भारत में स्थित 52 शक्तिपीठों का धार्मिक, पौराणिक, और ज्योतिषीय महत्व अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इन शक्तिपीठों का संबंध देवी सती और भगवान शिव की पौराणिक कथाओं से है, जिनमें देवी के अंगों के विभिन्न हिस्से पृथ्वी पर अलग-अलग स्थानों पर गिरे और वहां पर शक्तिपीठों की स्थापना हुई। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में स्थित ललिता देवी शक्तिपीठ इन 52 पवित्र स्थलों में से एक प्रमुख शक्तिपीठ है। यहाँ देवी सती की उँगली गिरी थी, और इस स्थान को अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा से युक्त माना जाता है। धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से यह शक्तिपीठ अनोखा है।
ललिता देवी शक्तिपीठ का धार्मिक महत्व
ललिता देवी मंदिर प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के पास स्थित है, जो गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदियों के संगम पर बसा हुआ है। यह स्थान धार्मिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि इसे तीर्थराज भी कहा जाता है। संगम की महत्ता का वर्णन न केवल धार्मिक ग्रंथों में किया गया है, बल्कि यहाँ श्रद्धालु स्नान कर अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए भी आते हैं।
ललिता देवी को शक्ति की देवी माना जाता है, और यह मंदिर स्त्री शक्ति का प्रतीक है। साहू जी के अनुसार पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब सती ने दक्ष यज्ञ में अपमानित होकर आत्मदाह किया, तब भगवान शिव ने सती के शरीर को उठाकर तांडव किया। भगवान विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर के टुकड़े किए, जो विभिन्न स्थानों पर गिरे और उन्हीं स्थानों पर शक्तिपीठों की स्थापना हुई। प्रयागराज के इस पवित्र स्थल पर देवी सती की उँगली गिरी थी, जिसके कारण इस स्थान को ललिता देवी शक्तिपीठ कहा जाता है।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से ललिता देवी का महत्व
ललिता देवी शक्तिपीठ का ज्योतिषीय महत्व भी अत्यधिक माना जाता है। यह शक्तिपीठ उन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है जिनकी कुंडली में अशुभ ग्रह स्थितियाँ हों। ललिता देवी की पूजा विशेष रूप से ग्रह दोष निवारण के लिए की जाती है। जिन लोगों की कुंडली में राहु, केतु, और शनि की अशुभ दशा होती है, उन्हें यहाँ आकर पूजा-अर्चना करने से अत्यधिक लाभ होता है।
देवी ललिता की पूजा से मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो या मानसिक तनाव का सामना करना पड़ रहा हो, उन्हें ललिता देवी की आराधना से राहत मिलती है। इसके साथ ही, यह शक्तिपीठ उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह की अशुभ स्थिति हो। मंगल ग्रह के दोषों से मुक्त होने के लिए मंगलवार के दिन विशेष पूजा की जाती है।
ललिता देवी शक्तिपीठ के ज्योतिषीय उपाय
राहु-केतु दोष निवारण: अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु का दोष हो, तो उन्हें ललिता देवी की विशेष पूजा करनी चाहिए। अमावस्या या पूर्णिमा के दिन संगम में स्नान कर देवी की आराधना करने से राहु–केतु के दोषों का निवारण होता है और व्यक्ति के जीवन में आने वाली बाधाएँ दूर होती हैं। इससे मानसिक तनाव भी समाप्त होता है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है।
शनि दोष निवारण: जिन लोगों के जीवन में शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या का प्रभाव हो, उन्हें ललिता देवी की पूजा से अत्यधिक लाभ होता है। शनि के प्रभाव से जीवन में आने वाली कठिनाइयाँ और बाधाएँ देवी की कृपा से दूर हो जाती हैं। शनिवार के दिन विशेष रूप से ललिता देवी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। इससे शनि के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है।
मंगल दोष शांति: अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह की अशुभ स्थिति हो, तो उन्हें ललिता देवी की पूजा अवश्य करनी चाहिए। मंगल ग्रह को साहस, ऊर्जा और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। देवी ललिता की पूजा करने से मंगल ग्रह की अशुभता कम होती है और व्यक्ति को साहस और आत्मविश्वास प्राप्त होता है। साहू जी के अनुसार विशेष रूप से मंगलवार के दिन लाल वस्त्र धारण कर देवी की पूजा करनी चाहिए।
धन और समृद्धि की प्राप्ति: ललिता देवी को शक्ति, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी माना जाता है। जिनकी कुंडली में धन योग नहीं बन रहा हो या आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हो, उन्हें ललिता देवी की आराधना करनी चाहिए। शुक्रवार के दिन देवी को सफेद वस्त्र अर्पित कर पूजा करने से आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं और धन की प्राप्ति होती है।
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए उपाय: अगर किसी व्यक्ति को शारीरिक या मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएँ हों, तो उन्हें देवी ललिता की पूजा से लाभ मिलता है। चंद्रमा की अशुभ स्थिति के कारण मानसिक तनाव और अवसाद जैसी समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। ललिता देवी की आराधना से चंद्रमा के दोषों का निवारण होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
ललिता देवी की पूजा विधि
ललिता देवी की पूजा में विशेष रूप से ‘श्री यंत्र’ की पूजा की जाती है। श्री यंत्र देवी ललिता का प्रतीक है और इसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। श्री यंत्र की स्थापना घर में करने से परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है। देवी की पूजा में दुर्गा सप्तशती का पाठ, चावल, फल और लाल वस्त्र का अर्पण किया जाता है। देवी को लाल रंग का अत्यधिक प्रिय माना जाता है, इसलिए पूजा में लाल पुष्प और सिंदूर का उपयोग करना चाहिए।
साथ ही, ललिता सहस्रनाम का पाठ करने से देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। जिन जातकों की कुंडली में ग्रह दोष होते हैं, वे इस पाठ को प्रतिदिन करने से देवी की अनुकंपा प्राप्त कर सकते हैं। संगम में स्नान कर देवी की आराधना करने से विशेष लाभ होता है और ग्रहों की अशुभ दशाएँ दूर हो जाती हैं।
ललिता देवी शक्तिपीठ का वास्तु और ऊर्जा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, ललिता देवी मंदिर की स्थापना अत्यधिक शक्तिशाली स्थान पर हुई है। यहाँ की ऊर्जा अत्यंत शक्तिशाली और सकारात्मक मानी जाती है। कहा जाता है कि इस स्थान पर पूजा करने से घर के वास्तु दोष भी समाप्त हो जाते हैं और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है। इस शक्तिपीठ की ऊर्जा व्यक्ति को आध्यात्मिक रूप से सशक्त करती है और उसे जीवन की चुनौतियों से लड़ने की शक्ति प्रदान करती है।
ललिता देवी शक्तिपीठ का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व अपार है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यहाँ देवी की पूजा करने से ग्रह दोषों का निवारण होता है और जीवन में सुख-शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। राहु–केतु, शनि, और मंगल जैसे ग्रहों की अशुभ दशाओं में देवी की आराधना विशेष रूप से लाभकारी होती है। ललिता देवी की कृपा से भक्तों को मानसिक शांति, आर्थिक समृद्धि और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से मुक्ति मिलती है। यह शक्तिपीठ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय उपायों के लिए भी अत्यधिक प्रभावशाली है।
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