजा व्यक्ति के जीवन से मंगल के अशुभ प्रभावों को शांत करती है और उसे शक्ति, साहस और धैर्य प्रदान करती है। आइए जानते हैं कैसे कुंडलिका देवी की पूजा से मंगल दोष का निवारण किया जा सकता है:

    मंगलवार के दिन विशेष पूजा

    मंगलवार को मंगल ग्रह का दिन माना जाता है और इस दिन कुंडलिका देवी की पूजा विशेष रूप से प्रभावी होती है। साहू जी के अनुसार भक्तों को इस दिन व्रत रखने और कुंडलिका देवी के दर्शन करने की सलाह दी जाती है। इस दिन देवी को लाल पुष्प, लाल वस्त्र, और गुड़ चढ़ाने से मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव शांत होते हैं।

    हनुमान चालीसा का पाठ

    कुंडलिका देवी की पूजा के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करना भी मंगल दोष निवारण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। ज्योतिष के अनुसार हनुमान जी को मंगल ग्रह का अधिष्ठाता देवता माना जाता है और उनकी उपासना से मंगल दोष का प्रभाव कम होता है। कुंडलिका देवी के समक्ष हनुमान चालीसा का पाठ मंगल दोष को शांत करता है और जीवन में शांति लाता है।

    लाल चंदन और रुद्राक्ष धारण

    ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, मंगल दोष से प्रभावित व्यक्ति को लाल चंदन और रुद्राक्ष धारण करने से विशेष लाभ होता है। कुंडलिका देवी की पूजा के दौरान लाल चंदन का तिलक लगाना मंगल के अशुभ प्रभाव को शांत करता है। रुद्राक्ष धारण करना भी अत्यंत प्रभावी होता है, क्योंकि यह मंगल ग्रह के क्रोध को नियंत्रित करता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।

    मंगल यंत्र की स्थापना

    कुंडलिका देवी शक्तिपीठ के दर्शन के साथ ही मंगल यंत्र की स्थापना घर या पूजा स्थल पर करना भी मंगल दोष निवारण के लिए अत्यंत फलदायी होता है। मंगल यंत्र का पूजन व्यक्ति के जीवन से अशुभ प्रभावों को दूर करता है और उसे शारीरिक और मानसिक शांति प्रदान करता है।

    दान और सेवा

    मंगल दोष को शांत करने के लिए कुंडलिका देवी के दर्शन के बाद भक्तों को लाल वस्त्र, गुड़, तांबा, और मसूर की दाल का दान करना चाहिए। साहू जी के अनुसार इसके साथ ही, गरीबों को भोजन कराना और सेवाकार्य करना भी मंगल दोष को शांत करने का एक प्रभावी उपाय है। दान करने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और मंगल के अशुभ प्रभाव दूर होते हैं।

    मंगल दोष से बचाव के अन्य ज्योतिषीय उपाय

    अंगारक योग से बचाव

    अगर आपकी कुंडली में मंगल और राहु का संयोजन हो, तो इसे अंगारक योग कहते हैं, जो अत्यधिक उग्र और हानिकारक होता है। इस योग को शांत करने के लिए कुंडलिका देवी की विशेष पूजा करनी चाहिए और लाल वस्त्र पहनकर देवी को गुड़ और चावल अर्पित करना चाहिए।

    मंगल दोष निवारण के लिए विशेष मंत्र

    मंगल दोष निवारण के लिए कुंडलिका देवी की पूजा के साथ मंगल के विशेष मंत्रों का जाप करना अत्यधिक फलदायी होता है। इनमें से कुछ प्रमुख मंत्र हैं:

    “ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।”

    “ॐ अंगारकाय नमः।”

    इन मंत्रों का नियमित जाप मंगल दोष के दुष्प्रभावों को समाप्त करता है और व्यक्ति को शांति और समृद्धि प्रदान करता है।

    लाल मूंगा रत्न धारण

    मंगल ग्रह के प्रभाव को संतुलित करने के लिए लाल मूंगा रत्न धारण करना भी ज्योतिषीय उपायों में शामिल है। यह रत्न व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक स्थिति में सुधार करता है और उसे शक्ति, साहस और ऊर्जा प्रदान करता है। कुंडलिका देवी के मंदिर में इस रत्न का पूजन कर धारण करना अत्यधिक लाभकारी होता है।

    विशेष हवन और यज्ञ

    कुंडलिका देवी शक्तिपीठ में विशेष हवन और यज्ञ का आयोजन भी मंगल दोष निवारण के लिए किया जा सकता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार यह हवन मंगल ग्रह के अशुभ प्रभावों को समाप्त करता है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाता है। इस हवन में तांबा, गुड़, मसूर की दाल, और घी का उपयोग होता है।

    कुंडलिका देवी शक्तिपीठ की यात्रा से लाभ

    कुंडलिका देवी शक्तिपीठ की यात्रा और यहां की गई पूजा से मंगल दोष के निवारण के साथ ही भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं:

    शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार

    विवाहिक जीवन में शांति और संतुलन

    आर्थिक स्थिरता और धन का आगमन

    संतान प्राप्ति में बाधाओं का निवारण

    नकारात्मक ऊर्जा का नाश और सकारात्मक ऊर्जा का संचार

    कुंडलिका देवी शक्तिपीठ का दर्शन और पूजा मंगल दोष निवारण के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार ज्योतिषीय दृष्टिकोण से मंगल ग्रह के अशुभ प्रभाव को शांत करने के लिए देवी की उपासना, विशेष मंत्रों का जाप, हवन, रत्न धारण, और दान के उपाय करने से जीवन में शांति, समृद्धि, और सफलता प्राप्त की जा सकती है। मंगल दोष से पीड़ित व्यक्तियों को कुंडलिका देवी की शरण में जाकर इन ज्योतिषीय उपायों को अपनाने से अत्यधिक लाभ होगा।

    आपके तारे में आपका स्वागत है. जान‍िए ज्योतिष के अनुसार आज रखना है क‍िन बातों का ध्यान. 

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    आज का विशेष उपाय भी बताएंगे..

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    TESTIMONIALS

    राकेश शर्मा, ग्वालियर (Google Review)
    “मेरे जीवन में कई समस्याएँ थीं और मैं सही निर्णय नहीं ले पा रहा था। साहू जी के उपायों से अब मेरी जिंदगी स्थिर और खुशहाल हो गई है।”

    शिल्पा गुप्ता, इंदौर (Google Review)
    “मेरे घर में वास्तु दोष की वजह से परेशानियाँ हो रही थीं। साहू जी ने सही उपाय बताए और अब हमारे घर में शांति और सौभाग्य है।”

    विजय तिवारी, भोपाल (Google Review)
    “मेरे करियर में सही दिशा नहीं मिल रही थी। साहू जी की सलाह और उपायों से अब मैं अपने करियर में सफलता पा रहा हूँ।”

    नीरज चौहान, उज्जैन (Google Review)
    “मेरे परिवार में काफी तनाव था। साहू जी के उपायों से अब हमारे घर में शांति और सकारात्मकता आ गई है। उनका अनुभव अद्वितीय है।”

    रवि सिंह, ग्वालियर (Google Review)
    “मेरे व्यवसाय में कई समस्याएँ आ रही थीं। साहू जी की सलाह और उपायों ने मेरे व्यवसाय को एक नई दिशा दी है और अब मैं सफल हो रहा हूँ।”

    मंजू शर्मा, इंदौर (Google Review)
    “मेरे वैवाहिक जीवन में कई परेशानियाँ थीं। साहू जी की मदद से अब हमारे बीच सब कुछ ठीक है और जीवन में शांति है।”

    विकास गुप्ता, भोपाल (Google Review)
    “मेरे जीवन में सही दिशा नहीं मिल रही थी। साहू जी ने सही समय पर सही सलाह दी और अब मेरी जिंदगी स्थिर और सफल हो गई है।”

