दुर्गा देवी हिंदू धर्म में शक्ति और साहस की प्रतीक मानी जाती हैं। उनकी पूजा विशेष रूप से नवरात्रि में होती है, लेकिन देवी के विभिन्न रूपों को पूरे वर्ष आराधना की जाती है। 52 शक्तिपीठ, जो देवी सती के अंगों के धरती पर गिरने के कारण बने, इन्हें देवी दुर्गा के विभिन्न स्वरूपों का प्रतिनिधित्व करते हुए माना जाता है। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार इन शक्तिपीठों का धार्मिक महत्व तो है ही, लेकिन ज्योतिषीय दृष्टि से भी ये स्थलों का महत्व अत्यधिक है।शक्तिपीठों के माध्यम से देवी दुर्गा की आराधना करने से जातक की कुंडली में कई प्रकार के दोषों का निवारण होता है और जीवन में चल रही परेशानियों से मुक्ति मिलती है। इस लेख में हम देवी दुर्गा और 52 शक्तिपीठों का ज्योतिषीय दृष्टिकोण से महत्व जानेंगे, और किस तरह से इन शक्तिपीठों में की गई पूजा से ग्रह दोष और जीवन की बाधाओं का निवारण होता है।
दुर्गा देवी और शक्तिपीठों का धार्मिक महत्व
दुर्गा देवी को शक्ति, साहस, और संरक्षण की देवी माना जाता है। उनके नौ रूपों की पूजा नवरात्रि के समय विशेष रूप से की जाती है। दुर्गा देवी की आराधना से न केवल आंतरिक शक्ति और आत्मविश्वास बढ़ता है, बल्कि जीवन में आने वाली बाधाओं का भी नाश होता है।
52 शक्तिपीठों का धार्मिक महत्व यह है कि ये सभी स्थल देवी सती के शरीर के विभिन्न अंगों के धरती पर गिरने के कारण बने। ये स्थल अत्यधिक पवित्र माने जाते हैं और यहाँ की गई पूजा से विशेष रूप से शक्ति और साहस की प्राप्ति होती है। जब भी भक्त देवी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, वे इन शक्तिपीठों की यात्रा करते हैं।
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से दुर्गा देवी और शक्तिपीठों का महत्व
ज्योतिषीय दृष्टिकोण से देवी दुर्गा और शक्तिपीठों की पूजा करने से व्यक्ति की कुंडली में ग्रह दोषों का निवारण होता है। विशेष रूप से जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु, केतु, शनि, मंगल, या चंद्रमा की अशुभ दशा चल रही होती है, तब देवी दुर्गा की पूजा से उन दोषों का निवारण होता है। इन शक्तिपीठों में जाकर की गई पूजा से ग्रह दोष कम होते हैं और जीवन में शांति और समृद्धि आती है।
राहु और केतु दोष निवारण:
राहु और केतु की दशा जीवन में भ्रम, मानसिक तनाव, और नकारात्मकता का कारण बन सकती है। यदि जातक की कुंडली में राहु या केतु का दोष हो, तो दुर्गा देवी की आराधना करना विशेष लाभकारी होता है। शक्तिपीठों में की गई पूजा से राहु और केतु के दोष शांत होते हैं और मानसिक शांति की प्राप्ति होती है।
शनि दोष निवारण:
शनि की अशुभ दशा जीवन में संघर्ष, कष्ट, और बाधाओं का कारण बनती है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार शनि की साढ़ेसाती या ढैय्या के समय दुर्गा देवी की पूजा करने से शनि के कुप्रभाव कम होते हैं। देवी दुर्गा को “माँ कात्यायनी” के रूप में विशेष रूप से शनि दोष निवारण के लिए पूजा जाता है। शक्तिपीठों में जाकर देवी के इस रूप की आराधना करने से शनि के कारण उत्पन्न जीवन की कठिनाइयाँ दूर होती हैं।
मंगल दोष निवारण:
मंगल का अशुभ प्रभाव जीवन में गुस्सा, विवाद, और ऊर्जा के असंतुलन का कारण बनता है। देवी दुर्गा की आराधना विशेष रूप से मंगल दोष से मुक्ति के लिए की जाती है। मंगल के प्रभाव से उत्पन्न समस्याओं का निवारण दुर्गा सप्तशती का पाठ करके किया जा सकता है।
