चंद्र ग्रह ज्योतिषीय दृष्टि में बेहद महत्वपूर्ण ग्रह माना जाता है। यह मन, मानसिक स्थिति, भावनाओं और जीवन के कई पहलुओं पर सीधा प्रभाव डालता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार कुंडली में चंद्र की अशुभ स्थिति या चंद्र दोष का परिणाम व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य और जीवन के अन्य क्षेत्रों पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। चंद्र दोष के प्रभाव को कम करने और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए शक्तिपीठों की यात्रा और देवी आराधना को ज्योतिष में एक प्रभावी उपाय माना गया है।
इस ब्लॉग में हम चंद्र ग्रह दोष, उसके लक्षण, प्रभाव और शक्तिपीठों की यात्रा के माध्यम से चंद्र दोष निवारण के ज्योतिषीय उपायों पर चर्चा करेंगे।
चंद्र ग्रह दोष
चंद्र ग्रह हमारी कुंडली में सबसे अधिक संवेदनशील ग्रहों में से एक है, जो मानसिक स्थिरता, भावनात्मक संतुलन, और शांति को नियंत्रित करता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब कुंडली में चंद्र कमजोर स्थिति में होता है, जैसे नीच राशि में हो, अशुभ ग्रहों से दृष्ट हो, या राहु–केतु के साथ योग बना रहा हो, तो इसे चंद्र दोष कहा जाता है।
चंद्र दोष के कारण:
चंद्रमा की नीच स्थिति (विशेष रूप से वृश्चिक राशि में)
राहु या केतु के साथ युति
शनि या मंगल के प्रभाव में चंद्र
चतुर्थ या पंचम भाव में अशुभ ग्रहों की दृष्टि
चंद्रमा का दुर्बल होना (अमावस्या के निकट)
चंद्र दोष के लक्षण:

मानसिक अशांति और चिंता
डिप्रेशन और नकारात्मक विचार
नींद में समस्या
निर्णय लेने में कठिनाई
भावनात्मक अस्थिरता
बार-बार असफलता का सामना करना
शक्तिपीठों का ज्योतिषीय महत्व
शक्तिपीठ भारतीय संस्कृति और धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार ये वो पवित्र स्थल हैं जहाँ देवी सती के अंग गिरे थे। शक्तिपीठ न केवल आध्यात्मिक उन्नति का स्थान हैं बल्कि ज्योतिषीय दृष्टि से भी इनका अत्यधिक महत्व है। कहा जाता है कि इन पवित्र स्थलों की यात्रा करने से मन को शांति मिलती है और मानसिक समस्याओं का समाधान होता है, जो विशेष रूप से चंद्र ग्रह से संबंधित होते हैं।
शक्तिपीठों की यात्रा और चंद्र ग्रह दोष:
चंद्र दोष से पीड़ित व्यक्ति को शक्तिपीठों की यात्रा करने की सलाह दी जाती है, क्योंकि ये स्थल दिव्य शक्ति से जुड़े होते हैं। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शक्तिपीठों पर देवी की आराधना और पूजा से न केवल मानसिक शांति मिलती है बल्कि चंद्र ग्रह के दोषों का भी निवारण होता है। हर शक्तिपीठ में देवी का विशेष रूप से अभिषेक और पूजा करने से ग्रहों के दोष कम हो सकते हैं।
प्रमुख शक्तिपीठ और उनका चंद्र ग्रह दोष पर प्रभाव
भारत में कुल 52 शक्तिपीठ हैं, जो विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं। इन शक्तिपीठों में देवी के विभिन्न रूपों की पूजा होती है। आइए कुछ प्रमुख शक्तिपीठों पर नजर डालें जो चंद्र दोष निवारण में सहायक माने जाते हैं:
कामाख्या देवी शक्तिपीठ (असम):
कामाख्या देवी को आद्य शक्ति माना जाता है। उनकी आराधना से मानसिक संतुलन प्राप्त होता है। ज्योतिष के अनुसार चंद्र दोष से पीड़ित व्यक्ति को कामाख्या देवी की पूजा करनी चाहिए, क्योंकि यह मानसिक शांति और सकारात्मकता प्रदान करती है।
त्रिपुरा सुंदरी शक्तिपीठ (त्रिपुरा):
त्रिपुरा सुंदरी देवी का मंदिर मानसिक और भावनात्मक समस्याओं के समाधान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। यहाँ देवी की पूजा करने से चंद्र ग्रह के दोषों से छुटकारा पाया जा सकता है।
