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शक्तिपीठों की पूजा से अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करने के ज्योतिषीय उपाय

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शक्तिपीठों की पूजा से अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करने के ज्योतिषीय उपाय

भारतीय संस्कृति और धर्म में शक्तिपीठों का विशेष स्थान है। ये पवित्र स्थान केवल आस्था और श्रद्धा के केंद्र ही नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्त्वपूर्ण हैं। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार ऐसा माना जाता है कि शक्तिपीठों की पूजा से व्यक्ति के जीवन में चल रहे ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र में जब किसी ग्रह की महादशा या अंतर्दशा में व्यक्ति के जीवन में परेशानियां उत्पन्न होती हैं, तब शक्तिपीठों की पूजा और उपासना करने से इन ग्रहों के दुष्प्रभावों को शांत किया जा सकता है। आइए, इस ब्लॉग में हम जानें कि कैसे शक्तिपीठों की पूजा से अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करने के ज्योतिषीय उपाय किए जा सकते हैं।

शक्तिपीठों का ज्योतिषीय महत्त्व

शक्तिपीठ देवी दुर्गा के विभिन्न रूपों का प्रतीक होते हैं। यह माना जाता है कि जहां-जहां देवी सती के शरीर के अंग गिरे, वहां-वहां शक्तिपीठों की स्थापना हुई। ये पवित्र स्थान ऊर्जा के अद्भुत केंद्र माने जाते हैं, जहां देवी के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। ये शक्तिपीठ केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए नहीं, बल्कि ज्योतिषीय दोषों को भी शांत करने के लिए महत्त्वपूर्ण माने जाते हैं।

मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार जब किसी की कुंडली में कोई ग्रह अशुभ होता है या उसकी महादशा या अंतर्दशा में जीवन में कष्ट आते हैं, तब शक्तिपीठों की पूजा और आराधना उस ग्रह के अशुभ प्रभाव को कम करने में सहायक हो सकती है। विशेष रूप से, राहु, केतु, शनि और मंगल जैसे अशुभ ग्रहों के दोषों को शांत करने के लिए शक्तिपीठों की यात्रा और वहाँ की जाने वाली पूजा अत्यधिक लाभकारी मानी जाती है।

ज्योतिषीय दृष्टिकोण से अशुभ ग्रहों का प्रभाव

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, हर व्यक्ति की कुंडली में नौ ग्रह होते हैं जो उसके जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करते हैं। यदि इनमें से कोई ग्रह अशुभ स्थिति में हो या उसकी दशा चल रही हो, तो व्यक्ति के जीवन में कई प्रकार की समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं। ये समस्याएँ शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, या सामाजिक रूप में हो सकती हैं। निम्नलिखित ग्रहों के अशुभ प्रभाव और उनके उपाय शक्तिपीठों की पूजा से कैसे किए जा सकते हैं, इस पर ध्यान देना आवश्यक है:

शनि ग्रह और शक्तिपीठ

शनि ग्रह को न्याय का देवता माना जाता है। यदि शनि की महादशा चल रही हो या शनि कुंडली में अशुभ स्थिति में हो, तो व्यक्ति को संघर्ष, धन हानि, स्वास्थ्य समस्याएं और सामाजिक प्रतिष्ठा में कमी का सामना करना पड़ सकता है।

उपाय:
वैदिक ज्योतिष के अनुसार यदि कुंडली में शनि अशुभ हो, तो काली देवी के किसी शक्तिपीठ में जाकर काली माता की पूजा करना अत्यधिक लाभकारी होता है। कालीघाट (कोलकाता) और महाकाली मंदिर (उज्जैन) जैसे शक्तिपीठ शनि दोष को शांत करने के लिए प्रसिद्ध हैं। शनिदेव की प्रसन्नता के लिए देवी काली के मंदिर में तिल का तेल चढ़ाना और काले वस्त्र धारण करना भी विशेष फलदायी होता है।

राहु ग्रह और शक्तिपीठ

राहु ग्रह का प्रभाव अचानक घटनाओं और भ्रम से जुड़ा होता है। यदि राहु कुंडली में अशुभ हो, तो व्यक्ति मानसिक तनाव, नशे की आदत, धोखाधड़ी और अपमान का शिकार हो सकता है।

उपाय:
साहू जी के अनुसार राहु दोष से बचने के लिए देवी दुर्गा के शक्तिपीठों में पूजा करना अत्यंत लाभकारी माना जाता है। तारा देवी शक्तिपीठ (हिमाचल प्रदेश) और कामाख्या देवी (असम) में देवी तारा की पूजा करके राहु के अशुभ प्रभाव को कम किया जा सकता है। राहु की शांति के लिए नीले पुष्प और धूप अर्पण करना शुभ माना जाता है।

केतु ग्रह और शक्तिपीठ

केतु ग्रह आध्यात्मिकता और अप्रत्याशित घटनाओं से जुड़ा होता है। यदि कुंडली में केतु अशुभ हो, तो व्यक्ति को शारीरिक समस्याएं, मानसिक बेचैनी और अचानक दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ सकता है।

उपाय:
केतु दोष को शांत करने के लिए देवी भ्रामरी के शक्तिपीठ (गुजरात) में पूजा करना लाभकारी माना जाता है। देवी भ्रामरी की उपासना से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता और शांति आती है। केतु ग्रह की शांति के लिए देवी को लाल वस्त्र और गुड़ अर्पित किया जाता है।