    निशा वर्मा, उज्जैन (Google Review)
    “मेरे बच्चे की शिक्षा को लेकर काफी चिंताएँ थीं। साहू जी की सलाह और उनके उपायों से अब मेरे बच्चे का भविष्य उज्जवल दिख रहा है।”

    सुनील शर्मा, ग्वालियर (Google Review)
    “मेरे व्यवसाय में काफी मुश्किलें आ रही थीं। साहू जी की मदद से अब मेरे व्यवसाय में सुधार हो रहा है और मैं सफलता की ओर बढ़ रहा हूँ।”

    पूनम जोशी, इंदौर (Google Review)
    “मेरे वैवाहिक जीवन में काफी तनाव था। साहू जी के उपायों के बाद अब हमारा जीवन खुशहाल है और हम दोनों एक-दूसरे को अच्छे से समझ पा रहे हैं।”

    रवि तिवारी, भोपाल (Google Review)
    “मेरे जीवन में कई समस्याएँ थीं। साहू जी की सलाह और उनके उपायों से अब मेरी जिंदगी में शांति और स्थिरता आ गई है। उनका अनुभव जीवन बदलने वाला है।”

    पंडुवासनी देवी शक्तिपीठ के दर्शन से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति

    शक्ति पीठों का भारत की संस्कृति, धर्म और आध्यात्मिक परंपराओं में एक विशेष स्थान है। इन स्थानों की धार्मिक महत्ता के साथ-साथ इनका ज्योतिषीय महत्व भी अत्यधिक होता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार पंडुवासनी देवी शक्तिपीठ उन पवित्र स्थानों में से एक है, जहाँ दर्शन से न केवल मानसिक शांति मिलती है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति के द्वार भी खुलते हैं। इस शक्तिपीठ से जुड़ी आध्यात्मिक ऊर्जा और ज्योतिषीय उपायों का उल्लेख वेदों और पुराणों में भी मिलता है।

    पंडुवासनी देवी शक्तिपीठ

    पंडुवासनी देवी शक्तिपीठ का वर्णन देवी भागवत पुराण और अन्य पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। साहू जी के अनुसार यह स्थान एक महत्वपूर्ण शक्तिपीठ के रूप में माना जाता है, जहाँ माता सती के शरीर के विभिन्न अंग गिरे थे। ऐसी मान्यता है कि पंडुवासनी देवी शक्तिपीठ में देवी के दर्शन मात्र से व्यक्ति के मनोभावों में संतुलन आता है और मानसिक तनाव दूर होता है।

    पंडुवासनी शक्तिपीठ का ज्योतिषीय महत्व

    ज्योतिष के अनुसार, शक्तिपीठों की यात्रा से ग्रह दोषों को शांत करने और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने में सहायता मिलती है। पंडुवासनी देवी का शक्तिपीठ मुख्यतः राहु और शनि ग्रह से संबंधित समस्याओं को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। राहु और शनि के प्रभाव में आने वाले जातकों के लिए यहाँ की यात्रा अत्यंत लाभकारी होती है।

    ज्योतिषीय दृष्टिकोण से पंडुवासनी देवी के दर्शन विशेष रूप से उन लोगों के लिए फायदेमंद होते हैं, जो मानसिक चिंता, अवसाद, और अनिश्चितता से जूझ रहे होते हैं। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इसके अलावा, जिन लोगों की कुंडली में राहु, शनि या चंद्रमा से संबंधित दोष होते हैं, उन्हें पंडुवासनी देवी की पूजा से विशेष लाभ मिलता है।

    पंडुवासनी देवी के दर्शन के ज्योतिषीय लाभ

    मानसिक शांति: पंडुवासनी देवी की आराधना से व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है। साहू जी के अनुसार देवी की कृपा से जातक के मन में स्थिरता आती है, और उसकी चिंता और तनाव दूर होते हैं। यह विशेष रूप से उन जातकों के लिए सहायक है जिनकी कुंडली में चंद्रमा अशांत होता है या जिनका मन अनियंत्रित रहता है।

    राहु और शनि दोष का निवारण: ज्योतिषीय दृष्टि से, पंडुवासनी देवी शक्तिपीठ की यात्रा और पूजा राहु और शनि से जुड़े दोषों को शांत करने में सहायक होती है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु या शनि प्रतिकूल स्थिति में हों, तो इस शक्तिपीठ की यात्रा करने से उनका नकारात्मक प्रभाव कम होता है।

    आध्यात्मिक उन्नति: पंडुवासनी देवी की उपासना से आत्मिक शांति और आध्यात्मिक जागरूकता में वृद्धि होती है। देवी के प्रति श्रद्धा और भक्ति से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आता है, और उसकी आध्यात्मिक यात्रा को प्रगति मिलती है। यह यात्रा व्यक्ति को उसकी आत्मा के प्रति जागरूक बनाती है, और उसे उच्च आध्यात्मिक स्थितियों की ओर प्रेरित करती है।

    ग्रहों का संतुलन: कुंडली में दोष या अशुभ ग्रह स्थिति होने पर पंडुवासनी देवी की आराधना से ग्रहों का संतुलन बनता है। विशेष रूप से राहु, शनि और चंद्रमा के दोषों को दूर करने के लिए इस शक्तिपीठ की यात्रा लाभकारी होती है। इसके साथ ही, इस शक्तिपीठ के दर्शन से कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।

      पंडुवासनी देवी की पूजा के ज्योतिषीय उपाय

      दर्शन और अभिषेक: पंडुवासनी देवी के मंदिर में नियमित रूप से दर्शन और अभिषेक करने से राहु और शनि के दोष दूर होते हैं। साहू जी के अनुसार इस शक्तिपीठ में विशेष रूप से चावल, नारियल और लाल वस्त्र अर्पित करने से मानसिक शांति और आध्यात्मिक जागरूकता में वृद्धि होती है। अभिषेक के दौरान सफेद फूलों का प्रयोग किया जा सकता है, जो मन और आत्मा को शांति प्रदान करता है।

      राहु और शनि मंत्र का जाप: पंडुवासनी देवी की पूजा के साथ राहु और शनि के मंत्रों का जाप करना अत्यंत लाभकारी होता है। “ॐ शं शनैश्चराय नमः” और “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” जैसे मंत्रों का जाप करने से इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव को शांत किया जा सकता है।

      दक्षिण दिशा में दीपदान: पंडुवासनी देवी शक्तिपीठ में दक्षिण दिशा में दीपदान करने से व्यक्ति की कुंडली में राहु और शनि के दोष शांत होते हैं। इससे मानसिक अशांति और अवसाद दूर होता है, और व्यक्ति को आंतरिक संतुलन प्राप्त होता है।

      पीपल के वृक्ष की पूजा: शक्तिपीठ के समीप स्थित पीपल के वृक्ष की पूजा करना भी अत्यंत लाभकारी माना जाता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार पीपल का वृक्ष राहु और शनि के दोषों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण होता है। हर शनिवार को पीपल के वृक्ष के नीचे दीप जलाने और पूजा करने से ग्रहों के प्रतिकूल प्रभाव को कम किया जा सकता है।

      राहु और शनि की शांति के लिए व्रत: पंडुवासनी देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए राहु और शनि से जुड़े व्रतों का पालन भी किया जा सकता है। इन ग्रहों की शांति के लिए विशेषत: शनिवार को व्रत रखना और काले तिल का दान करना शुभ माना जाता है। इससे जातक के जीवन में स्थिरता आती है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

        आध्यात्मिक उन्नति के लिए पंडुवासनी देवी की साधना

        पंडुवासनी देवी की साधना से व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक जागरूकता का विकास होता है। ज्योतिष के अनुसार साधना के दौरान व्यक्ति अपने भीतर की शक्ति और ऊर्जा से जुड़ता है, जिससे उसकी आत्मा को शांति और स्थिरता मिलती है। निम्नलिखित उपायों से आध्यात्मिक उन्नति संभव है:

        योग और ध्यान: पंडुवासनी देवी की साधना के साथ योग और ध्यान का अभ्यास करना अत्यंत लाभकारी होता है। ध्यान के दौरान देवी के मंत्रों का उच्चारण करने से मन को स्थिरता मिलती है और व्यक्ति के भीतर की आध्यात्मिक ऊर्जा जागृत होती है।

        मंत्र जाप: “ॐ पंडुवासनी नमः” मंत्र का जाप करने से व्यक्ति को मानसिक और आत्मिक शांति मिलती है। प्रतिदिन इस मंत्र का जाप करने से आध्यात्मिक ऊर्जा में वृद्धि होती है और जातक को देवी की कृपा प्राप्त होती है।

        विशेष तिथियों पर पूजा: देवी की विशेष तिथियों पर पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक जागरूकता आती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार अमावस्या, पूर्णिमा और नवरात्रि जैसे विशेष अवसरों पर पंडुवासनी देवी की पूजा करने से आध्यात्मिक प्रगति में तेजी आती है।

        दान और सेवा: देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए दान और सेवा का विशेष महत्व होता है। जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र और अन्य आवश्यक चीजें दान करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है, और व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक जागरूकता आती है।

          पंडुवासनी देवी शक्तिपीठ में दर्शन और पूजा से न केवल मानसिक शांति प्राप्त होती है, बल्कि व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति भी होती है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह शक्तिपीठ विशेष रूप से उन लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, जो राहु, शनि या चंद्रमा के दोषों से पीड़ित हैं। देवी की कृपा और ज्योतिषीय उपायों से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक बदलाव आते हैं, और उसकी मानसिक स्थिति में सुधार होता है।

          अतः यदि आप जीवन में मानसिक शांति, आध्यात्मिक जागरूकता और ग्रहों के अशुभ प्रभावों से मुक्त होना चाहते हैं, तो पंडुवासनी देवी शक्तिपीठ की यात्रा और पूजन आपके लिए अत्यंत लाभकारी हो सकता है।

          आपके तारे में आपका स्वागत है. जान‍िए ज्योतिष के अनुसार आज रखना है क‍िन बातों का ध्यान. कौन-सा रंग,अंक रहेगा आपके ल‍िए शुभ और द‍िन को बेहतर बनाने के ल‍िए करना होगा कौन सा उपाय. …

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          सुमित वर्मा, उज्जैन (Google Review)
          “मेरे व्यक्तिगत जीवन में काफी उलझनें थीं। साहू जी की सलाह और उनके उपायों से अब मैं खुश हूँ और मेरा जीवन स्थिर हो गया है।”

          प्रिया सिंह, ग्वालियर (Google Review)
          “मेरे बच्चे की शिक्षा को लेकर काफी समस्याएँ हो रही थीं। साहू जी के उपायों के बाद अब उसके भविष्य को लेकर मुझे विश्वास है कि सब ठीक होगा।”

          मधु तिवारी, भोपाल (Google Review)
          “मेरे वैवाहिक जीवन में तनाव चल रहा था। साहू जी ने हमारे बीच समझ बढ़ाने के लिए उपाय बताए और अब हमारी शादी पहले से ज्यादा मजबूत हो गई है।”

          विकास गुप्ता, इंदौर (Google Review)
          “मेरे करियर में लगातार असफलताएँ मिल रही थीं। साहू जी की सलाह से मैंने सही फैसले लिए और अब मेरे करियर में उन्नति हो रही है। उनका मार्गदर्शन बहुत कारगर रहा।”

          अनिता शर्मा, उज्जैन (Google Review)
          “मेरे घर में नकारात्मक ऊर्जा का अनुभव हो रहा था। साहू जी के बताए उपायों के बाद अब घर में सकारात्मक बदलाव महसूस हो रहा है।”

          नीलम सिंह, ग्वालियर (Google Review)
          “मेरे वैवाहिक जीवन में अड़चनें आ रही थीं। साहू जी की मदद से अब हमारा रिश्ता मजबूत हो गया है और हम दोनों बहुत खुश हैं।”

          विनोद तिवारी, भोपाल (Google Review)
          “मेरे व्यवसाय में लगातार घाटा हो रहा था। साहू जी के सुझावों और उपायों से अब मेरे व्यापार में स्थिरता आ गई है और मुझे सफलता मिल रही है।”

          किरण वर्मा, इंदौर (Google Review)
          “मेरे जीवन में कई उलझनें थीं। साहू जी ने सही दिशा दिखाई और अब मेरा जीवन संतुलित हो गया है। उनके सुझावों से बहुत मदद मिली।”

          राहुल सिंह, उज्जैन (Google Review)
          “मेरे करियर में उन्नति नहीं हो रही थी। साहू जी के उपायों के बाद अब मुझे सही दिशा मिल रही है और मैं अपने करियर में तरक्की कर रहा हूँ।”

          प्रियंका जोशी, ग्वालियर (Google Review)
          “मेरे परिवार में काफी दिक्कतें हो रही थीं। साहू जी के उपायों से अब सब ठीक हो गया है और हमारे परिवार में फिर से शांति आ गई है।”

          त्रिपुरा सुंदरी देवी के धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व

          भारत में शक्तिपीठों की अनंत परंपरा है, जहां देवी सती के विभिन्न अंग गिरे थे। उनमें से एक प्रमुख शक्तिपीठ त्रिपुरा सुंदरी देवी है, जिसे दुर्गा या शाक्ति के रूप में पूजा जाता है। यह शक्तिपीठ विशेष रूप से तंत्र साधना और देवी की विशेष कृपा के लिए प्रसिद्ध है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार त्रिपुरा सुंदरी देवी की पूजा केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसका ज्योतिषीय महत्व भी है। इस लेख में हम त्रिपुरा सुंदरी देवी के धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व, उनके पूजन विधि, तथा उनकी कृपा से प्राप्त लाभों पर चर्चा करेंगे।

          त्रिपुरा सुंदरी देवी का धार्मिक महत्व

          देवी का स्वरूप

          त्रिपुरा सुंदरी देवी का स्वरूप अत्यंत आकर्षक और दिव्य है। ज्योतिष के अनुसार उन्हें एक युवती के रूप में दर्शाया जाता है, जो विभिन्न रंगों की साड़ी में सजी होती हैं। देवी के पास एक कमल का फूल होता है, जो प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक है। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे हाथ में खड्ग, तीसरे हाथ में अभय मुद्रा और चौथे हाथ में वर मुद्रा होती है। उनका यह स्वरूप भक्तों को शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है।

           शक्तिपीठ का स्थान

          त्रिपुरा सुंदरी शक्तिपीठ भारत के त्रिपुरा राज्य में स्थित है। यह स्थान पर्यटकों और भक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहाँ का वातावरण शांति और दिव्यता से भरा हुआ है। भक्त यहाँ अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आते हैं और देवी की कृपा प्राप्त करते हैं।

           त्रिपुरा सुंदरी की पूजा के विशेष अवसर

          त्रिपुरा सुंदरी की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि, दुर्गा पूजा और शरद पूर्णिमा पर की जाती है। ज्योतिष के अनुसार इन अवसरों पर भक्त विशेष उत्साह के साथ देवी की आराधना करते हैं। इन दिनों विशेष अनुष्ठान, हवन और भोग अर्पित किया जाता है। भक्तों का मानना है कि इन दिनों देवी की कृपा विशेष रूप से प्रसन्न होती है।

          ज्योतिषीय दृष्टिकोण

          त्रिपुरा सुंदरी देवी का धार्मिक महत्व केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं है; इसका ज्योतिषीय महत्व भी है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार विभिन्न ग्रहों की स्थिति और उनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहाँ हम त्रिपुरा सुंदरी देवी की पूजा के द्वारा ग्रहों के दोषों के निवारण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

