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शक्ति पीठों का ज्योतिषीय महत्व – देवी की उपासना और ग्रहों पर प्रभाव

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शक्ति पीठों का ज्योतिषीय महत्व – देवी की उपासना और ग्रहों पर प्रभाव


शक्ति पीठों का उल्लेख भारतीय पौराणिक कथाओं और धर्मग्रंथों में विशेष स्थान रखता है। ये वो पवित्र स्थान हैं, जहाँ देवी सती के अंग गिरे थे, जब भगवान शिव उनका मृत शरीर लेकर ब्रह्मांड में विचरण कर रहे थे। इंदौर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार शक्ति पीठों को शक्ति का केंद्र माना जाता है, जहाँ देवी दुर्गा या उनके विभिन्न रूपों की आराधना की जाती है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इन शक्ति पीठों का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इन स्थानों पर देवी की उपासना ग्रहों के अशुभ प्रभाव को कम करती है और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में संतुलन प्रदान करती है।इस लेख में हम शक्ति पीठों के ज्योतिषीय महत्व और देवी की उपासना का ग्रहों पर प्रभाव विस्तार से जानेंगे।

शक्ति पीठ क्या हैं?

शक्ति पीठ भारत और आसपास के विभिन्न हिस्सों में स्थित वे पवित्र स्थल हैं, जहाँ देवी सती के शरीर के अंग गिरे थे। कुल मिलाकर 51 शक्ति पीठों का उल्लेख मिलता है, हालांकि कुछ स्थानों पर इनकी संख्या 52 से 108 तक भी मानी जाती है। प्रत्येक शक्ति पीठ में देवी दुर्गा का अलग-अलग रूप और उनकी शक्ति विराजमान है। ये स्थान ऊर्जा का स्रोत होते हैं और यहाँ देवी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हर शक्ति पीठ की अपनी कथा, महिमा और महत्व है।

शक्ति पीठों का ज्योतिषीय महत्व:

शक्ति पीठों का ज्योतिषीय महत्व अत्यधिक है। प्रत्येक शक्ति पीठ से जुड़े देवी के अलग-अलग रूप का संबंध विशेष ग्रहों से होता है। इन स्थानों पर देवी की आराधना करके ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है। ज्योतिष में ग्रहों का महत्वपूर्ण स्थान होता है और व्यक्ति के जीवन के हर क्षेत्र पर इनका प्रभाव होता है। मध्यप्रदेश के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार ग्रहों की स्थिति और दशा व्यक्ति के जीवन के निर्णयों, स्वास्थ्य, संबंधों, और आर्थिक स्थिति को प्रभावित करती है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में ग्रह अशुभ स्थिति में होते हैं या उनकी महादशा चल रही होती है, तो उन्हें देवी की उपासना करने से लाभ मिलता है। शक्ति पीठों पर की गई पूजा ग्रहों की स्थिति में सुधार करती है और व्यक्ति को विभिन्न क्षेत्रों में सफलता दिलाती है।

ग्रहों और देवी की उपासना का संबंध:

 सूर्य ग्रह और देवी की उपासना:

सूर्य ग्रह को आत्मा, शक्ति और जीवन का कारक माना जाता है। ज्योतिष में सूर्य व्यक्ति की प्रतिष्ठा, समाज में उसकी स्थिति और आत्मविश्वास का प्रतीक है। जब कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर होता है, तो व्यक्ति को समाज में मान-सम्मान की कमी, आत्मविश्वास की कमी और सरकारी क्षेत्र में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में देवी दुर्गा के कात्यायनी रूप की उपासना विशेष लाभकारी मानी जाती है। कात्यायनी देवी का संबंध सूर्य से है और उनकी पूजा से सूर्य ग्रह की कमजोरी दूर होती है। कात्यायनी देवी की शक्ति से व्यक्ति को आत्मबल मिलता है और उसकी समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है।

चंद्र ग्रह और देवी की उपासना:

चंद्रमा को मन, भावनाओं और मानसिक शांति का प्रतीक माना जाता है। जब चंद्रमा अशुभ स्थिति में होता है, तो व्यक्ति को मानसिक तनाव, चिंता और अनिद्रा जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ऐसे में देवी महागौरी की पूजा करने से चंद्रमा के दोष दूर होते हैं। महागौरी का शीतल और सौम्य स्वरूप मानसिक शांति प्रदान करता है और व्यक्ति के भावनात्मक संतुलन को स्थापित करता है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार शक्ति पीठों में महागौरी की आराधना से मन की शांति प्राप्त होती है और चंद्रमा के अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाते हैं।

 मंगल ग्रह और देवी की उपासना:

मंगल ग्रह ऊर्जा, साहस, और शक्ति का प्रतीक है। ज्योतिष में मंगल को भूमि, संपत्ति, और दुर्घटनाओं से जोड़कर देखा जाता है। अगर कुंडली में मंगल अशुभ स्थिति में हो या मांगलिक दोष हो, तो व्यक्ति को शारीरिक चोट, भूमि विवाद, और मानसिक अशांति का सामना करना पड़ सकता है। ऐसे में देवी चामुंडा की पूजा मंगल दोष को शांत करती है। देवी चामुंडा का उग्र रूप शक्ति और साहस का प्रतीक है और उनकी उपासना से मंगल के दुष्प्रभाव दूर होते हैं। शक्ति पीठ में देवी चामुंडा की आराधना करने से व्यक्ति को जीवन के संघर्षों से लड़ने की शक्ति मिलती है।

