भारत में शक्तिपीठों की अनंत परंपरा है, जहां देवी सती के विभिन्न अंग गिरे थे। उनमें से एक प्रमुख शक्तिपीठ त्रिपुरा सुंदरी देवी है, जिसे दुर्गा या शाक्ति के रूप में पूजा जाता है। यह शक्तिपीठ विशेष रूप से तंत्र साधना और देवी की विशेष कृपा के लिए प्रसिद्ध है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार त्रिपुरा सुंदरी देवी की पूजा केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसका ज्योतिषीय महत्व भी है। इस लेख में हम त्रिपुरा सुंदरी देवी के धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व, उनके पूजन विधि, तथा उनकी कृपा से प्राप्त लाभों पर चर्चा करेंगे।
त्रिपुरा सुंदरी देवी का धार्मिक महत्व
देवी का स्वरूप
त्रिपुरा सुंदरी देवी का स्वरूप अत्यंत आकर्षक और दिव्य है। ज्योतिष के अनुसार उन्हें एक युवती के रूप में दर्शाया जाता है, जो विभिन्न रंगों की साड़ी में सजी होती हैं। देवी के पास एक कमल का फूल होता है, जो प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक है। उनके चार हाथ होते हैं, जिनमें एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे हाथ में खड्ग, तीसरे हाथ में अभय मुद्रा और चौथे हाथ में वर मुद्रा होती है। उनका यह स्वरूप भक्तों को शक्ति और आत्मविश्वास प्रदान करता है।
शक्तिपीठ का स्थान
त्रिपुरा सुंदरी शक्तिपीठ भारत के त्रिपुरा राज्य में स्थित है। यह स्थान पर्यटकों और भक्तों के लिए एक प्रमुख धार्मिक स्थल है। यहाँ का वातावरण शांति और दिव्यता से भरा हुआ है। भक्त यहाँ अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आते हैं और देवी की कृपा प्राप्त करते हैं।
त्रिपुरा सुंदरी की पूजा के विशेष अवसर
त्रिपुरा सुंदरी की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि, दुर्गा पूजा और शरद पूर्णिमा पर की जाती है। ज्योतिष के अनुसार इन अवसरों पर भक्त विशेष उत्साह के साथ देवी की आराधना करते हैं। इन दिनों विशेष अनुष्ठान, हवन और भोग अर्पित किया जाता है। भक्तों का मानना है कि इन दिनों देवी की कृपा विशेष रूप से प्रसन्न होती है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण
त्रिपुरा सुंदरी देवी का धार्मिक महत्व केवल पूजा-अर्चना तक सीमित नहीं है; इसका ज्योतिषीय महत्व भी है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार विभिन्न ग्रहों की स्थिति और उनका प्रभाव व्यक्ति के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहाँ हम त्रिपुरा सुंदरी देवी की पूजा के द्वारा ग्रहों के दोषों के निवारण के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करेंगे।
शुक्र ग्रह का प्रभाव
शुक्र ग्रह प्रेम, सौंदर्य और समृद्धि का प्रतीक है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र की स्थिति अशुभ है, तो उसे जीवन में प्रेम और धन संबंधी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। त्रिपुरा सुंदरी देवी की पूजा से शुक्र के दुष्प्रभाव को कम करने में मदद मिलती है। देवी की आराधना से व्यक्ति के जीवन में प्रेम और समृद्धि का आगमन होता है।
उपाय:
- शुक्र के दोषों को दूर करने के लिए भक्तों को सफेद वस्त्र, चावल और दूध अर्पित करना चाहिए।
- “ॐ शुक्राय नमः” का जप करना भी विशेष लाभकारी है।
राहु और केतु का प्रभाव
राहु और केतु व्यक्ति के जीवन में अनिश्चितता और मानसिक तनाव का कारण बनते हैं। इन ग्रहों के दुष्प्रभाव से बचने के लिए त्रिपुरा सुंदरी देवी की पूजा विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। यह पूजा राहु और केतु के अशुभ प्रभावों को कम करती है और व्यक्ति को स्थिरता प्रदान करती है।