           शुक्र ग्रह का प्रभाव

          शुक्र ग्रह प्रेम, सौंदर्य और समृद्धि का प्रतीक है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र की स्थिति अशुभ है, तो उसे जीवन में प्रेम और धन संबंधी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। त्रिपुरा सुंदरी देवी की पूजा से शुक्र के दुष्प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। देवी की आराधना से व्यक्ति के जीवन में प्रेम और समृद्धि का आगमन होता है।

          उपाय:

          • शुक्र के दोषों को दूर करने के लिए भक्तों को सफेद वस्त्र, चावल और दूध अर्पित करना चाहिए।
          • “ॐ शुक्राय नमः” का जप करना भी विशेष लाभकारी है।

          राहु और केतु का प्रभाव

          राहु और केतु व्यक्ति के जीवन में अनिश्चितता और मानसिक तनाव का कारण बनते हैं। इन ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए त्रिपुरा सुंदरी देवी की पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह पूजा राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को कम करती है और व्यक्ति को स्थिरता प्रदान करती है।

          उपाय:

          • राहु और केतु के दोषों को दूर करने के लिए भक्तों को नीले या काले रंग के फूलों का अर्पण करना चाहिए।
          • “ॐ राहवे नमः” और “ॐ केतवे नमः” का जप करना लाभकारी है।

          सूर्य ग्रह का प्रभाव

          सूर्य ग्रह आत्मसम्मान, स्वास्थ्य और आत्मविश्वास का प्रतीक है। यदि सूर्य की स्थिति कमजोर हो, तो व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्याओं और आत्मविश्वास की कमी का सामना करना पड़ सकता है। त्रिपुरा सुंदरी देवी की पूजा से सूर्य के दोषों को दूर किया जा सकता है।

          उपाय:

          • सूर्य को ताजा फूल और जल अर्पित करना चाहिए।
          • “ॐ सूरयाय नमः” का जप करना लाभकारी है।

          त्रिपुरा सुंदरी की आराधना की विधि

          पूजा का सामान

          त्रिपुरा सुंदरी देवी की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

          • लाल या गुलाबी रंग का वस्त्र
          • चावल, फल, और मिठाई
          • घी का दीपक
          • धूप और अगरबत्ती

          पूजा की विधि

          स्नान और स्वच्छता: पूजा आरंभ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

          दीप जलाना: देवी के सामने घी का दीपक जलाएँ।

          मंत्र जाप: देवी के मंत्रों का जाप करें।

          “ॐ त्रिपुरा सुंदरी नमः” का 108 बार जप करें।

            अर्पण: चावल, फल और मिठाई अर्पित करें।

            प्रार्थना: अपनी मनोकामनाओं के लिए देवी से प्रार्थना करें और अंत में प्रसाद वितरण करें।

            त्रिपुरा सुंदरी के विशेष अनुष्ठान

            त्रिपुरा सुंदरी देवी की आराधना में विशेष अनुष्ठान और अनुष्ठान विधियों का पालन करना भी महत्वपूर्ण है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

            हवन

            हवन एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसमें विशेष प्रकार की जड़ी-बूटियों और औषधियों का उपयोग किया जाता है, जिससे वातावरण शुद्ध होता है और देवी की कृपा प्राप्त होती है।

            नवरात्रि पर्व

            नवरात्रि के दौरान त्रिपुरा सुंदरी देवी की विशेष पूजा होती है। भक्त 9 दिनों तक उपवासी रहकर देवी की आराधना करते हैं। ज्योतिष के अनुसार इस दौरान देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, जो भक्तों को शक्ति और साहस प्रदान करती है।

            त्रिपुरा सुंदरी देवी के चमत्कारी अनुभव

            त्रिपुरा सुंदरी देवी के प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा के कारण कई चमत्कारी अनुभव साझा किए जाते हैं। भक्तों का कहना है कि देवी की कृपा से उन्हें कठिनाईयों से मुक्ति मिली और उनके जीवन में सुख-शांति का आगमन हुआ।

            संकटों से मुक्ति: कई भक्तों ने अनुभव किया है कि त्रिपुरा सुंदरी देवी की पूजा से उनके जीवन में आए संकट अचानक समाप्त हो गए हैं।

            स्वास्थ्य लाभ: त्रिपुरा सुंदरी की आराधना से कई लोग गंभीर बीमारियों से ठीक हुए हैं। उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ है और उन्होंने सकारात्मकता का अनुभव किया है।

            व्यापार में सफलता: व्यवसाय में बाधाओं का सामना कर रहे कई लोग त्रिपुरा सुंदरी देवी की कृपा से अपने व्यवसाय में उन्नति और सफलता की प्राप्ति की बात करते हैं।

            त्रिपुरा सुंदरी देवी शक्तिपीठ का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अद्वितीय है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यहाँ देवी की आराधना करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और जीवन में स्थिरता मिलती है। विभिन्न ग्रहों के प्रभावों को संतुलित करने के लिए त्रिपुरा सुंदरी देवी की पूजा एक प्रभावी उपाय है। ज्योतिष के अनुसार त्रिपुरा सुंदरी देवी का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धा और विश्वास के साथ आराधना करना चाहिए।

            आपके तारे में आपका स्वागत है. जान‍िए ज्योतिष के अनुसार आज रखना है क‍िन बातों का ध्यान. कौन-सा रंग,अंक रहेगा आपके ल‍िए शुभ और द‍िन को बेहतर बनाने के ल‍िए करना होगा कौन सा उपाय. …

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            TESTIMONIALS

             सविता गुप्ता, रतलाम (Googlereviews)
            “हमारे घर में निरंतर चल रही समस्याओं के लिए एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह ने चमत्कारी परिणाम दिए। अब घर में सकारात्मक ऊर्जा है, और हमारी सभी परेशानियाँ दूर हो गई हैं।”

              रोहित चौहान, देवास (Googlereviews)
            “ऑफिस में लगातार हो रहे नुकसान से परेशान था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह ने हमारे ऑफिस के माहौल को बदल दिया और व्यवसाय में तरक्की हो रही है।”

              अर्चना पटेल, ग्वालियर (Googlereviews)
            “मेरे नाम के आधार पर एस्ट्रोलॉजर साहू जी ने जो उपाय बताए, उन्होंने मेरे जीवन में चमत्कारी बदलाव किए। अब मुझे हर काम में सफलता मिल रही है।”

             नितिन ठाकुर, मंदसौर (Googlereviews)
            “अपने जन्म अंक के अनुसार भविष्यवाणी और उपाय करने के बाद, मेरे करियर में तेजी से उन्नति हो रही है। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है।”

              सुनील शर्मा, उज्जैन (Googlereviews)
            “एस्ट्रोलॉजर साहू जी की हस्तरेखा पढ़ने की कला अद्भुत है। उन्होंने मेरे जीवन के बारे में सटीक भविष्यवाणी की और उनके उपायों से मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं।”

              ज्योति मिश्रा, इंदौर (Google reviews)
            “मेरे करियर से संबंधित अनिश्चितताएँ थीं, लेकिन साहू जी ने हस्तरेखा देखकर मुझे सही मार्ग दिखाया। उनकी भविष्यवाणी ने मुझे जीवन में नई दिशा दी।”

              नेहा वर्मा, जबलपुर (Googlereviews)
            “शादी से पहले कुंडली मिलान के लिए हमने एस्ट्रोलॉजर साहू जी से संपर्क किया। उनकी सटीक सलाह और मिलान ने हमें एक स्थिर और सुखी वैवाहिक जीवन की नींव रखने में मदद की।”

              राहुल तिवारी, भोपाल (Googlereviews)
            “शादी की योजना बनाते समय कुंडली मिलान के लिए साहू जी से सलाह ली। उनके द्वारा किया गया कुंडली मिलान और दिए गए उपाय बेहद लाभकारी रहे।”