 बुध ग्रह और देवी की उपासना:

बुध ग्रह बुद्धि, संवाद और व्यापार का कारक है। जब बुध ग्रह कमजोर होता है, तो व्यक्ति को संवाद में कठिनाई, निर्णय लेने में समस्याएँ और व्यापार में असफलता का सामना करना पड़ता है। देवी दुर्गा के ब्रह्मचारिणी रूप की पूजा बुध ग्रह के दोषों को समाप्त करती है। ब्रह्मचारिणी देवी का शांत स्वरूप बुद्धि और ज्ञान का प्रतीक है, और उनकी उपासना से बुध ग्रह के सभी अशुभ प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। शक्ति पीठ में ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना बुध दोषों से मुक्ति दिलाती है और संवाद कुशलता को बढ़ाती है।

 गुरु ग्रह और देवी की उपासना:

गुरु ग्रह को ज्ञान, धार्मिकता, और धन का प्रतीक माना जाता है। जब गुरु अशुभ स्थिति में होता है, तो व्यक्ति को शिक्षा, संतान और धन की प्राप्ति में कठिनाई होती है। ऐसे में देवी सरस्वती या देवी बगलामुखी की उपासना से गुरु ग्रह के दोष दूर किए जा सकते हैं। देवी सरस्वती विद्या की देवी हैं और उनकी पूजा से व्यक्ति को शिक्षा और ज्ञान की प्राप्ति होती है। देवी बगलामुखी का उग्र रूप व्यक्ति को शत्रु बाधाओं से मुक्ति दिलाता है। शक्ति पीठ में गुरु ग्रह के दोष निवारण के लिए देवी सरस्वती और बगलामुखी की आराधना लाभकारी होती है।

 शुक्र ग्रह और देवी की उपासना:

शुक्र ग्रह भौतिक सुख-सुविधाओं, सौंदर्य, प्रेम, और वैवाहिक जीवन का कारक है। जब शुक्र ग्रह कमजोर होता है, तो व्यक्ति को वैवाहिक जीवन में कष्ट, धन की हानि, और संबंधों में असफलता का सामना करना पड़ता है। देवी लक्ष्मी की उपासना शुक्र ग्रह के दोषों को दूर करती है। देवी लक्ष्मी वैभव और सौंदर्य की देवी हैं और उनकी आराधना से शुक्र ग्रह की कमजोरी दूर होती है। शुक्र दोष से मुक्ति पाने के लिए शक्ति पीठ में देवी लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए।

 शनि ग्रह और देवी की उपासना:

शनि ग्रह को कर्म, न्याय और संघर्ष का प्रतीक माना जाता है। शनि की अशुभ स्थिति व्यक्ति को जीवन में कठिनाइयाँ, बीमारी और आर्थिक संकट का सामना करने के लिए बाध्य करती है। ऐसे में देवी काली या देवी तारा की उपासना से शनि के दुष्प्रभावों को कम किया जा सकता है। देवी काली का उग्र रूप व्यक्ति को जीवन के संघर्षों से लड़ने की शक्ति प्रदान करता है। शक्ति पीठों में देवी काली की उपासना शनि दोष से मुक्ति दिलाती है।

 राहु और केतु ग्रह और देवी की उपासना:

राहु और केतु छाया ग्रह हैं, और ये ग्रह व्यक्ति के जीवन में मानसिक भ्रम, भय, और अनिश्चितता का प्रतीक होते हैं। राहुकेतु की अशुभ स्थिति व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक कष्ट देती है। देवी चामुंडा और देवी भैरवी की उपासना राहु और केतु ग्रह के दोषों को दूर करती है। ये देवियाँ व्यक्ति को अदृश्य बाधाओं और भय से मुक्ति दिलाती हैं। शक्ति पीठ में देवी चामुंडा की आराधना राहु-केतु के दुष्प्रभाव से बचाती है।

शक्ति पीठों की यात्रा और उसके लाभ:

शक्ति पीठों की यात्रा का विशेष महत्व है। यह न केवल आध्यात्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि ज्योतिषीय दृष्टिकोण से भी इसका विशेष महत्व है। शक्ति पीठों की यात्रा व्यक्ति के जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाती है। ग्रह दोषों से पीड़ित व्यक्ति को इन स्थलों की यात्रा से राहत मिलती है। प्रत्येक शक्ति पीठ की अपनी विशिष्टता होती है और भारत के प्रसिद्ध ज्योतिषी मनोज साहू जी के अनुसार देवी के उस विशेष रूप की पूजा से ग्रहों के दोषों का निवारण होता है। शक्ति पीठों का ज्योतिषीय महत्व अपार है। यहाँ देवी की उपासना से ग्रहों के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है और जीवन में सुख, शांति और समृद्धि प्राप्त की जा सकती है। नवरात्रि या अन्य शुभ अवसरों पर शक्ति पीठों की यात्रा करना व्यक्ति के जीवन को सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। इन स्थानों पर देवी की आराधना करने से व्यक्ति को मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक संतुलन प्राप्त होता है, और ग्रहों के दोषों का निवारण होता है। शक्ति पीठों का दौरा और वहाँ की पूजा व्यक्ति के जीवन के हर पहलू पर सकारात्मक प्रभाव डालती है।

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