महालक्ष्मी शक्तिपीठ (कोल्हापुर, महाराष्ट्र):
महालक्ष्मी देवी का यह स्थल भी चंद्र दोष से निवारण के लिए जाना जाता है। देवी की आराधना करने से मानसिक शांति और आर्थिक उन्नति दोनों प्राप्त होते हैं।
ज्वालामुखी देवी (हिमाचल प्रदेश):
ज्वालामुखी देवी की पूजा चंद्र ग्रह के दोषों को दूर करने में सहायक मानी जाती है। यहाँ की पवित्र अग्नि मानसिक और शारीरिक समस्याओं को दूर करने में सक्षम मानी जाती है।
शक्तिपीठों की यात्रा के लाभ और ज्योतिषीय उपाय
शक्तिपीठों की यात्रा को कुंडली के ग्रह दोषों के निवारण में महत्वपूर्ण माना जाता है। विशेष रूप से चंद्र दोष से पीड़ित व्यक्ति के लिए, शक्तिपीठों की यात्रा निम्नलिखित लाभ प्रदान कर सकती है:
मानसिक शांति:
चंद्र दोष के कारण उत्पन्न मानसिक समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए शक्तिपीठों की यात्रा और देवी की आराधना अत्यंत लाभकारी होती है। इससे मन की अशांति दूर होती है और भावनात्मक स्थिरता मिलती है।
ग्रहों की शांति:
शक्तिपीठों पर देवी की पूजा और हवन करने से चंद्र ग्रह के दोष शांत होते हैं। ज्योतिष के अनुसार इससे व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों का प्रभाव सकारात्मक होता है और अशुभ प्रभाव कम हो जाता है।
आध्यात्मिक उन्नति:
शक्तिपीठों की यात्रा और देवी के दर्शन से व्यक्ति की आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है। यह ग्रहों के नकारात्मक प्रभावों से बचाव के लिए एक मजबूत ढाल का कार्य करता है।
देवी की कृपा
शक्तिपीठों पर देवी की पूजा से देवी की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन के हर क्षेत्र में उन्नति और समृद्धि प्रदान करती है।
शक्तिपीठों की यात्रा के अलावा, चंद्र ग्रह दोष को शांत करने के लिए कुछ अन्य ज्योतिषीय उपाय भी किए जा सकते हैं:
चंद्र दोष निवारण के अन्य ज्योतिषीय उपाय
चंद्रमा से संबंधित मंत्र:जाप

“ॐ सों सोमाय नमः” का नियमित जाप करने से चंद्र दोष का निवारण होता है। यह मंत्र मानसिक शांति और स्थिरता प्रदान करता है।
मोती (पर्ल) धारण करना:
चंद्र दोष को शांत करने के लिए ज्योतिष में मोती धारण करने की सलाह दी जाती है। मोती चंद्रमा का रत्न है और इसे धारण करने से चंद्र ग्रह के नकारात्मक प्रभाव कम होते हैं।
सोमवार का व्रत:
सोमवार का व्रत रखना और भगवान शिव की पूजा करना चंद्र ग्रह दोष को शांत करने में अत्यधिक प्रभावी माना जाता है। शिवलिंग पर जल और दूध अर्पित करना भी लाभकारी होता है।
सफेद चीजों का दान:
चंद्रमा को संतुलित करने के लिए सफेद चीजें जैसे दूध, चावल, चीनी आदि का दान करना अत्यधिक लाभकारी होता है। यह उपाय चंद्र दोष को कम करने में सहायक होता है।
पानी में चावल डालकर स्नान:
स्नान के पानी में चावल डालकर स्नान करने से चंद्रमा का प्रभाव मजबूत होता है और मानसिक शांति मिलती है। यह चंद्र दोष को कम करने का सरल उपाय है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से, चंद्र ग्रह दोष का व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव हो सकता है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार शक्तिपीठों की यात्रा और देवी की आराधना इस दोष को कम करने और मानसिक शांति प्राप्त करने का एक प्रभावी उपाय है। इसके अलावा, विभिन्न ज्योतिषीय उपाय जैसे मंत्र जाप, रत्न धारण, व्रत आदि भी चंद्र दोष निवारण में सहायक होते हैं। शक्तिपीठों की यात्रा न केवल आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करती है, बल्कि जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में भी सफलता दिलाती है।
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