              मीनाक्षी जैन, उज्जैन (Googlereviews)
            “मैंने साहू जी से रत्न धारण करने की सलाह ली और उनके द्वारा सुझाए गए रत्न पहनने से मेरे जीवन में आर्थिक स्थिति बेहतर हुई है। उनका ज्ञान अद्वितीय है।”

              अशोक अग्रवाल, इंदौर (Googlereviews)
            “रत्न पहनने के बाद से मेरी पेशेवर जीवन में जबरदस्त सुधार हुआ है। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह से मुझे बहुत लाभ मिला है।”

            भद्रकाली देवी शक्ति पीठ के धार्मिक एवं ज्योतिषीय महत्व

            भारत का सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास प्राचीनतम है, और इसमें शक्तिपीठों का विशेष स्थान है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार शक्तिपीठ वे स्थान हैं, जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे। इन शक्तिपीठों में भद्रकाली देवी का शक्तिपीठ अत्यंत महत्वपूर्ण है। ज्योतिष के अनुसार भद्रकाली देवी, जो शक्ति की अवतार मानी जाती हैं, अपने भक्तों को हर प्रकार के संकटों से बचाती हैं। इस लेख में, हम भद्रकाली देवी के धार्मिक महत्व, ज्योतिषीय पहलुओं और उनकी आराधना के तरीकों पर गहराई से चर्चा करेंगे।

            भद्रकाली देवी का धार्मिक महत्व

             देवी का स्वरूप

            भद्रकाली देवी का स्वरूप काला और भव्य है। उनके चार भुजाएँ होती हैं, जिनमें से एक में त्रिशूल, दूसरी में खड्ग, तीसरी में काली कमल और चौथी में गदा होती है। उनका यह स्वरूप उन्हें शक्ति और वीरता का प्रतीक बनाता है। भक्तों का विश्वास है कि देवी के दर्शन करने से सभी दुखों और बाधाओं का निवारण होता है।

            भद्रकाली की पूजा के विशेष अवसर

            भद्रकाली की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि, शरद पूर्णिमा और अमावस्या के दिन की जाती है। ज्योतिष के अनुसार इन दिनों भक्त विशेष उत्साह के साथ देवी की आराधना करते हैं। इन अवसरों पर विशेष पूजा-अर्चना, हवन और भोग अर्पित किया जाता है। भक्तों का मानना है कि इन दिनों देवी की कृपा विशेष रूप से प्रसन्न होती है।

             भद्रकाली शक्तिपीठ की धार्मिक यात्रा

            भद्रकाली शक्तिपीठ की यात्रा एक अद्वितीय धार्मिक अनुभव है। यहाँ आने वाले भक्तों को न केवल आध्यात्मिक शांति मिलती है, बल्कि देवी की कृपा से उनके जीवन के संकटों का निवारण भी होता है। भक्त यहाँ मनोकामनाएँ लेकर आते हैं और उनकी पूर्णता की आशा करते हैं।

            ज्योतिषीय दृष्टिकोण

            ज्योतिष के अनुसार भद्रकाली देवी का धार्मिक महत्व केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं है; इसका ज्योतिषीय महत्व भी है। विभिन्न ग्रहों की स्थिति और उनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहाँ हम भद्रकाली देवी की पूजा के द्वारा ग्रहों के दोषों के निवारण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे।

            शनि ग्रह का प्रभाव

            शनि ग्रह को न्याय और कर्म का प्रतीक माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शनि की स्थिति अशुभ है, तो उसे जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार भद्रकाली देवी की पूजा से शनि के दुष्प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। शनि की महादशा या साढ़ेसाती के दौरान भद्रकाली देवी की आराधना से व्यक्ति को मानसिक शांति और सुरक्षा मिलती है।

            उपाय:

            • शनि के दोषों को दूर करने के लिए भक्तों को काले तिल, काले रंग के कपड़े, और सरसों के तेल का दीपक अर्पित करना चाहिए।
            • “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जप करना भी विशेष लाभकारी है।

            राहु और केतु का प्रभाव

            राहु और केतु व्यक्ति के जीवन में अनिश्चितता और मानसिक तनाव का कारण बनते हैं। इन ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए भद्रकाली देवी की पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह पूजा राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को कम करती है और व्यक्ति को स्थिरता प्रदान करती है।

            उपाय:

            • राहु और केतु के दोषों को दूर करने के लिए भक्तों को नीले या काले रंग के फूलों का अर्पण करना चाहिए।
            • “ॐ राहवे नमः” और “ॐ केतवे नमः” का जप करना लाभकारी है।

            भद्रकाली की आराधना की विधि

             पूजा का सामान

            भद्रकाली देवी की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:

            • लाल या काले रंग का वस्त्र
            • काले तिल, गुड़ और फूल
            • घी का दीपक
            • दूध और शहद
            • धूप और अगरबत्ती

            पूजा की विधि

            स्नान और स्वच्छता: पूजा आरंभ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।

            दीप जलाना: देवी के सामने घी का दीपक जलाएँ।

            मंत्र जाप: देवी के मंत्रों का जाप करें।

            “ॐ भद्रकाल्यै नमः” का 108 बार जप करें।

              अर्पण: काले तिल और फूल अर्पित करें।

              प्रार्थना: अपनी मनोकामनाओं के लिए देवी से प्रार्थना करें और अंत में प्रसाद वितरण करें।

              भद्रकाली के विशेष अनुष्ठान

              भद्रकाली देवी की आराधना में विशेष अनुष्ठान और अनुष्ठान विधियों का पालन करना भी महत्वपूर्ण है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

              हवन

              हवन एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। ज्योतिष के अनुसार इसमें विशेष प्रकार की जड़ी-बूटियों और औषधियों का उपयोग किया जाता है, जिससे वातावरण शुद्ध होता है और देवी की कृपा प्राप्त होती है।

               नवरात्रि पर्व

              नवरात्रि के दौरान भद्रकाली देवी की विशेष पूजा होती है। भक्त 9 दिनों तक उपवासी रहकर देवी की आराधना करते हैं। इस दौरान देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, जो भक्तों को शक्ति और साहस प्रदान करती है।

              भद्रकाली देवी के चमत्कारी अनुभव

              भद्रकाली देवी के प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा के कारण कई चमत्कारी अनुभव साझा किए जाते हैं। भक्तों का कहना है कि देवी की कृपा से उन्हें कठिनाईयों से मुक्ति मिली और उनके जीवन में सुख-शांति का आगमन हुआ।

              संकटों से मुक्ति: कई भक्तों ने अनुभव किया है कि भद्रकाली देवी की पूजा से उनके जीवन में आए संकट अचानक समाप्त हो गए हैं।

              स्वास्थ्य लाभ: भद्रकाली की आराधना से कई लोग गंभीर बीमारियों से ठीक हुए हैं। उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ है और उन्होंने सकारात्मकता का अनुभव किया है।

              व्यापार में सफलता: व्यवसाय में बाधाओं का सामना कर रहे कई लोग भद्रकाली देवी की कृपा से अपने व्यवसाय में उन्नति और सफलता की प्राप्ति की बात करते हैं।

              भद्रकाली देवी शक्तिपीठ का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अद्वितीय है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यहाँ देवी की आराधना करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और जीवन में स्थिरता मिलती है। विभिन्न ग्रहों के प्रभावों को संतुलित करने के लिए भद्रकाली देवी की पूजा एक प्रभावी उपाय है। भद्रकाली देवी का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धा और विश्वास के साथ आराधना करना चाहिए। ज्योतिष के अनुसार इस प्रकार, भद्रकाली देवी की पूजा से न केवल धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी भक्तों को लाभ मिलता है।

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              TESTIMONIALS

                नितिन ठाकुर, मंदसौर (Googlereviews)
              “अपने जन्म अंक के अनुसार भविष्यवाणी और उपाय करने के बाद, मेरे करियर में तेजी से उन्नति हो रही है। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह से मेरा आत्मविश्वास बढ़ा है।”

