छिन्नमस्तिका देवी शक्तिपीठ, भारत के 52 प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है और इसका विशेष धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व है। यह शक्तिपीठ हिमाचल प्रदेश के चामुंडा क्षेत्र में स्थित है, जो देवी सती के शरीर के अंगों के धरती पर गिरने के कारण बने पवित्र स्थलों में से एक है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यहाँ देवी सती का सिर गिरा था, इसलिए इस स्थान को “छिन्नमस्तिका” नाम से जाना जाता है। इस स्थान पर देवी छिन्नमस्ता की पूजा की जाती है, जो उग्र और शक्तिशाली रूप में मानी जाती हैं। धार्मिक दृष्टि से यह स्थान शक्ति की अद्भुत धारा का केंद्र है, और ज्योतिषीय दृष्टि से इसका महत्व जीवन में चल रही समस्याओं और ग्रह दोषों के निवारण के लिए अद्वितीय है।
छिन्नमस्तिका देवी का धार्मिक महत्व
छिन्नमस्तिका देवी का धार्मिक महत्व उनके उग्र और विनाशकारी रूप से जुड़ा हुआ है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष द्वारा किए गए यज्ञ में अपमानित होकर आत्मदाह किया, तो भगवान शिव ने उनके मृत शरीर को उठाया और तांडव करना शुरू कर दिया। भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से देवी सती के शरीर को विभाजित कर दिया, जिससे उनके अंग विभिन्न स्थानों पर गिरे। छिन्नमस्तिका देवी का शक्तिपीठ वही स्थान है, जहाँ पर देवी सती का सिर गिरा था।
छिन्नमस्ता देवी के उग्र रूप की पूजा शक्ति और साहस का प्रतीक मानी जाती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार इस मंदिर में देवी को बिना सिर के रूप में पूजा जाता है, जहाँ वे अपने ही सिर को अपने हाथों में पकड़े हुए दिखाई देती हैं। यह रूप न केवल शक्ति का प्रतीक है, बल्कि यह आत्म-नियंत्रण और बलिदान का भी प्रतीक है। छिन्नमस्ता देवी की पूजा से जीवन में आने वाली बाधाओं, समस्याओं और भय का नाश होता है। यह शक्तिपीठ उन भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है, जो अपने जीवन में साहस, आत्म-नियंत्रण और विजय की इच्छा रखते हैं।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से छिन्नमस्तिका देवी का महत्व
ज्योतिष शास्त्र में छिन्नमस्तिका देवी शक्तिपीठ का विशेष महत्व है। जिन जातकों की कुंडली में ग्रहों की अशुभ स्थिति हो, विशेषकर शनि, मंगल और राहु–केतु के दोष हों, उनके लिए यहाँ पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। छिन्नमस्ता देवी की पूजा से जीवन में चल रही समस्याओं का निवारण होता है और ग्रह दोष शांत होते हैं। विशेष रूप से, छिन्नमस्तिका देवी की पूजा करने से राहु और केतु के अशुभ प्रभाव कम होते हैं और व्यक्ति को मानसिक शांति प्राप्त होती है।
राहु-केतु दोष निवारण:
कुंडली में राहु और केतु का अशुभ प्रभाव जीवन में कई तरह की समस्याओं का कारण बन सकता है, जैसे कि मानसिक तनाव, भ्रम, और नकारात्मकता। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार छिन्नमस्तिका देवी की आराधना से राहु-केतु के दोषों का निवारण होता है। इन ग्रहों के अशुभ प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए छिन्नमस्ता देवी की उपासना एक महत्वपूर्ण उपाय माना गया है। छिन्नमस्ता देवी का उग्र रूप इन दोषों को नियंत्रित करता है और व्यक्ति के जीवन में शांति और स्थिरता लाता है।
शनि दोष निवारण:
जिन जातकों के जीवन में शनि ग्रह का अशुभ प्रभाव होता है, उन्हें छिन्नमस्तिका देवी की पूजा से अत्यधिक लाभ मिलता है। शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के दौरान देवी की उपासना करने से शनि के प्रभाव से उत्पन्न कठिनाइयाँ दूर होती हैं। शनि ग्रह जीवन में धैर्य और संघर्ष का प्रतीक है, और छिन्नमस्तिका देवी की उपासना से शनि की कठिन दशाओं में राहत मिलती है। शनिवार के दिन छिन्नमस्ता देवी की पूजा विशेष रूप से शनि दोष निवारण के लिए की जाती है।
मगल दोष निवारण:
मंगल ग्रह का अशुभ प्रभाव जीवन में गुस्सा, विवाद और ऊर्जा की असंतुलन का कारण बनता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष हो, तो छिन्नमस्तिका देवी की पूजा से इस दोष का निवारण होता है। मंगल ग्रह को साहस, शक्ति और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है, और छिन्नमस्ता देवी की पूजा से इस ग्रह के अशुभ प्रभाव कम होते हैं। विशेष रूप से मंगलवार के दिन देवी की पूजा करने से मंगल दोष से मुक्ति मिलती है।
चंद्र दोष और मानसिक शांति:
जिन जातकों के जीवन में चंद्रमा कमजोर हो और मानसिक तनाव, अवसाद जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हो, उनके लिए भी छिन्नमस्तिका देवी की पूजा अत्यंत लाभकारी होती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा की अशुभ स्थिति से मानसिक असंतुलन और नकारात्मक विचार उत्पन्न हो सकते हैं। छिन्नमस्ता देवी की आराधना से चंद्र दोष का निवारण होता है और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
छिन्नमस्तिका देवी के ज्योतिषीय उपाय
छिन्नमस्ता देवी के मंत्रों का जाप

छिन्नमस्ता देवी के बीज मंत्र और स्तोत्रों का जाप करने से ग्रह दोषों का निवारण होता है। यह मंत्र जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं और व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक रूप से सशक्त बनाते हैं।
राहु-केतु की शांति के लिए पूजा: राहु और केतु के दोष निवारण के लिए अमावस्या या पूर्णिमा के दिन छिन्नमस्ता देवी की विशेष पूजा करनी चाहिए। इस दिन उपवास और संगम स्नान करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है।
शनि दोष निवारण के लिए पूजा: शनिवार के दिन छिन्नमस्ता देवी की पूजा करने से शनि के अशुभ प्रभाव से मुक्ति मिलती है। काले तिल, सरसों के तेल और काले वस्त्र का दान करना भी लाभकारी होता है।
मंगल दोष निवारण के लिए पूजा: मंगल दोष से पीड़ित व्यक्तियों को मंगलवार के दिन छिन्नमस्ता देवी की आराधना करनी चाहिए। इस दिन देवी को लाल वस्त्र और लाल फूल अर्पित करें। इससे मंगल ग्रह की अशुभता कम होती है।
चंद्र दोष और मानसिक शांति के लिए उपाय: चंद्रमा की कमजोर स्थिति से उत्पन्न मानसिक तनाव के निवारण के लिए छिन्नमस्ता देवी की पूजा करनी चाहिए। चाँदी के दीपक में घी का दीपक जलाकर देवी की आराधना करें।
छिन्नमस्तिका देवी शक्तिपीठ का वास्तु और ऊर्जा
वास्तु शास्त्र के अनुसार, छिन्नमस्तिका देवी का मंदिर अत्यधिक शक्तिशाली और सकारात्मक ऊर्जा से युक्त है। ज्योतिष के अनुसार यहाँ की वास्तु संरचना इस तरह से बनाई गई है कि यह व्यक्ति के जीवन में शांति और स्थिरता लाती है। इस शक्तिपीठ की ऊर्जा उन लोगों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, जो अपने जीवन में साहस, बलिदान और आत्म-नियंत्रण की आवश्यकता महसूस करते हैं।
मंदिर का वातावरण सकारात्मक ऊर्जा का केंद्र है और यहाँ की पूजा-अर्चना से भक्तों को आध्यात्मिक उन्नति और मानसिक शांति प्राप्त होती है। जिन जातकों की कुंडली में वास्तु दोष होते हैं, उनके लिए इस मंदिर में पूजा करना विशेष रूप से लाभकारी माना गया है।
छिन्नमस्तिका देवी शक्तिपीठ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इसका अद्वितीय महत्व है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार यह शक्तिपीठ उन भक्तों के लिए विशेष रूप से लाभकारी है, जो अपने जीवन में ग्रह दोषों और समस्याओं का सामना कर रहे हैं। राहु–केतु, शनि, मंगल और चंद्र जैसे ग्रहों की अशुभ दशाओं का निवारण छिन्नमस्ता देवी की पूजा से होता है। देवी की उपासना से व्यक्ति को साहस, आत्म-नियंत्रण और मानसिक शांति प्राप्त होती है।इस शक्तिपीठ में की गई पूजा और अर्चना से जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं और भक्तों को देवी की अनुकंपा प्राप्त होती है। साहू जी के अनुसार छिन्नमस्तिका देवी की कृपा से जीवन में आने वाली बाधाएँ और समस्याएँ समाप्त होती हैं, और व्यक्ति को आध्यात्मिक और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
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TESTIMONIALS
आनंद गुप्ता, उज्जैन (Google reviews)
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गीतांजलि वर्मा, भोपाल (Google reviews)
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