मंगल ग्रह और शक्तिपीठ

मंगल ग्रह का प्रभाव साहस, ऊर्जा, और क्रोध से संबंधित होता है। यदि मंगल अशुभ हो, तो व्यक्ति को दुर्घटनाओं, चोटों, रक्त से जुड़ी बीमारियों और पारिवारिक विवादों का सामना करना पड़ता है।

उपाय:
मंगल दोष से निवारण के लिए देवी भगवती के किसी शक्तिपीठ में जाकर पूजा करनी चाहिए। त्रिपुरा सुंदरी मंदिर (त्रिपुरा) और विंध्यवासिनी देवी (उत्तर प्रदेश) के शक्तिपीठों में देवी भगवती की पूजा से मंगल दोष कम किया जा सकता है। मंगलवार के दिन लाल पुष्प और गुड़ अर्पित करना विशेष लाभकारी माना जाता है।

चंद्र ग्रह और शक्तिपीठ

चंद्रमा का संबंध मन और भावनाओं से होता है। अगर चंद्रमा अशुभ हो तो मानसिक अस्थिरता, अवसाद और तनाव जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।

उपाय:
चंद्रमा की शांति के लिए देवी महालक्ष्मी के शक्तिपीठ (कोल्हापुर) में पूजा करनी चाहिए। चंद्रमा के अशुभ प्रभाव को कम करने के लिए देवी को सफेद पुष्प, दूध और चावल अर्पण करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इसके अलावा, रात्रि के समय चंद्रमा को अर्घ्य देना भी विशेष फलदायी होता है।

शक्तिपीठों की यात्रा का महत्व

शक्तिपीठों की यात्रा और वहाँ पूजा करना व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाता है। ज्योतिष के अनुसार इन स्थानों पर जाने से ग्रहों के दोष कम होते हैं और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है। शक्तिपीठों की यात्रा न केवल आध्यात्मिक उन्नति के लिए लाभकारी होती है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करने में सहायक होती है।

शक्तिपीठों की यात्रा से ग्रहों की शांति

शक्तिपीठों में देवी की आराधना करने से कुंडली में मौजूद ग्रह दोषों का शमन होता है। विशेष रूप से, राहु, केतु, शनि और मंगल के अशुभ प्रभावों को शांत करने के लिए शक्तिपीठों की यात्रा अत्यंत फलदायी मानी जाती है।

धन और समृद्धि: शक्तिपीठों में देवी लक्ष्मी और दुर्गा की पूजा से व्यक्ति के जीवन में आर्थिक उन्नति होती है। कुंडली में अगर धन योग कमजोर हो, तो शक्तिपीठों की यात्रा से उसे बल मिलता है।

स्वास्थ्य में सुधार: कुंडली में किसी ग्रह की अशुभ स्थिति के कारण होने वाली शारीरिक और मानसिक समस्याओं का निवारण शक्तिपीठों की पूजा से संभव है। देवी की कृपा से स्वास्थ्य में सुधार होता है।

मानसिक शांति: शक्तिपीठों की यात्रा और पूजा से व्यक्ति के मन में शांति और संतुलन आता है। मानसिक तनाव और अवसाद जैसी समस्याएं कम होती हैं।

शक्तिपीठों की यात्रा के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

शक्तिपीठों की यात्रा के दौरान कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना चाहिए ताकि यात्रा और पूजा का पूर्ण लाभ प्राप्त हो सके:

सही दिन और मुहूर्त का चयन: ज्योतिषीय दृष्टिकोण से शक्तिपीठों की यात्रा के लिए शुभ दिन और मुहूर्त का चयन करना चाहिए। इससे पूजा का प्रभाव अधिक होता है।

विशेष ग्रह के लिए विशेष उपाय: जिस ग्रह की शांति करनी है, उसके अनुसार शक्तिपीठ का चयन करना चाहिए और देवी की पूजा के साथ उस ग्रह के लिए विशेष उपाय करने चाहिए।

आध्यात्मिक अनुशासन: शक्तिपीठों की यात्रा के दौरान संयम और अनुशासन का पालन करना चाहिए। उपवास, जप, और ध्यान से यात्रा का प्रभाव बढ़ता है।

शक्तिपीठों की पूजा और उपासना व्यक्ति के जीवन में चल रही ग्रहों की अशुभ दशाओं और प्रभावों को कम करने में अत्यधिक सहायक है। भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार जब किसी ग्रह की महादशा या अंतर्दशा में जीवन में कष्ट आते हैं, तब शक्तिपीठों की यात्रा और वहाँ की जाने वाली पूजा से इन ग्रहों के दुष्प्रभावों को शांत किया जा सकता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से राहु, केतु, शनि, मंगल और चंद्र जैसे ग्रहों के दोषों को शक्तिपीठों में देवी की आराधना करके दूर किया जा सकता है।

शक्तिपीठों में की जाने वाली पूजा न केवल ज्योतिषीय दोषों को शांत करती है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि और शांति लाती है। इस प्रकार, अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करने के लिए शक्तिपीठों की पूजा और यात्रा अत्यंत महत्त्वपूर्ण उपाय है।

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TESTIMONIALS

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