              “एस्ट्रोलॉजर साहू जी की हस्तरेखा पढ़ने की कला अद्भुत है। उन्होंने मेरे जीवन के बारे में सटीक भविष्यवाणी की और उनके उपायों से मेरे जीवन में सकारात्मक बदलाव आए हैं।”

              रजनी तिवारी, रतलाम (Google reviews)
              “ऑफिस में वास्तु दोष के कारण बार-बार नुकसान हो रहा था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी के उपायों से अब व्यवसाय में स्थिरता आ गई है। उनकी सलाह कारगर रही।”

               शिवानी जोशी, भोपाल (Google reviews)
              “मेरे वैवाहिक जीवन में समस्याएँ आ रही थीं। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह और उपायों से हमारे रिश्ते में सुधार हुआ है। अब हम खुशी से जीवन बिता रहे हैं।”

                अर्जुन सिंह, इंदौर (Google reviews)
              “शादी के बाद रिश्तों में परेशानियाँ थीं। साहू जी की वैवाहिक परामर्श से हमारे जीवन में शांति और समर्पण वापस आ गया है।”

               मधु अग्रवाल, इंदौर (Google reviews)
              “घर में लगातार आ रही परेशानियों के लिए साहू जी से वास्तु शांति के उपाय किए। उनकी सलाह ने हमारे घर की ऊर्जा को सकारात्मक रूप से बदल दिया। अब घर में सुख और शांति है।”

               रवि मिश्रा, उज्जैन (Google reviews)
              “ऑफिस में वास्तु शांति के लिए साहू जी से संपर्क किया। उनके सुझाए गए उपायों से हमारे ऑफिस का माहौल बेहद अच्छा हो गया है, और व्यवसाय में भी वृद्धि हो रही है।”

                सुमन गुप्ता, भोपाल (Google reviews)
              “कई सालों से स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही थी। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की सलाह के बाद, मेरे स्वास्थ्य में धीरे-धीरे सुधार होने लगा। उनके उपाय वाकई अद्भुत हैं।”

                दीपक तिवारी, इंदौर (Google reviews)
              “बिजनेस में अस्थिरता के कारण परेशान था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी के मार्गदर्शन से अब व्यवसाय में स्थिरता और मुनाफा बढ़ रहा है। उनकी सलाह से बड़ा लाभ हुआ।”

               आराधना मिश्रा, उज्जैन (Google reviews)
              “संतान प्राप्ति में दिक्कतों का सामना कर रही थी। साहू जी के उपाय और पूजा पद्धति से हमें सकारात्मक परिणाम मिले। उनका आभार व्यक्त करने के लिए शब्द कम हैं।”

              मंगला गौरी देवी शक्तिपीठ का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

              भारत के पवित्र 52 शक्तिपीठों में से एक मंगला गौरी देवी का मंदिर अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति का स्थान है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इस शक्तिपीठ का संबंध देवी सती के अंगों के गिरने से है, जो देवी शक्ति की अद्वितीयता और उनकी असीम कृपा को दर्शाता है। देवी मंगला गौरी को सौभाग्य, समृद्धि और सुख-शांति की देवी माना जाता है, और इस शक्तिपीठ का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान है।

              मंगला गौरी देवी का धार्मिक महत्व

              पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह किया, तब भगवान शिव ने उनके मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड में भ्रमण किया। इस दौरान, भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर के टुकड़े किए, जो पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर गिरे। इन्हीं स्थानों को 52 शक्तिपीठों के रूप में पूजा जाता है। मंगला गौरी देवी शक्तिपीठ वह स्थान है जहां देवी सती के स्तन गिरे थे।

              इस शक्तिपीठ में देवी मंगला गौरी की पूजा विशेष रूप से महिलाएं करती हैं, जो सौभाग्य, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में शांति की कामना करती हैं। माना जाता है कि मंगला गौरी की कृपा से महिलाओं को वैवाहिक सुख प्राप्त होता है, और उनकी संतान व पति के जीवन में भी सुख-शांति बनी रहती है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए, जिनके वैवाहिक जीवन में समस्याएं आ रही हों, मंगला गौरी देवी की पूजा अत्यधिक फलदायी मानी जाती है।

              मंगला गौरी व्रत का महत्व

              मंगला गौरी व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत मुख्य रूप से श्रावण महीने में मंगलवार को किया जाता है, और इस व्रत को करने वाली महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत का पालन करने से महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन में प्रेम, सम्मान और स्थिरता बनाए रख सकती हैं। जिन महिलाओं की कुंडली में वैवाहिक जीवन से संबंधित ग्रहों की स्थिति कमजोर होती है, उन्हें मंगला गौरी व्रत का पालन करने से विशेष लाभ मिलता है।

              मंगला गौरी देवी का ज्योतिषीय महत्व

              ज्योतिष शास्त्र में मंगला गौरी देवी की पूजा और उनके शक्तिपीठ का विशेष महत्व है। यह शक्तिपीठ मुख्य रूप से वैवाहिक जीवन, संतान सुख और धन-समृद्धि से संबंधित ग्रहों की समस्याओं को दूर करने में सहायक मानी जाती है। जिन जातकों की कुंडली में मंगल, शुक्र या चंद्रमा अशुभ स्थिति में होते हैं, उनके लिए मंगला गौरी देवी की आराधना अत्यधिक लाभकारी होती है।

              मंगल ग्रह के दोषों का निवारण:

              मंगल ग्रह को ज्योतिष में साहस, उर्जा, क्रोध और कार्यक्षमता का प्रतीक माना जाता है। जिन जातकों की कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें वैवाहिक जीवन में समस्याएं, संतान सुख में कमी और शारीरिक स्वास्थ्य में अवरोधों का सामना करना पड़ सकता है। मंगला गौरी देवी की पूजा विशेष रूप से मंगल दोष को शांत करने में सहायक होती है। मंगल की महादशा या अंतर्दशा के दौरान मंगला गौरी देवी की आराधना से व्यक्ति को मानसिक शांति, वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार मिलता है।

              शुक्र ग्रह के दोषों का निवारण:

              शुक्र ग्रह भोग, वैवाहिक जीवन, सौंदर्य और धन-समृद्धि का प्रतीक है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र कमजोर होता है, तो उसे जीवन में वैवाहिक समस्याओं, प्रेम संबंधों में दरार और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मंगला गौरी देवी की आराधना शुक्र ग्रह के दोषों को शांत करने में अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है। शुक्र की महादशा के दौरान देवी की पूजा से जीवन में प्रेम, सौंदर्य और धन की वृद्धि होती है।

              चंद्र ग्रह का प्रभाव:

              चंद्रमा मन, मस्तिष्क और मानसिक शांति का कारक होता है। अगर चंद्रमा अशुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति को मानसिक अशांति, तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मंगला गौरी देवी की पूजा चंद्र दोष को शांत करने और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए लाभकारी होती है।

              वैवाहिक जीवन में शांति और सुख-समृद्धि

              मंगला गौरी देवी की पूजा वैवाहिक जीवन में शांति और स्थिरता प्राप्त करने के लिए की जाती है। जिन जातकों के वैवाहिक जीवन में लगातार समस्याएं आ रही हों, उन्हें मंगला गौरी देवी की आराधना से अत्यधिक लाभ मिलता है। यह माना जाता है कि देवी की कृपा से दांपत्य जीवन में प्रेम, सामंजस्य और स्थिरता आती है। देवी मंगला गौरी को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, और उनकी आराधना से पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है।

              संतान सुख की प्राप्ति

              जिन महिलाओं को संतान प्राप्ति में बाधाएं आ रही हों, उनके लिए मंगला गौरी देवी की पूजा विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है। यह शक्तिपीठ उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है जो संतान सुख की कामना करती हैं। मंगला गौरी देवी की कृपा से संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और संतान के जीवन में सुख-शांति आती है।