उपाय:
- राहु और केतु के दोषों को दूर करने के लिए भक्तों को नीले या काले रंग के फूलों का अर्पण करना चाहिए।
- “ॐ राहवे नमः” और “ॐ केतवे नमः” का जप करना लाभकारी है।
सूर्य ग्रह का प्रभाव
सूर्य ग्रह आत्मसम्मान, स्वास्थ्य और आत्मविश्वास का प्रतीक है। यदि सूर्य की स्थिति कमजोर हो, तो व्यक्ति को स्वास्थ्य समस्याओं और आत्मविश्वास की कमी का सामना करना पड़ सकता है। त्रिपुरा सुंदरी देवी की पूजा से सूर्य के दोषों को दूर किया जा सकता है।
उपाय:
- सूर्य को ताजा फूल और जल अर्पित करना चाहिए।
- “ॐ सूरयाय नमः” का जप करना लाभकारी है।
त्रिपुरा सुंदरी की आराधना की विधि
पूजा का सामान
त्रिपुरा सुंदरी देवी की पूजा के लिए निम्नलिखित सामग्री की आवश्यकता होती है:
- लाल या गुलाबी रंग का वस्त्र
- चावल, फल, और मिठाई
- घी का दीपक
- धूप और अगरबत्ती
पूजा की विधि
स्नान और स्वच्छता: पूजा आरंभ करने से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें।
दीप जलाना: देवी के सामने घी का दीपक जलाएँ।
मंत्र जाप: देवी के मंत्रों का जाप करें।
“ॐ त्रिपुरा सुंदरी नमः” का 108 बार जप करें।
अर्पण: चावल, फल और मिठाई अर्पित करें।
प्रार्थना: अपनी मनोकामनाओं के लिए देवी से प्रार्थना करें और अंत में प्रसाद वितरण करें।
त्रिपुरा सुंदरी के विशेष अनुष्ठान
त्रिपुरा सुंदरी देवी की आराधना में विशेष अनुष्ठान और अनुष्ठान विधियों का पालन करना भी महत्वपूर्ण है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
हवन

हवन एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है जो देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसमें विशेष प्रकार की जड़ी-बूटियों और औषधियों का उपयोग किया जाता है, जिससे वातावरण शुद्ध होता है और देवी की कृपा प्राप्त होती है।
नवरात्रि पर्व
नवरात्रि के दौरान त्रिपुरा सुंदरी देवी की विशेष पूजा होती है। भक्त 9 दिनों तक उपवासी रहकर देवी की आराधना करते हैं। ज्योतिष के अनुसार इस दौरान देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, जो भक्तों को शक्ति और साहस प्रदान करती है।
त्रिपुरा सुंदरी देवी के चमत्कारी अनुभव
त्रिपुरा सुंदरी देवी के प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा के कारण कई चमत्कारी अनुभव साझा किए जाते हैं। भक्तों का कहना है कि देवी की कृपा से उन्हें कठिनाईयों से मुक्ति मिली और उनके जीवन में सुख-शांति का आगमन हुआ।
संकटों से मुक्ति: कई भक्तों ने अनुभव किया है कि त्रिपुरा सुंदरी देवी की पूजा से उनके जीवन में आए संकट अचानक समाप्त हो गए हैं।
स्वास्थ्य लाभ: त्रिपुरा सुंदरी की आराधना से कई लोग गंभीर बीमारियों से ठीक हुए हैं। उनके स्वास्थ्य में सुधार हुआ है और उन्होंने सकारात्मकता का अनुभव किया है।
व्यापार में सफलता: व्यवसाय में बाधाओं का सामना कर रहे कई लोग त्रिपुरा सुंदरी देवी की कृपा से अपने व्यवसाय में उन्नति और सफलता की प्राप्ति की बात करते हैं।
त्रिपुरा सुंदरी देवी शक्तिपीठ का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अद्वितीय है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यहाँ देवी की आराधना करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, स्वास्थ्य लाभ और जीवन में स्थिरता मिलती है। विभिन्न ग्रहों के प्रभावों को संतुलित करने के लिए त्रिपुरा सुंदरी देवी की पूजा एक प्रभावी उपाय है। ज्योतिष के अनुसार त्रिपुरा सुंदरी देवी का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धा और विश्वास के साथ आराधना करना चाहिए।
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