भारत के पवित्र 52 शक्तिपीठों में से एक मंगला गौरी देवी का मंदिर अत्यधिक श्रद्धा और भक्ति का स्थान है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इस शक्तिपीठ का संबंध देवी सती के अंगों के गिरने से है, जो देवी शक्ति की अद्वितीयता और उनकी असीम कृपा को दर्शाता है। देवी मंगला गौरी को सौभाग्य, समृद्धि और सुख-शांति की देवी माना जाता है, और इस शक्तिपीठ का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान है।
मंगला गौरी देवी का धार्मिक महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के यज्ञ में आत्मदाह किया, तब भगवान शिव ने उनके मृत शरीर को लेकर पूरे ब्रह्मांड में भ्रमण किया। इस दौरान, भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर के टुकड़े किए, जो पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर गिरे। इन्हीं स्थानों को 52 शक्तिपीठों के रूप में पूजा जाता है। मंगला गौरी देवी शक्तिपीठ वह स्थान है जहां देवी सती के स्तन गिरे थे।
इस शक्तिपीठ में देवी मंगला गौरी की पूजा विशेष रूप से महिलाएं करती हैं, जो सौभाग्य, सुख-समृद्धि और वैवाहिक जीवन में शांति की कामना करती हैं। माना जाता है कि मंगला गौरी की कृपा से महिलाओं को वैवाहिक सुख प्राप्त होता है, और उनकी संतान व पति के जीवन में भी सुख-शांति बनी रहती है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए, जिनके वैवाहिक जीवन में समस्याएं आ रही हों, मंगला गौरी देवी की पूजा अत्यधिक फलदायी मानी जाती है।
मंगला गौरी व्रत का महत्व
मंगला गौरी व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। यह व्रत मुख्य रूप से श्रावण महीने में मंगलवार को किया जाता है, और इस व्रत को करने वाली महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस व्रत का पालन करने से महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन में प्रेम, सम्मान और स्थिरता बनाए रख सकती हैं। जिन महिलाओं की कुंडली में वैवाहिक जीवन से संबंधित ग्रहों की स्थिति कमजोर होती है, उन्हें मंगला गौरी व्रत का पालन करने से विशेष लाभ मिलता है।
मंगला गौरी देवी का ज्योतिषीय महत्व
ज्योतिष शास्त्र में मंगला गौरी देवी की पूजा और उनके शक्तिपीठ का विशेष महत्व है। यह शक्तिपीठ मुख्य रूप से वैवाहिक जीवन, संतान सुख और धन-समृद्धि से संबंधित ग्रहों की समस्याओं को दूर करने में सहायक मानी जाती है। जिन जातकों की कुंडली में मंगल, शुक्र या चंद्रमा अशुभ स्थिति में होते हैं, उनके लिए मंगला गौरी देवी की आराधना अत्यधिक लाभकारी होती है।
मंगल ग्रह के दोषों का निवारण:
मंगल ग्रह को ज्योतिष में साहस, उर्जा, क्रोध और कार्यक्षमता का प्रतीक माना जाता है। जिन जातकों की कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ स्थिति में होता है, उन्हें वैवाहिक जीवन में समस्याएं, संतान सुख में कमी और शारीरिक स्वास्थ्य में अवरोधों का सामना करना पड़ सकता है। मंगला गौरी देवी की पूजा विशेष रूप से मंगल दोष को शांत करने में सहायक होती है। मंगल की महादशा या अंतर्दशा के दौरान मंगला गौरी देवी की आराधना से व्यक्ति को मानसिक शांति, वैवाहिक जीवन में सुख-शांति और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार मिलता है।
शुक्र ग्रह के दोषों का निवारण:
शुक्र ग्रह भोग, वैवाहिक जीवन, सौंदर्य और धन-समृद्धि का प्रतीक है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में शुक्र कमजोर होता है, तो उसे जीवन में वैवाहिक समस्याओं, प्रेम संबंधों में दरार और आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मंगला गौरी देवी की आराधना शुक्र ग्रह के दोषों को शांत करने में अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है। शुक्र की महादशा के दौरान देवी की पूजा से जीवन में प्रेम, सौंदर्य और धन की वृद्धि होती है।
चंद्र ग्रह का प्रभाव:
चंद्रमा मन, मस्तिष्क और मानसिक शांति का कारक होता है। अगर चंद्रमा अशुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति को मानसिक अशांति, तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। मंगला गौरी देवी की पूजा चंद्र दोष को शांत करने और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए लाभकारी होती है।
वैवाहिक जीवन में शांति और सुख-समृद्धि
मंगला गौरी देवी की पूजा वैवाहिक जीवन में शांति और स्थिरता प्राप्त करने के लिए की जाती है। जिन जातकों के वैवाहिक जीवन में लगातार समस्याएं आ रही हों, उन्हें मंगला गौरी देवी की आराधना से अत्यधिक लाभ मिलता है। यह माना जाता है कि देवी की कृपा से दांपत्य जीवन में प्रेम, सामंजस्य और स्थिरता आती है। देवी मंगला गौरी को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है, और उनकी आराधना से पति-पत्नी के बीच प्रेम बढ़ता है।
संतान सुख की प्राप्ति
जिन महिलाओं को संतान प्राप्ति में बाधाएं आ रही हों, उनके लिए मंगला गौरी देवी की पूजा विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है। यह शक्तिपीठ उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है जो संतान सुख की कामना करती हैं। मंगला गौरी देवी की कृपा से संतान प्राप्ति में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और संतान के जीवन में सुख-शांति आती है।
मंगला गौरी पूजा विधि

मंगला गौरी की पूजा विशेष रूप से मंगलवार के दिन की जाती है। पूजा विधि में निम्नलिखित सामग्री का प्रयोग किया जाता है:
- लाल वस्त्र और फूल
- चावल, हल्दी और कुमकुम
- धूप, दीप और नैवेद्य (फल और मिठाई)
मंगलवार के दिन मंगला गौरी देवी के मंत्रों का जाप करना अत्यधिक लाभकारी माना जाता है। निम्नलिखित मंत्रों का जाप विशेष रूप से मंगल और शुक्र दोषों को शांत करने के लिए किया जाता है:
मंगला गौरी देवी मंत्र:
“ॐ मंगले मंगला गौरी नमः”
इस मंत्र का जाप 108 बार करने से वैवाहिक जीवन में शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
शुक्र ग्रह दोष निवारण मंत्र:
“ॐ शुक्राय नमः”
इस मंत्र का जाप शुक्र ग्रह के दोषों को शांत करने के लिए किया जाता है।
मंगल ग्रह दोष निवारण मंत्र:
“ॐ मंगलाय नमः”
इस मंत्र का जाप मंगल दोष के निवारण के लिए किया जाता है।
मंगला गौरी देवी शक्तिपीठ का धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह शक्तिपीठ देवी की विशेष कृपा और आशीर्वाद का स्थल है, जहां भक्तगण अपने जीवन की समस्याओं का समाधान प्राप्त करते हैं। मंगला गौरी देवी की आराधना विशेष रूप से वैवाहिक जीवन, संतान सुख और ग्रहों के दोषों को शांत करने में सहायक मानी जाती है। देवी की कृपा से जीवन में सुख-शांति, समृद्धि और संतुलन आता है, और भक्तों को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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