              मंगला गौरी पूजा विधि

              मंगला गौरी की पूजा विशेष रूप से मंगलवार के दिन की जाती है। पूजा विधि में निम्नलिखित सामग्री का प्रयोग किया जाता है:

              • लाल वस्त्र और फूल
              • चावल, हल्दी और कुमकुम
              • धूप, दीप और नैवेद्य (फल और मिठाई)

              मंगलवार के दिन मंगला गौरी देवी के मंत्रों का जाप करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। निम्नलिखित मंत्रों का जाप विशेष रूप से मंगल और शुक्र दोषों को शांत करने के लिए किया जाता है:

              मंगला गौरी देवी मंत्र:
              “ॐ मंगले मंगला गौरी नमः”
              इस मंत्र का जाप 108 बार करने से वैवाहिक जीवन में शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

              शुक्र ग्रह दोष निवारण मंत्र:
              “ॐ शुक्राय नमः”
              इस मंत्र का जाप शुक्र ग्रह के दोषों को शांत करने के लिए किया जाता है।

              मंगल ग्रह दोष निवारण मंत्र:
              “ॐ मंगलाय नमः”
              इस मंत्र का जाप मंगल दोष के निवारण के लिए किया जाता है।

              मंगला गौरी देवी शक्तिपीठ का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह शक्तिपीठ देवी की विशेष कृपा और आशीर्वाद का स्थल है, जहां भक्तगण अपने जीवन की समस्याओं का समाधान प्राप्त करते हैं। मंगला गौरी देवी की आराधना विशेष रूप से वैवाहिक जीवन, संतान सुख और ग्रहों के दोषों को शांत करने में सहायक मानी जाती है। देवी की कृपा से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और संतुलन आता है, और भक्तों को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

              आपके तारे में आपका स्वागत है. जान‍िए ज्योतिष के अनुसार आज रखना है क‍िन बातों का ध्यान. कौन-सा रंग,अंक रहेगा आपके ल‍िए शुभ और द‍िन को बेहतर बनाने के ल‍िए करना होगा कौन सा उपाय. …

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              TESTIMONIALS

                राजेश चौहान, देवास (Google reviews)
              “मेरे रिश्तों में लगातार तनाव था। साहू जी ने मुझे कुछ आसान उपाय बताए, जिनसे मेरे रिश्ते फिर से मधुर हो गए हैं। उनका मार्गदर्शन अतुलनीय है।”

                कविता शुक्ला, इंदौर (Google reviews)
              “आर्थिक रूप से लगातार संघर्ष कर रही थी। साहू जी की सलाह और उपायों ने मेरी आर्थिक स्थिति में सुधार किया। अब मेरी आय में स्थिरता आ गई है।”

                विकास वर्मा, ग्वालियर (Google reviews)
              “मेरे जीवन में अनचाहे उतार-चढ़ाव हो रहे थे। एस्ट्रोलॉजर साहू जी की कुंडली के अनुसार किए गए उपायों ने मुझे जीवन में स्थिरता और शांति दी है।”

                प्रणव जोशी, भोपाल (Google reviews)
              “कार्यक्षेत्र में हो रही समस्याओं को लेकर साहू जी से संपर्क किया। उनकी सलाह से न केवल समस्याओं का समाधान हुआ, बल्कि प्रमोशन भी मिला।”

                निशा शर्मा, उज्जैन (Google reviews)
              “मेरे वैवाहिक जीवन में कुछ कठिनाइयाँ थीं, जिन्हें साहू जी की कुंडली मिलान की सलाह ने हल किया। उनके उपायों से मेरे रिश्ते में समझ और प्यार बढ़ा है।”

                अनुज तिवारी, मंदसौर (Google reviews)
              “कुंडली दोष के कारण करियर में कई रुकावटें आ रही थीं। साहू जी के सटीक उपायों से अब करियर में तेजी से उन्नति हो रही है।”

                साक्षी सिंह, रतलाम (Google reviews)
              “बेटी की शादी के लिए कुंडली मिलान के लिए साहू जी से संपर्क किया। उनकी सटीक भविष्यवाणियों और उपायों ने हमें बहुत राहत दी और शादी सुखद रही।”

                राकेश पांडे, इंदौर (Google reviews)
              “मैं लंबे समय से किसी भी काम में सफलता नहीं पा रहा था। एस्ट्रोलॉजर साहू जी के बताई हुई रत्न धारण करने की सलाह से जीवन में उन्नति हो रही है।”

                विनोद चौधरी, उज्जैन (Google reviews)
              “साहू जी ने मेरे भविष्य के बारे में जो बताया, वो पूरी तरह से सही साबित हुआ। उनके दिए गए रत्न पहनने से मेरे जीवन में नई ऊर्जा आई है।”

                सुजाता वर्मा, भोपाल (Google reviews)
              “संतान के जन्म में आ रही अड़चनों को लेकर हमने साहू जी से संपर्क किया। उनकी सटीक भविष्यवाणी और उपायों से हमें बहुत लाभ हुआ और हमारे परिवार में खुशी आई।”

              कुंडली में नवग्रह दोष निवारण के लिए शक्तिपीठों की आराधना

              भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों का विशेष महत्व होता है, क्योंकि ये ग्रह हमारे जीवन की दिशा, स्वास्थ्य, आर्थिक स्थिति और संपूर्ण व्यक्तित्व को प्रभावित करते हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह दोष होते हैं, तो उसे जीवन में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं ग्रह दोषों को निवारण करने के लिए ज्योतिषीय उपायों में शक्तिपीठों की आराधना का विशेष महत्व बताया गया है। शक्तिपीठ, देवी शक्ति के उपासना स्थल होते हैं, जहाँ पूजा-अर्चना से ग्रहों के दोषों का निवारण और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त की जा सकती है।

              नवग्रह दोष

              नवग्रहों में सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु शामिल हैं। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यदि किसी ग्रह की स्थिति कुंडली में अशुभ होती है या ग्रहों की दशा प्रतिकूल चल रही होती है, तो इसे ग्रह दोष कहा जाता है। ये दोष व्यक्ति के जीवन में विभिन्न प्रकार की समस्याओं को जन्म दे सकते हैं, जैसे:

              सूर्य दोष: स्वास्थ्य, आत्मविश्वास, और नेतृत्व क्षमता में कमी।

              चंद्र दोष: मानसिक अस्थिरता, भावनात्मक तनाव, और परिवार में कलह।

              मंगल दोष: दुर्घटनाएं, विवाद, क्रोध की अधिकता, और शारीरिक समस्याएं।

              बुध दोष: संवाद में कठिनाई, व्यापार में हानि, और बुद्धिमानी की कमी।

              गुरु दोष: शिक्षा में बाधाएं, आध्यात्मिक उन्नति की कमी, और आर्थिक समस्याएं।

              शुक्र दोष: प्रेम संबंधों में असफलता, विलासिता की अधिकता, और स्वास्थ्य समस्याएं।

              शनि दोष: विलंब, असफलता, कठिनाइयों का सामना करना।

              राहु दोष: भ्रम, छल, मानसिक तनाव, और अचानक से समस्याएं।

              केतु दोष: आध्यात्मिक भ्रम, अनिश्चितता, और मानसिक अशांति।

              नवग्रह दोष निवारण के लिए शक्तिपीठों की आराधना का महत्व

              शक्तिपीठ देवी शक्ति के उपासना स्थल हैं, जो पूरे भारत में फैले हुए हैं। ऐसी मान्यता है कि इन स्थलों पर देवी की पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में आ रहे सभी प्रकार के कष्टों का निवारण होता है। साहू जी के अनुसार विशेष रूप से नवग्रह दोषों के निवारण में शक्तिपीठों की आराधना अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है।