चंद्र दोष निवारण:
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में चंद्रमा कमजोर हो या उसकी दशा अशुभ हो, तो मानसिक तनाव और असंतुलन उत्पन्न हो सकता है। देवी दुर्गा की पूजा चंद्र दोष के निवारण के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है। देवी को सफेद वस्त्र और सफेद फूल अर्पित करके पूजा करने से चंद्र दोष शांत होते हैं और मानसिक शांति प्राप्त होती है।
शक्तिपीठों की यात्रा का ज्योतिषीय महत्व
शक्तिपीठों की यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण होती है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इसका विशेष महत्व है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रहों की दशा प्रतिकूल हो, विशेषकर राहु, केतु, शनि, या मंगल, तो शक्तिपीठों में जाकर पूजा करने से उन ग्रहों के दोष कम होते हैं।
शक्तिपीठों की यात्रा करते समय ध्यान रखना चाहिए कि यात्रा के दौरान संयम और शुद्ध आचरण बनाए रखना अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके अलावा, यात्रा के समय यदि संभव हो तो उपवास भी रखा जा सकता है, जिससे ग्रहों के दोषों का निवारण और प्रभावी हो सकता है।
दुर्गा देवी के मंत्र और उपाय
दुर्गा सप्तशती का पाठ: दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से व्यक्ति की कुंडली में चल रहे ग्रह दोष शांत होते हैं। इस पाठ को विशेष रूप से नवरात्रि के समय किया जाता है, लेकिन यह किसी भी समय ग्रह दोष निवारण के लिए किया जा सकता है।
राहु-केतु दोष निवारण के लिए उपाय: राहु और केतु के दोष निवारण के लिए दुर्गा देवी के मंत्रों का जाप किया जा सकता है। देवी दुर्गा की उपासना विशेष रूप से राहु और केतु के अशुभ प्रभाव से मुक्ति के लिए की जाती है।
शनि दोष निवारण के लिए उपाय: शनि दोष से पीड़ित व्यक्तियों को शनिवार के दिन देवी दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। इस दिन काले तिल, सरसों का तेल और काले वस्त्र का दान किया जा सकता है।
मंगल दोष निवारण के लिए उपाय: मंगल दोष से पीड़ित व्यक्तियों को मंगलवार के दिन दुर्गा देवी की आराधना करनी चाहिए। इस दिन देवी को लाल वस्त्र और लाल फूल अर्पित करके पूजा करनी चाहिए।
चंद्र दोष निवारण के लिए उपाय: चंद्रमा की अशुभ दशा से उत्पन्न मानसिक असंतुलन को दूर करने के लिए चाँदी के दीपक में घी का दीपक जलाकर दुर्गा देवी की आराधना करनी चाहिए।
दुर्गा देवी और 52 शक्तिपीठों का ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्व है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार शक्तिपीठों में जाकर की गई पूजा न केवल धार्मिक दृष्टि से लाभकारी होती है, बल्कि ग्रह दोषों के निवारण में भी अत्यंत सहायक होती है। देवी दुर्गा की उपासना से जीवन में साहस, आत्मविश्वास, और शक्ति की प्राप्ति होती है।जिन जातकों की कुंडली में राहु, केतु, शनि, मंगल या चंद्रमा की अशुभ दशा चल रही हो, उनके लिए देवी दुर्गा की आराधना विशेष रूप से लाभकारी मानी जाती है। इन शक्तिपीठों में की गई पूजा से ग्रह दोष शांत होते हैं और जीवन में शांति, समृद्धि और सफलता की प्राप्ति होती है।
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