              सूर्य दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

              सूर्य दोष के निवारण के लिए कामाख्या शक्तिपीठ (असम) की पूजा करना अत्यंत लाभकारी होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार सूर्य आत्मा का प्रतीक होता है, और कामाख्या देवी की आराधना से सूर्य ग्रह के दोषों को शांत किया जा सकता है। यहाँ हर रविवार को विशेष पूजा की जाती है, जिससे व्यक्ति को आत्मविश्वास और स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।

              चंद्र दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

              चंद्र दोष के निवारण के लिए विंध्यवासिनी शक्तिपीठ (उत्तर प्रदेश) की आराधना लाभकारी होती है। यह शक्तिपीठ मन की शांति और मानसिक संतुलन प्राप्त करने के लिए प्रसिद्ध है। चंद्रमा मानसिक शांति और भावनाओं का प्रतीक है, और विंध्यवासिनी देवी की पूजा से मानसिक तनाव, अवसाद, और भावनात्मक समस्याओं का निवारण किया जा सकता है।

              मंगल दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

              मंगल ग्रह का संबंध ऊर्जा, साहस और संघर्ष से होता है। मंगल दोष के निवारण के लिए उज्जैन स्थित महाकाली शक्तिपीठ की पूजा करना अत्यंत प्रभावी होता है। यहाँ देवी की आराधना करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले संघर्षों का समाधान होता है और दुर्घटनाओं से मुक्ति मिलती है।

              बुध दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

              बुध ग्रह का संबंध बुद्धिमत्ता, संवाद और व्यापार से होता है। बुध दोष के निवारण के लिए कालीघाट (पश्चिम बंगाल) की देवी काली की आराधना लाभकारी होती है। काली देवी बुद्धि और तर्कशीलता का प्रतीक हैं, और इनकी पूजा से बुध ग्रह के दोष शांत होते हैं, जिससे व्यक्ति का संवाद बेहतर होता है और व्यापार में उन्नति प्राप्त होती है।

              गुरु दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

              गुरु ग्रह का संबंध शिक्षा, ज्ञान और धर्म से होता है। ज्योतिष के अनुसार गुरु दोष के निवारण के लिए तारा तारिणी शक्तिपीठ (उड़ीसा) की पूजा करना लाभकारी होता है। यहाँ देवी की आराधना से शिक्षा में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।

              शुक्र दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

              शुक्र ग्रह का संबंध प्रेम, सौंदर्य, और विलासिता से होता है। शुक्र दोष के निवारण के लिए त्रिपुरा सुंदरी (त्रिपुरा) की आराधना अत्यधिक प्रभावी होती है। ज्योतिष के अनुसार यहाँ की देवी की पूजा से प्रेम संबंधों में सुधार होता है और जीवन में सुख-सौंदर्य का प्रवेश होता है।

              शनि दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

              शनि दोष के निवारण के लिए कालिका शक्तिपीठ (कोलकाता) की पूजा करना अत्यधिक प्रभावी होता है। शनि ग्रह जीवन में विलंब और कठिनाइयों का प्रतीक होता है, लेकिन कालिका देवी की आराधना से शनि ग्रह के दोषों को शांत किया जा सकता है, जिससे व्यक्ति के जीवन में प्रगति और सफलता प्राप्त होती है।

              राहु दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

              राहु ग्रह का संबंध भ्रम, छल और अज्ञात खतरों से होता है। राहु दोष के निवारण के लिए श्री शैल शक्तिपीठ (आंध्र प्रदेश) की पूजा लाभकारी होती है। देवी की आराधना से राहु ग्रह के कारण उत्पन्न समस्याओं से मुक्ति मिलती है और जीवन में स्पष्टता और संतुलन आता है।

              केतु दोष और शक्तिपीठों की आराधना:

              केतु ग्रह का संबंध आध्यात्मिकता और अनिश्चितता से होता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार केतु दोष के निवारण के लिए ज्वालामुखी शक्तिपीठ (हिमाचल प्रदेश) की पूजा करना लाभकारी होता है। यहाँ देवी की आराधना से केतु ग्रह के दोष शांत होते हैं, जिससे आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति प्राप्त होती है।

              शक्तिपीठों की आराधना के ज्योतिषीय उपाय

              मंत्र जाप: प्रत्येक शक्तिपीठ में देवी के विशेष मंत्र का जाप करना अत्यंत प्रभावी होता है। नवग्रहों के दोषों को शांत करने के लिए यह एक प्रमुख उपाय है।

              रुद्राक्ष धारण: नवग्रह दोष निवारण के लिए रुद्राक्ष धारण करने का विशेष महत्व है। हर ग्रह के लिए विशेष प्रकार का रुद्राक्ष होता है, जिसे धारण करने से ग्रह दोषों का निवारण होता है।

              दान: ग्रह दोषों को शांत करने के लिए शक्तिपीठों में अन्न, वस्त्र, और धन का दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इससे नवग्रहों के दोष शांत होते हैं और व्यक्ति को जीवन में समृद्धि प्राप्त होती है।

              विशेष पूजा: शक्तिपीठों में विशेष पूजा-अर्चना द्वारा भी नवग्रह दोषों को शांत किया जा सकता है। साहू जी के अनुसार इसमें ग्रहों की शांति के लिए हवन और अनुष्ठान कराए जाते हैं, जो अत्यधिक प्रभावी होते हैं।

              शक्तिपीठों की आराधना ज्योतिषीय उपायों में से एक अत्यंत प्रभावी और महत्वपूर्ण उपाय है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह न केवल नवग्रहों के दोषों को शांत करता है, बल्कि जीवन में शांति, समृद्धि, और उन्नति भी लाता है। यदि आपकी कुंडली में नवग्रह दोष हैं, तो शक्तिपीठों की यात्रा और देवी की आराधना आपके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकती है। ग्रहों की दशा चाहे कितनी भी प्रतिकूल क्यों न हो, देवी की कृपा से सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान संभव है।

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              TESTIMONIALS

              अंजलि वर्मा, इंदौर (Google reviews)
              “मेरे करियर में कई बार रुकावट आई थी। साहू जी की सलाह से मुझे सही दिशा मिली और अब मैं तरक्की कर रही हूँ।”

              कृष्णा चतुर्वेदी, भोपाल (Google reviews)
              “मेरी सेहत में गिरावट आ रही थी। साहू जी के उपायों ने मुझे जल्दी ठीक करने में मदद की।”

              दीपक गुप्ता, उज्जैन (Google reviews)
              “मेरे विवाह में समस्याएँ आ रही थीं। साहू जी के उपायों ने सब कुछ सुलझा दिया। उनका धन्यवाद।”

              सुषमा तिवारी, रतलाम (Google reviews)
              “बच्चों की पढ़ाई में ध्यान केंद्रित करने के लिए मैंने साहू जी से सलाह ली। उनके उपायों ने मेरी मदद की।”

              राजेश कौल, ग्वालियर (Google reviews)
              “मुझे व्यापार में निवेश करने के लिए मार्गदर्शन की आवश्यकता थी। साहू जी की सलाह ने मुझे सही दिशा दी।”

              राधिका जैन, भोपाल (Google reviews)
              “मेरे घर में हमेशा झगड़े होते थे। साहू जी के उपायों ने हमें सामंजस्य बनाने में मदद की।”

              संगीत शarma, इंदौर (Google reviews)
              “मैंने अपनी मां के स्वास्थ्य के लिए साहू जी से सलाह ली। उनके उपायों ने उन्हें राहत दी।”

              शिवा वर्मा, उज्जैन (Google reviews)
              “मुझे संतान सुख नहीं मिल रहा था। साहू जी की सलाह ने हमें खुशी दी।”

              नवीन तिवारी, देवास (Google reviews)
              “मुझे अपने जीवन में दिशा नहीं मिल रही थी। साहू जी ने मुझे सही रास्ता दिखाया। अब मैं खुश हूँ।”

              कविता गुप्ता, ग्वालियर (Google reviews)
              “पारिवारिक तनाव को लेकर बहुत परेशान थी। साहू जी के उपायों ने हमारे घर में शांति बहाल की।”